Majhse dosti karonge - 8 in Hindi Horror Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | मुझसे दोस्ती करोगे - भाग 8

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मुझसे दोस्ती करोगे - भाग 8

उस बूढ़े ने रोते हुए फिर कहा "मैने उसे बहुत समझाया लेकिन मेरी बेटी नहीं मानी आखिरकार मुझे उससे कहना पड़ा कि तुम रोज रात में इस गड्ढे के ऊपर सो जाया करना, जब भी तुम्हें मां की याद आए, तुम इस गड्ढे के पास आ जाना तुम्हारी मां तुम्हारे पास आ जाएगी, यह सुनकर वह खुश हो गई और यही कारण है वह ज्यादातर अपना समय वहीं गुजारती है, आपने जब उसे पहली बार देखा था तो वो कहां दिखी थी"?

ये सुनकर वो दोनो सोचने लगे और तभी अनिल बोला "साहब ये तो सच कह रहा है वो लड़की उस दिन वहीं खड़ी थी जहां उसकी मां दफन थी" l

ये सुनकर बूढ़ा जोर-जोर से खांसने लगा l
मल्होत्रा ने अनिल को तिरछी नजरों से देखा और मुस्कुरा कर कहा "चलो हमारा काम हो गया है, इस बुड्ढे को मरने दो" l


मल्होत्रा समझ गया था की लड़की वही अपनी मां की कब्र के पास होगी, यह कहकर दोनों सीधा उस जगह आ गए जहां उस लड़की की मां दफन थी, दोनों ने देखा लड़की वहीं सो रही थी, उसके हाथों में वह गुड़िया भी थी l

उन्होंने सोती हुई बच्ची को उठाया और कहा इसकी मां के साथ इसे भी दफना दो, वैसे भी ये जीकर दूसरों का जीना हराम करेगी", ये सब बातें सुनकर बच्ची जग गई और बोली "मेरी गुड़िया…. मेरी गुड़िया... मेरी दोस्त है, मेरा और कोई दोस्त नहीं, मुझे मेरी गुड़िया चाहिए, मुझे कहां ले कर जा रहे हो" l

अनिल ने कहा "हम तुम्हें नए घर में लेके जा रहे हैं, तुम्हारी मां के पास"l यह सुनते ही वो खुश हो गई और मल्होत्रा ने गुड़िया उठाकर लड़की को दे दी, लड़की हर बात से अनजान और खुश थी, उसे नहीं पता था कि उसके साथ क्या होने वाला है"l वो खुशी से चिल्लाने लगी तभी मल्होत्रा ने उसे डांट कर चुप रहने को कहा l

अनिल उसकी मां की कब्र को दोबारा खोदने लगा क्योंकि मजदूरों ने खुदाई के बाद डर की वजह से उसे दोबारा दफना दिया था और मल्होत्रा के कहने के बावजूद भी उन लोगों ने लाश को नहीं छुआ और तब तक वो दूसरी जगह खुदाई करने लगे थे l

मल्होत्रा ने मजदूरों को आश्वासन दिया था कि मैं इसे हटवा दूंगा इसलिए मजदूरों ने भी कुछ नहीं कहा l

जैसे ही अनिल ने खोदना चालू किया वह लड़की जोर जोर से चिल्लाने लगी, इसमें तो मेरी मां सो रही है इसे मत खोदो, उसे मत जगाओ, तुम तो मुझे नए घर में लेकर जाने वाले थे लेकिन तुम मेरी मां को क्यों जगा रहे हो, उसे सोने दो"l

अनिल ने उसे बहुत समझाया, मल्होत्रा ने भी बहुत डांटा लेकिन वो नहीं मानी और अनिल के पैरों से लिपट गई, परेशान होकर मल्होत्रा ने उसके सर पर जोर से एक डंडा मार दिया, वो बेहोश होकर गिर पड़ी और उन दोनों ने गड्ढा खोदकर उसकी मां की लाश निकाली और उसे जमीन के बाहर झाड़ियों के पास पहले से खोदे गड्ढे में डाल दिया, जिसे मल्होत्रा के कहने पर एक मजदूर ने पहले ही खोद दिया था l

दोनों ने मिलकर उसकी मां की लाश को उस गड्ढे में फेंक दिया और उस लड़की को भी उठा कर बोले "चल मनहूस लड़की तू भी जा अपनी मां के पास"l

लड़की सिर पर चोट लगने के कारण हल्की बेहोश हो चुकी थी लेकिन फिर भी उसे थोड़ा थोड़ा होश आ रहा था, उन दोनों ने उसकी मां की लाश पर लड़की को भी फेंक दिया तो लड़की बेहोशी में ही चिल्ला उठी, वह चिल्लाती रही रोती रही अपनी गुड़िया हाथ में पकड़े पटकती रही लेकिन दोनों ने एक न सुनी l

मिस्टर मल्होत्रा ने कहा "तेरे जीने का भी कोई मतलब नहीं है मनहूस लड़की, मर जा... तेरी वजह से मैं कितने दिनों से सो नहीं पाया" अनिल ने जल्दी जल्दी उस गड्ढे को भरना शुरू कर दिया, और कुछ ही पलों में उस लड़की की आवाज बंद हो गई, उसकी वो गुड़िया भी उसी के साथ दफन हो गई l