Resume Vaali Shaadi - 2 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | रेज़्यूमे वाली शादी - भाग 2

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रेज़्यूमे वाली शादी - भाग 2

घर पहुंचते ही अवनी ने अपने घरवालों को रिश्ते के लिए मना कर दिया जिस पर माँ बोली,

"अच्छा ही है वो लोग मुझे तो बिल्कुल पसंद नहीं आए ,मैंने दो दो कचौड़ियां मंगाई थी और वो चार चार कचोरी ले गए"।

"माँ आप एक कचौड़ी के पीछे रिश्ते को ना कह रहे हो?"

जिस पर माँ थोड़ी संजीदा होकर बोली, "नहीं बेटा एक कचोरी के पीछे, नहीं पूरी दो कचौड़ियों के पीछे बोला मैंने"।

"माँ.."

"वैसे मुझे भी नहीं पसंद आए वह लोग ज्यादा, इतनी अकड़ किस बात की थी उन्हें ,तुम भी तो निलय जितना कमाती हो और उससे ज्यादा बड़ी कंपनी में हो ,फिर भी पता नहीं क्यों निलय ये, निलय वो ऐसे कह कर अकड़ रहे थे", पापा ने भी अपनी राय रखते हुए कहा, वही इन दोनों के पहलुओं को दरकिनार करते हुए अवनी अलग ही सोच में डूबी हुई थी |

अवनी को 6 घंटे हो गए थे निलय से मिले हुए पर वो अभी भी निलय के प्रस्ताव के प्रोस और कोन्स ढूंढने में लगी हुई थी , फिर एक दम से एक फ़ैसला लेकर उसने फोन उठाया तो ध्यान गया की रात के 11:00 बज चुके थे, तो अवनी ने फोन करने की जगह मैसेज छोड़ना ही ठीक समझा,

"हाँ ... - अवनी।"

यह लिखकर उसने मैसेज भेज दिया और उसने मैसेज भेजा ही था कि सामने से तुरंत जवाब आया,

"तो कल 6:00 बजे तैयार रहना" ।

यह पढ़ते ही अवनी भोंचक्की रह गई और उसने तुरंत फोन घुमाया , "कल 6:00 बजे तैयार रहना मतलब?"

"तैयार रहना, तुमने ही तो कहा था की जान पहचान बढ़ानी है।"

"हाँ पर.."

"हाँ , चलो अच्छा है कुछ बात तो मानी, मिलते हैं फिर कल, अभी मुझे सोना है, बाय गुड नाइट!!", इतना बोलते ही नहीं, निलय ने तुरंत से फोन काट दिया और अवनी भी बिना कुछ ज्यादा सोचे सोने चले गयी।

अगले दिन ऑफिस में अवनी के काम करने के अंदाज में अलग ही तेज़ी थी, वैसे तो वो बार-बार खुद से यही कह रहे थे कि निलय का यह तरीका उसे बिल्कुल पसंद नहीं आया, उसे क्या लगता है कि वो खाली है जब कहेगा तब उठ के आ जाएगी वो,आखिर उसपे अपने साथ-साथ दो और लोगों के काम की जिम्मेदारी भी है, पर फिर भी वो सारे काम फटाफट निपटा रही थी और सब को बार-बार याद दिलाती कि आज वो जल्दी निकल जाएगी और शाम की कॉल में सबका साथ नहीं दे पाएगी।

देखते ही देखते छः बज गए, पर अब तक निलय का ना तो कोई कॉल आया था, ना ही मैसेज, कि कहाँ मिलना है और अवनी ऐसे दिखाने लग गई जैसे वो किसी काम में फंस गई और इसे बिना करे वो नहीं जा सकती, सब लोगों के बार बार दवाब देने पर वो अनमने मन से उठी और बैग उठाकर चलने लगी पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें निलय का इंतज़ार करे या उसे फोन करे या उसकी इस हरकत का जवाब घर के लिए निकल कर दे।

इतने में ही अवनी के फोन की घंटी बजती है और स्क्रीन पर निलय का नाम फ्लैश होता है जिसे पढ़कर अवनी गुस्से में फोन उठाती तो हैं पर सामने से जवाब आता है,

"कहाँ हो यार कब से तुम्हारा ऑफिस के नीचे खड़े होकर इंतजार कर रहा हूँ, सचमुच ये बड़े लोग ना दूसरों के वक्त की कदर ही नहीं करते"।

बस निलय के इतना बोलने की देर थी, अवनी झटपट बाय बोल कर नीचे की ओर भागी इसलिए नहीं की उससे निलय से मिलने का इंतजार नहीं हो रहा था, बल्कि इसलिए कि उसे पक्का यकीन था निलय नीचे नहीं है और उससे झूठ बोल रहा है।

भागने के बावजूद गेट से बाहर निकलते ही अवनी निलय को वहाँ खड़ा पाती है।

"क्या सचमुच ये 15 मिनट से यहाँ खड़े होकर मेरा इंतजार कर रहा था? नहीं अवनी मेहरा, ये निलय वाधवा है, ऐसी चिकनी चुपड़ी बातें करना तो इसकी आदत है", अवनी अपने आप से बोलते हुए निलय की तरफ बढ़ती है।

"क्या बात है आई एम इंप्रेसड़", हल्का-हल्का हांफती हुई अवनी को देख कर निलय बोला।

"तुम्हारे लिए नहीं भागी हुँ, वो तो वजन बढ़ रहा था तो सोचा थोड़ा सीढ़ियां चढ़ लू, थोड़ा तेज चल लू.."।

"भागी, क्या बात है!! भाग कर आई हो तुम, वाओ, मैं तो वैसे तुम्हारे कपड़ों की तारीफ कर रहा था, पर लगता है अवनी मेहरा एक दिन में कई सरप्राइस दे सकती है, अच्छा किया, हमने एक दूसरे को और जानने का सोचा, बाई दी वे रियली नाइस ड्रेस", अवनी के हल्के गुलाबी कुर्ती, सफेद सलवार पैंट और दुपट्टे को देखकर आँखों से खुश होते हुए बोला।

"मैं तो तुम्हें लेट होने की सजा देना चाहता था पर इतनी अच्छी लगती लड़की को भला कैसे कोई कुछ कह सकता है वहीं अवनी को उसकी बातों से हैरानगी हो रही थी, क्योंकि सुबह इसे पहनते वक्त तो उसने कुछ अलग ही सोचा था।