The Dark Tantra - 11 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | द डार्क तंत्र - 11

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द डार्क तंत्र - 11


Grimoire – 3


कमरे में आने के बाद बिस्तर पर लेटकर मनीषउस आदमी के बातों को सोचने लगा । अमित के लिए उस आदमी ने सावधान क्यों किया ?
अमित इतनी रात को कहां जाता है ? और उसे यह भी ख्याल है कि जब अमित इस आदमी के बारे में मज़ाकिया बात कर रहा था लेकिन उसके चेहरे पर उदासी और डर था । और एक बात मनीष को सोचने पर मजबूर कर रही है कि उस समय स्क्रुड्राइवर मांगते ही अमित इतना हड़बड़ा क्यों गया । क्या वह लड़का सच में सही नहीं है ? अमित ने तो उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ा बल्कि जब से वह यहां पर आया है केवल उसके साथ ही तो कुछ बातें करता है ।
यह सब सोचते हुए वह कब सो गया उसे स्वयं याद
नहीं ।
सुबह होते ही बाजार की हल्ला , गाड़ी केआवाज़ यहाँ तीसरे तल्ले पर भी सुनाई देता है । ब्रश करते हुए मनीष कमरे से बाहर आया पास में झाँककर देखा तो अमित के कमरे में ताला लगा हुआ था । फिर दाहिनी तरफ देखते ही अचानक उसे ऐसा लगा कि वह नीचे वाली लड़की छत की तरफ गई है । सचमुच उसे देखा या यह कोई है हैलूसीनेशन था छतपर जाकर देखा जाए । यही सोचते हुए वह छत पर गया । लेकिन कहां , यहां तो कोई भी नहीं केवल छत की दीवार से एक कौवा उड़ गया ।
यहां आने के बाद आज पहली बार मनीष दिन के समय छत पर गया था । सामने दो फ्लैट होने के कारण थोड़ा घिरा सा लगता लेकिन बाकी इलाका अच्छी तरह दिखाई देता है । नीचे बाएं तरफ दुकान , रास्ते के पास बजार सब कुछ दिख रहा है लेकिन वह लड़की कहां गई । क्या यह नजरों की भूल थी शायद वह लड़की के बारे में इस समय कुछ ज्यादा ही सोचने लगा है ।
यही सोचते हैं मनीष नीचे जाएगा अचानक उसकी नजर अटारी वाले कमरे की ओर गई । अटारी के दरवाजे को आज पहली बार उसने ध्यान से देखा । दरवाजे पर टूटा ताला झूल रहा है लेकिन मानो कोई इसके अंदर प्रतिदिन जाता है । अचानक मनीष के मन में ख्याल आया कि कहीं वह लड़की इस कमरे के अंदर तो नहीं गई है । यह सोचते
हुए मनीष ने दरवाजा खोल अंदर प्रवेश किया । सामने कुछ जगह के अलावा चारों तरफ टूटे व पुराने सामान और किताब पेपर , कई दिनों से इस कमरे को साफ नहीं किया गया था । मकड़ी के जाले व धूल से वहां अंदर घुटन सा महसूस हो रहा था । नहीं इस कमरे में भी वह लड़की नहीं है । यह आँखों का भूल ही था ।
लेकिन उसे इस कमरे के सामानों को देखने का मन हुआ । मनीष जान गया कि कुछ तो उसे यहां पर रोकने के लिए विवश कर रहा है । ऐसा लग रहा है कि वह स्वयं से यहां
पर नहीं आया उसे जबरदस्ती किसी ने इस कमरे में लाया है ।
वह मनीष को कुछ दिखाना चाहता है । यह कमरा कुछ कहना चाहता है लेकिन वह क्या है मनीष नहीं जानता । सामने रखी लकड़ी के अलमारी का दूसरा कांच टूटा हुआ
है । दरवाजे से आने वाली रोशनी में ज्यादा कुछ नहीं नहीं दिख रहा । अलमारी के अंदर नजर डालते ही दिखाई दिया काई सारे किताबों के बीच में विशेष एक किताब को काले कपड़े द्वारा बांधा गया है ।
मनीष ने किताब को देखने के लिए उसे बाहर निकाल लिया फिर बाहर आकर दरवाजे को ठीक उसी तरह बंद कर
दिया ।

रूम में बैठ काले कपड़े को हटाकर उस रहस्यमय किताब की ओर मनीष एकटक देखता रहा । इस किताब में कुछ तो बात है । मायावी कवर , अद्भुत एक आकर्षण है उसमें क्योंकि उससे नजरें हटाना कठिन है । पुराना लकड़ी का कवर जिसे चमड़े द्वारा बांधा गया है और लकड़ी के ऊपर कुछ लिखा हुआ है । भाषा नहीं समझ आ रहा पर वह कुछ दक्षिण भारतीय शब्दों के जैसा है और हीरोग्लिफिक्स ( मिस्र चित्रलिपि ) की तरह पशु पक्षी भी उसपर छपे थे । एक शब्द अंग्रेजी में भी लिखा हुआ था लेकिन उसे पढ़ने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी । GRIMOIRE अर्थात ग्रिमोअर पर मनीष इस शब्द का अर्थ नहीं जानता । उसका मन कह रहा है कि वह किताब को खोलें लेकिन यह किसी साधारण किताब की तरह नहीं है । उस किताब को लॉक किया गया है लेकिन वहाँ कोई ताला नहीं है ।
किताब की मूल विशेषता है कि उसके बीच में एक गोलाकार चकती बना हुआ है और उसके अंदर दो त्रिभुज उल्टा व सीधा करके लगाया गया है । जो दिखने में षट्कोण के जैसा था । उस पर हाथ रखते ही मनीष को
ठंड की अनुभूति हुई । इधर उधर करते ही पता चला उन दोनों त्रिभुज को घुमाया जा सकता है अर्थात यही लॉक है । उंगली से दबा एक त्रिभुज को घुमाकर दूसरे त्रिभुज पर करते ही खट की आवाज के साथ किताब खुल गया । किताब के पन्नों को देखकर समझा जा सकता है कि यह सैकड़ो साल पुरानी किताब है । पहले पन्ने पर किसी देवी की भयानक आकृति छपी हुई है और पन्ने पर सिंदूर पर लगा हुआ है । पन्ने पर कुछ लिखा हुआ है पर मनीष इस भाषा को नहीं जानता लेकिन वह इतना जान गया कि शब्दों को छापा नहीं बल्कि हाथ द्वारा लिखा गया है । अक्षरों का रंग हल्का काला व लाल मिश्रण , कहीं खून तो नहीं ?
मनीष ने कई और पन्नों को पलट कर देखा और उसमे छपे विभत्स चित्रों को देख उसका शरीर कांप गया । वह कुछ पढ़ नहीं पा रहा लेकिन चित्र इतने अमानवीय व भयानक हैं कि ध्यान से देखना भी दूभर है । मध्यकाल के बर्बरता की छाप स्पष्ट है कहीं किसी मनुष्य के शरीर को विशेष अंग से काटकर उस पर फूल माला चढ़ाकर पूजा किया जा रहा है । कहीं मरा हुआ सूअर , किसी मनुष्य के शरीर पर कई सारे सांप , चूहे का पूँछ , मयूर के पंख , मरा हुआ गिद्ध , कौवे का पंख और कहीं तो समझा ही नहीं जा रहा कि यह किस जानवर के शरीर का अंग है । इसके अलावा कुछ अद्भुत तरह के चित्रित नक्शे , विशेष उपकरण का उल्लेख ;
इन सभी चित्रों को देखकर समझा जा सकता है कि यह किताब अवैज्ञानिक व अशुभ गुप्त तंत्र - मंत्र क्रिया के बारे में है । इसमें पद्धतियों का विवरण , मंत्र आदि हैं लेकिन मनीष इसमें कुछ भी नहीं समझ पा रहा क्योंकि उसे यह भाषा नहीं मालूम । मनीष को अब एक अनजाने बात
से डर लगने लगा । उसे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या सोच रहा है लेकिन उसका मन कह रहा है कि कुछ ऐसा होने वाला है जो बिल्कुल भी सही नहीं । दोपहर को मनीष जल्दी से ऊपर जाने लगा किताब को उसके सही जगह पर रखने के लिए । इस किताब के कारण उसे ऑफिस जाने के बारे में याद ही नहीं । मनीष अटारी के कमरे में फिर प्रवेश हुआ । अंदर जाकर जिस टूटे अलमारी में किताब रखा हुआ था वहाँ उसे रखते हुए थोड़ा धक्का लगते ही अलमारी सरक गया । मनीष चौंक गया और फिर से अलमारी को
धकेलते ही वह दाहिने तरफ सरकने लगा । इस अलमारी के नीचे छोटे चक्के फर्श के साथ लगाए गए हैं । सामने से अलमारी हटते ही एक सुरंग दिखाई दिया । उसका सीढ़ी नीचे की तरफ उतर गया है । तभी मनीष को समझ आया कि बाहर से अटारी का कमरा बहुत बड़ा दिखता था लेकिन अंदर से इतना छोटा क्यों है । असल में छत वाले सीढ़ी के साथ समांतर तरीके से एक और सीढ़ी गोपनीय मार्ग में चला गया है । अंदर अंधेरा है इसीलिए फोन के फ्लैशलाइट को जलाकर मनीष धीरे-धीरे उस सीढ़ी से नीचे उतरा । सीढ़ी व गली में धूल का मोटा परत जमा है लेकिन पैरों के निशान भी स्पष्ट दिखाइ दे रहा था । इसमें कोई शक नहीं की यहां कोई व्यक्ति प्रतिदिन आता है । चारों तरफ मकड़ी के जाल व एक डरावना घुटन है जो किसी को भी डराने के लिए पर्याप्त था । सीढ़ी से नीचे आते ही एक दरवाजा है लेकिन दरवाजा अंदर से बंद और साफ है । मनीष वहां
से लौटने वाला था लेकिन अंदर से कुछ आवाज सुनाई दिया । मनीष रुक गया और ध्यान से आवाजों को सुनने लगा ।
तांत्रिक गोविंद की आवाज़ किसी को कुछ बोल
रहे थे । नहीं शायद मंत्र पढ़ रहे हैं । मनीष मंत्र की भाषा को नहीं समझ रहा लेकिन सुनने में बहुत ही अद्भुत लग रहे थे । वह वहीं खड़े होकर जानने की कोशिश करने लगा कि आखिर अंदर हो क्या रहा है । इसके अलावा एक डर और भी है कि अगर तांत्रिक गोविंद ने उसे यहां गलती से
देख लिया तो उसका क्या हर्ष होगा । मंत्र - पाठ अचानक बंद हो गया इसके बाद एक लड़की की आवाज सुनाई
दिया ।
" अभी तो भेजा था फिर से मुझे क्यों बुला लिया ? "
आवाज को सुनकर मनीष को विश्वास हो गया कि यह वही लड़की है जिसे वह प्रतिदिन देखता है । हाँ , इसी आवाज़ को उसने सुना था छत पर किसी से बात करते हुए ।
तांत्रिक गोविंद शायद लड़की से बोल रहे थे ,
" तुमको बुलाया क्योंकि बेटी तुम्हारा चेहरा देखने का बहुत मन कर रहा था । आज तो अंतिम दिन है इसके बाद फिर तुम्हें नहीं देख पाउँगा क्योंकि तुम्हारी मुक्ति हो जाएगी । इसके बाद मैं तुम्हें परेशान नहीं करूंगा । "
अस्पष्ट आवाज में और भी कुछ बातें हुई ।
जो सुनाई दिया उसके हिसाब से आज रात वह लड़की कुछ करने जा रही है । फिर से मनीष को डर लगने लगा । लेकिन लड़की गई कहां थी और कहां से आई ? यह जगह गुप्त क्यों रखा गया ? उस किताब के साथ क्या इन सबका भी कुछ संबंध है ? मनीष को कुछ भी समझ नहीं आ रहा ।
सीढ़ी से होते हुए ऊपर चढ़कर अलमारी उस सुरंग को मनीष ने फिर बंद कर दिया । लौटते वक्त उस रहस्यमय किताब की तरफ उसने फिर एक बार देखा लिया ।
इसके बाद कमरे में लौटकर वह ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा लेकिन दिमाग से कुछ देर पहले की घटना को मनीष अलग नहीं कर पाया ।…..



अगला भाग क्रमशः