Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 16 in Hindi Fiction Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 16

Featured Books
Categories
Share

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 16



आरव के चेहरे पर कायरा को ले कर परेशानी साफ झलक रही थी । वो कॉलेज से निकल कर रोड पर तेज़ रफ्तार में गाड़ी चलाए जा रहा था। रूही पीछे की सीट पर कायरा का हाथ पकड़े बैठी थी और उसका सिर अपने हाथ से सहला रही थी। कायरा अब तक कमजोरी की वजह से बेहोश हो चुकी थी , उसका सिर रूही के गोद में था। रूही उसे बार - बार होश में लाने की कोशिश कर थी । रूही ने कायर के सिर छुआ तो वह तप रहा था । रूही ने परेशानी और साथ में नम आंखों के साथ आरव से कहा ।

रूही - आरव प्लीज!!!! जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचा दो , कायरा का बदन तेज़ बुखार से तप रहा है । ( आरव ने जब सुना तो मुड़ कर नम आंखों से कायरा को देखा और फिर सामने देखते हुए गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और स्टेयरिंग को जल्दी - जल्दी घुमाने लगा , रूही रोते हुए कहती है ) पता नहीं इसने कैसे कॉफी पी ली , और मीशा ने सच ही तो कहा था , इसे पता तो चला ही होगा न के जो ये पी रही है वो कॉफी है या चाए , तब भी इसने पता नहीं क्यों जानते - बूझते हुए भी अपनी जान खतरे में डाली । जब आंटी को पता चलेगा तो उन्हें बहुत ही ज्यादा बुरा लगेगा और टेंशन लेंगी वो अलग ।

आरव को रूही की बात सुन कर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था । वो आज बहुत ही ज्यादा पछता रहा था और खुद को दोष दिए जा रहा था। वो रूही को अपनी गलती बताने को हुआ के हॉस्पिटल आ गया । रूही ने उसे बाईं ओर दिख रहे हॉस्पिटल की ओर इशारा किया । आरव ने हॉस्पिटल के सामने गाड़ी खड़ी कर दी और अपनी सीट से बाहर निकलकर पीछे का दरवाजा खोला जहां रूही और कायरा थी । आरव ने जल्दी से कायरा को अपनी बाहों में लिया और हॉस्पिटल की अंदर आ कर जोर - जोर से चीखने लगा । रूही भी उसके पीछे - पीछे आई और डॉक्टर को आवाज़ देने लगी ।

आरव ( तेज़ आवाज़ में ) - डॉक्टर ........., डॉक्टर ............।

रूही ( पास में खड़े कंपाउंडर के पास जाते हुए ) - सुनिए ...., आप प्लीज बता सकते हैं , डॉक्टर कहां है?? हमारी दोस्त को इलाज की सख्त जरूरत है , ( हाथ जोड़ते हुए ) प्लीज हमारी हेल्प कर दीजिए , प्लीज ........।

कंपाउंडर ( शालीनता से ) - देखिए मैडम , आप हाथ मत जोड़िए । हमारा यही काम है , ( स्टेचर की ओर इशारा करते हुए ) आप उन्हें स्ट्रेचर पर लेटा दीजिए और हमारे पीछे - पीछे आइए, मैं वार्ड की ओर ले कर चलता हूं आप लोगो को ।

रूही - धन्यवाद । ( आरव के पास जा कर ) आरव कायर को स्ट्रेचर पर लेटा दो , ये कंपाउंडर भैया हमें वार्ड की ओर ले जायेंगे।

आरव कायरा को बाहों में ही लिए कंपाउंडर के पीछे - पीछे चल देता है । कंपाउंडर उन्हें वार्ड की ओर इशारा करता है , और खुद डॉक्टर को बुलाने चला जाता है । आरव वार्ड में आकर कायरा को बेड पर लेटा देता है । रूही कायरा का हाथ पकड़े उसके सिरहाने के पास खड़ी हो जाती है । तभी डॉक्टर भी कुछ नर्स के साथ आ जाते है ।

डॉक्टर ( कायरा को चैक करते हुए ) - आप लोग बताएंगे के इनकी ये हालत कैसे हुई , इन्हे चक्कर कैसे आया? और इतनी हालत कैसे बिगड़ी ???

रूही नम आंखों से डॉक्टर को सब बताती है और कायरा की एलर्जी की बात भी बताती है । डॉक्टर एक बार फिर कायरा को चैक करते है और फिर नर्स को इंजेक्शन रेडी करने को बोलते है । आरव बस भीगी पलकों से कायरा को निहार रहा होता है । डॉक्टर कायरा को इंजेक्शन देते हैं , और साथ में नर्स से ग्लूकोज की बॉटल चढ़ाने को कहते हैं । और फिर आरव की तरफ रुख करके कहते हैं।

डॉक्टर ( आरव को जानते थे , इस लिए कहते हैं ) - मिस्टर शर्मा !

आरव को उस वक़्त कायरा के चेहरे के अलावा और कुछ भी दिखाई सुनाई नहीं दे रहा था , वो बस नम आंखों से कायरा को देखे जा रहा था। डॉक्टर एक बार फिर उसे पुकारते है, पर आरव कोई रेस्पॉन्स नहीं देता । रूही जब उसे इस तरह देखती है तो वो आरव के पास आती है और उसके कंधे पर हाथ रख उसे झकझोरते हुए कहती है ।

रूही - आरव !!! ( रूही के झकझोरने से आरव को होश आता है और वो रूही की तरफ देखता है , आरव की आंखों में आसूं देख एक पल को रूही घबरा जाती है , फिर खुद को रिलेक्स कर आरव से कहती है ) आरव ! डॉक्टर तुम्हें कब से आवाज़ दे रहे हैं , ( आरव डॉक्टर की तरफ नजरें घुमाता है तो पाता है के वो उसे है निहार रहे हैं वह अपने आंखों में आए आंसुओं को पोंछता है , रूही कहती है ) शायद उन्हें कायरा को ले कर कुछ बात करनी होगी तुमसे , ( डॉक्टर से ) आप इन्हें ले जाइए और जो भी बात हो इन्हें बता दीजिए , ( आरव से ) आरव तुम टेंशन मत लो , मैं यहां कायरा के पास ही हूं , तुम डॉक्टर के साथ जाओ ।

आरव एक नजर कायरा को देखता है , फिर रूही के कहने पर डॉक्टर के साथ वार्ड से बाहर निकल जाता है । डॉक्टर उसे अपने केबिन में लाते हैं , और उसे बैठने को बोल उसकी ओर पानी से भरा ग्लास बढ़ाते हैं। आरव चेयर में बैठता है और थोड़ा सा पानी पीने के बाद तुरंत डॉक्टर से कहता है ।

आरव ( चिंता के साथ ) - डॉक्टर ! सब ठीक तो है ना??? आपने मुझे इस तरह बुलाया , कायरा ठीक तो है ना!!!???

डॉक्टर ( शालीनता से ) - मिस्टर शर्मा ! देखिए , पैसेंट ठीक है, एलर्जी के कारण ही उन्हें , वॉमिटिंग हुई है , और कमजोरी के कारण ही उन्हें चक्कर आए हैं। जिसके चलते वे बेहोश हैं । मैंने उन्हें इंजेक्शन दे दिया है , और ग्लूकोज की बॉटल भी लगवा दी है , जिससे उन्हें थोड़ा आराम मिलेगा , और......।

आरव ( डॉक्टर के बोलने से पहले ही ) - सर! उसे होश कब तक आयेगा ?

डॉक्टर - उन्हें थोड़ी देर में होश आ जायेगा , बस उन्हें कम से कम दो दिन बेड रेस्ट की जरूरत है । साथ ही हेल्दी खाने की । जिससे वे जल्दी ही ठीक हो जायेंगी । ( एक कागज में कुछ लिख कर आरव को देते हुए ) ये कुछ दवाइयां हैं , उन्हें सुबह - शाम देनी है । आप हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से ले लीजिए । ( हॉस्पिटल का फॉर्म आरव की तरफ बढ़ते हुए ) ये कुछ हॉस्पिटल की फॉर्मेलिटीज़ हैं , इन्हें फिल कर दीजिए । ( आरव पेपर्स ले लेता है तो डॉक्टर आरव से कहते हैं ) वैसे मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं???

आरव ( पेपर्स फिल करते हुए ) - जी कहिए!!!

डॉक्टर ( आरव के चेहरे को ध्यान से देखते हुए ) - वो जो पैसेंट एडमिट हैं , उनका आपके साथ रिश्ता क्या है???

आरव डॉक्टर की बात सुनकर खामोश हो जाता है , और उसका हाथ लिखते - लिखते रुक जाता है । आरव कुछ पल सोचता है और फिर डॉक्टर से कहता है ।

आरव - दोस्त हैं वो मेरी , हम एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं , साथ ही एम्पलोई भी है , मेरे ऑफिस में , साथ काम करते हैं हम ।

डॉक्टर जो बड़े ध्यान से आरव को देख रहा था , वो शांत हो जाता है , और अब मुस्कुराते हुए आरव को देखता है । वो शायद आरव की आंखों से ही कायरा के लिए फ़िक्र और उसके लिए प्यार समझ गया था , इस लिए वो अब आगे कुछ भी नहीं बोलता । आरव पेपर्स फिल कर डॉक्टर की ओर बढ़ा देता है और फिर डॉक्टर से कहता है ।

आरव - क्या मैं भी आपसे कुछ पूछ सकता हूं ?

डॉक्टर ( सकपकाते हुए ) - जी ....., जी पूछिए ना ।

आरव - आप मुझे कैसे जानते हैं ???

डॉक्टर ( आरव की बात सुन कर मुस्कुरा देता है और फिर उससे कहता है ) - आपको कौन नहीं जानता सर , मिस्टर शर्मा के छोटे बेटे , और मिस्टर अरनव शर्मा के भाई हैं आप , और इस समय तो आपका नाम ही इतना फेमस हो गया है के मुंबई का बच्चा - बच्चा आपको पहचानता है । ( आरव की तरफ हाथ बढ़ाते हुए ) कंग्रॅजुलेशन फॉर न्यू कंपनी ।

आरव भी उससे हाथ मिलाता है , पर उसे अभी कायरा की ज्यादा चिंता थी इस लिए वो वहां ज्यादा समय नहीं रुकता और तुरंत ही दवाई का कागज ले कर मेडिकल शॉप की ओर चला जाता है , वहां से दवाई लेता है और फिर कायरा और रूही के पास चला जाता है । रूही आरव को देखती है,तो स्टूल से उठते हुए, बेसब्री से उससे पूछती है ।

रूही - क्या बताया डॉक्टर ने आरव ??? कायरा ठीक तो जायेगी ना ?

आरव ( कायरा के पास आकर उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए ) - हां रूही , कायरा ठीक हो जाएगी । डॉक्टर ने कहा है के इसे थोड़ी देर में ही होश आ जायेगा ।

रूही हम्मम कहती है और कायरा के पास ही बैठ जाती है । आरव कायरा का हाथ छोड़ रूही से कहता है ।

आरव - रूही तुम कायरा का ध्यान रखना । डॉक्टर ने कहा है के कायरा को कमजोरी की वजह से चक्कर आए हैं । और एलर्जी के लिए उन्होंने दवाई दी हुई है ( आरव रूही की तरफ दवाई बढ़ा देता है ) तुम इसे रखो , मैं कायरा के लिए कुछ फ्रूट्स और जूस लेकर आता हूं , इसके होश में आते ही , इसे पिला देना , इसे ठीक लगेगा।

रूही हां कहती है और आरव बाहर की ओर चला जाता है , जैसे ही वो बाहर की ओर जाने लगता है के एक कंपाउंडर उसकी ओर आता है और उसे हॉस्पिटल की फीस भरने के लिए कहता है। आरव को ध्यान आता है उसने पेपर्स तो फिल कर दिया था पर फीस देना भूल गया था । वो हॉस्पिटल के फीस काउंटर पर आता है और अपना कार्ड दे कर बिल पे करवाता है । उसके बाद कायरा के लिए फ्रूट्स और जूस लेने हॉस्पिटल के पास के शॉप में चला जाता है ।

उधर आदित्य, नील और राहुल ऑफिस पहुंचते हैं तो उन्हें राजवीर पहले से ही उनका वेट करते मिल जाता है । राजवीर को वहां देख सभी कोई रिएक्ट नहीं करते हैं । तो वहीं राजवीर कायरा को उनके साथ ना देख आदित्य से पूछता है ।

राजवीर - कायरा कहां है आदित्य?

आदित्य ( आदित्य राजवीर की नीयत भापते हुए उसे तिरछी नज़रों से देखता है , फिर खुद को नॉर्मल करते हुए कहता है ) - वो आरव और कायरा किसी काम से बाहर गए हैं।

राजवीर जब सुनता है के कायरा आरव के साथ गई है तो उसका खून खौल जाता है और फिर गुस्से से बिना कुछ कहे अपने केबिन में चला जाता है, आदित्य तीखी मुस्कान के साथ उसे जाते हुए देख रहा होता है । राहुल और नील आदित्य के पास आते हैं और नील आदित्य से पूछता है ।

नील - आदि ! तूने क्यों नहीं बताया के आरव कायरा को हॉस्पिटल ले कर गया है । क्योंकि उसकी तबीयत ठीक नहीं है ।

आदित्य ( नील की तरफ रुख करते हुए ) - अगर मैंने उसे बता दिया होता तो वह आरव और कायरा के पास हॉस्पिटल भी पहुंच जाता । और राजवीर जिस तरह का इंसान है, उसे उन दोनों को बदनाम करने में बिल्कुल भी समय नहीं लगता है , कोई भी कहानी गढ़ कर वो दुनिया को सुनता और उसका अंजाम क्या होता तुम लोग अच्छे से जानते हो । राजवीर के गुस्से से देख कर लगता है के वो ये जनता है के आरव कायरा से प्यार करता है । उस हिसाब से राजवीर आरव और कायरा से जितना दूर रहे उतना ही अच्छा है ।

राहुल - तू ठीक कह रहा है आदि ! उसे हम इस ऑफिस में आने से तो नहीं रोक पाए पर आरव और कायरा से दूर रखने की कोशिश जरूर करेंगे । क्योंकि इसकी हरकतें देख कर मुझे भी इसके इंटेंशन समझ आ रहे हैं ।

आदित्य हां में सिर हिला देता है। तीनों ही अपने - अपने केबिन में जाकर , काम देखने लगते हैं । आरव की अपसेंस में आदित्य और राहुल ही सारी डील्स देखते हैं । और आदित्य को आरव ने इतनी जिम्मेदारी दी हुई थी के आरव के अपसेंस में वह डील वगेरह साइन कर सके । तो राहुल और आदित्य ने सारी मीटिंग्स हैंडल की । नील कायरा का पूरा काम देख रहा था और अपना भी काम साथ में कंप्लीट कर रहा था ।

आरव फ्रूट्स और जूस लेकर रूही और कायरा के पास पहुंचता है । और फिर उसे बेड के बगल की टेबल पर रख कर वहीं पड़े स्टूल में बैठ जाता है । आरव बैठते ही साथ फिर से कायरा को ही देख रहा होता है , उसे कायरा की बहुत चिंता हो रही होती है, जो कि उसके चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रही थी । रूही आरव के आने के बाद बड़े ध्यान से आरव को देख रही थी और उसके दिमाग में कुछ उधेड़बुन भी चल रही थी, जिसे वह किस तरह से आरव के सामने रखे , यही सोच रही थी । थोड़ी देर बाद रूही ने पाया के आरव कायरा को ले कर कुछ ज्यादा ही टेंस है । उसने आरव के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए आरव से पूछा।

रूही - आरव !

आरव ( कायरा को देखते हुए ) - हम्मम!!!

रूही - प्यार करते हो न तुम इससे !!!

इतना कह कर वो अपने हाथ की उंगली से कायरा की ओर इशारा करती है । रूही के इस सवाल से आरव हैरान हो जाता है और रूही को समझाने की कोशिश करते हुए कहता है ।

आरव - रूही ! ऐसा......।

रूही ( आरव की बात काटते हुए ) - मेरे सवाल का सीधा - सीधा जवाब दो आरव !!!

आरव ( कुछ देर शांत रहता है , फिर कायरा की तरफ देखते हुए रूही से कहता है ) - हां , करता हूं !!! ( रूही की ओर रुख कर आंखे बड़ी - बड़ी कर सवालिया निगाहों से कहता है ) पर तुम्हें कैसे पता? किसने.......!!!

रूही ( एक बार फिर आरव की बात को काटते हुए ) - तुम्हारी आंखों में दिखता है आरव । कोई भी इंसान इतनी ज्यादा किसी के लिए फ़िक्र तब ही करता है जब वो उसके लिए कुछ स्पेशल फील करता हो। मैं तुम्हें आज कॉलेज से ही नोटिस करते आ रही हूं । तुम्हारा कायरा के लिए कंसर्न , उसके लिए पोजेसिव होना , उसे बिना किसी के कहे यहां तक लाना, उसके बाद हॉस्पिटल में जोर - जोर से चिल्लाना , कायरा का इतना ध्यान रखना । ये सभी चीजें सिर्फ एक दोस्त तो नहीं कर सकता ना ???!!!!! अगर तुम दोस्त की हैसियत से सब कर रहे होते तो अभी तक तुम यहां बैठे न होते , बल्कि चले गए होते , और तुम्हारी जगह कायरा की फैमिली होती । तुम अपना ऑफिस का काम छोड़ कर यहां इतनी देर तक भूखे प्यासे नहीं बैठे होते आरव ।

आरव ( रूही की बात सुनकर एक ठंडी आह भरता है और फिर कायरा को देख कर कहता है ) - हां रूही , तुम सही कह रही हो । मैं कायरा को इस हालत में छोड़ कर नहीं जा सकता । मैं कुछ ही दिनों में कायरा को इतना चाहने लगा हूं के अगर उसे छोटी सी भी खरोंच आ जाए ना , तो मेरा दिल धड़कना बंद कर देता है । इसे एक पल को अगर देखूं न, तो आंखें बेचैन हो जाती हैं । सुबह - सुबह जल्दी कॉलेज सिर्फ इस लिए आता हूं , ताकि इसकी एक झलक देख सकूं , इसके साथ बातें कर सकूं । वरना मुझे कोई जरूरत नहीं है , कॉलेज की क्लासेस अटेंड करने की , अगर मैं चाहूं तो प्रिंसिपल से बात कर अटेंडेंस डलवा सकता हूं । वो भी कुछ नहीं कहेंगे और मेरा सपोर्ट करेंगे , क्योंकि उन्हें भी पता है के मेरा कितना बिज़ी सेड्यूल होता है , और उस पर उन्हें मुझ पर ट्रस्ट है के मैं अपनी स्टडीज को भी कवर कर लूंगा । फिर भी मैंने उनसे कभी नहीं कहा , क्योंकि मैं कायरा के साथ टाइम स्पेंड करना चाहता हूं । ऑफिस में तो हमारे बीच बॉस और एम्पलाई की रेखा खिंच जाती है । इस लिए मैं वहां कायरा के साथ बैठ भी नहीं सकता । पर कॉलेज में मैं उसे कम से कम जी भर कर देख तो सकता हूं , इसी वजह से मैं कॉलेज आता हूं । बहुत प्यार करता हूं कायरा से , इतना के मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता ।

रूही ( आरव को बेसब्री से देखते हुए ) - तो तुम उसे बता क्यों नहीं देते आरव ???

आरव ( रूही की तरफ देखते हुए ) - रूही !!! ये सच है कि मैं कायरा से बहुत प्यार करता हूं, पर चाह कर भी मैं ये फीलिंग कायरा के सामने व्यक्त नहीं कर सकता , क्योंकि उसने तो बड़ी मुश्किल से मुझे अपना दोस्त बनाया है । मैं ये सब बता कर उसकी दोस्ती नहीं खोना चाहता ।

इतना कहते हुए आरव की आंखें नम हो जाती हैं , और उसकी बेबसी को भापकर रूही की भी आंखे पनिली हो जाती हैं , वह अपनी आंखो में आए पानी को अपने हाथ से साफ करती है और फिर उससे मुस्कुरा कर कहती है ।

रूही - बहुत लकी है कायरा , के उसे तुमने अपने प्यार के काबिल समझा । और मुझे भगवान पर विश्वास है , वो कायरा को सही समय आने पर तुम्हारे प्यार कर एहसास जरूर करवाएंगे । और जिस दिन कायरा को तुम्हारे प्यार का एहसास होगा , उस दिन तुम दोनों से ज्यादा मैं खुश होऊंगी । ( कायरा की तरफ देखते हुए ) क्योंकि ये सबके साथ होकर भी अकेली है , पर कभी - भी किसी को इस बात की भनक नहीं लगने दी । हमेशा सभी को अपनी हंसी से हंसाती रहती है । पर खुद के लिए कभी - भी नहीं सोचती । हमेशा सभी को खुश रखना तो जैसे इसकी जिम्मेदारी बन गई है। शायद इसका जॉब करना भी ऐसी ही किसी जिम्मेदारी का हिस्सा होगा , जो इसने मुझे नहीं बताया है । और मुझे अच्छे से इस बात का अंदाजा है के घर में भी किसी को इस बारे में पता नहीं होगा, के इसके जॉब करने की असली वजह क्या है । ( आरव की ओर देखते हुए ) पर मुझे खुशी है के उसके जीवन में उसे सबसे ज्यादा प्यार करने वाला आने वाला है , जो उसे खुद की खुशी से भी ऊपर रखेगा । तुम देखना आरव , वो दिन भी जल्दी आएगा , जब तुम दोनों एक - दूसरे के साथ होगे ।

रूही की बात सुन आरव के मुरझाए चेहरे पर भी चमक आ जाती है और वह भीगी पलकों से ही मुस्कुरा देता है । रूही भी मुस्कुरा देती है । दो बजे के लगभग कायरा को होश आता है । जब वह अपनी आंखें खोलती है तो रूही और आरव को अपने पास पाती है । कायरा उठने की कोशिश करने लगती है तो रूही उसे सहारा देकर बैठाती है और उसके पीठ पर तकिया लगा देती है । कायरा बेड दे टिक कर बैठ जाती है । आरव कायरा के लिए जूस निकालता है । कायरा पीने के लिए मना कर देती है तो आरव उसे जबरदस्ती पीला देता है , जिससे कायरा उसे एक टक बस देखती ही रहती है और मन में सोचती है ।

कायरा ( मन में ) - ये क्या जबरदस्ती थी ??? इन्होंने मेरे मना करने के बाद भी मुझे जूस पिला दिया , ( कायरा के जूस पीते तक रूही फल काटकर प्लेट में रख देती है , आरव जूस का ग्लास साइड में रख देता है , तो रूही कायरा को एप्पल खिलाती है, कायरा एक बार फिर न कहती है तो आरव फिरसे उसके मुंह में जबरदस्ती एप्पल ठूंस देता है , कायरा इस बार फिर बड़ी - बड़ी आंखें कर आरव को देखती है और मन ही मन बोलती है ) अजीब इंसान है यार , मतलब मैं कुछ कह नहीं रही हूं तो अपनी ही चला रहे हैं । पर मैं मना क्यों नहीं कर पा रही हूं ??? मेरा दिल इन्हें मेरी केयर करते देख खुश क्यों हो रहा है , क्यों मुझे अजीब नहीं बल्कि सुकून महसूस हो रहा है ? आखिर मैंने इन्हें इतना हक दिया कब??? के ये मेरा इतना ध्यान रख सकें और मेरे साथ जबरदस्ती कर सकें ???

कायरा आरव को एक - टक देख, मन ही मन सोच रही होती है और आरव उसे उतने ही टाइम में , प्लेट में कटे सारे फल खिला देता है । रूही कायरा और आरव को देख मुस्कुरा रही होती है। आरव प्लेट को साइड में रखता है और कहता है ।

आरव - हो गया । ( रूही से ) तुम इसका ध्यान रखो , मैं नर्स को बुला कर लाता हूं , वो इसकी ड्रिप निकाल देगी ।

रूही हां में सिर हिला देती है , और फिर कायरा के पास बैठ जाती है । आरव नर्स को बुलाने चला जाता है । उसके जाते ही रूही उससे पूछती है ।

रूही ( कायरा से ) - कैसा फील कर रही हो अब????

कायरा - ठीक हूं मैं, तू ज्यादा टेंशन मत ले , तुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली तेरी ये दोस्त । हमेशा तुझे परेशान करूंगी ।

रूही ( नम आंखों से मुस्कुरा देती है , और कायरा के गाल पर हाथ रख कर कहती है ) - तू मुझे छोड़ कर जा भी नहीं सकती , तू ऐसे ही परेशान करती रह , मुझे तो इसी में सुकून मिलता है । ( सख्त हिदायत देते हुए ) पर आज जो हुआ वो दोबारा नहीं होना चाहिए । ( कायरा हां में सिर हिला देती है , और रूही उसे गले से लगा लेती है , फिर कायरा को खुद से अलग कर , उसकी आंखों में झांकते हुए कहती है ) वैसे कायरा !!!! तूने जान - बूझ कर कॉफी पी थी ना??? क्योंकि चाए और कॉफी में तो अंतर, टेस्ट करते ही पता चल जाता है । फिर तूने कॉफी क्यों पी कायरा ?????

कायरा रूही के सवाल से हड़बड़ा जाती है , और उसे समझ ही नहीं आ रहा होता है के वह क्या जवाब दे , जबकि रूही उसके चेहरे के एक्सप्रेशन को देख कर उसके मन में क्या चल रहा है उसे पता लगाने की कोशिश कर रही होती है । रूही कायरा को चुप देख फिर से उससे पूछने को होती है के आरव नर्स के साथ आ जाता है । नर्स कायरा की बॉटल की ड्रिप निकाल देती है , और मुस्कुराते हुए उससे कहती है ।

नर्स ( कायरा से, आरव की ओर इशारा कर ) - बहुत ही केयरिंग हसबैंड हैं आपके , आपका बहुत ख्याल रखा इन्होंने यहां पर ।

नर्स के इतना कहते ही आरव और कायरा एक - दूसरे को हैरानी से देखने लगते हैं, जबकि रूही दोनों को मुस्कुरा कर देख रही होती है । कायरा नर्स की गलतफहमी दूर करने के लिए उससे कुछ कहने को होती है के रूही बीच में ही बोल देती है ।

रूही - चलें , कायरा ?????

कायरा एक नज़र नर्स को देखती है , फिर आरव को देखती है , और फिर रूही को घूरते हुए कहती है ।

कायरा - चल .........।

रूही कायरा का इशारा समझ जाती है , और खुद की बैंड बजने से रोकने के लिए भगवान से मन ही मन प्रार्थना कर रही होती है । कायरा कुछ कदम ही चली होती है के उसके पैर फिर से लड़खड़ाने लगते हैं , शायद वीकनेस की वजह से वो अच्छे से चल नहीं पा रही थी । आरव देखता है तो हाथों में पकड़ा समान रूही को दे देता है और फिर कायरा से कुछ कहे बिना ही उसे अपनी बाहों में उठा लेता है और वार्ड से बाहर निकल जाता है । रूही आरव का कायरा के लिए कंसर्न देख , मुस्कुरा देती है , और अपने हाथों से नजर उतारते हुए धीरे से कहती है ।

रूही - नज़र न दोनों को । सच में मेड फॉर ईच अदर लगते हैं दोनों ।

इतना कह कर वो भी आरव के पीछे - पीछे चल देती है , जबकि कायरा हैरानी से आरव को एक - टक देख रही होती है । और मन ही मन सोच रही होती है।

कायरा - इनकी ऐसी हरकत पर , गुस्सा क्यों नहीं आ रहा है मुझे ???? बिना पूछे इन्होंने मुझे बाहों में उठा लिया , तब भी मेरा दिल इनसे खफा क्यों नहीं है , बल्कि मुझे अच्छा क्यों लग रहा है , इनकी मेरे लिए इतनी परवाह देख ????

आरव बिना कायरा की ओर देखे ही चल रहा होता है जबकि कायरा सिर्फ आरव को ही देख रही होती है और रूही तो पता नहीं कितने बार दोनों की बलाईयां ले चुकी होती है , और दोनों को देख मुस्कुरा रही होती है । आरव हॉस्पिटल से बाहर आकर कायरा को पीछे वाली सीट पर बैठा देता है और रूही से कहता है ।

आरव - तुम भी इसके साथ बैठो , और इसके घर का एड्रेस बताओ , मैं खुद इसे घर छोडूंगा ।

कायरा ( हैरानी से पूछती है ) - पर ऑफिस !!!! आज तो मैं ऑफिस भी नहीं गई हूं ।

आरव अपनी ड्राइविंग सीट पर आ जाता है और रूही भी कायरा के साथ बैठ जाती है , जब आरव कायर की बात सुनता है , तो सीट में बैठ कर , सीट बेल्ट लगाते हुए रूही से कहता है ।

आरव - रूही , आज इनकी ऑफिस की छुट्टी है , एंड डोंट वरी , मैं आज की सैलरी नहीं काटूंगा ।

कायरा ( बेचैनी से ) - पर ........।

उसके बोलने से पहले ही रूही उससे कहती है ।

रूही - कायरा ! आरव ठीक ही तो कह रहा है , अभी तुम्हें आराम की जरूरत है , डॉक्टर ने तुम्हें दो दिन आराम करने को कहा है , कल तो वैसे भी हॉलीडे है ही ,और आज आरव ने तुम्हें हॉलीडे दे दिया , अब इसमें भी तुम पर लगा रही हो , ये तो अच्छी बात नहीं हुई ना !!!!

कायरा कुछ नहीं कहती और खिड़की की तरफ चेहरा कर , खिड़की से बाहर देखने लगती है , आरव कार स्टार्ट कर ड्राइव करने लगता है , रूही उसे कायरा के घर का एड्रेस दे देती है । हालांकि आरव को पता होता है के कायरा कहां रहती थी , पर वो रूही को इस बात की भनक नहीं लगने देना चाहता था , ताकि वो कुछ गलत ना समझे । कायरा मन ही मन आरव को ले कर सोच रही होती है ।

कायरा ( मन में ) - ( मुंह बनाते हुए )अच्छी खासी तो हूं , पर तब भी ऑफिस जाने नहीं दिया इन्होंने । ( फिर पीछे से ही आरव को देखते हुए ) पर ये सारी बातें रूही से ही क्यों कर रहे हैं ? जब से मुझे होश आया है तब से एक बार भी इन्होंने मुझसे बात तक नहीं की । ये मुझसे गुस्सा हैं क्या ? मैंने कुछ ऐसा तो नहीं कर दिया , जिससे इन्हें मुझ पर गुस्सा आ रहा हो , और ये उसी वजह से मुझसे बात न कर रहे हों ???

इसके विपरित आरव , शांति से कार ड्राइव करते हुए मन ही मन सोच रहा होता है ।

आरव ( मन में ) - जनता हूं कायरा के तुम यही सोच रही होगी , के मैं तुमसे बात क्यों नहीं कर रहा ??? सारी बातें सिर्फ रूही से ही क्यों कर रहा हूं ??? ( गेयर लगाकर कार को राइट साइड मोड़ते हुए ) मैं कैसे बताऊं कायरा तुम्हें अपने दिल का हाल !!!! ( यही सोचते हुए आरव की हल्की सी पल्कें भीग जाती हैं ) ये जो भी हुआ , इसका जिम्मेदार मैं है तो हूं , न मैं कप बदलता और न ही तुम्हारी ये हालत होती । तुम्हें हॉस्पिटल के बेड पर देख , पल - पल मरा हूं मैं कायर , ( कार को रूही के बताए डायरेक्शन में मोड़ते हुए ) पर अफसोस के मैं चाह कर भी तुम्हें नहीं बता सकता , के मैं इस समय क्या फील कर रहा हूं । मैं तुम्हारा गुनहगार बन गया हूं कायरा , तुम्हारी इस हालत का जिम्मेदार , सिर्फ और सिर्फ मैं ही हूं , सिर्फ और सिर्फ मैं.........।

रूही ( लेफ्ट साइड की ओर इशारा करते हुए ) - आरव , उस डायरेक्शन में कार को मोड़ो । बस उसी के कुछ किलोमीटर बाद कायरा के घर की सोसाइटी आ जायेगी ।

कायरा ( मन में ) - इन्होंने तो देखी है मेरी सोसाइटी और मुझे खुद छोड़ने आए थे , फिर आज ये अनजान क्यों बन रहे हैं ???

कुछ ही समय बाद कायरा का घर आ जाता है और रूही के कहने पर आरव कार रोक देता है । आरव ड्राइविंग सीट से उतर कर रूही और कायरा के पास आता है ,रूही के कार से उतरने के बाद कायरा जैसे ही उतरने को होती है के आरव एक बार फिर , उसे अपनी बाहों में उठा लेता है , और रूही से आगे - आगे चलने को कहता है । कायरा उसकी इस हरकत पर कुछ नहीं कहती बल्कि इस बार वह प्यार से आरव को निहार रही होती है , आरव जब कायरा की तरफ देखता है तो कायरा अपनी नजरें चुराने लगती है , और फिर आरव के सामने देखने पर फिर से उसे देखने लगती है ।

आज किसी के दिल की धड़कने,
फिर से बेताब होने को हैं,
कहीं ना कहीं आज फिर से प्यार के,
एहसास की बारिश होने को है।

अब जब सावन का महीना हो और बारिश ना हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता । देखते ही देखती कुछ ही पल में बारिश स्टार्ट ही जाती है । रूही दरवाज़े पर खड़ी, जल्दी से आरव को, कायरा को साथ लिए दरवाज़े पर लाने के लिए बोलती है । आरव कायरा को दरवाज़े के पास ला कर खड़ा कर देता है जिससे दोनों ही बारिश में भीगने से बच जाते हैं, और रूही डोर बेल बजाती है । मालती जी दरवाज़ा खोलती हैं , और कायरा को इतनी जल्दी आया हुआ देख हैरानी से उससे पूछती हैं ।

मालती जी - कायरा क्या हुआ ??? बेटा आज तुम इतनी जल्दी कैसे आ गई ??? ( मालती जी की नज़र रूही और आरव पर जाती है ) और रूही बेटा आप , कायरा के साथ !!!! सब ठीक तो है ना ??? ( आरव की तरफ इशारा करते हुए ) और ये कौन हैं ????

रूही ( मुस्कुराते हुए ) - आंटी जी , ये कायरा के बॉस हैं , आरव शर्मा और हम सभी के दोस्त ।

मालती जी - पर ये यहां क्या कर रहे हैं ????

रूही ( मालती जी से हंसते हुए बोलती है ) - ओफ्फ्फ्फ्फो आंटी , पहले हम सभी को अंदर तो आने दीजिए , या यही सारी बातें कर लेंगी ।

मालती जी मुस्कुरा देती हैं , और सभी को अंदर आने बोलती हैं , आरव वहीं दरवाज़े पर खड़ा रहता है तो मालती जी उसे अंदर आने बोलती हैं। मालती जी इतने प्यार से आरव को बोलती हैं, के आरव मना नहीं कर पाता है फिर उन्हें नमस्ते बोल कर उनके चरणस्पर्श करता है । मालती जी उसके इस अंदाज से बहुत प्रभावित होती है , और सोचती हैं के इतना बड़ा बिजनेस मेन जिसने मेरी बेटी को नौकरी दी वो इतना संस्कारी भी है । शायद आरव का ये अंदाज मालती जी की कल्पना से परे था । बदले में मालती जी आरव को खुश रहो और खूब तरक्की करो का आशीर्वाद देती हैं , और उसे सोफे पर बैठने को कहती है, और खुद सभी के लिए किचेन से पानी लाने चली जाती हैं ।

रूही कायरा को सोफे पर बैठाती है। आरव सोफे पर बैठते ही , लिविंग रूम की सजावट को देखता है , जो थी तो सादगी भरी पर उसमें भी खूबसूरती झलक रही थी । हर सामान सलीके से सेट था , उसे ये घर अपने घर से भी ज्यादा खूबसूरत और अच्छा लग रहा था । मालती जी पानी ला कर सभी को देती हैं , आरव पानी का ग्लास लेकर मालती जी को थैंक्यू बोलता है , फिर मालती जी रूही को पानी देती हैं , रूही भी ग्लास लेकर थैंक्यू बोलती हैं , मालती जी ट्रे को साइड में रख देती हैं क्योंकि कायरा पानी नहीं लेती है । मालती जी जब कायरा का मुरझाया चेहरे देखती हैं तो रूही से पूछती हैं ।

मालती जी - इसे क्या हुआ बेटा , इसका चेहरा मुरझाया क्यों है ??? ( तभी मालती जी की नजर कायरा के हाथ में जाती हैं , जहां पर कायरा को बॉटल चढ़ाई गई थी उस जगह पर छोटी सी पट्टी लगी हुई थी , मालती जी कायरा के पास आती हैं और उसके हाथ को अपने हाथ में ले कर कहती हैं ) ये क्या हुआ है बच्चा ??? रूही इसके हाथों में ये पट्टी कैसी ??? ( आंखों में हैरानी और नमी लिए वे कहती हैं ) कोई मुझे कुछ बताएगा के हुआ क्या है ?????

कायरा ( धीमे आवाज़ में ) - मम्मा !!!! रिलेक्स , कुछ नहीं हुआ है । मैं बिल्कुल ठीक हूं ।

मालती जी ( हल्की नाराज़गी के साथ ) - अगर ठीक हो , तो ये पट्टी कैसे लगी है तुम्हारे हाथो में ????

कायरा अब घबराई हुई से रूही को देखने लगती है और रूही कभी आरव को तो कभी कायरा को देखती है । फिर एक गहरी सांस लेकर मालती जी से कहती है ।

रूही ( मालती जी का हाथ पकड़ कर ) - आंटी मैं आपको बताती हूं , आप थोड़ा सा शांत हो जाइए और ये लीजिए पानी पी लीजिए ।

इतना कह कर रूही पानी का ग्लास मालती जी की ओर बढ़ा देती है। मालती जी अपनी आंखों की नमी को अपने साड़ी के पल्लू से साफ करती हैं , और रूही से ग्लास लेकर एक घूंट पानी पीती हैं और ग्लास टेबल पर रख रूही से कहती हैं।

मालती जी - बताओ ना बेटा , क्या हुआ है इसे ???

रूही - आंटी ! कायरा ने आज धोखे से कॉफी पी ली थी ।

मालती जी ( हैरानी से कायरा की ओर देखते हुए कहती हैं ) - क्या ???? कायरा !!! तुमने कॉफी ......!!! ( रूही से ) इसको डॉक्टर को दिखाया ????

रूही - हां आंटी , हम सभी हॉस्पिटल से ही आ रहे हैं ।

मालती जी - पर तुम दोनों को हॉस्पिटल कौन ले गया ?

रूही ( आरव की ओर इशारा कर ) - ये कायरा को हॉस्पिटल लेकर गए थे । और फिर मैं भी इन्हीं के साथ गई थी।

फिर रूही कायरा के कॉलेज में हालात खराब होने से लेकर घर आने तक सारा किस्सा कह सुनाती है , आरव के द्वारा कायरा का खयाल रखना , हॉस्पिटल का बिल पे करना , सब बताती है , बस आरव की फीलिंग्स नहीं बताती , जबकि आरव बस चुप रहता है और कायरा हैरानी से आरव को देख रही होती है और सोच रही होती है के आरव ने आज उसके लिए कितना कुछ किया है ।

रूही - आंटी!!!! अगर आज आरव नहीं होता , तो शायद आप सभी आज हॉस्पिटल में कायरा के साथ होते ।

मालती जी ( आरव के आगे हांथ जोड़ते हुए ) - बहुत बहुत धन्यवाद बेटा जी आपका , हमारी बेटी का ध्यान रखने के लिए । अगर सच में आज आप नहीं होते तो पता नहीं क्या होता ??? ऐसे इंसान बहुत किस्मत से मिलते हैं , और आपने जो हमारी बच्ची के लिए किया उसका कर्ज तो मैं कभी भी नहीं चुका पाऊंगी । एक दोस्त और एक एम्पलाई के लिए आपने इतना कुछ किया है , बहुत बहुत धन्यवाद बेटा आपका । सच में मैं आपका ये अहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूंगी ।

आरव ( हाथों में पकड़े ग्लास को टेबल में रखता है और मालती जी के हाथो को पकड़ते हुए कहता है ) - आंटी जी आप मेरी मां के समान हैं और मां अपने बच्चे के आगे हाथ जोड़े ये एक बच्चे के लिए बड़े ही शर्म की बात होगी । आप मुझे शर्मिंदा कर रही हैं आंटी जी ( इतना कह कर वह मालती जी के हाथ नीचे कर देता है और उनके पैरों के पास बैठ कर कहता है ) ये तो मेरा फ़र्ज़ था आंटी , कायरा मेरे ऑफिस की एम्पलाई के साथ - साथ ( कायरा की तरफ देखते हुए ) मेरी बहुत अच्छी दोस्त भी है । इसके लिए मैंने जो भी किया वो तो बहुत छोटी सी बात थी आंटी जी । ( मालती जी की तरफ देखते हुए ) आखिर ये सभी दोस्त ही तो मेरी ज़िन्दगी हैं , इनके लिए अगर मैं थोड़ी सी भी हेल्प कर पाऊं, तो मैं उसके लिए अपने आपको सौभाग्यशाली समझूंगा ।

मालती जी आरव की कहीं हुई बातों से बहुत खुश होती हैं , और आरव को जमीन से उठा कर अपने बगल में बैठाते हुए कहती हैं ।

मालती जी - बेटा जी , आपको देख कर कहीं से भी ऐसा नहीं लगता के आप इतनी बड़ी कंपनी के बॉस हैं , और इतनी बड़ी कंपनी संभालते है। आपके माता पिता ने आपको बहुत ही अच्छे संस्कार दिए हैं , मुझे ये जान कर खुशी हुई के आप अपने दोस्तों के लिए इतना कुछ सोचते हैं । मैं तो अपनी कायरा को खुशनसीब मानती हूं, के उसे आपके जैसे दोस्त और बॉस मिले , जो अपने दोस्तों का इतना खयाल रखते हैं ।

आरव बदले में मुस्कुरा देता है और मालती जी वहां से उठकर अपने रूम में आ जाती हैं । कायरा आरव का ये रूप देख कर बहुत प्रभावित होती है और मन ही मन खुश भी होती है । रूही आरव को इशारों में अपने हाथ से गुड का साइन बनाती है और इशारों में ही उससे कहती है ।

रूही ( इशारों में आरव से ) - बढ़िया है शर्मा जी , सासू मां को मस्का लगा रहे हो ।

आरव रूही की बात पर कुछ नहीं कहता और एक बड़ी सी स्माइल देता है और साथ में थोड़ा शरमा जाता है । रूही उसके इस अंदाज़ से बहुत खुश होती है और मन ही मन भगवान से कायरा को देख कर प्रार्थना करती है ।

रूही ( मन में ) - हे भगवान , अब मेरी इस पगली दोस्त को भी आरव के प्यार का एहसास करा दो । तब ही मुझे सुकून मिलेगा भगवान ।

मालती जी अपने रूम से बाहर आकर आरव को कुछ पैसे पकड़ाती है । आरव खड़े होकर उनसे कहता है ।

आरव - इसकी क्या जरूरत है आंटी जी ??? मैं ये नहीं रख सकता ।

मालती जी ( प्यार से ) - बेटा जी , आपने जो भी हमारी बच्ची के लिए किया उसका कर्ज़ तो मैं कभी चुका नहीं पाऊंगी , पर बेटा जो खर्च हुआ उसे तो थोड़ा कम कर अपने दिल को तसल्ली दे ही सकती हूं ।

आरव ( मालती जी के हाथो में पैसे वापिस करते हुए कहता है ) - आंटी जी मैं आपके बेटे जैसा हूं , और बेटे कभी अपने मां बाप पर कर्ज नहीं चढ़ाते , उल्टा मां बाप का बच्चो पर कर्ज होता है । आप ये पैसे देकर एक बार फिर मुझे शर्मिंदा मत कीजिए , वरना मैं कभी किसी की मदद करने के काबिल नहीं रहूंगा ।

मालती जी ( प्यार से आरव के गालों पर हाथ फेरते हुए ) - सच में बेटा , तुम तो आज मेरे दिल में उतर गए । इतना अच्छा इंसान मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा । ( रूही कायरा और आरव से ) अच्छा चलो तुम सब बातें करो मैं तुम लोगों के लिए चाए नाश्ता लेकर आती हूं ।

आरव ( मालती जी को रोकते हुए ) - नहीं आंटी जी , बहुत देर हो चुकी है ( बाहर बरसते पानी के रुकने की ओर इशारा करते हुए ) पानी भी रुक चुका है आंटी जी । हम फिर कभी आपके हाथों की चाए पी लेंगे और नाश्ता भी कर लेंगे । अभी के लिए हमें जाने दीजिए , आज मैं सुबह से ऑफिस भी नहीं गया हूं । अगर एक बार ऑफिस का काम देख लेता तो मेरे मन को भी तसल्ली मिल जाती ।

रूही - हां आंटी , मेरा भी समान कॉलेज में ही छूटा हुआ है , क्लासेस ख़तम होने का टाइम हो गया है तो मुझे भी अब कॉलेज जाना होगा और फिर वहां से अपना सामान ले कर घर भी निकलना होगा ।

मालती जी ( मुस्कुराते हुए ) - अच्छा ठीक है , तुम लोगों की व्यस्तता को ध्यान ने रख कर, मैं तुम लोगों को रुकने के लिए फोर्स नहीं करूंगी , पर हां जब दोबारा आओगे तो बिना खाना खिलाए जाने नहीं दूंगी ।

रूही और आरव ( मुस्कुराते हुए एक साथ ) - बिल्कुल आंटी जी , ( रूही कहती है ) मैं तो वैसे भी आती रहती हूं आंटी , तो चाहे जब खा लूंगी , पर हां आरव जब आए तो इसे जाने मत दीजिएगा , बेचारा बहुत बिज़ी रहता है ।

इतना कह कर रूही आरव और कायरा को हंसते हुए देखती है । दोनों ही रूही की बात सुन झेंप जाते हैं । मालती जी रूही से कहती हैं ।

मालती जी - बिल्कुल बेटा , वैसे रूही तुम्हारा भी शुक्रिया बेटा , हमारी बच्ची का हर मोड़ पर साथ देने के लिए ।

रूही ( मालती जी को गले से लगाते हुए ) - क्या आंटी आप भी , शुक्रिया कह कर मुझे पराया कर रही हैं ( मालती जी रूही के सिर पर प्यार से हाथ फेरती हैं , फिर रूही मालती जी से अलग होकर कहती है ) आखिर दोस्ती सिर्फ कहने के लिए थोड़ी ना कि है मैंने कायरा से , बल्कि कभी ना साथ छोड़ने के लिए की है ।

मालती जी ( मुस्कुरा कर रूही के गाल पर प्यार से हाथ रखते हुए कहती है ) - भगवान तुम दोनों की दोस्ती पर कभी आंच न आने दे ।

रूही मुस्कुरा देती है और आरव और रूही घर से बाहर निकल कर कार में बैठ जाते हैं । आरव कार को कॉलेज की तरफ मोड़ देता है । रूही आरव से कहती है।

रूही - आरव , मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही , कायरा ने कॉफी आखिर पी क्यों और उसके पास कॉफी आई कहां से????

आरव ( गहरी सांस लेकर रूही से कहता है ) - ये सब मेरी वजह से हुआ है रूही , कायरा का कप मैंने चेंज किए था । मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई रूही , पर अगर मुझे पता होता के कायरा को कॉफी से एलर्जी है तो मैं सपने में भी उसे कॉफी पीने नहीं देता , न ही कप चेंज करता ।

रूही ( आरव की आंखो में झांकते हुए ) - और तुमने ऐसा क्यों किया ???

आरव - सच कहूं , आज कायरा को देख कर मेरा दिल बेकाबू सा हो गया था । मैं आज कायरा से नजरें हटा ही नहीं पा रहा था । मैं आज कायरा को अपने आस पास ही महसूस करना चाहता था , इसी वजह से मैंने कप चेंज कर दिए , ताकि मैं कायरा के एहसास को जी सकूं । पर मेरी एक बेवकूफी ने कायरा को हॉस्पिटल के बिस्तर तक पहुंचा दिया । सच में आज के इस इंसिडेंट के बाद मैं कभी खुद को माफ नहीं कर पाऊंगा । कभी कायरा से या खुद से नजरें नहीं मिला पाऊंगा मैं ।

रूही ( मुस्कुराते हुए आरव से कहती है ) - इतना प्यार करते हो कायरा से ????

आरव - मेरी की हुई गलती की सज़ा आज कायरा को भुगतनी पड़ी है । पर मेरी उसके लिए केयर देख अगर तुम्हें लगता है के ये प्यार है तो हां मैं बहुत प्यार करता हूं उससे । मैं उसे अनजाने में भी अगर दर्द पहुंचा दूं तो मेरी आत्मा अंदर तक छलनी हो जाती है ।

रूही - सच में आरव , इतना प्यार करने वाला इंसान मिलना किस्मत की बात होती है । अनजाने में हुई गलती के लिए भी तुम इतना पछता रहे हो , ( फिर कहीं खोए हुए ) जबकि आज कल तो अपने भी जान बूझ कर की गई गलतियों को खुद नहीं मानते और पछताना हो दूर , अफसोस तक नहीं मनाते । ( आरव की ओर देख कर ) वैसे आरव एक बात बताऊं ।

आरव ( स्टेयरिंग पर हाथ घुमाते हुए ) - हां बताओ ।

रूही - मैं ना जानती थी , के कायरा के सामने रखा कॉफी की कप तुम्हारा है ।

आरव ( हैरानी से रूही को देखते हुए ) - पर तुम्हें कैसे पता चला ? और तुमने मुझसे कुछ कहा क्यों नहीं ???

रूही ( हंसते हुए ) - अरे शर्मा जी , सामने देखिए , वरना आज हम दोनों भी हॉस्पिटल पहुंच जायेंगे । ( रूही के कहने पर आरव मुस्कुराते हुए सामने देखने लगता है, रूही आगे कहती है ) असल में मैं तुम्हारे और कायरा के कप को पहचान गई थी । जब मीशा ने कहा के कायरा के पास कप आया कहां से , तब ही मुझे सब कुछ समझ आ गया था । पर उस समय मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आ रहा था , पर कायरा की हालत देख मुझसे कुछ बोलते नहीं बन रहा था । पर जब हॉस्पिटल में तुम्हें कायरा के लिए इतना कुछ करते देखा तो मुझे थोड़ा अजीब लगा , लेकिन जब मैंने तुम्हें नोटिस किया तो धीरे - धीरे करके मुझे बहुत कुछ समझ में आने लगा। फिर मैंने तुमसे पूछा , और तुमने मेरा डाउट क्लियर कर दिया, तब मेरा गुस्सा छूमंतर हो गया । अभी - भी मैंने सिर्फ ये देखने के लिए तुमसे पूछा, ताकि मैं देख सकूं के तुम इस बात के लिए कैसे रिएक्ट करते हो । और तुम्हारी बातें सुनकर मुझे सच में बहुत अच्छा लगा । अब मैं कायरा को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत हो चुकी हूं ।

रूही की बात सुन आरव मुस्कुरा देता है और तभी कॉलेज आ जाता है । आरव रूही को कॉलेज छोड़ कर अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है ।

उधर मालती जी कायरा को उसके कमरे तक ले जाती हैं और उसे आराम करने का बोल बेड पर लेटा देती हैं और फिर रूम से बाहर आ जाती हैं । कायरा थके होने की वजह से सो जाती है।

रात के नौ बजे आरव ऑफिस से घर पहुंचता है तो देखता है सभी कल के त्योहार की तैयारी में लगे हैं । वह हाथ मुंह धोकर डिनर करता है और फिर अपने कमरे में चला जाता है। उसे कायरा की फ़िक्र हो रही होती है । वह कायरा को फोन ट्राय करता है, पर फोन स्विच ऑफ बताता है । वह फिर से ट्राय करता है, फिर से उसका फोन स्विच ऑफ बताता है । अब कायरा का फोन स्विच ऑफ इस लिए बता रहा था, क्योंकि कायरा खाना खाने के बाद , दवाई ले कर सो चुकी थी , और दवाइयों के असर के कारण उसे गहरी नींद आ चुकी थी । सुबह से उसने अपना फोन चार्ज नहीं किया था इस लिए कायरा का फोन स्विच ऑफ हो गया था । आरव अब दोबारा कायरा को फोन नहीं करता है, ये सोच कर के वह सो चुकी होगी । पर आज आरव को कायरा की बहुत ज्यादा चिंता हो रही थी। वह कुछ पल बालकनी में तो कुछ पल कमरे में टहलता है , कभी कोई फाइल देखता है, तो कभी अपने सब्जेक्ट की कोई बुक उठा कर पढ़ने लगता है, पर आज उसे इन सबसे चैन नहीं मिल रहा था । थक हार कर आरव बिस्तर पर लेट जाता है , पर रात से सुबह हो जाती है उसे करवटें बदलते हुए , लेकिन उसकी आंखों में नींद रंच मात्र भी जगह नहीं लेती ।

सुबह का सूरज उग चुका था । और आज रक्षाबंधन था , भाई बहन के प्यार का दिन । आरव तैयार होकर नीचे आता है तो उसे छुट्टी के दिन भी इतनी जल्दी उठा देख अरनव उससे कहता है ।

अरनव - क्या बात मेरे छोटे भाई ??? आज छुट्टी के दिन भी इतनी जल्दी उठ गए ??? इस बार राखी बंधवाने की इतनी जल्दी है तुझे , के आज जल्दी ही उठ गया !!!! ( आरव की की लाल आंखों को देखते हुए, जो रात भर जागने की वजह से लाल हो चुकी थी, और साथ में हल्की स्वेलिंग भी आ चुकी थी, कहता है ) ये तेरी आंखों को क्या हुआ है आरव ? तू रात भर सोया नहीं है क्या ???

आरव ( सोफे पर बैठते हुए ) - कुछ नहीं भैया , बस आंखों में कचरा चला गया था , तो मैंने आंखों को अपने हाथो से रगड़ दिया , इसी वजह से शायद लाल हैं ।

अरनव आरव की बात से संतुष्ट होकर न्यूज पेपर पढ़ने लगता है , और फिर वहीं बैठे दोनों भाई बातें करने लगते हैं ........।

क्रमशः