Nazar Andaz (Short Stories) in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | नज़र अंदाज़ (लघुकथाएं)

Featured Books
Categories
Share

नज़र अंदाज़ (लघुकथाएं)

नजर अंदाज
सरोज बाजा से लौटी तो घर जा दरवाजा बंद था।उसने दरवाजे पर दस्तक दी।माया ने दरवाजा खोला था केकिन काफी देर बाद।सरोज बेटी पर बड़बड़ाती हुई अंदर गई।
अंदर दीपक मौजूद था।बेटी और दीपक की हालत देखकर।सरोज समझ गई कि उनके बीच क्या हुआ है।इसलिए सरोज बेटी पर नाराज़ होते हुए बोली,"शर्म नही आई मुँह काला करते हुए।क्यो हमारा नाम बदनाम करने पर तुली है।आने दे तेरे पापा को"।
"आप पापा से कुछ मत कहना।इसी मे आपकी भलाई है।'
"तू मुझे धमकी दे रही है।"बेटी की बात सुनकर सरोज आग बबूला हो गई।"
"धमकी नही दे रही ,चेता रही हूँ।अगर आपने पापा से मेरी शिकायत की तो मैं भी आपकी पोल खोल दूँगी।"
"तू मेरी क्या पोल खोलेगी।?"
"आपके सुरेश अंकल से अवैध संबंध है।परसो में कॉलेज से जल्दी लौटी तो खिड़की से आपको और सुरेश अंकल को --मैने आप दोनों को डिस्टर्ब नही किया और सहेली के चली गई।"
"अपनी करतूत छिपाने के लिए माँ पर आरोप लगाते हुए शर्म नही आ रही।"
"मै जो कह रही हूँ सत्य है इसका सबूत है।यह वीडियो जक मैने खिड़की से बनाया था।"
वीडियो देखकर सरोज के चेहरे पर हवाई उड़ने लगी।माँ की हालत देखकर माया बोली,"घबराओ मत।पापा को कुछ नही बताउंगी लेकिन एक शर्त है।"
"कैसी शर्त?"
"हमारी भलाई इसी में है कि हम एक दूसरे की हरकतें नज़र अंदाज़ करने की आदत डाल लें।"
_-_----- ××××××××××××××___-----------निमंत्रण
---/////?????????
"सर् आज डिनर के लिए आइये"
"ना बाबा।बांद्रा रात का खाना।पहले एक बार परेसान हो चुका हूँ।डिनर के बाद घर लौटना।"नारंग,निशि की बात सुनकर बोलै था।
"सर् डिनर के बाद मेरे घर मे ही रुकना।"
"तुम्हारे घर रुककर अपना खून क्यो जलाऊ,"नारंग बोला,"तुम बैडरूम में पति के साथ मस्ती करोगी औऱ मै दूसरे कमरे मे करवटे बदलूंगा।"
"नो सर्"निशि आंखों और हाथ के इशारे से बोली,"पति गांव गये है।आज की रात पति की जगह आप होंगे"।
-------///////–-----------------
डेंगू
नगर स्वास्थ अधिकारी कि डेंगू से मौत
शहर में डेंगू पैर पसार रहा था।नगर स्वास्थ अधिकारी की जिम्मेदार थी।महामारी को फैलने से रोके।और लोगो की जान बचाये।
जिस पर लोगो की जान बचाने की ज़िम्मेदारी थी।वह स्वंय बीमारी का शिकार हो गया था।
-----------------////----------------------
मजबूरी
वह नही चाहती थी।श्वसुर उनके साथ रहे।इसलिए उसने पति से कई बार कहा था।वह उन्हें गांव भेज दे।पति ने हर बार एक ही जवाब दिया,"बुढ़ापे मे कौन इनकी देखभाल करेगा?"
और न चाहते हुए भी वह श्वसुर को साथ रखने के लिए मजबूर थी।
एक दिन अचानक पति का देहांत हो गया।उसे पति की जगह नौकरी मिल गई।पति के जीवित रहते वह चाहकर भी श्वसुर को गांव नही भेज पाई।और पति के न रहने पर भी
क्योंकि उसके ड्यूटी पर चले जाने के बाद श्वसुर ही उसके बेटे को सम्हालता था।
---------------------------------////---------
व्यापार
सेठ धर्म चंद ने शहर मे एक प्याऊ बनवाई थी।उन्होंने एक आदमी भी पानी पिलाने के लिए रख रखा था।सेठ धर्म चंद के स्वर्गवास के बाद बेटे ने प्याऊ बन्द करके उस पर आर ओ प्लांट लगा दिया।
सेठ धर्म चंद प्यासे को पानी पिलाना धर्म का काम समझते थे।बेटे ने धर्म के काम को व्यापार बना लिया था।
------------------///---------------------------
सेवा
"सुधीर कितना अच्छा है।इतना तय सगा भाई भी नही करता।तुम कहाँ से लाती मेरे इलाज के लिए इतना पैसा,"केंसर से पीड़ित सुधीर पत्नी से बोला,"वह तन,मन,धन से मेरी सेवा कर रहा है।"
पति की बात सुनकर सरिता सोचने लगी।पति की सेवा की कीमत वह उससे वसूल रहा था।