poison liquor in Hindi Moral Stories by Rama Sharma Manavi books and stories PDF | ज़हरीली शराब

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ज़हरीली शराब

आज कमली काम पर वापस आ गई, कल शाम को ही फोन कर दिया था कि आँटी बर्तन मत धुलना, मैं कल सुबह से आना शुरू कर दूंगी।कल ही तेरहवीं थी उसके पति की।मैं थोड़ी हैरान तो थी,लेकिन उसकी सारी व्यथा-कथा मैं जानती थी, इसलिए समझ तो रही थी कि उसके लिए मातम-पुरसी के ढोंग से अधिक महत्वपूर्ण उसका कार्य था।
कमली लगभग 35 वर्षीय महिला है, जो मेरे यहाँ झाड़ू-पोछा औऱ बर्तन का काम करती है,2-3 अन्य घरों में काम करके अपने बच्चों का पेट भरती है।उसके तीन बच्चे हैं एक बेटी और दो बेटे।वह दूसरी पत्नी है, पहली बच्चे के जन्म के समय चल बसी थी,बच्चा भी नहीं बचा था।इस वर्ग के अधिकतर पुरुषों की सामान्य आदत है शराब पीना।जितना कमाएंगे नहीं उससे अधिक नशे में बर्बाद कर देते हैं।
अच्छी शक्ल-सूरत,गोरा रँग,इकहरे शरीर की कमली जब अच्छे से पहन-ओढ़कर आती है तो कहीं से कामवाली नहीं प्रतीत होती है।मेरे यहाँ काफी समय से काम कर रही है।अक्सर काम निबटाने के बाद 5-10 मिनट बात कर लेती है, मुख्यतया जब दुःखी होती है।मैं उसकी हिम्मत की दाद देती हूँ कि तमाम विकट परिस्थितियों में भी खुश रहने का बहाना खोज लेती है।रिश्तेदारी के सभी शादी एवं अन्य समारोहों में अवश्य भाग लेती है, वैसे ठीक भी है, अब यही सब तो थोड़ा खुश होने का माध्यम होता है इन लोगों की जिंदगी में।
पति पुताई का काम करता था, जब काम मिलता तो खुले हाथ खर्च कर शीघ्र ही सब उड़ा देता, शराब तो रोज ही पीता था, उसके साथ मीट-मछली भी बनेगा।जब पैसे समाप्त हो जाते तो कमली से छीन लेता था,न देने पर मार-पिटाई करता था।पीने के पश्चात नशे में जानवर बन जाता था।लम्बे-चौड़े शरीर का उसका पति जब डंडा लेकर पीटने पर आता तो वह कितनी देर विरोध कर पाती,एक-एक नस दुःखती थी, कई दिन तो काम पर भी नहीं जा पाती थी।बच्चों को कमरे में बन्द कर कमली के साथ जी भरकर मनमानी करता था।कभी कभी तो बना हुआ खाना भी उठाकर फेंक देता था।एक बार नशे के झोंक में चारपाई, बिस्तर को भी आग लगा दिया, जैसे-तैसे कमली ने पड़ोसियों की मदद से आग बुझाया।
बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं।लेकिन किताब, कॉपी तो चाहिए ही होता है।कपड़े तो लोगों के घरों से मिल जाते हैं, तीज-त्यौहार पर नए औऱ पुराने कपड़े वैसे ही लोग दे देते हैं।एक बार तीज के व्रत पर मैंने उससे कहा कि ऐसे निकम्मे पति के लिए क्या सोचकर यह व्रत रखती हो?उसने बताया कि आँटी आज के दिन के लिए वह अपनी मर्जी से साड़ी लेकर आता है, फिर न रहूँ तो गाली गलौज करता है कि तू तो चाहती है कि मैं मर जाऊं।इसी बहाने बच्चों को एक दिन अच्छा खाना मिल जाता है।
दो कमरों का टूटा-फूटा मकान है, सर छिपाने के लिए।पति जब-तब धौंस जमाता है कि इसे बेच दूंगा।कमली ने कुछ पैसे अपने पिता से उधार लिए थे ,घर की मरम्मत के लिए, लेकिन एक दिन पति पैसे लेकर कहीं चला गया, वह रोती-बिलखती रह गई।पैसे उड़ाकर बेशर्मी से वापस आ गया।कुछ दिन थोड़ी शांति रहती है कि फिर कोई न कोई टंटा उसका पति खड़ा कर देता है।
बड़ी भाग-दौड़ कर कमली ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पैसे प्राप्त किए थे घर बनाने के लिए। 250000 में से 50000 तो प्रधान ने ले लिया था।उसमें से एक लाख रुपए से घर की मरम्मत करा ली,एक लाख रुपये बैंक में बच्चों के लिए सम्हाल कर रख दिए।अब आए दिन उन रुपयों के लिए कमली से मार-पिटाई करता था।कमली ने भी ठान रखा था कि कुछ भी हो जाय,उन पैसों को पति को हाथ नहीं लगाने देगी।
अब इधर उसका पति नया राग अलापने लगा था कि तुझे छोड़कर दूसरी ले आऊंगा, तू या तो राजी से अपने बच्चे लेकर चली जा,नहीं तो जान से मार दूंगा।कमली बिफ़र पड़ी थी कि मार ही डालो, ऐसे तो मैं नहीं जाने वाली,बच्चे मायके से लेकर नहीं आई थी।कमली ने एकाध बार किसी औरत के साथ पति को घूमते हुए देखा भी था।
अभी 5-6 महीने पहले की बात है, एक रात शराब पीकर घर आते ही डंडा लेकर कमली को पीटने लगा, फिर अधमरी कमली को बेटी सहित खींचकर घर से बाहर निकाल दिया।पड़ोसियों ने उसके मायके फोन कर दिया, पिता,भाई आकर माँ-बेटी को ले गए।दोनों बेटे पिता के घर पर ही थे।चार-पांच दिन बाद ही पड़ोसी का फोन आया कि कमली तुम्हारा 12 वर्षीय बड़ा बेटा दो दिन से घर में दिखाई नहीं दे रहा है,कमली भाई के साथ भागी-भागी आई,देखा तो घर में एक औरत उसके ही कपड़े पहनकर मौजूद थी,जिसे कमली पहचान गई थी।उससे बेटे के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मैं तो कल ही आई हूं,तबसे छोटा ही यहाँ है, मैंने सोचा कि तुम्हारे साथ गया होगा।छोटे बेटे से पूछने पर पता चला कि पिता नाना के यहाँ छोड़ने की कहकर तीन दिन पहले ले गए थे।कमली घबरा गई कि कहीं सच में मार तो नहीं दिया।आनन फानन में वह भाई के साथ पुलिस स्टेशन में जाकर रिपोर्ट लिखवा आई।पहले तो उसने अनभिज्ञता जाहिर की, लेकिन पुलिस के डंडे पड़े तो सच उगल दिया कि पास के कस्बे में एक चाय वाले के यहाँ 20000 रुपये में बेच दिया था।बच्चा मिल गया।पुलिस ने भी पति औऱ चाय वाले से पैसे लेकर मामला रफा दफा कर दिया।
कमली का भाई धमकी देकर गया कि अब फिर कोई बदमाशी की तो अबकी बार जेल से नहीं छूट पाएगा।उसने पीना तो बन्द नहीं किया था लेकिन तबसे शांत पड़ा हुआ था।कमली इतने में ही खुश रहने लगी थी कि 15 दिन पहले जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई, उसमें कमली का आदमी भी था।सरकार से पांच लाख का मुआवजा राशि प्राप्त हुआ था।
आज जब कमली का काम समाप्त हो गया तो वह बात करने बैठ गई।मैंने कहा कि चार-छः दिन औऱ रुक जाती काम पर आने से।बेकार समाज के लोग बातें बनाएंगे।कमली बोली कि आँटी जी,लोगों का क्या है, वे तो कुछ न कुछ कहते ही हैं।जब मेरा पति मुझे जानवरों की तरह पीटता था कौन आता था बचाने।मुझे अपने बच्चे पालने हैं, एक भी काम छूट गया तो मुश्किल हो जाएगी।वैसे भी,आप तो जानती ही हैं कि वह कौन सी मदद करता था, बल्कि मेरी कमाई भी छीन लेता था।बच्चों का बाप था,इसलिए झेल रही थी कि कम से कम बाप नाम का साया तो बना रहेगा।मुई शराब,जहरीली नहीं थी तो भी सिर्फ बर्बादी ही देती थी, कितना समझाती थी कि पीकर आदमी जानवर बन जाता है लेकिन कहाँ मानता था।शराब अपने आप तो मुँह में नहीं चली जाती न,जहरीली दारू बनाने वाले पापी तो हैं ही,लेकिन पीने वाले भी तो दोषी हैं।
जीतेजी तो कुछ नहीं किया, कम से कम मर कर पांच लाख रुपये तो दे गया।अब उन पैसों को बैंक में फिक्स कर दिया है पांच साल के लिए, उससे बेटी का ब्याह करूंगी।मैं उसकी समझदारी की दाद दे रही थी मन ही मन।मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा कि बिल्कुल सही किया तुमने,लेकिन सारा पैसा शादी में भी मत लगा देना,कुछ अपने दिन-आगम के लिए भी बचा कर रख लेना।क्योंकि लड़के बड़े होकर अपना ही पेट पाल लें वही बहुत है।
जिंदगी की कहानियाँ ऐसी ही हैं।
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