भूत बंगला भाग 2
कुछ ही दूरी पर एक विशाल हिम मानव सा प्राणी एक जिंदे इंसान को खा रहा था। मैंने अपने कुलदेव का स्मरण किया। और तलवार एक भाले की तरह उस भयानक प्राणी पर फेंकी। तलवार उसकी छाती में धंस गई।
वो विशाल बालों से भरे शरीर वाला दानव इस वार से घबरा गया और जोर-जोर से चिंघाडने लगा। परंतु धीरे-धीरे वह तलवार की दैवी शक्ति से जमीन पर गिर गया। उसने बड़ी मुश्किल से तलवार अपने सीने से निकाली। अचानक वह प्राणी गायब हो गया।
मैंने चीते की फुर्ती से छलांग लगाई और तलवार उठा ली। मैंने अपने कुल देव का स्मरण कर उनका धन्यवाद किया। सुबह पुलिस फिर आई और दानव के द्वारा मारे गए अभागे इंसान के बचे - खुचे शरीर को ले गई।
इंस्पेक्टर - ठाकुर साहब। यह घटनाएं आपके बंगले में ही क्यों हो रही हैं?
मैं - ये तो ऊपर वाला ही जाने सर।
इंस्पेक्टर - कहीं आप का ही तो इन सब में हाथ नहीं है?
मैं - मुंह संभाल के बात करो इंस्पेक्टर।
इंस्पेक्टर - नाराज ना होइए सर। ये तो हमारा पूछताछ का तरीका है।
फिर इंस्पेक्टर कुछ और सवाल पूछ कर विदा हो गया। फिर कुछ दिन शांति रही। अचानक एक दिन रात को फिर गार्डन में घुंघरुओं की आवाज आई। मैं फिर दिव्य तलवार लेकर गार्डन में गया।
एक सुंदर कद - काठ की लड़की गार्डन में खड़ी थी। मैं उस लड़की की तरफ बढ़ा। लड़की ने घूम कर मुझे देखा। वह बहुत ही सुंदर और गोरी -चिट्टी थी। अचानक मेरी नजर उसके पैरों पर पड़ी। वे उल्टे थे।
मैं समझ गया कि यह लड़की इंसान नहीं है। यह कोई भूत, प्रेत, चुड़ैल है। मैं मन ही मन हनुमान चालीसा पढ़ने लग गया। साथ ही मेरा दाया पंजा तलवार की मूठ पर कस गया।
ये देख कर वह लड़की चिल्लाते हुए गायब हो गई। मैं समझ गया कि यह बंगला भूत - प्रेत का निवास स्थान है।
मैं अपने रूम में वापस आ गया। अब मैं आगे की रणनीति पर विचार करने लग गया। इसके बाद मुझे नींद आ गई।
अचानक मुझे लगा कि कोई मेरा गला दबा रहा है। मैं छटपटाने लगा। अचानक मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा कि खिडकी पर एक औरत खड़ी है। औरत बहुत सुंदर थी। मैं उस औरत पर मोहित हो गया। अचानक औरत का चेहरा भयानक हो गया। उसके मुंह में लंबे - लंबे दांत निकल आए। वह मुझे क्रूरता से देखने लगी।
औरत - यह घर मेरा है। तुम इसे छोड़कर चले जाओ। मैं तुम्हें मार दूंगी।
अचानक औरत ने अपना भयानक पंजा खिडकी से अंदर घुसा दिया। उसका हाथ लंबा होता गया और उसका पंजा मेरे गले तक पहुंच गया। उसने मेरा गला पकड़ लिया और मुझे जमीन से 10 फीट ऊपर उठा लिया। मेरा दम घुटने लगा।
औरत - मैं तुझे मार कर तेरा नरम - नरम मांस खाऊंगी। तेरा खून पिऊंगी।
अचानक औरत ने ऊपर से मुझे नीचे छोड़ दिया। मेरे शरीर पर बहुत सी चोट लग गई। अचानक उसने मेरा गला फिर पकड़ लिया। और जोर से मुझे कमरे में मुझे कोने में फेंक दिया। फिर वह स्वयं कमरे में प्रकट हो गई।
मेरी हालत बहुत बुरी हो गई। मैं अर्ध - बेहोशी की सी हालत में पहुंच गया। इस उठा - पटक में उसने बीसियों बार मुझे उठाया और पटका। आख़िर में वह बिस्तर पर लिटा कर मेरा गला दबाने लगी।
मैं छटपटाने लगा। मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। बस कुछ देर और मैं इस स्टेशन (पृथ्वी) को छोड़कर उस स्टेशन जाने वाला था। अचानक मेरा हाथ अपने सिरहाने के नीचे रखी तलवार कर गया। मैंने सर की आवाज के साथ तलवार खींची और चुडैल के पेट में घुसेड दी। चुड़ैल चिल्लाने लगी। कुछ सेकंड बाद मैं प्रकृतिस्थ हुआ।
भयंकर चोटों के बावजूद मैं उठ खड़ा हुआ। और जोर से तलवार से मैंने चुड़ैल के दोनों हाथों पर वार किया। उसके दोनों हाथ काट कर जमीन पर गिर पड़े। भल - भल कर उनमें से काला - काला खून निकलने लगा। चुड़ैल पीड़ा से चिल्लाने लगी।