माँ बुआ आ गईं !
अरे आज तो बिटिया बहुत सयानी लग रही है ।
हाँ दीदी बिटिया को सयानी होते हुए समय थोड़े ही लगता है !
अरे ! आराधना तुम तो बात-बात पर सीरियस हो जाती हो बस तुम्हारी यही बात अच्छी नहीं लगती । देखो तुम्हारे नंदोई जी तुम्हारी कितनी तारीफ करते हैं !! हम सब को भी तुमसे ही तो जीने की प्रेरणा मिलती है,अब तुम ही बात-बात पर इस तरह सीरियस होगी तो हमारा क्या होगा ? देखो तुमने कितने अच्छे से अभी तक सब कुछ संभाला है और अब तो तुम्हारी जिम्मेदारियों के पूरा होने का समय आ गया है, अब क्यों परेशान होती हो ? वैसे लड़का करता क्या है ?
"लड़का नेवी में है और अभी गोवा में पोस्टिंग है , उसकी", आराधना नें अपने आँखों के कोरों पर ठहरी हुई नमी को पोंछते हुए जवाब दिया !
बाकी खानदान वगैरह तो पता कर लिया है ना ! क्या करते हैं ? कहाँ से हैं और लड़के के पिताजी क्या करते हैं ?
दीदी अनुज भैया ने बताया है तो अच्छा ही खानदान होगा और लड़के के पिताजी भी आर्मी से ही रिटायर हैं !
अरे , वाह ! सचमुच बहुत अच्छा खानदान है लेकिन आराधना , इससे पहले की अदिति कुछ और बोल पाती आराधना बोल पड़ी...
हाँ दीदी मैं आपकी बात समझ रही हूँ कि आप क्या कहना चाहती हैं ? आप यही कहना चाहती हैं न कि आपके भाई से मैं हमेशा कहती रहती थी कि अगर मेरे बेटी हुई तो मैं उसकी शादी कभी भूल से भी किसी नेवी वाले से नहीं करूँगी ! ! आपको क्या लगता है दीदी कि मैं वो सबकुछ भूल गयी हूँ ?भला मैं कैसे भूल सकती हूँ वो वक्त जो मैंने आपके भईया के साथ.... कहते कहते आज एक बार फिर आराधना अपनें अतीत की परछाइयों में खो गयी ! !
जैसे कल ही की बात हो ! आराधना इस घर में कितने अरमानों से ब्याह कर लायी गयी थी और उतनी ही ख्वाहिशों के साथ उसनें समय का हाथ थामा था और समय ने भी आराधना के प्रति अपने प्यार में कभी कोई कमी नहीं होने दी । आराधना की शादी समय से बहुत ही कम उम्र में हो गयी थी ! दरअसल आराधना के दादाजी की अंतिम इच्छा स्वरूप आराधना का विवाह किया गया था और आराधना की शादी के बस एक महीने बाद ही वो इस दुनिया को अलविदा कह गये !
आराधना और समय की उम्र का फासला भी बहुत कम था , जहां आराधना बाईस वर्ष की थी तो वहीं समय सिर्फ साढ़े तेइस वर्ष का ! आराधना और समय एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे , लगता ही नहीं था कि उनकी अरेंज मैरिज है । देखने वालों को ये लव मैरिज ही लगती थी !
शादी के पाँच महीने बाद ही समय आराधना को अपने साथ विशाखापट्टनम ले गया जहाँ पर समय की नयी-नयी पोस्टिंग आयी थी । कितनी खुश थी आराधना समय के साथ नयी- जिंदगी,नया-सफ़र और नया शहर साझा करके ! !
तुम खुश हो न आराधना ? सब ठीक है न ?
अरे आप ऐंसा क्यों पूछ रहे हैं मुझसे ?
ये घर थोड़ा छोटा है न ! पता नहीं तुम्हें कैसा लग रहा होगा और वॉशरूम भी यहाँ रूम के बाहर है और तुम इतने बड़े घर में रहने..... इसके आगे समय कुछ कह पाता उससे पहले ही आराधना नें उसके बोलते हुए होठों को अपनी नाज़ुक अँगुलियों से चुप करा दिया ! अपने होठों पर सहसा महसूस हुए आराधना की अँगुलियों के स्पर्श से समय के सारे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी ! ! एक-दूसरे को आलिंगन में भरकर कब वो दोनों निढाल हुए इसका पता तो शाम के सात बजे होश आने पर चला वो भी जब समय के बैची राजेश की कॉल आयी । दरअसल समय यहाँ विशाखापट्टनम में राजेश की जगह ही आया था क्योंकि राजेश का ट्रांसफर अब दिल्ली हेडक्वॉर्टर में आ चुका था !
समय और आराधना की नई शादीशुदा जिंदगी को मानो अब पंख लग गए थे ! वो दोनों नवयुगल पूरी दुनिया जहान भुलाकर बस एक दूसरे में खोये थे । समय के परिवार वालों से लगभग रोज ही समय और आराधना की फोन पर बात होती थी और अपने ससुराल पक्ष के बाकी रिश्तों को भी आराधना ने बाखूबी संभाल रखा था , चाहे फिर वो समय की बुआ हों या उसकी मौसी ! !
आराधना का रो-रोकर बुरा हाल था जबसे उसे समय के शिप पर सेलिंग जाने की बात पता चली थी । कितना समझाया समय ने उसे मगर वो तो बस लगातार रोती ही जा रही थी ।
मुझे कुछ नहीं पता मैं बस आपके बिना नहीं रह सकती ।
जान तुम कैसी बच्चों जैसी बात करती हो , अरे ! मेरा तो जॉब ही यही है । यही मेरा सर्विस पैटर्न है डियर ! !
मुझे नहीं पता आपका सर्विस पैटर्न और अगर मुझे पता होता तो मैं आपसे कभी भी शादी नहीं करती !
क्या बकवास कर रही हो आराधना ? क्या तुम्हें नहीं पता था कि मैं नेवी में हूँ ?
हाँ पता था लेकिन ये नहीं पता था कि आप सेलिंग जाते हो ! !
यार तो ये तो पूरी दुनिया जानती है कि नेवी का मतलब शिप पर जाना....समय ने चीखकर कहा !
वो तो मर्चेंट नेवी में होता है...आराधना भी चीख उठी और फिर अगले ही पल बच्चों की तरह फफक-फफककर रो पड़ी!
इस बार समय को उसके भोलेपन पर हंसी आ गयी !
मैं रो रही हूँ और आप हंस रहे हैं ! ! बस यही है प्यार ? मेरी रोमा दीदी नें तो पहले ही कहा था कि ये प्यार-व्यार कुछ नहीं , सब नया-नया बुखार होता है जहां काम निकला प्यार खत्म ! !
"अच्छा जी ! !", समय ने शरारत भरे अंदाज़ में आराधना की आँखों में झाँकते हुए कहा ! तो बताइये ज़रा कि मेरा कौन सा काम निकलवा दिया आपनें और आपका कौन सा काम अभी बाकी रह गया ? ?
जैसे ही आराधना नें दो पल ठहरकर समय के चेहरे को देखा तो इस बात पर आराधना की भी हंसी छूट गयी ! !
आज समय सुबह-सुबह पाँच बजे ही शिप के लिए निकल गया और आराधना अपने मायूस चेहरे और आँसुओं की बरसात के साथ अकेली रह गयी ! ! आराधना का रोना और उसकी मायूसी बेवजह भी तो नहीं थी । एक तो समय के बिना रहना और पूरे घर में अकेले रहना ! अंजान शहर, अंजान लोग और ऊपर से वहाँ की बोली भाषा भी अलग ! !
दिन तो जैसे-तैसे गुजर गया मगर जैसे-जैसे रात होने को थी वैसे-वैसे आराधना की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी और फिर दिन में तो समय नें शिप निकलने से पहले उससे फोन पर बात भी कर ली थी मगर अब अगले पन्द्रह से बीस दिन तक तो उन दोनों की फोन पर भी बात नहीं होने वाली थी ।
आराधना को कॉकरोच से बहुत डर लगता था और बदकिस्मती से इस घर में कॉकरोच का भंडार था । शायद घर के चारों तरफ खुली नालियाँ इसकी वजह थी ! आराधना की पूरी रात करवटें लेते हुए बीती ! एक तो उसे अकेले सोने की आदत नहीं थी और ऊपर से एक अंजाना खौफ ! ! सुबह चार बजे के बाद आराधना की आँख लगी !
आआआआआ....जैसे ही आराधना नें वॉशरूम का दरवाजा खोला वैसे ही चार-पाँच कॉकरोच उड़ते हुए उसपर आ गिरे ! !उफ़्फ़...लगभग दो घंटे तक लगातार रोती रही आराधना ! !
आज समय को गये हुए पूरा एक हफ़्ता हो चुका था । इन दिनों मेंं आराधना नें अकेले जीना और हर तरह के मुश्किल हालातों से लड़ना सीख लिया था , चाहे फिर वो हाथ में हिट लेकर अकेले कॉकरोच मारना हो या ऊपर पहाड़ीनुमा रास्ते से नीचे उतरकर दो किलोमीटर दूर चलकर घर के लिए साग- सब्जी , दूध आदि लाना हो ! इन सबमें एक बात और थी कि आराधना नें न तो अपने मायके और न हीं अपने ससुराल में ही समय के शिप पर जाने की बात किसी को बतायी थी , इस बाबत आराधना का तर्क था कि उसके अकेले रहने पर घरवाले बेकार ही परेशान होंगे ! !
आज सुबह से ही चहक रही थी आराधना... तेरे आने की जब खबर महके , तेरी खुशबू से सारा घर महके.... इस खूबसूरत गज़ल को होठों पर सजाकर वो अपने साथ-साथ पूरे घर का श्रंगार करने में लगी हुई थी ! आज उसनें समय की पसंद की लगभग पाँच से सात डिशेज़ बनायी थीं और पूरे घर को फूलों से सजाया था । अपने बेड पर रेशमी चादर और खुद भी रेशम की हल्की आसमानी रंग की साड़ी पहनी थी जो कि उसके समय का फेवरेट कलर था ! !
समय आ गया और फिर उन दोनों प्रेमी पंछियों के जुदाई के बाद मिलन की शाम , रात , सुबह , दोपहर और फिर अगली शाम... शायद ही उन दोनों के जीवन में ऐंसे यादगार और शानदार पल बीते हों कभी ! !
एक छोटे से मगर बेहद तड़पनभरे बिछोड़े के बाद एक बार फिर से उन दोनों की खूबसूरत जिंदगी की खूबसूरती दोगुने जोश के साथ वापिस लौट आयी ! अक्सर बाहर घूमने जाना और हर वीकेंड पर आर के बीच जाना , नेवी के थिएटर में मूवी देखना तो उनका रूटीन ही बन गया था । इन सबके बीच वो दोनों अपने घर होली , दीपावली और रक्षाबंधन जैसे त्यौहारों पर भी शामिल होते रहते थे ! अलीगढ़ में उन दोनों का घर आसपास होने की वजह से वो आसानी से एक बार के ट्रिप में दोनों जगह मिल आते थे । हालांकि आराधना की ससुराल उसके घर के नजदीक होने के कारण वो अपने मायके में कभी एक रात भी नहीं रुक पाती थी लेकिन उसे इस बात से कभी भी कोई शिकायत नहीं हुई बस वो अपने मम्मी पापा से मिलकर और दो चार घंटे उनके पास बिताकर ही खुश थी क्योंकि वैसे भी आराधना को अपने मायके से ज्यादा ससुराल में रहना पसंद था और इसका एक ये भी कारण था कि आराधना के मन में हमेशा ये ख्याल रहता था कि वो चाहते हुए भी ससुराल में न रह पाने की वजह से अपने सास-ससुर की सेवा नहीं कर पा रही थी इसलिए वो मौका मिलनें पर अधिक से अधिक समय अपने ससुराल में ही बिताना चाहती थी ।
सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था और अब तो इन बीते तीन सालों में आराधना को समय के सेलिंग जाने पर अकेले रहने की आदत भी पड़ गयी थी मगर आज भी वो समय को छेड़ने के लिए यही कहती थी कि अगर उसके बेटी हुई तो वो उसकी शादी कभी भी किसी नेवी वाले से नहीं करेगी ।
इन हंसते-खेलते पलों में एक गम भी था जो उन दोनों के दिलों में पल-पल, हर एक पल , पल रहा था और वक्त बीतने के साथ ही साथ उन दोनों का ये गम कहीं हद तक एक डर में भी बदलता जा रहा था कि कहीं ये गम उनके उम्रभर का दर्द ही न बन जाये !
शादी के तीन साल बीत जाने पर भी आराधना की गोद सूनी थी । हालांकि इस बात पर समय ने आराधना से कभी सामने से तो कोई चर्चा नहीं की थी लेकिन उसकी बातों में अक्सर इसको लेकर आराधना ने एक सूनापन या खालीपन जरूर महसूस किया था और अब तो आराधना के ससुराल वाले भी इस बात को लेकर आराधना से कई तरह के सवाल पूछने लग गए थे ! एक दिन आराधना ने समय से इस विषय पर बात की !
मैं सोच रही थी कि हमें एक बार डॉक्टर से मिल लेना चाहिए !
डॉक्टर से ? ?
"हाँ वो सरिता भाभी भी कह रही थीं कि शादी के तीन साल तक कन्सीव न होने पर उन्हें भी ट्रीटमैंट करवाना पड़ा था तब जाकर उनका गोलू", .....ये कहते-कहते आराधना का गला भर आया ! !
अरे तुम इतना परेशान क्यों होती हो और फिर हम दोनों की अभी उम्र ही क्या है ? माना कि कुछ फैमिली कंडीशन्स की वजह से हम दोनों की शादी जल्दी हो गयी मगर अब बच्चे के लिए इतना परेशान क्यों हो रही हो और सरिता भाभी की तो शादी ही बड़ी देर से हुई थी तो उनकी और हमारी क्या बराबरी ?
"आप तो इस तरह कह रहे हैं कि जैसे आपको कोई फर्क ही नहीं पड़ता जबकि इस बात को लेकर मुझसे ज्यादा मायूसी मैंने आपमें महसूस की है समय" , कहते-कहते आराधना रोनें लगी और समय ने नम आँखों से उसे अपने सीने से लगा लिया ! !
इस वक्त दोनों एक-दूसरे का दर्द महसूस कर रहे थे मगर उन दोनों में से कोई भी दूसरे को अपने दर्द का एहसास नहीं कराना चाहता था लेकिन मोहब्बत की सच्चाई तो दो जिस्म और एक जान है फिर भला एक ही जान होने पर एक दूजे के दर्द जुदा कैसे हो सकते हैं ? ?
अगले दिन वो दोनों डॉक्टर के क्लीनिक में थे !
देखिए मुझे लगता तो नहीं कि आपकी वाइफ़ को कंसीव करने में कोई टैक्निकल इशू है मगर फिर भी मैंने कुछ टैस्ट लिख दिये हैं जिनके बाद मैं आपको और भी क्लियरटी दे पाऊंगी ! !
सारी रिपोर्ट्स भी नॉर्मल हैं मम्मी !
"हाँ तो बेटा तू इतनी चिंता क्यों करती है ? कई बार सबकुछ नॉर्मल होने पर भी कंसीव होने में थोड़ा टाइम लग जाता है" , आराधना की माँ ने उसे फोन पर समझाते हुए कहा !
अच्छा माँ मैं अब फोन रखती हूँ आज वो जल्दी आयेंगे क्योंकि हमें शाम को आज नेवी मेला देखने जाना है !
ओके बेटा , बाय...अपना ख्याल रखना !
यार मेरा ट्रांसफर आ गया !
कहाँ ? आराधना नें बड़ी ही उत्सुकता से पूछा ! !
समय ने अजीब सा मुंह बना लिया और बिल्कुल चुप हो गया ।
"बताइए न ऐंसे क्यों कर रहे हैं ? ?", आराधना ने घबराते हुए पूछा ।
दिल्लीलीली....समय ने जोरदार आवाज से अपनी चुप्पी तोड़ी !
क्या..सच ? ? दिल्ली , खुशी से झूम उठी आराधना और मौके का फायदा उठाकर समय ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा । समय के चुंबनों से मदहोश हुई आराधना ने अपनी तेज हुई गर्म साँसों से लबरेज़ होठों को समय के होठों पर रख दिया ! ! दस मिनट तक लगातार वो दोनों प्रेम के पंछी एक दूसरे के होठों को एक जादुई और बेहद खूबसूरत एहसास से भरते रहे और फिर बिस्तर पर सिलवटों का दौर पूरी रात चलता रहा ! !
अब जान बस तुम्हारा ये बर्थडे , विशाखापट्टनम में आखिरी बर्थडे होगा !
क्यों ?
अरे ! फिर मार्च में निकलना है न हमें यहाँ से ,भूल गयी क्या ??
कैसे भूल सकती हूँ ? इतने दिन सबसे दूर रही और अब ...आप सोच भी नहीं सकते कि मैं कितनी खुश हूँ ? आय लव यू जान !
लव यू टू डियर , कहते हुए समय ने स्नेह से आराधना का माथा चूम लिया ! समय भी समझ रहा था आराधना की उदासी क्योंकि वो भी इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझता था कि आराधना भले ही कुछ कहती नहीं है मगर यहाँ पराये शहर में सबसे अलग थलग रहना और खासकर समय के शिप पर चले जाने के बाद अकेले घर में रहना कितना कष्टदायक है आराधना के लिए ! एक तो कोई बच्चा भी तो नहीं है जिसके साथ वो खेल सके , खुश हो सके ! !
बस जान तुमनें जो समय काटा बस काट लिया समझो ! अब दिल्ली में तो वैसे भी हम अपने घरवालों के नजदीक हो जायेंगे और फिर तुम्हारे कई रिलेटिव्स भी हैं वहाँ पर मगर यार पता है अब तुम्हें वैसे भी वहाँ इस तरह अलग-थलग नहीं रहना पड़ेगा !
मतलब ? आराधना ने उत्सुकता से पूछा !
मतलब ये है कि अगर मेरी पोस्टिंग दिल्ली न आकर और भी कहीं आती तो भी तुम्हें अब कोई दिक्कत नहीं होती । एक्चुअली मेरी सीनियरिटी का इशू था इसलिए हम लोगों को यहाँ नेवी का क्वार्टर नहीं मिल पाया वरना वहाँ तो तुम्हें कभी अकेलापन महसूस ही नहीं होता ! पता है अंदर क्वार्टर्स में हम सारे लोग एक फैमिली की तरह ही रहते हैं । सब एक-दूसरे की मदद को हमेशा तैयार रहते हैं और हम लोगों के शिप ड्यूटी जाने पर भी हमारी फैमिलीज़ को कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि ऑफिस से भी एक बंदा डिटेल होता है फैमिली के लुकआफ्टर के लिए और बाकी आपस में भी सब सैटलमेंट कर लेते हैं कि भाई तू देख लेना जरा घर पर कुछ जरूरत हो तो क्योंकि ये तो सबके साथ है न ? फिर जब दूसरा जाता है तो हम देख लेते हैं उसकी फैमिली को और वहाँ तुम्हारी सहेलियाँ भी खूब बन जातीं ! डियर , तुम...मैं क्या कहूँ तुमसे ? जबकि मैं जानता हूँ कि तुम खुद ही बहुत समझदार और एक नेकदिल इंसान हो ! जान ऐंसा नहीं है कि मैंने ये नौकरी किसी दबाव या मजबूरी में जॉइन की है बल्कि मेरी बचपन से ही अपने देश की सेवा करने की ख्वाहिश थी और इसलिए मैंने इसे चुना ! बचपन में कई फौजियों की , देशभक्तों की अमर गाथाएँ सुनीं जिनका बहुत ही गहरा असर हुआ मुझपर ! ! मैं जब भी टीवी में पन्द्रह अगस्त या छब्बीस जनवरी की परेड देखता था या किसी फौजी की अपने देश की रक्षा में हुई शहादत देखता था तो गर्व होता था मुझे अपने देश और अपने देश की शानदार सेना पर तब मैं मन ही मन ये तय करता था कि मुझे भी इनका एक हिस्सा बनना है ! मुझे भी अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करना है , कुछ तो करना है ,कहते-कहते गर्व से भर गया समय और उस वक्त उसकी आँखों में जो चमक थी उसे देखकर आराधना भी एक अजीब सी खुशी और गर्व महसूस करने लगी ! !
आपको क्या लगता है कि मैं ये सब नहीं जानती या फिर मैं अपने देश से प्रेम नहीं करती ? ? करती हूँ समय मैं भी एक देशभक्त ही हूँ मुझे भी गर्व महसूस होता है आपके साथ इस सबका हिस्सा बनकर मगर क्या करूँ मैं एक देशभक्त के साथ ही साथ एक पत्नी भी हूँ तो बस डरती भी हूँ मैं आपके लिए , कहते-कहते आराधना की आँखें छलछला उठीं ! जब आप सेलिंग जाते हैं तो बस ईश्वर से आपके सही सलामत लौटने की दुआ किया करती हूँ !
आपको पता है जब भी किसी सेलिंग पर गए हुए शिप के साथ या उसके सेलर्स के साथ कुछ दुर्घटना होती है तो मुझे.... मुझे बस आपका ही ख्याल आता है ! ! आय लव माय इंण्डिया समय बट... बट आय लव यू ऑलसो ... कहते-कहते फूटफूटकर रो पड़ी आराधना और समय उसे चुप कराते हुए अपनें आँसुओं को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा !
हैप्पी बर्थडे जान ,माथे पर एक स्नेहिल चुंबन अंकित करते हुए समय ने कहा !
लव यू एंड थैंक्यू जान !
पूरे दिन आराधना दौड़-दौड़कर घर सजाती रही और समय के लिए उसकी पसंद का खाना बनाती रही , यहाँ तक कि आज अपने बर्थडे का केक भी आराधना ने खुद ही बनाया था क्योंकि समय को बाजार का केक बिल्कुल भी पसंद नहीं था ! वैसे तो आराधना को हमेशा ही अपने बर्थडे का बहुत ज्यादा क्रेज़ रहता है मगर इस बार तो शायद बात कुछ और ही थी ! दोपहर को जबसे आराधना बाजार से केक बनाने का सामान लेकर लौटी थी तबसे तो उसके कदम जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे और शायद इसीलिए उसनें समय को लगभग चार या पाँच बार फोन भी कर लिया था मगर हर बार वो बस हल्की-फुल्की बात करके ही फोन रख भी देती थी ! उसनें एक बार भी समय को अपनी इस अपार खुशी का कारण नहीं बताया था !
घड़ी रोज़ की तरह ही शाम के चार बजा रही थी मगर समय अभी तक नहीं आया था हालांकि वैसे तो समय के आने का कोई निश्चित वक्त तय नहीं था क्योंकि वो तो हमेशा ही शाम को घर आते-आते लेट हो जाता था मगर आज सुबह वो आराधना को जल्दी आने के लिए कहकर गया था !
आराधना ने थोड़े गुस्से और मायूसी के साथ समय को एक बार फिर से फोन मिलाया ! एक बार तो समय ने फोन पिक ही नहीं किया तो आराधना को लगा कि शायद वो रास्ते में होगा इसलिए बाइक पर वो फोन रिसीव नहीं कर रहा है !
तभी आराधना के मोबाईल पर समय का खुद ही कॉल आ गया !
हैलो ! जान सॉरी आज थोड़ा लेट होगा !
कोई बात नहीं मगर कम से कम आप मुझे कॉल करके बता तो देते , आराधना ने झल्लाते हुए कहा !
सॉरी ! मैं वो थोड़ा फंसा हुआ था साहब के साथ !
आप तो बस साहब के साथ ही फंसना !
आराधना का इतना कहना था कि दोनों लोग ठहाके मारकर हंस पड़े !
बस ऐंसे ही हंसती रहा करो डियर , अच्छा लगताहै ! लव यू ...
लव यू टू ! अच्छा सुनो !
हाँ बोलो... बोलो न ! ! जल्दी बोलो फिर मैं निकलता हूँ बस यहाँ से !
वो मुझे आपको कुछ बताना था मगर ऐंसे नहीं ! !
फिर कैसे ? ? समय ने शरारतभरे अंदाज़ में पूछा ! !
ओह्हो ! ! आपको तो बस हमेशा एक ही बात सूझती है ! !
एक बार फिर से दोनों हंस पड़े ! !
अच्छा सुनो मेरे पास तुम्हारे लिए एक डील है !
कैसी डील ? ?
अरे मेरी प्यारी पत्नी जी , डील ये है कि आप अगर मुझे अपनी वाली बात बतायेंगी तो मैं आपको अपनी वाली बताऊँगा और मेरा आपसे वादा है कि आप मेरी बात सुनकर खुशी से उछल पड़ेंगी !
अच्छा जी ! !
हाँ जी ! !
तो आप भी सुन लीजिए साहब जी कि मेरी वाली बात भी ऐंसी है कि आप खुशी से गिर गिर पड़ेंगे ! !
अच्छा ! !
हम्म ! !
चलो फिर देखते हैं ! !
देख लीजिएगा जनाब पहले घर तो आइए तब तो देख पायेंगे न !
हाँ बस मैं निकलता हूँ,पाँच मिनट में !
बधाई हो चीफ साहब... पीछे से समय के एक साथी नें उसे पुकारा और तभी समय ने आराधना की कॉल को खट् से डिसकनेक्ट कर दिया क्योंकि उसे लगा कि कहीं आराधना उसके प्रमोशन की खबर ऐंसे किसी और के द्वारा न सुन ले क्योंकि वो ये खुशखबरी खुद आराधना को सुनाना चाहता था !
इधर आराधना का भी यही हाल था कि वो अपनें शादीशुदा जीवन की सबसे बड़ी खुशखबरी समय को अपने सामनें बिठाकर ही सुनाना चाहती थी !
दरवाज़े की बैल बजनें पर आराधना ने दौड़कर दरवाजा खोला और सामने नेवी के चार-पाँच बन्दों को अपने सामने खड़े देखकर वो सोचने लगी कि समय भी न उफ्फ़ ! .....
अगर इन्हें मेरे बर्थडे पर अपने दोस्तों को बुलाना ही था तो कम से कम मुझे एक बार बता तो देते ! आराधना उन लोगों से कुछ कह पाती उसके पहले ही उन लोगों नें उसे अपने साथ चलने के लिए कहा और आराधना के पूछने पर बस इतना ही कहा कि सर ने बुलाया है ! आराधना को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । फिर उसे लगा कि ये शायद उसके समय का कोई सरप्राइज़ है उसके बर्थडे के लिए और ये सोचकर वो नेवी की जीप में बैठकर सारे रास्ते मुस्कुराती रही और न जानें क्या-क्या सोचती रही जैसे कि अच्छा हुआ कि वो पूरी तरह से सजधजकर तैयार थी वरना उसे ऐंसे ही समय के बुलाने पर आना पड़ता... ये भी न ! ! आज तो मैंने करवाचौथ पर उनकी दी हुई लाल साड़ी पहनी है , देखना कैसे टुकुर-टुकुर देखेंगे और मेरी बात सुनकर तो शायद सबके सामने मुझे अपनी गोद में ही उठा लेंगे ! ! जनाब को बड़ा शौक है न मुझे गोद में उठाने का.... गाड़ी के ब्रेक लगने पर आराधना की तन्द्रा टूटी ! !
सामनें कल्यानी हॉस्पिटल (नेवी का अस्पताल) देखकर आराधना का दिल किसी अनहोनी के डर से काँप उठा मगर फिर भी उसनें खुद को शांत रखते हुए बड़ी ही हिम्मत के साथ जीप से नीचे अपना पाँव रखा और बिना कुछ बोले चुपचाप वो उन लोगों के पीछे चल दी ! अंदर समय के कुछ दोस्त भी मौजूद थे !
नमस्ते भाभीजी ! !
भईया.... समय ? ? ?
वो शाम को ... वो .... शिप में अचानक ... कहते-कहते समय का दोस्त हकलाने सा लगा ... भाभीजी वो ... समय ...
हाँ , हाँ भाई साहब बताइए न क्या हुआ शिप पर अचानक और समय कहाँ हैं ? ? ? बताइए न प्लीज़... चीख पड़ी आराधना ! !
तभी वहाँ नेवी के दो ऑफिसर्स भी आ गए और उनमें से एक की वाइफ भी उसके साथ थी !
देखते ही देखते आराधना का सारा श्रंगार धुल गया और वो हंसती खेलती , सजी संवरी स्त्री से अचानक ही एक रोती- बिलखती औरत में तब्दील हो गयी ! !
शिप में हुई दुर्घटना से समय का चेहरा इतना बिगड़ गया था कि आराधना को आखिरी बार उसे देखना भी नसीब न हुआ ! ! बाद में लोगों को कहते सुना गया कि शिप के नीचे दबने की वजह से उसका पूरा चेहरा और उसका सिर एक हो गया था मतलब कि बहुत ही दर्दनाक हादसा हुआ था उस दिन समय के साथ ! !
"आराधना , मेरे भाई को तो इस दुनिया से जाने से पहले ये भी मालूम नहीं हो पाया कि वो तुम्हारे पेट में अपने प्यार की निशानी", कहते-कहते अदिति रो पड़ी और अदिति के रोने की आवाज़ से ही अपने अतीत में डूबी आराधना वर्तमान में वापिस लौटी ! !
अरे दीदी ! ! अभी थोड़ी देर पहले आप मुझे समझा रही थीं और अब खुद ही...
आराधना तुम सचमुच बहुत हिम्मती हो ! तुम्हारी जगह अगर मैं होती तो शायद टूट ही जाती ! !
ये आप क्या कह रही हैं दीदी ? आखिर इनके बाद आपनें ही तो मुझे सबसे ज्यादा समझाया और सम्भाला है और फिर जहाँ तक रही टूटने की बात तो दीदी अपने देश पर न्यौछावर होने की जितनी हिम्मत एक फौजी में होती है उतनी ही हिम्मत वो अपने परिवार को भी देकर जाता है ! आपको पता है दीदी देशभक्ति के सही मायने भी मुझे मेरे समय ने ही समझाये हैं , एक लम्बी साँस भरते हुए आराधना ने कहा !
मगर अब तुम अलका की शादी भी एक फौजी से क्यों करना चाहती हो ? अरे लड़कों की क्या कमी है आराधना ? मैं खुद उसके लिए एक से एक इंजीनियर , डॉक्टर के रिश्ते लेकर आऊंगी ! बोलो न आखिर तुम ऐंसा क्यों कर रही हो ? ?
दीदी मैं आपकी चिंता समझ सकती हूँ मगर आप खुद सोचिए कि अगर आज समय होते तो क्या वो इस रिश्ते को पसंद नहीं करते , बताइए न दीदी ! !
और फिर जिंदगी या मौत तो उस ऊपर वाले के हाथ में ही है न ? समय भी किसी युद्ध में तो शहीद नहीं हुए न ! वो तो बस एक दुर्घटना थी । हाँ ये एक अलग बात है कि फौज की नौकरी में तो हर दिन एक युद्ध है ! कुछ भी निश्चित नहीं होता वहाँ और हर तरह की विषम से विषम परिस्थिति में भी एक सच्चे देशभक्त की तरह ड्यूटी पर डटे रहना होता है लेकिन ये बात भी हर कोई नहीं समझता मगर हम सब तो समझते हैं न और इसीलिए हम अपने देश की सेना की चाहे फिर वो नेवी हो , आर्मी हो या फिर एयरफोर्स हो सबकी पूरे दिल से , पूरी शिद्दत से इज्ज़त करते हैं ! बाकी आप जो इस रिश्ते की बात कर रही हैं तो दीदी समय हमेशा से ही इस देश की सेवा करना चाहते थे और हमेशा इसका एक हिस्सा बनकर रहना चाहते थे और फिर अलका भी तो उन्हीं का हिस्सा है न फिर वो इस भावना से अलग कैसे रह सकती है ! !
अलका ने खुद इस रिश्ते को अपनी सहमति दी है ! उसके विचार भी अपने देश के प्रति बिल्कुल अपने पापा के जैसे ही हैं , इसके आगे आराधना कुछ कह पाती उसके पहले ही उसकी ननद यानि कि अदिति ने उसे अपने गले से लगा लिया ... आय एम प्राउड ऑफ यू डियर कहते-कहते अदिति की आवाज़ भर्रा गयी ! !
मम्मा... मम्मा वो लोग आ गए , अदिति का पन्द्रह वर्षीय बेटा दौड़ता हुआ आकर बोला !
चलो आराधना अब अपना ये फ़र्ज़ भी निभाओ ! मैं बाहर जाकर लड़के वालों को देखती हूँ तब तक तुम जाकर अलका को लेकर आओ ! !
जी दीदी... कहते हुए आराधना अंदर अलका के कमरे की ओर चल दी। उसके चेहरे पर आज एक अजीब सा सुकून था और उसकी आँखों में देशभक्ति की एक शानदार चमक ! !
लेखिका...
💐निशा शर्मा💐