स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 16 in Hindi Fiction Stories by Nirav Vanshavalya books and stories PDF | स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 16

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 16

थैंक यू मिस्टर मार्टिन मैं भी यही सोच रहा था मगर सोचा एक बार आपसे परामर्श कर लू.

मार्टिन ने कहा नहीं नहीं मिस्टर रोए आपने बिल्कुल सही किया आगे भी आप जो भी कदम उठाएं वह कुछ गिने-चुने लोगों को पूछ कर ही उठाएं.

अदैन्य ने कहा जी मिस्टर मार्टिन आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.


अदैन्य ने फोन रखा और अपने आप से कहा शायद तुम्हारी जरूरत सबसे पहले इंडोनेशिया को है.

कुछ ही घंटों बाद अदैन्य पौल जोन्स के सामने बैठे हैं कुछ कागजात के साथ.


जिसमें न्यू इंडोनेशिया के इकोनामी इंफ्रास्ट्रक्चर है.


जोन्स ने पूछा मिस्टर रोए अगर 25 करोड़ फाउंड लंदन से आते हैं तो उसके परपसिस और डिस्ट्रीब्यूशन?


रॉय ने कहां 10 मिडनाइट के अंदर इंडोनेशिया में सो कितने औद्योगिक एकम खड़े किए जाएंगे.

जॉन बोले ह.

यह 25 करोड़ फाउंड को इंडोनेशिया कि इकोनामी मैं 30% स्ट्रक्चरआइस करेंगे और इंडोनेशिया में 30% डीमोनीतिलाइसेशन ( डी मोनेटाइजेशन).

जॉन्स बोले और?

अदैन्य ने कहा जितना डेमोरलाइजेशन होगा उतना
एंटीफंगस इंसर्ट इन प्लांट होगा.


जोंस ने कहा तुम्हारे मतलब है एंटीफंगस यानी सेल्फ करंसी?


अदैन्य ने कहा जी बिल्कुल.


रिजर्व बैंक के अलावा इंडोनेशिया की अपनी जो लीडिंग बैंक है उनकी भी अपनी करेंसी.

जोन्स ने पूछा मिस्टर रोए यह 250000000 पाउंड को आप इकोनॉमिक्स में स्ट्रक्चर आइस कैसे करेंगे.

रॉय ने कहा मिस्टर जॉन्स यह 25 करोड़ फाउंड सेल्फ करेंसी बैंकिंग मैं सेट होंगे और उनके शेरिंग उन सो औद्योगिक इकोमो में होंगा. सिर्फ और सिर्फ उनमें.


जोन्स ने पूछा और उन इस्लामिक फण्ड को आप कहां सेट करेंगे.


रॉय ने कहा उसे ट्रेडिशनल इकोनामी को सौंप देंगे.

जोन्स ने कहा ओ, तो एंटीफंगस इस अ एडवांस इकोनॉमि मिस्टर रोए, राइट!!

रॉय ने कहा थाट्स राइट.


ट्रेडिशनल इकोनामी यानी कि जो इस्लामिक फंड आएगा उसे रिजर्व बैंक को सौंप दिया जाएगा. और रिजर्व बैंक उसके इंडोनेशियन रूपी बना करें गवर्नमेंट को सौंप देगी. वैसे देखा जाए तो एंटीफंगस मैं भी सारा रेगुलेशन रिजर्व बैंक का ही रहता है. फर्क सिर्फ इतना ही होता है पी कुछ प्रतिशत करंसी सरकारी बैंकों की अपनी खुद की होती है. जो विशेष रूप से व्यवसाई गृह में ही चलती है.

इन पैरेलल शिप ऑफ चेक(chaques) एंड ऑल.

यदि बैंकों का प्रती फूग के नाम पर सेल्फ चेक हो सकते हैं तो सेल्फ करंसी क्यों नहीं.


यदि आप अपने लेनदार को अपनी बैंक का चेक दे सकते हो तो आप अपने लेनदार को अपनी बैंक की करेंसी भी दे ही सकते हो.


इससे फायदे क्या होते हैं यह भी एक सवाल है! तो जवाब सिर्फ इतना ही है के यदि आप बैंक से पेमेंट करते हो तो वह डॉलर आधा सफेद है और यदि आप बैंक की अपनी करेंसी से पेमेंट करते हो तो वह पूरा सफेद है. यानी कि कंप्लीट एंटीफंगसड़. यानी कि इतना सफेद कि आप 50 लाख करोड़ तक की कोई भी चीज हंड्रेड परसेंट डाउन पेमेंट से खरीद सकते हो.

ऑल टैक्सेज आर इन बिल्टेड. सामान्य भाषा में जीरो इन्फ्लेटेड पेमेंट.

अब यह टेक्निकली कैसे होता है, यह अदैन्य खुद हमें
आगे बताएंगे.

मान लीजिए कि देश में फूगावे ( महंगाई) का दर 50% से ऊपर चला गया और देश के पास कोई सलूशन नहीं है. और फिर भी महंगाई को 5% से नीचे ले आना है तो हम क्या करेंगे.