Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 13 in Hindi Fiction Stories by ARUANDHATEE GARG मीठी books and stories PDF | एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 13

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 13



सौम्या आदित्य के साथ फिर से डांस करने लगती है । थोड़ी देर बाद डांस करते हुए ही सौम्या की नज़र रूही और राहुल पर जाती है जो एक - दूसरे के हाथ में हाथ डाले, एक - दूसरे के आंखों में देख रहे थे और साथ ही साथ अपने कदम भी थिरका रहे थे शायद किसी गाने के बोल उनके जहन में चल रहे थे और वो उसी को महसूस करते हुए एक दूसरे के आंखों में खो गए थे , मानों एक - दूसरे की आंखों में खुद को ढूढ़ने की कोशिश कर रहे हों। तो वही हाल कायरा और आरव का भी था, कब वो दोनो स्टेप्स सीखते - सिखाते हुए एक - दूसरे की आंखों में खो गए पता ही ना चला, तो वहीं नील की आंखें भी शिवानी से टकरा गईं जो कि जाने कब से नील को ही निहार रही थीं, नील भी शिवानी की ही तरह उसकी निगाहों मर खो गया, दोनों ही एक दूसरे में खुद को महसूस करने लगे थे । शायद इन सभी के लिए ये कहना ग़लत नहीं होगा के.....।

हवा में इश्क़ की खुमारी ,
कुछ ज्यादा ही चढ़ रही थी ,
पहले एक से दो, फिर दो से तीन ,
और अब हर किसी पर असर कर रही थी

शायद इन तीनों जोड़ियों के लिए समय थम सा गया था और ये उस समय में एक - दूसरे का प्रतिबिंब इस तरह से अपने आंखों में , अपने दिल में बसा लेना चाहते थे के वो प्रतिबिंब कभी इनकी यादों से , इनके ज़हन से ओझल ना हो सके , इस बात से अनजान के ये को उनके साथ हो रहा है वो आखिर है क्या??

तीनों जोड़ियां एक - दूसरे के आंखों में समाए जा रहे थे और इन सभी के ज़हन में संगीत के तार खुद को छेड़ कर बखूबी अपनी भूमिका निभा रहे थे जो कि इन्हें ये अहसास करा रहे थे के ये जहां हैं वहां एक - दूसरे की आंखों में खोए हुए बस खुद ये ही हैं बाकी तो कोई और है ही नहीं, एक तरह से ये कहना बिल्कुल भी गलत ना होगा के ये एक - दूसरे की आंखों में बावरे से हुए जा रहे थे......।

बावरा मन देखने चला एक सपना
बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें
बावरी सी धड़कने हैं बावरी हैं साँसें
बावरी सी करवटों से निंदिया दूर भागे
बावरे से नैन चाहें बावरे झरोखों से
बावरे नज़ारों को तकना
बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरे से इस जहाँ में बावरा एक साथ हो
इस सयानी भीड़ में बस हाथों में तेरा हाथ हो
बावरी सी धुन हो कोई बावरा इक राग हो
ओ...., बावरी सी धुन हो कोई बावरा इक राग हो
बावरे से पैर चाहें बावारे तरानों के
बावरे से बोल पे थिरकना
बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरा सा हो अंधेरा बावरी ख़ामोशियाँ
बावरा सा हो अंधेरा बावरी ख़ामोशियाँ
थरथराती नोह ?? मद्धम बावरी मदहोशियाँ
बावरा एक घूँघटा चाहे हौले हौले दिन बताये ??
बावरे से मुखड़े से सरकना
बावरा मन देखने चला एक सपना ।।।

मीशा, रेहान, आदित्य और सौम्या को छोड़ खोए तो सभी थे पर सौम्या की नज़रें सिर्फ और सिर्फ रूही और राहुल पर ही थी, वो एक बार फिर आदित्य से कहती है ....।

सौम्या - आदि ! तुम्हें रूही और राहुल को देख कर कुछ लगता है क्या, के जैसे इनके बीच कुछ चल रहा हो ....।

आदित्य ( उसकी बाह को ऊपर कर डांस स्टेप करता है और फिर दोबारा उसे अपनी ओर खींच लेता और कहता है ) - सौम्या , तुम्हारा दिमाग आज कुछ ज्यादा ही सोच रहा है ।

सौम्या ( फिर से राहुल और रूही की ओर देखते हुए ) - नहीं आदि!!! ( आदित्य का चेहरा अपने हाथ से रूही और राहुल कि ओर करते हुए ) देखो ना तुम , तुम्हें इन्हें देख कर ऐसा नहीं लग रहा जैसे इन दोनों के बीच कुछ तो है जो हमसे छिपा है या फिर ये दोनों ही हमसे कुछ छुपा रहे हैं ।

आदित्य एक नजर रूही और राहुल को देखता है , एक पल के लिए उसे भी ऐसा लगता है जैसे रूही और राहुल के बीच कुछ है पर वो ये सोच कर अपने दिमाग को लगाम लगा देता है के अगर कुछ होता तो राहुल उसे जरूर बताता । और फिर वो सौम्या का चेहरा अपने हाथ में थाम कर उसकी नजरें अपने तरफ कर उससे कहता है ।

आदित्य - सौम्या!! ऐसा कुछ भी नहीं है , तुम शिवानी को ले कर शायद कुछ ज्यादा ही सोच रही हो इस लिए तुम्हें बाकियों में भी वहीं सब दिखने लगा है जो शायद शिवानी की आंखों में तुम नील के लिए ढूंढ़ने की कोशिश कर रही हो । और वैसे भी सौम्या, अगर ऐसा कुछ भी होता तो राहुल हमें बताता। आरव की ही तरह वो भी हमसे कुछ नहीं छुपाता । तुम्हें तो अच्छे से पता है हम दोस्त एक - दूसरे से कुछ भी नहीं छुपाते हैं । तो फिर सोचो ना के इतनी बड़ी बात कैसे छुपाएगा वो हमसे !!! सवाल ही नहीं उठता कुछ भी छुपाने का।

सौम्या ( उसकी आंखों में देखते हुए ) - पर आदि , सच में उनकी आंखों में देख कर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं सही हूं ।

आदित्य - सौम्या , फिरहाल तुम सिर्फ मेरी आंखों में देखो और डांस पर ध्यान दो , बाकी सारी बातें अभी के लिए छोड़ दो । जब ऐसा कुछ होगा तो अपने आप हमें पता चल जायेगा ।

सौम्या मुस्कुरा कर उसकी आंखों में देखने लगती है फिर थोड़ी देर बाद फिर से डांस करते हुए ही उससे कहती है ।

सौम्या - आदि !!!! एक चीज और ......।

आदित्य ( उसका हांथ पकड़ स्टेप्स करते हुए ) - अब क्या है सौम्या????

सौम्या - वो मैं ये कह रही थी, के मीशा और रेहान का कुछ करो ना । देखो ना कैसे दोनों डांस कम और लड़ाई ज्यादा कर रहे हैं जिसमें से मीशा कुछ ज्यादा ही रेहान पर भड़क रही है।

आदित्य - सौम्या , तुम तो आज सबकी बाल की खाल निकालने में लगी हुई हो ।

सौम्या - अरे वो हमारे दोस्त हैं, उन पर ध्यान देना, उनकी प्रॉब्लम को ध्यान में रखना हमारा फ़र्ज़ बनता है ।

आदित्य - उसकी टेंशन मत लो तुम , वो दोनों खुद संभाल लेंगे । सच कहूं तो मीशा आज कल कुछ ज्यादा ही चिड़चिड़ी टाइप की हो गई है । जब देखो तब लड़ना और दूसरों को गुस्सा दिखाना उसका काम हो गया है , और रेहान पर भी पता नहीं किसका गुस्सा वो बार - बार उतारती रहती है ।

सौम्या ( चिंता करते हुए ) - तो रेहान कैसे संभालेगा ???

आदित्य - उसकी चिंता मत करो , मैं उसे जनता हूं , वो सिर्फ दोस्त के नाते उसकी फ्रस्टेशन बर्दास्त कर रहा है , जिस दिन उसके सिर से पानी ऊपर हुआ तो वो ये डांस वगेरह सब छोड़ देगा , वैसे भी वो हम दोस्तों की खुशी के लिए और मीशा की हेल्प के लिए ही डांस कर रहा है ।

सौम्या - पर तब भी , हमें एक बार तो उनकी हेल्प करनी ही चाहिए ।

आदित्य - ठीक है , घर जा कर सोचूंगा , के क्या कर सकता हूं इनके डांस के लिए ।

सौम्या बदले में मुस्कुरा देती है । थोड़ी देर बाद डांस करते हुए ही सौम्या आदित्य से पूछती है ।

सौम्या - आदि , टाइम क्या हुआ है ???

आदित्य डांस को छोड़ अपनी घड़ी में टाइम देखता है और सौम्या से कहता है ।

आदित्य - सौम्या , हमारे ऑफिस निकलने का टाइम हो गया है ।

सौम्या ( भौहें चढ़ाते हुए ) - इतनी जल्दी ।

आदित्य ( प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखता है और कहता है ) - मैडम, आज आप कुछ ज्यादा ही अपने दोस्तों में और हममें खोई थीं इस लिए आपको टाइम का ध्यान ही नहीं रहा ।

सौम्या ( आंखों के इशारों से ) - अच्छा जी !!!!

आदित्य ( भी आंखों के इशारों में ही ) - हां जी । ( फिर अपने हाथ सौम्या से अलग कर कहता है ) अच्छा , अब हमें निकालना होगा । सभी को याद दिला देता हूं , नहीं तो आज इन सभी को देख कर ऐसा लग रहा है जैसे ये सब आज यहीं बसना चाहते हों । ऑफिस जाने का ध्यान ही नहीं है इन सबको , और बाकियों को तो छोड़ो, खुद कंपनी के बॉस को आज याद नहीं है के ऑफिस भी जाना है ।

सौम्या उन सभी को देख कर और आदित्य की बातें सुन कर हंस देती है । आदित्य वहीं से खड़े - खड़े ही तेज़ आवाज़ में चिल्लाता है और कहता है ।

आदित्य - ओ महानुभावों !!! आज ऑफिस नहीं चलना है क्या??? टाइम हो गया है हमारे निकलने का ,या फिर बताओ यहीं तुम सब का केबिन लगवा दूं ????

आदित्य की चिल्लाने की आवाज़ से तीनों जोड़ियां अपने - अपने स्वप्न से बाहर आते हैं और एक - दूसरे से आंखें चुराने लगते हैं । तो वहीं रेहान टाइम हो गया है सुन का रिलेक्स फील करता है क्योंकि शायद वो जाने कब से डांस प्रैक्टिस ख़तम होने का ही वेट कर रहा था ताकि उसका मीशा से पीछा छूटे । तभी राहुल हड़बड़ाते हुए आदित्य के पास आता है कहता है।

राहुल ( अपने हाथ को बालों में घुमाते हुए ) - जाना है ना , जाना है...... , ( नील आरव और कायरा की तरफ एक - एक कर रुख करते हुए ) चल नील , आरव चलो चलते हैं , टाइम हो गया.….. , चलो कायरा ।

आरव ( भी हकलाते हुए ) - हां चलो....।

नील ( भी दोनों की हां में हां मिलाते हुए ) - हां..... , हां ..., चलो ना ।।।।

इतना कह कर बत्तीसी चमकाते हुए तीनों बाहर जाने लगते हैं के सौम्या सभी से कहती है ।

सौम्या ( राहुल,नील ,आरव को रोककर सभी से कहती है ) - ओए....! रुको , ( सौम्या के कहते ही राहुल,नील और आरव रुक जाते हैं और पीछे पलट कर सौम्या के बोलने का इंतजार करने लगते हैं ) कहां चले तुम सब ??? चलो पहले हमारे साथ कॉफी पियो फिर ऑफिस जाना ।

रेहान ( सौम्या की हां में हां मिलाते हुए ) - हां यार , तुम सबके जाने के बाद हम लोग कॉलेज में बोर हो जाते हैं , थोड़ी देर बाद तुम सब चले जाना ना कॉफी पी कर ।

आदित्य - पर हमें लेट हो रहा है ।

सौम्या - तो कितना टाइम लगता है कॉफी पीने में , जल्दी ही फ्री हो जाओगे सब ।

आदित्य कुछ कहने को होता है के आरव और कायरा एक साथ आदि से और सभी से कहते हैं।

आरव और कायरा ( एक साथ ) - चलो !!!

मीशा, शिवानी और रूही को छोड़ सभी उन्हें मुस्कुरा कर देखते हैं । जबकि आरव और कायरा अपनी इस हरकत पर झेंप जाते हैं । तभी आदित्य कहता है।

आदित्य - अच्छा चलो सब ।

सभी ऑडिटोरियम से बाहर कैंटीन में आ जाते हैं वहां पर मीशा आरव के बगल में बैठ जाती है, जिस पर कोई भी ध्यान नहीं देता । आरव तो बस अपनी थोड़ी देर पहले की हरकत पर हल्के - हल्के से शर्मा रहा था और मन ही मन मुस्कुरा भी रहा था उसका मीशा पर ध्यान ही नहीं जाता, तो वहीं कायरा थोड़ी देर पहले हुई हरकत पर खुद में ही खोई सी रहती है और बार - बार अपने मन से पूछ रही होती है के ये कैसे और क्यों हुआ और उसे इतना अलग सा क्यों फील हो रहा है । उन्हें छोड़ बाकी के बचे हुए लोग इत्तेफाक से अपनी - अपनी जोड़ी में बैठ जाते हैं और रेहान आदित्य के बगल में बैठ जाता है।

आदित्य सभी के लिए कॉफी ऑर्डर करता है । टेबल में आदित्य, रेहान और सौम्या ही बातें कर रहे होते हैं बाकी मीशा कायरा के बारे में सोच - सोच कर अपना खून जला रही होती है तो वहीं कायरा और आरव अपने में ही उलझे हुए से, खयालों में खोए रहते हैं। जहां आरव कायरा के बारे में तो कायरा अपने आप में हो रहे बदलाव को ले कर सोच रही होती है ।

तो वहीं राहुल रूही के खयालों में और रूही राहुल की आंखों के बारे में सोच रही होती है जबकि नील और शिवानी एक - दूसरे के बारे में और ऑडिटोरियम में हुई उनकी आंखों की मुलाकात के बारे में सोच रहे होते हैं। रेहान सभी को कॉफी और कायरा को चाए पीने के लिए कहता है । सभी अपने - अपने कॉफी और कायरा अपना चाए का कप ख़तम कर ऑफिस के लिए निकल जाते हैं । बाकी बचे हुए लोग लाइब्रेरी चले जाते हैं।

सभी ऑफिस के लिए थोड़े लेट हो चुके होते हैं इस लिए जल्दी - जल्दी अपनी गाड़ी भगा रहे होते हैं । ऑफिस पहुंचते ही सभी को मिस्टर तिवारी मिल जाते हैं जो थोड़ी देर पहले ही आज की फिक्स मीटिंग के लिए राइट टाइम पर ऑफिस आ चुके थे और आरव के साथ में बाकियों का भी वेट कर रहे थे। आज मिस्टर शर्मा और अरनव नहीं आए थे इस लिए उन्हें अटेंड करने वाला कोई नहीं था वहां के ऑफिस स्टाफ के सिवा ।

आरव मिस्टर तिवारी से हाथ मिलाता है और बाकी सब भी मिस्टर तिवारी का अभिवादन करते हैं बदले में मिस्टर तिवारी भी आरव से हाथ मिलाते हैं और सभी का अभिवादन स्वीकार करते हैं ।

सभी मिस्टर तिवारी से बात कर ही रहे होते हैं के ऑफिस के गेट से राजवीर अंदर आता है। उसे वहां देख कर मिस्टर तिवारी मुस्कुराते है तो वहीं कायरा हैरानी से कभी आरव को देखती है तो कभी आदित्य को देखती है । जबकि आरव कायरा को ही देख रहा होता है और मन ही मन सोच रहा होता है के उसने तो राजवीर के बारे में और उसकी कंपनी से डील के बारे में कुछ भी कायरा को बताया ही नहीं, तो वहीं आदित्य ये सोच - सोच कर परेशान होता है के अगर कायरा ने राजवीर के बारे में आदित्य से पूछा तो वह उसे क्या जवाब देगा ।

मिस्टर तिवारी ( सीना चौड़ा करते हुए कहते हैं ) - लीजिए आ गया मेरा शेर!!!! मुझे बस इसी का इंतेज़ार था , कम हीयर माय सन ।

राजवीर तीखी मुस्कान के साथ मिस्टर तिवारी के पास आता है और उनके गले लग, उन्हीं बगल में खड़ा होकर कायरा को तिरछी नज़रों से देख रहा होता है । जिसे आरव बराबर नोटिस कर रहा होता है । तभी मिस्टर तिवारी राजवीर को आरव से हाथ मिलाने का इशारा करते हैं । राजवीर आरव के पास आता है और उससे तीखी और झूठी मुस्कान के साथ हाथ मिलाता है और बोलता है ।

राजवीर - हाय आरव , कैसे हो ????

आरव ( बनावटी मुस्कान के साथ पर मन में राजवीर के लिए भरपूर गुस्सा लिए कहता है ) - फाइन , तुम बताओ , तुम कैसे हो ???

राजवीर - बहुत बढ़िया हूं , ( कायरा की तरफ खुद की नजरें गड़ाते हुए ) और यहां आकर और भी अच्छा हो गया हूं ।

आदित्य भी उसकी हरकतों को बखूबी नोटिस कर रहा था वो तुरंत राजवीर के पास आकर कायरा से उसका ध्यान हटाने की कोशिश करते हुए उससे हाथ मिलाता है और कहता है ।

आदित्य - हाय राजवीर !!!

राजवीर ( कायरा से अपनी नजरें हटा कर आदित्य की ओर देखता है और हाथ मिलाते हुए कहता है ) - हाय आदि ।

आदित्य - हाऊ आर यू !!??

राजवीर ( अपने आपको ऊपर से नीचे तक दिखाते हुए ) - अब्सोल्यूटली फाइन.... ।

तभी नील और राहुल भी उससे हाथ मिलाते हैं और यही सवाल पूछते हैं बदले में राजवीर कहता है ।

राजवीर - आई एम फाइन गाइज़ । ( आरव और कायरा की तरफ देखते हुए जो लगातार कभी एक - दूसरे को तो कभी राजवीर को देख रहे थे ,उन्हें देख कर कहता है ) बट मुझे लग रहा है के मेरे आने से कुछ लोग फाइन नहीं है।

इस बात पर सभी उसे हैरानी से देखते हैं और आरव राजवीर को खा जाने वाली नज़रों से घूर रहा होता है । तभी मिस्टर तिवारी कहते हैं ।

मिस्टर तिवारी ( हैरानी के साथ ) - मतलब क्या है तुम्हारा बेटा !!!???

राजवीर कुछ कहने को होता है के आदित्य तुरंत उससे कहता है।

आदित्य - अरे नहीं... नहीं । ( नील , राहुल , आरव और कायरा को आंखें दिखाते हुए ) सब ठीक है , सब फाइन हैं।

राजवीर बदले में जोर से ठहाका मार के हंस देता है जिससे फिर से सभी लोग हैरानी से उसे देखते हैं और आरव तो अपनी हाथों की मुट्ठी बंद कर उसे मारने के लिए हाथ उठता ही है के पीछे खड़ा राहुल उसका हाथ रोक लेता है और राहुल के बगल में खड़ा नील आरव के कंधे में हाथ रख उसके कंधे को जोर से दबा कर इशारे से अपने गुस्से को कंट्रोल करने की हिदायत देता है । तभी आदित्य राजवीर से कहता है ।

आदित्य ( राजवीर की ओर हैरानी भरी निगाहों से देखते हुए कहता है ) - राजवीर!!! मैंने कोई जोक मारा क्या ???
तुम इस तरह ......।

राजवीर ( उसकी बात को बीच में ही काटते हुए और हंसते हुए कहता है ) - नो भाई , तूने नहीं मैंने जोक मारा था , तुम लोगों से किसी के फाइन न होने वाली बात करके ।

उसके इतना कहते ही राहुल , नील और आदित्य के मन को शांति मिलती है तो कायरा अभी भी उसके वहां होने से हैरान थी और उसकी हरकतें उसका खून भी खौला रही थी । तभी राहुल कहता है ।

राहुल ( मीटिंग रूम की तरफ इशारा करते हुए ) - आइए ना , मिस्टर तिवारी , मीटिंग हॉल में चलते हैं और आगे की डिस्कशन भी वहीं करते हैं ।

मिस्टर तिवारी ( हल्की मुस्कान के साथ ) - जी जरूर ।।।

इतना कह कर वे आरव को ले मीटिंग हॉल में जाने लगते हैं, उन दोनों के पीछे - पीछे राहुल और नील भी मीटिंग हॉल में जाते हैं, तभी कायरा इशारे से आदित्य से पूछती है।

कायरा ( आदित्य से इशारे में गुस्से के साथ राजवीर की ओर इशारा करते हुए कहती है ) - ये यहां क्या कर रहा है ????

आदित्य ( इशारे में ही उससे कहता है ) - रिलेक्स , हम इस बारे में बाद में बात करेंगे ।

तभी राजवीर कायरा की ओर बढ़ता है और अपनी तीखी नज़रों के साथ उससे कहता है ।

राजवीर - आप नहीं चलेंगी , मीटिंग हॉल में???

आदित्य ( राजवीर को , कायरा की तरफ से उत्तर देते हुए कहता है ) - जायेगी ना..., जरूर जायेगी , है ना कायरा....., ( आदित्य कायरा को हां बोलने का इशारा करता है , बदले में कायरा झूठी मुस्कान के साथ सिर हिला देती है , तभी आदित्य कहता है ) कायरा !!! तुम अपने केबिन में अपना सामान रख कर मीटिंग हॉल में आओ और डिज़ाइन्स भी साथ लेते आना ( कायरा हां में सिर हिला देती है और जल्दी से अपने केबिन की ओर अपने कदम बढ़ा देती है , आदित्य बनावटी मुस्कान ओढ़े राजवीर से कहता है ) चलो , हम चलते हैं , वरना मीटिंग में लेट हो जायेगा ।

राजवीर बदले में हल्का सा मुस्कुरा देता है और जाते - जाते , जिस ओर कायरा गई थी उसी ओर नजरें गड़ाकर देखते हुए मीटिंग हॉल की तरफ जाता है और आदित्य भी उसके पीछे - पीछे मीटिंग हॉल में जाता है ।

वो दोनो अंदर पहुंचते हैं तो पाते हैं के ऑफिस के कुछ इंपोर्टेंट पर्सन्स और साथ में आरव , मिस्टर तिवारी , राहुल नील सभी मीटिंग को ले कर ही डिस्कस कर रहे थे । राजवीर अंदर आकर , मिस्टर तिवारी के बगल वाली चेयर पर उनके साथ बैठ जाता है और आदित्य भी अपनी चेयर पर जो आरव और राहुल के बीच में खाली परमानेंट पहले से रखी हुई थी, उस पर बैठ जाता है। तभी कायरा भी फाइल्स के साथ हॉल में आ जाती है और नील की बगल वाली चेयर पर बैठ जाती है । तभी मिस्टर तिवारी आरव से कहते हैं ।

मिस्टर तिवारी - आप जो कह रहे हैं मिस्टर आरव वो तो मुझे ठीक ही लग रहा है , अब अगर आप प्रेजेंटेशन दिखा देते तो और बढ़िया होता, और हम डील भी साइन कर लेते ।

आरव हां कहता है और आदित्य को इशारा करता है आदित्य राहुल को इशारा करता है, तो वो कायरा से फाइल ले कर, मिस्टर तिवारी के सामने रखता है और प्रेजेंटेशन सबके सामने देने लगता है । प्रेजेंटेशन देने के बाद वो अपनी जगह पर आ कर बैठ जाता है तो मिस्टर तिवारी आरव से कहते हैं।

मिस्टर तिवारी - इंप्रेसिव , आपके डिजाइंस और प्रेजेंटेशन बहुत ही बढ़िया है , अब आप हमारी भी प्रेजेंटेशन देख लीजिए फिर फाइनल करते हैं आगे की डील ।

आरव हां में सर हिला कर हामी भरता है, तो मिस्टर तिवारी राजवीर को प्रेजेंटेशन स्टार्ट करने के लिए कहते हैं। राजवीर लेपटॉप से प्रोजेक्टर को ज्वाइन कर रहा होता है के मिस्टर तिवारी आरव से कहते हैं ।

मिस्टर तिवारी ( राजवीर की तारीफ करते हुए ) - बहुत मेहनत की है , राजवीर ने इस प्रेजेंटेशन के लिए । रात - रात भर सोया नहीं है और आज तो कॉलेज भी नहीं गया सिर्फ यहां आने के लिए ।

आरव राजवीर को गुस्से से देख रहा होता है और राजवीर के ऐसा करने का कारण भी बखूबी समझ रहा होता है। आदित्य मिस्टर तिवारी की बात पर बनावटी मुस्कान बनाए देखता है । आरव मन ही मन राजवीर को देख रहा होता है और मिस्टर तिवारी का उसके ऊपर अंधा विश्वास देख उनके ऊपर तरस खाते हुए सोच रहा होता है ।

आरव ( मन में ) - तरस आता है , मिस्टर तिवारी आप पर , के आप अपने बेटे पर आँख बंद कर भरोसा करते हैं , ( नफरत भरी निगाह से राजवीर को घूरते हुए ) और आपका बेटा!!!!! वो तो इस शहर में आपका नाम डुबाने में कोई कसर तक नहीं छोड़े हुए है । सच ऐसे बेटे से तो अच्छा होता के आप बे - औलाद ही होते । जब इसकी करतूतें आपके सामने आयेगीं, तब आपको अपनी परवरिश पर बहुत अफसोस होगा और ऐसा बेटा पैदा करने के लिए आप - अपने आपको जाने कितनी दफा नहीं कोसेंगे ।

तभी राजवीर प्रोजेक्टर फिट होते ही मिस्टर तिवारी की तरफ देखते हुए ओके कहता है, तो मिस्टर तिवारी उसे प्रेजेंटेशन स्टार्ट करने को कहते हैं । राजवीर प्रेजेंटेशन स्टार्ट करता है । कुछ देर बाद राजवीर प्रेजेंटेशन फिनिश कर अपनी चेयर पर आकर बैठ जाता है और कायरा को तीखी निगाहों से घूरने लगता है, जबकि कायरा नील से बात कर रही होती है ।

मिस्टर तिवारी ( आरव से कहते हैं ) - तो , हमारी प्रेजेंटेशन आपको कैसी लगी ???

आरव ( बनावटी मुस्कान के साथ ) - जी बहुत अच्छी ।

मिस्टर तिवारी ( खुश होते हुए ) - तो डील साइन करें ।

आरव - जी जरूर ।

मिस्टर तिवारी और आरव डील के पेपर्स पर साइन कर देते हैं और फिर मिस्टर तिवारी आरव से हाथ मिलाते हुए कहते हैं ।

मिस्टर तिवारी - बधाई तो मिस्टर आरव , अब से हम एक - दूसरे की कंपनी में 15 - 15 % के बराबर के हकदार है ।

बदले में आरव हल्की मुस्कान के साथ मिस्टर तिवारी से हाथ मिलाता है और साथ में बधाई भी देता है । तभी मिस्टर तिवारी डिजाइंस वाली फाइल की ओर इशारा करते हुए पूछते हैं ।

मिस्टर तिवारी - वैसे ये डिजाइंस किसने बनाई हैं ????

आदित्य ( मुस्कुराते हुए उनसे कहता है ) - ये डिजाइंस हमारी न्यू डिजाइनर , मिस कायरा गर्ग ने बनाई है ।

मिस्टर तिवारी ( कायरा से ) - वेरी इंप्रेसिव , आपने बहुत अच्छे डिजाइंस ड्रॉ किए है कायरा बेटा । ( बदले में कायरा मुस्कुरा देती है और थैंक्यू बोलती है । राजवीर तीखी निगाहों के साथ कायरा को लगातार देख रहा होता है और आरव मिस्टर तिवारी के तारीफ करने के बाद कायरा को देखता है और कायरा भी आरव को ही देख रही होती है ,तभी मिस्टर तिवारी आरव से कहते हैं ) आपको तो अपनी कंपनी के लिए हीरा मिल गया , डिजाइनर के तौर पर , इनके डिजाइंस के बदौलत आप बहुत तरक्की करने वाले हैं ।

बदले में आरव बस मुस्कुरा देता है । तभी मिस्टर तिवारी कहते हैं ।

मिस्टर तिवारी - अच्छा मिस्टर आरव , अब हम चलते हैं , वरना हमें , बाकी के कामों के लिए लेट हो जायेगा ।

आरव - श्योर , मिस्टर तिवारी ।।।।

मिस्टर तिवारी - चलो राजवीर ।

राजवीर ( कायरा को ही देखते हुए कहता है ) - आप चलिए डैड , मुझे कुछ काम है , मैं काम ख़तम कर आता हूं ।

मिस्टर तिवारी उसकी बात सुन कर मीटिंग हॉल से बाहर चले जाते हैं । बाकी के लोग भी मीटिंग हॉल से बाहर आ जाते है । राहुल और नील फाइल्स ले कर मीटिंग हॉल से बाहर चले जाते हैं । आरव और आदित्य भी मीटिंग हॉल से बाहर की ओर जाने लगते हैं ।

कायरा अपनी फाइल्स समेट कर जाने को मुड़ती है के तभी राजवीर कायरा के पास आकर तीखी नज़रों के साथ पीछे से उसका हाथ पकड़ लेता है और घटिया मुस्कान लिए उसके एक - दम करीब आकर उससे कहता है । आरव और आदित्य के पैर राजवीर की आवाज़ सुन थम जाते हैं और दोनों ही दरवाज़े के पास खड़े होकर उसको गुस्से से देखते हैं और उसकी बातें सुनने लगते हैं।

राजवीर ( तीखी नज़रों और होठों पर तीखी मुस्कान लिए पर कायरा के सामने अच्छा बनने का ढोंग रचते हुए उससे कहता है ) - वेरी नाइस , मैंने देखे तुम्हारे डिजाइंस , काबिले तारीफ है , ( कायरा को हविशी नजर से देखते हुए ) कोई भी देखे तो बस देखता ही रह जाए , इतने सुन्दर डिजाइंस है तुम्हारे । ( नॉर्मल बनते हुए ) वैसे कायरा कल डांस के बाद तो तुम मुझसे मिली ही नहीं , मैं तो आज कॉलेज भी गया था तुमसे मिलने , इसी लिए आने में लेट भी हो गया , पर तब तक शायद तुम यहां के लिए निकल चुकी थी । ( कायरा के थोड़ा और करीब आकर उसके हाथ को अपनी उंगली से ऊपर कंधे से उसकी उंगली तक धीरे - धीरे सरकाते हुए कहता है ) वैसे कायरा , तुम यहां कहां काम कर रही हो, तुम्हारी सैलरी तो ज्यादा खास होगी नहीं । तो तुम हमारे यहां क्यों नहीं आ जाती ? वैसे सच कहूं तो इतनी अच्छी डिजाइनर की यहां तो कोई वैल्यू ही नहीं दिखी मुझे । ( कायरा की आंखों में झांकते हुए ) वैसे मेरी ना बड़ी पारखी नजर है , मैं ना एक नज़र में ही हीरे को तलाश लेता हूं और मेरे डैड ने भी कहा के तुम हीरा हो , तो फिर तुम यहां, इस दो कौड़ी के ऑफिस में क्या कर रही हो ?? तुम्हें तो हमारे यहां होना चाहिए , असली जोहरी के पास, जो तुम जैसे....…... , ( अपनी जबान संभालते हुए ) मतलब कि तुम जैसी इंटेलिजेंट हीरे की पहचान रखता हो । चलो इसी बात पर मैं तुम्हें अपने ऑफिस में डिजाइनर की ही पोस्ट पर रहने के लिए जॉब ऑफर करता हूं , और हां सैलरी भी यहां से तीन गुनी एक्स्ट्रा दूंगा । और हां यहां से भी अच्छा केबिन और फैसिलिटी रहेगी तुम्हारे लिए , आखिर तुम मेरी दोस्त हो , दोस्त के लिए इतना तो कर ही सकता हूं ना...।

कायरा अपनी आंखें लाल कर गुस्से से भरी हुई राजवीर को देखती है । जब राजवीर की नजर उसके गुस्से से तमतमाये हुए चेहरे पर जाती है तो वो अगले ही पल कायरा का हाथ छोड़ देता है और थोड़ी दूरी बना कर खड़ा हो जाता है, तो वहीं आरव और आदित्य गुस्से से राजवीर को देख रहे होते हैं । कायरा पहले तो थोड़ी देर तक राजवीर को घूरती है और फिर अगले ही पल राजवीर के एकदम करीब आकर खड़ी हो जाती है........।

क्रमशः