ugly queen in Hindi Moral Stories by Anand Tripathi books and stories PDF | कुरूप रानी

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कुरूप रानी

एक राज्य में एक राजा राज किया करता था। उसके पास अपार जनशक्ति,धनशक्ति,और वैभव,और कई रनिया थी।एक दिन की बात है। राजा ने एक युद्ध में एक रानी को जीत के अपने महल में ले आया था। लेकिन वह रानी जरा सा कुरूप थी। इसलिए। कोई भी उस रानी को पसंद नही करता था। लेकिन राजा की सेवा करना। उस रानी का धर्म था। एयर वह उस धर्म का विधिवत पालन किया करती थी। किंतु उससे बाकी रनिया बहुत ईष्र्या करती थी। किंतु रानी को इंच भी फर्क नहीं पड़ता था। धीरे धीरे दिन बीते रनिया पुत्रो को जन्म देने लगी और एक दिन कुरूप रानी ने भी एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। राजा सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। उन नगर भोज का आयोजन किया। अन्य रनिया और भी जलने लगी। पुत्र रत्न को देखकर। कुछ समय बाद राजा बूढ़ा हो गया। और उसने निर्णय लिया की हम सभी रानियों में राज का बटवारा कर देंगे। यह सुनकर सभी दंग रह गए। राजा ने कहा एक समस्या का समाधान करके जो लायेगा उसे ज्यादा धन दिया जाएगा सभी को मंजूर हुआ राजा ने कहा की मैं तुमको यह फुल के बीज दे रहा हु जिसका फूल सबसे सुंदर उगा वही विजेता होगा। सबने राजा से बीज ले लिया और धरती में जमा दिया कुछ दिन बाद वक्त आया पौधा बड़ा हुआ लेकिन पौधा फूल का नही था सभी रनिया बहुत डर गई और राजा से धन लेने के कारण उन्होंने राजा से झूठ बोला की उनको गुलाब मिला है राजा मन में बहुत क्रोधित हुआ। लेकिन अभी कुरूप रानी ने अपना परिणाम नहीं बताया था। इसल्ये उसकी प्रतीक्षा हो रही थी। वह आई और उसने कहा की उसको कुछ पत्तियां ही मिल पाई है। इतना सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सारा धन उठाकर रानी को दे दिया और स्वर्ग को सिधार गया। अब वह रानी और उसका बालक दोनो ही बड़ी प्रसन्नता से वक्त बिताने लगे धीरे धीरे बालक बड़ा हुआ। और उसकी शादी किसी राजा की कन्या से कर दिया गया। कन्या बड़ी दिव्य थी और साथ ही वह चतुर भी थी। महल में कन्या पहुंची तो उसका भव्य स्वागत भी हुआ। और कुछ दिन रानी कुरूप के पुत्र और कन्या ने एक साथ बिताए। फिर अचानक एक दिन रानी बीमारी के कारण ही ग्रसित हो गई और उन्होंने दोनो को बुलावा भेजा ए दोनो आ पहुंचे। और रानी को देख दोनो बहुत ही दुखी हुए। परंतु रानी ने उन्हें समझाया और उनको सारी धन दौलत सौंप कर और वह भी स्वर्ग सिधार गई। पुत्र बहुत रोया और फिर शांत होकर काम काज में लग गया। और राज पाठ में व्यस्त हो गया। एक दिन की बात है राजा युद्ध पर गया था। और रानी को कुछ आशंका हुई की कही राजा को मार दिया गया है ऐसा संदेश किसी ने दिया जिससे सुनकर रानी बहुत हटातत हो गई लेकिन रानी ने धैर्य नहीं खोया और वह भी इस शंका में युद्ध करने रण भूमि में पहुंच गई इस प्रकार राजा और रानी को मार दिया जाता है और सारा राज पाट लूट लिया जाता है और इस प्रकार उन दोनों का अंत हो जाता है समय के साथ साथ उनका पुत्र बड़ा हो रहा होता है और राज्य का आज के कामों में भी हाथ बटाना शुरू करता है एक समय वह भी आता है जब मंत्रियों ने उन्हीं के पुत्र को राधा की गद्दी की उपाधि दी परंतु अभी उम्र छोटी होने के कारण वह राजकाज के कामों में ज्यादा बारीकियों को नहीं समझ सकता था इसलिए मैं मन ही मन बहुत परेशान हो रहा था अचानक से उसे अपनी मां के बड़ी बहन की याद आई। अतः उन्होंने उसको बुलावा दे भेजा। और एक दिन वह दरबार में आता है दोनों एक दूसरे को देख कर बहुत प्रसन्न होते हैं राजा अपने हृदय की बात उससे कहता है और अंत में वह उसे आश्वासन दिलाता है की वह दरबार की सभी गतिविधियों और उसके राज्य कार्य को चलाने में उसकी संपूर्ण तरीके से मदद करेगा और आने वाली परिस्थितियों का मिलकर सामना भी करेगा यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न होता है और वह उसे अपने राज्य का उप उत्तराधिकारी घोषित करता है। एक दिन राजा और उसके मंत्री गण दरबार में बैठे हुए होते हैं तभी एक प्रश्न उठता है की किसी के आने का संदेश आता है और द्वारपाल उन 3 स्त्रियों को राजा के समक्ष लाता है जिसे देख राजा अचंभित हो जाता है और साथ ही वह उत्तराधिकारी भी चकित रहता है राजा पूछता है कि कौन है तो द्वारपाल कहता है कि यह मुझे एक वन में भटकती हुई मिली थी सो मैं इन्हे आपके पास लेकर आया हूं। शायद इनको यहां से कुछ सहायता मिल जाए यह आस लेकर आया हूं यह बात राजा को बहुत चुप हो गई उस दिन उसने अपना सारा कार्यभार मंत्रियों को सौंप कर और दूर किसी जगह पर रहने के लिए गया जहां पर उसे शांति मिले राजा चलते चलते एक गांव के पास पहुंचा और रात गुजारने के लिए उस गांव में रुक गया सभी ने राजा का बहुत आदर सत्कार किया लेकिन राजा को फिर भी शांति नहीं मिली अब राजा घबरा उठा लेकिन अचानक तभी गांव का एक मुखिया आया और उसने राजा को सारी बात बताई तब राजा समझ गया कि यह वही रानियां हैं जिन्होंने मुझे और राज्य के अन्य लोगों को बहुत कष्ट दिया था। राजा बहुत क्रोधित होता है लेकिन फिर कुछ समय बाद वहां से चल पड़ता है और उसे किसी महापुरुष की कही बातें याद आती है उन्होंने कहा था कि कभी कोई भी अगर आप के शरण में आता है तो उसको क्षमा करना आपका अधिकार है इसलिए राजा महल में पहुंचकर राज दरबारियों को दोबारा बुलाता है और उनको सारा वाकया बताता है यह सब सुनकर तीनों रानियां बहुत दुखी होती हैं उन्हें अपनी भूल का एहसास होता है और वह राजा के चरण में गिरती है और उनसे अपनी भूल की क्षमा मांगती है राजा उन्हें माफ कर देता है और एक बार फिर से राजकाज की शुरुआत होती है और सभी रानियां प्रसन्नता से अपना जीवन यापन करने लगती हैं यह सब देख राजा बहुत प्रसन्न होता है और वह खुशी से झूम उठता है क्योंकि एक बार फिर उसका अपना परिवार अपने सगे संबंधी मिल जाते हैं
सार : जीवन में कभी किसी से कोई भूल हो तो उसे माफ करना ही चाहिए और सदा सत्य पर रहना चाहिए।