The Dark Tantra - 10 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | द डार्क तंत्र - 10

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द डार्क तंत्र - 10


Grimoire - 2

4 दिन बाद इंस्पेक्टर रवि के सिक्स सेंस की घटना सच हो गई । नदी के उस पार एक पुराने गोदाम के अंदर लाश की खबर आज सुबह ही आई है । शहर से फॉरेंसिक टीम आई है लेकिन अभी लोकल थाना इस केस को हैंडल कर रहा है । आज इंस्पेक्टर के साथ ACP भी घटनास्थल पर आए हैं । बहुत सारे जांच पड़ताल के बाद भी हत्यारे के बारे में आईडेंटिफाई नहीं किया जा सका । इन चारों हत्याओं में ही मानो हत्यारा आया और अपने मन मुताबिक उन्हें मारा ।
इंस्पेक्टर ने अपने ऑफिसर से कहा ,
" बॉडी आईडेंटिफाई हो गया है सर ,उसके घर के लोग अभी आ रहे हैं । पास ही उसका पर्स गिरा था और उसमें से हमें
आधार कार्ड प्राप्त हुआ है । सर पिछले तीन हत्याओं में बॉडी पर कोई फिंगरप्रिंट नहीं मिला था । इसे तो पूरी तरह जला कर मारा गया है इससे हमें कुछ सबूत मिलेगा ऐसा नहीं लगता । "
ऑफिसर साहब बोले -
" तुम्हारी तरह मुझे भी ऐसा लगता है कि इन हत्याओं को एक ही व्यक्ति कर रहा है । अगर कोई सीरियल किलर है तो एक पैटर्न व सिग्नेचर मार्क अवश्य होता । और हत्यारा
पुलिस को चैलेन्ज इसलिए नहीं कर रहा क्योंकि वह सामने नहीं आना चाहता । "

" सर मैंने एक मिसिंग पाया है । जिन चार लोगों की हत्या हुई है वो सभी एक दूसरे से परिचित थे । किसी समय उनमें जान पहचान थी लेकिन इस समय ऐसा नहीं है । इनमें कोई भी विशेष काम धंधा भी नहीं करता । "

" अगर उनके दोस्तों में किसी ने यह किया है तो मुझे नहीं लगता कि उनमें ऐसा कोई शार्प माइंड का है । बहुत ही विकृत तरीके से हत्याएं हुई हैं । शायद किसी ने इनके अपराध का बदला लेना चाहता हो । "

" हाँ सर , हो सकता है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अभी कुछ और भी होना बाकी है । हम कुछ ना कुछ तो मिस कर रहे हैं ।

" अब इनके दोस्तों को अलर्ट कर दो । और पुराने रिकॉर्ड्स निकालो कहीं कोई ऐसा केस पेंडिंग हो जिससे इनका लिंक है । पिछले तीनों का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड्स नहीं है इस व्यक्ति का चेक करो । लेकिन कुछ तो हो रहा है क्योंकि इतनी प्लानिंग से हत्या करना किसी साधारण व्यक्ति के बस का नहीं है । और यह भी देखो कि पूजा से पहले यहां कौन कौन आया है । उनको मार्क करके अपने नजर में रखो । "…..

--------------

कल रात को वह लड़की नहीं आई । आज सुबह भी मनीष ने उसे नहीं देखा । उसका दिल छटपटा रहा है क्योंकि उस
लड़की को देखकर अपना बनाने का मन करता । जब तक उसे नहीं देखे तब तक मन नहीं शांत होगा । मनीष इतना उतावला इससे पहले शायद कभी नहीं हुआ । आज से उसका B शिफ्ट में काम शुरू हुआ था अर्थात 2 से 10 बजे तक । मनीष ने सुबह से कई बार नीचे देखा लेकिन वह
लड़की नहीं दिखी । रात 10:30 बजे के आसपास जब वह बाइक लेकर लौटा तब मानो पूरा इलाका सो गया है । गांव नही है लेकिन यह नगरी इलाका 10 बजे के अंदर ही सुनसान हो जाता ।

असल में यहां पर रहने वाले कम हैं । केवल दुकाने हैं वो सभी दिन में दुकान खोलकर शाम को अपने घर चले जाते हैं । इस बाजार से कुछ दूर 4 - 5 फ्लैट में ही लोग रहते हैं । यहाँ कुछ लोकल लोग भी रहते हैं लेकिन रात होते ही वो भी अंदर दुबक जाते हैं ।
सीढ़ी से चढ़ते हुए मनीष को अमित मिल गया ।
" अभी कुछ देर में मैं भी छत पर आता हूं । "
बोलकर एक साथ दोनों सीढ़ी चढ़कर अपने कमरे में चले गए ।
मनीष कभी-कभी सोचता है कि अमित मेरे साथ ही फ्लैट से बाहर निकलता है फिर एक साथ ही अंदर भी आता है । जो सोचता हूं उसे वह जान भी जाता है । क्या इस लड़के के अंदर कोई मैजिक है ? उसकी हरकतें अजीब हैं ।
कमरे के ताले को खोलते वक़्त उसने देखा कुंडी का पेंच ढीला हो गया है । इसलिए उसने पास के कमरे में खटखटाया ।
दरवाजा खोलकर अमित ने बोला - " हां बोलो कुछ काम है क्या ? "
" असल में मेरे सिटकनी का पेंच ढीला हो गया है । अपने स्क्रुड्राइवर को देना प्लीज । "
यह सुनते ही अमित के चेहरे में थोड़ा बदलाव दिखा ।
वह बोला - " मेरा स्क्रुड्राइवर कहीं खो गया कल दुकान से एक दूसरा लेकर आऊंगा तब ले लेना । भैया आज थोड़ा मैनेज कर लीजिए । "
अमित के अनुरोध के कारण मनीष ' ठीक है ' बोलकर अपने कमरे में चला गया । मनीष सोचने लगा कि , इलेक्ट्रीशियन के पास से स्क्रुड्राइवर कैसे खो गया ? आश्चर्य की बात है ।
आधे घंटे बाद छत पर जाकर देखा तो अमित वहां पहले से था । इसका मतलब आज भी लड़की के साथ मिलना संभव नहीं है ।
मनीष को देखते ही अमित ने पूछा -
" क्या तुम किसी बारे में सोच रहे हो या यहाँ पर रहने में कोई असुविधा तो नहीं हो रहा ?"
" नहीं ऐसी कोई असुविधा नहीं है । "

इतना बोल कर मनीष चुप हो गया और सोचने लगा कि क्या लड़की के बारे में इसे बताना चाहिए ।फिर सोचा बता ही देता हूं शायद कुछ मदद मिल जाए ।
मनीष फिर बोला - " ग्राउंड फ्लोर वाले लड़की को देखा है तुमने । "

" लड़की , हो सकती है । असल में मैंने कभी ध्यान नहीं दिया । पर हमारे नीचे एक फैमिली रहती है और उसमें एक छोटा लड़का बहुत ही बदमाश है । इस साल होली में उसने मेरे ऊपर गुम्बारे में रंग भरकर फेंका था उसी टाइम से मैं उसपर गुस्सा हूं । "

" 1 साल से यहां पर हो और किसी को नहीं जानते ? यहां चार मर्डर हो गए और तुम एक बच्चे से डर रहे हो । "

" डर नहीं गुस्सा है हमेशा अपने मां बाप के साथ ही निकलता है कभी अकेला मिला तो तो थप्पड़ जरुर लगाऊंगा । और हां पता नहीं क्या हो रहा है यहां पर , इतने
दिन से यहां पर रहता हूं ऐसा पहले कभी नहीं हुआ । तुम्हारे आने के कुछ दिन पहले ही यानि दुर्गा पूजा से पहले ही यह सब शुरू हुआ । "

" यह बात बहुत ही इंटरेस्टिंग है एक आदमी कई तरीकों से हत्याएँ कर रहा है लेकिन विदाउट एविडेंस, आदमी स्मार्ट है । "

" हां मुझे भी ऐसा ही लगता है । जो भी यह सब कर रहा है बहुत ही चालाक है । लेकिन एक न एक दिन वह पकड़ा जरूर जाएगा । "
यह बोलते हुए अमित मानो सोच में पड़ गया । और भी कुछ बोलता अगर मनीष ने टॉपिक ना चेंज किया होता ।

" वह सब छोड़ो पुलिस देख लेगी । अच्छा क्या तुमने सचमुच नीचे वाली लड़की को नहीं देखा है ? "

" सचमुच नहीं देखा । देखा भी होगा तो कभी ध्यान नहीं दिया । क्या बात है भाई पसंद आ गई है क्या ? "
मनीष सिर झुकाकर हंसते हुए बोला -
" अरे नहीं नहीं ऐसे ही । "

" नहीं तुम्हारा चेहरा तो कुछ अलग ही बोल रहा है । अगर पसंद है तो खुद जाकर बोल दो । सरकारी इंजीनियर हो इंदौर में अपना घर है तो क्या असुविधा ।"

" मुझे ऐसा लगता है कि उस लड़की का कोई बॉयफ्रेंड है । रात को छत पर आकर किसी से बात करती है मैंने खुद सुना है । "

" मैंने तो कभी नहीं देखा । "

" हमारे नीचे चले जाने के बाद आती है लेकिन शायद आज नहीं आई । "

" अच्छा अब समझा कल तुम लड़की को देखने के लिए छत पर इंतजार कर रहे थे । ठीक है अब मैं चलता हूं तुम इंतजार करो । "
अमित जाते हुए फिर एक बार लौट कर आया और बोला - " तुम जिस लड़की की बात कर रहे हो मालिक के घर में रहती है क्या , उनसे थोड़ा बचकर रहना सुना है तांत्रिक हैं । "

" हां शायद उसके पिताजी हैं । "

" उस आदमी को देखकर मुझे बहुत डर लगता है । अगर उसका कोई लड़की है और वह चाहे जितनी सुंदर हो मैं उस बाबा के सामने कभी नहीं जाऊंगा । "
बोलकर दोनों ही जोर जोर से हंसने लगे ।
इसके बाद अमित नीचे चला गया । छत से कुछ मिनट बाद मनीष ने अमित को बाइक चलाकर बाजार की ओर जाते हुए देखा ।
इतनी रात को वह कहां जाता है इस बात को उससे मनीष ने कभी नहीं पूछा । दूर कुछ घरों में झालर जल रहे हैं क्योंकि दीपावली आने वाली है । यही सब देखते देखते आधा घंटा
और बीत गया ।
नहीं लड़की आज भी नहीं आएगी सोचकर सीढ़ी की ओर जाते ही नीचे वाला आदमी उपस्थित हुआ ।
इस समय उन्हें देखने के लिए मनीष बिल्कुल भी तैयार नहीं था । इस आदमी के अंदर एक गंभीर स्वभाव है । भारी आवाज़ , नजर तीक्ष्ण , खराब मिजाज ।

" इतनी रात को यहां मत आना । यह इलाका रात के लिए सुविधाजनक नहीं है । जल्दी से सो जाया करो समझे । "
यह बातें आदेश के जैसा था ।
" और हां उस लड़के से दूर रहना । "
अब मनीष ने प्रश्न पूछा - " क्यों ? "
" जो कह रहा हूं तुम्हारे भले के लिए कह रहा हूं । जाओ जाकर सो जाओ । "
यह सुन अमित को गुस्सा आया । आज तक किसी ने उससे कोई काम जबरदस्ती नहीं करा पाया । लेकिन आज उसे यह बातें सुननी पड़ी और किसी कारण के बिना इसे मानना
भी पड़ा । मनीष अपने कमरे में चला गया ।

------------
इंस्पेक्टर रवि बोले -
" सर क्या मैं अंदर आऊं । "
ऑफिसर ने कहा -
" हां बोलो रवि क्या न्यूज़ है ? "

" पोस्टमार्टम रिपोर्ट आया है और इसमें एक नई बात ऐड हुआ है । रिपोर्ट को देखिए । " बोलकर इंस्पेक्टर रवि ने फाइल को आगे कर दिया ।

" स्ट्रेंज , मिट्टी का तेल डालकर जलाया गया है । ऊपरी चमड़ा जल गया , हाथ पैर बांधा गया था । यह सब तो ठीक है लेकिन पीछे धारदार वस्तु से तीन आघात ऐसा तो पहले तीनों में नहीं था । गहराई 30 सेंटीमीटर , किस वस्तु
से मारा था ? "

" यही तो बात है सर , लम्बी पतली सरिया या स्क्रुड्राइवर
से मारा फिर कुर्सी में बांधकर मिट्टी के तेल से आग लगा दिया । इतनी हिंसा पहले तीनों में नहीं दिखा । शायद इसी के ऊपर सबसे ज्यादा गुस्सा था । मुझे ऐसा लगता है यही अंतिम मर्डर है। "

" रवि फिर तो मेरा कैलकुलेशन गलत हो गया । मेरे हिसाब से एक और हत्या अभी बाकी है । लेकिन कहां होगा यह नहीं जानता परन्तु कैसे होगा इस बारे में मुझे कुछ तथ्य
मिले हैं । "

" इसका मतलब सर आपको इन हत्याओं में पैटर्न मिल गया । "
कुर्सी से उठकर ऑफिसर साहब बोले -
" तुम माइथोलॉजी या देव - देवी में विश्वास करते हो । "
हाथ में पहने देवी विंध्यवासिनी के धागे को बाएँ हाथ से छुपाते हुए इंस्पेक्टर बोले -
" हाँ सर थोड़ा बहुत मानता हूं । "
एक बोर्ड के पास जाकर ऑफिसर साहब ने कुछ लिखा । इसके बाद बोर्ड की ओर देखते हुए बोले -
" पंचभूत के बारे में जानते हो । इसे पंचतत्त्व या पंचमहाभूत कहते हैं । ये पांच बड़े उपादान हैं या कह सकते हो हमारे शरीर के सृष्टि का एक समूह है । ये पांच हैं पृथ्वी , जल , वायु , अग्नि और आकाश । "
यह सुनते ही इंस्पेक्टर की आंखें चमक उठी । और कुछ नहीं बताना उनके पास सब कुछ साफ हो गया है । यह पैटर्न हूबहु मिल रहा है सभी हत्या के साथ । मिट्टी में गाड़ कर ,
पानी में डुबोकर इसके बाद सांस रोककर और जल्द ही जलाकर सभी हत्याएं की गई है । "
" इसका मतलब अब बाकी है आकाश , यह कैसे संभव है क्या वह हेलीकॉप्टर में हत्या करेगा । "
" आसमान का मतलब बहुत ऊपर ऐसा नहीं है । किसी ऊंचे स्थान पर ले जाकर धकेल दिया तो उसे भी हत्या ही माना जाएगा । असल बात यह है कि इसके बाद कौन इसका शिकार होगा । हम इतने करीब हैं लेकिन शायद इसे रोक नहीं सकते । यही हमारी नाकामी है । "………

अगला भाग क्रमशः ....