Intzaar ek had tak - 7 in Hindi Moral Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | इन्तजार एक हद तक - 7 - (महामारी)

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इन्तजार एक हद तक - 7 - (महामारी)


हकीम पुर गांव की वो दास्तां को हुए दो साल हो गए पर मानो कल की बात हो।।


अगले दिन सुबह रमेश आफिस के लिए तैयार हो गए और बच्चे भी तैयार हो कर लंच बॉक्स लेकर चले गए।

रमेश बोला चन्दू बच्चों को नाश्ता ठीक से करा दिया ना।
चंदू बोला हां बेटा, तुम ठीक से खा लो।

रमेश भी आफिस के लिए निकल गए।

फिर चन्दू रोजमर्रा के काम करने के बाद सब्जी

मंडी चला गया।


रमेश आफिस में अपने सपने वाली बात अपने दोस्तों को बताया।

सभी ने कहा कि रमेश तुम ज्यादा सोचो मत ये शायद तुम्हारा वहम है। क्योंकि काफी साल बीत गए। मेरे ख्याल से दो साल पहले की बात है।

रमेश बोला नहीं दोस्तों ये वहम नहीं है ये हकीकत है।समय का पहिया कहा ठहरा है वो तो आगे निकल ही गया।पर जो सच है वो है।
मेरे साथ हकीम पुर में जो हुआ था वो भी हकीकत था जो मैं आज तक नहीं भुला पाया।


एक सज्जन बोले भाई जो भी हो मुझे महसूस हो रहा है कि कुछ तो है।।

रमेश बोला मुझे रात भर नींद नहीं आती है लगता है अम्मा कुछ कहना चाहती है।

फिर बाबू लाल सबके लिए चाय और समोसे ले आया और बोला रमेश हर मैंने सारी बात सुनी है।

आप अगर कहें तो एक बहुत पहुंचे हुए बाबा है जो हर शनिवार बैठते हैं मैं अपनी बहन को बोल कर समय लेता हूं।

रमेश बोला अरे अभी नहीं परसों तो हमें हकीम पुर गांव जाना है।
अगले हफ्ते का समय ले सकते हो?

बाबू लाल बोला हां ठीक है।

फिर सब चाय और समोसे खा कर काम पर लग गए।

इसी तरह रमेश शाम तक घर लौट आए।


बच्चे कोचिंग क्लास गए हुए थे।


रमेश नहा धोकर तैयार हो कर नीचे आ गए और फिर चन्दू को बोले चाय के साथ पकौड़ी बना दो।

रमेश ने टीवी पर न्यूज देखने लगें।


कुछ देर बाद बच्चे भी आ गया सब साथ मिलकर पकौड़ी खाएं।

रमेश बोला अरे चन्दू अम्मा एक धनिये की चटनी बनाती थी वो बना कर रखना।

चंदू बोला हां आपको याद है।

रमेश बोला हां जब भी मैं जाता था तो अम्मा खुद से बनाया करती थी और फिर मुझे देती थी।

तभी रमेश को अम्मा के स्पर्श का अनुभव हुआ और वो एक दम से चौंक खड़ा हुआ।

रवि बोला अरे चाचू क्या बात है?
रत्ना बोली एक का एक आप चौंक गए।

रमेश बोला नहीं कुछ भी नहीं।
फिर सभी टीवी देखने लगे।
पर रमेश बहुत ही परेशान सा बैठा रहा की ऐसा क्यों हो रहा है।

फिर रात के खाने में रमेश ने कहा बच्चों हमें बहुत जल्दी ही हकीम पुर गांव जाना होगा।



आज मैंने बहुत सारी खरीदारी किया है और तुम सब के लिए भी कुछ नये कपड़े लाया हुं।
आप लोगों सभी तैयारियां कर लेना।

रत्ना बोली चाचू हम लोग वहां कब तक रहेंगे?
रवि बोला हां चाचा,
रमेश बोला वहां एक हफ्ते तक रहेंगे?

फिर सभी खाना खा कर सो गए।

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर सब अपने-अपने काम पर निकल गए।

रमेश आफिस पहुंच कर अपना काम करने लगें।
तभी बाबू लाल आकर बोले सर ये लिजिए उस बाबा का नम्बर, आप फोन पर बात कर लिजिए।
रमेश ने कहा हां ठीक है।

रमेश वह पर्ची अपने पास रख दिया।

लंच करते समय एक सज्जन बोले कि जो भी अकस्मात निधन हो जाता है और उनका शरीर नहीं जलाया जाता है तो उनकी आत्मा भटकती रहती है कभी शान्ति नहीं मिल पाती है।
भाई रमेश मुझे लगता है कि तुम्हारे परिवार के साथ ये हुआ होगा।

रमेश बोला अरे नहीं ऐसा मत बोलिए।
उनकी आत्मा को शांति मिल गई है।

उत्तम बोला हां पर रमेश क्या उन लोगों का अंतिम संस्कार किया गया था?

रमेश बोला नहीं।
पर मुझे यकीन है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ होगा।

अमित बोलें देखो रमेश जो भी हो इन्सान मरने के बाद इन्सान नहीं रहता है तो तुम तो उन लोगो से मिले थे।


रमेश बोला हां ये सच है पर किसी ने मेरा नुकसान नहीं पहुंचाया।पर अम्मा कुछ कहना चाहती है सपने में।

फिर सभी अपने काम पर लग गए।
इसी तरह शाम हो गया और रमेश घर लौट आए।
रमेश बोला अरे बच्चे अभी तक नहीं आएं।
चंदू बोला हां बस आ जाएंगे।

फिर रमेश अपने कमरे में जाकर बैठ गए और सोचने लगे कि अम्मा क्या कहना चाहती थी कुछ छूट गया।


फिर रमेश गहरी नींद में सो गया और कुछ देर बाद उठा तो बोला अरे अम्मा किसी चिठ्ठी का जिक्र कर रही थी। क्या हो सकता है क्या बात है पता नहीं।।


क्रमशः