बस आगे बढ़ रही थी। ड्राइवर ने अचानक बस रोक दी। प्रोफेसर शिव ने कहा, "ड्राइवर! आपने बस को क्यों रोका? फिर से क्या हुआ?" ड्राइवर ने कहा, "साहब! बस यहाँ से आगे नहीं जाएगी। आगे का रास्ता कच्चा और छोटा है।" दादाजी ने कहा, "हाँ, बस आगे नहीं जा सकती। आगे का रास्ता कच्चा और छोटा है और दोनों तरफ खेत हैं।" प्रोफेसर ने कहा, "Ok. चलो सब बस से उतर जाओ। हमें यहाँ से आगे चल के जाना होगा।" रोहन ने कहा, "अरे! ये क्या नई मुसीबत है? एक तो ये थर्ड क्लास रिसर्च ट्रिप और ऊपर से ये नई नई मुसीबतें।" रोहन के दोस्त मोंटू ने कहा, "अरे रोहन! तुम चिल करो, भाई! अब आगे चलकर जाना है इसलिए मजा आयेगा। हम लोग बाते करते हुए चलेंगे और तुम स्नेहा को देखते हुए चलना।" रोहन ने कहा, "तू सही बोल रहा हैं, लेकिन स्नेहा उस रवि से ही बात करती रहती है। जब देखो तब, वो दोनो साथ में ही होते हैं।" मोंटू ने कहा, "लेकिन इससे तुम्हारा क्या मतलब है? तुम बस स्नेहा को देखो!" रोहन ने कहा, "नहीं! अब मुझे कुछ करना ही होगा!" मोंटू ने घबराते हुए कहा, "तुम क्या करने वाले हो?" रोहन शैतानी हंसी के साथ बोला, "वो तो तू अपनी आंखों से देख लेना।"
एक-एक करके सभी बस से उतर गए। वो आगे बढ़ने ही वाले थे, तभी दादाजीने उन्हें रोका और कहा, "रुक जाओ, सब। देखो, अब आगे हमें चलकर जाना है। बीच में एक छोटा सा रास्ता होगा और दोनों तरफ खेत होगा। खेत होगे तो जीवजंतु भी हो सकते है, तो ध्यान से चलना।" सब ने उनकी बातो को ध्यान से सुना और फिर आगे बढ़ने लगे। दादाजी आगे चल रहे थे और सभी स्टूडेंट्स उनके पीछे चल रहे थे। सबसे पीछे प्रोफेसर शिव और आइशा मैडम चल रहे थे। स्नेहा और उसकी सहेलियां चलते चलते बाते कर रही थी। रवि भी अपने दोस्त के साथ उनके पीछे-पीछे चल रहा था।
श्रद्धा और साक्षी प्रोफेसर शिव और आइशा मैडम के आगे चल रहे थे। साक्षी बोली, "ये आइशा मैडम शिव को अकेला ही नहीं छोड़ती हैं। जब देखो तब, उनके साथ ही होती हैं।" श्रद्धा बोली, ''कुछ भी हो, तुझे उससे क्या है?'' साक्षी ने कुछ सोचा और कहा, "मेरे पास एक प्लान है।" श्रद्धा बोली, ''क्या प्लान है और किस लिए?'' साक्षी बोली, "सुन! थोड़ी देर बाद मैं अचानक पीछे की तरफ गिरने का नाटक करूंगी और फिर प्रोफेसर शिव मुझे बचा लेंगे। अगर वो पूछेंगे की केसे गीर गई तो में बोल दूंगी की पैर फिसल गया था इसीलिए गिर गई। फिर में चल नही सकती, ऐसा नाटक करूंगी, फिर शिव मुझे पकड़ कर चलाएंगे। कैसा प्लान है?" श्रद्धा बोली, ''पहले तो तू ये सीरियल देखना बंद कर दें। ये कोई सीरियल नहीं है, जहा तू गिर जायेगी और तेरा हीरो तुझे बचा लेगा, फिर फूलों की बारिश होगी, बैकग्राउंड में रोमांटिक गाना बजेगा'' साक्षी बोली, "अरे यार! ट्राई करने में क्या जाता है?" श्रद्धा बोली, ''ठीक है। तुझे जो करना है वो कर।''
साक्षी कुछ देर बाद अचानक पीछे की ओर गिर पड़ी। प्रोफेसर शिव के शूज की लेस ढीले होते ही वो बांधने के लिए बैठ गए। साक्षी गिरने ही वाली थी कि आइशा मेडमने उसे पकड़ लिया। तभी एक स्टूडेंट का फोन बजने लगा। फोन की रिंगटोन में 'तुझे देखा तो ये जाना सनम' गाना बज रहा था। वो अपनी जेब से फोन निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसका फोन उसकी जेब में फंस गया। साक्षी और आयशा मैडम नीम के पेड़ के नीचे खड़ी थीं। अचानक तेज हवा चली और उन पर नीम के पत्ते गिर पड़े। सभी स्टूडेंट्स साक्षी और आइशा मैडम पर धीरे-धीरे हंस रहे थे। साक्षी आइशा मैडम से दूर चली गई और कहा, "बचाने के लिए धन्यवाद!" आइशा मेडम ने कहा, "अरे बेटा! इसमें क्या है?" फिर वो आगे बढ़ने लगे। साक्षी भी सिर झुकाकर चलने लगी।
सब लोग चल रहे थे। भक्ति बोली, "देखो, मंदिर की धजा दिख रही है। ऐसा लगता है कि हम मंदिर के करीब हैं।" दादाजी ने कहा, "हाँ बेटी! अब मंदिर पास ही है।" थोड़ी देर बाद भक्ति अचानक जोर से चिल्लाई। उसकी चीख सुनकर सभी रुक गए और उसके सामने देखने लगे। भक्ति की आंखों से आंसू निकल पड़े। वो जमीन पर बैठ गई। स्नेहा उसके पास गई और बोली, "क्या हुआ भक्ति?" भक्ति बोली, "लगता है मेरे पेर में कुछ छुभ गया है। मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है।" विशाल बोला, "देखो, वहा खेत में सांप जा रहा है। लगाता है भक्तिने गलती से उस पर पेर रख दिया, इसलिए उसको साप ने काट लिया" दादाजी बोले, "अब मंदिर पास में ही है। वहा पास में ही पुजारीजी का घर है, हम वहां जाकर इलाज करेंगे।" भक्ति बोली, "लेकिन अब मैं चल नहीं पाऊंगी।" विशाल ने कहा, "कोई बात नहीं। मैं तुम्हें उठाकर ले जाऊंगा। स्नेहा! तुम अपना दुपट्टा भक्ति के पैर में बांध दो, ताकि जहर न फैले।" स्नेहा ने भक्ति के पैर में दुपट्टा बांध दिया। विशालने भक्ति को उठाया और वो तेजी से चलने लगा। भक्ति बेहोश हो गई थी।
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