Dhara - 9 in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 9

Featured Books
Categories
Share

धारा - 9

एक खटपट के साथ धारा की नींद खुली ! धारा झटके के साथ उठकर बैठ गयी ! उसमे आसपास देखा ! देव नदारद था!

धारा बाथरूम के पास जाकर, " देव..! तुम अंदर हो क्या..??"

"अरे यार नल में पानी नही आ रहा ! मेरी पूरी बॉडी पर सोप लगा हुआ है..!! फेस धोने लायक पानी भी नही है..!!" देव बाथरूम से ही चिढ़चिढाते हुए बोला!

धारा, देव को ताना मारते हुए बोली, "इसी लिए तो कहते हैं ना.... बाल्टी में पानी भरो फिर नहाओ..! पर लोगों को समझ कहाँ आता है.?? ज्यादा ही स्टैंडर्ड झाड़ते हैं.... शॉवर में नहाएंगे बेचारे...!!"

"तुम मुझे उपदेश देना बंद कर के पानी लेकर आओगी..?? या मैं टॉवेल से मुंह पोंछकर ऐसे ही बाहर निकल आऊँ..??" देव धारा पर चिल्लाते हुए बोला !

धारा,"ला रही हूँ रुको पांच मिनट..!!"

"हाँ रुका हुआ ही हूँ..! ऐसी इंटरनेशनल हालत में कौनसा मुझे सुपरमॉडल का खिताब लेने जाना है..!!" देव बडबडाया।

धारा ने किचन के नल को चालू किया ! उसमे पानी आ रहा था ! फिर वो वापस बाहर आयी और देव से बोली, " बाल्टी दो..पानी लेकर आती हूँ किचन से..!!"

देव, "खुद आकर ले जाओ ! मेरे फेस पर साबुन लगा हुआ है ! आंखे खोलता हूँ तो जलन होती है..!!"

"तो किसने कहा था तुमसे, उठते ही बाथरूम में घुसने को..?? कहां जाना है तुम्हे इतनी जल्दी नहाकर..??' धारा ने झल्लाते हुए कहा।

"अरे यार ! खुद से ही ले लो बाल्टी ! डाँट बाद में लेना..!! यहां बन्दा बेचारा परेशान हो रहा है और तुम्हे ज्ञान देने की पड़ी है..!!" इस बार देव की आवाज़ में थोड़ी लाचारी थी ! धारा को उसपर तरस आ गया !
धारा ने धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोला ! देव आंखे बंद किये हुए खड़ा था ! और उसके पूरे शरीर पर साबुन लगा हुआ था !उसे ऐसे देख धारा ने झट से अपनी आंखों पर हाथ रख लिया और बाल्टी उठाने लगी..!! धारा ने जल्दी से बाल्टी उठाई और बाहर भाग गई !

धारा बाल्टी भरकर लायी ! उसने देव से कहा, " ये लो पानी..!!"

"अंदर ही लाकर दे दो यार..! मैं बाहर कैसे आऊँ..??" देव रिक्वेस्ट करते हुए बोला।

धारा मुंह बनाते हुए बोली, "अब बोल रहे हो पानी अंदर लाकर दो..! फिर पानी अंदर लाकर दूंगी तो बोलोगे...प्लीज़ यार अब नहला भी दो.!!"

देव, "ए.. नहलाने का क्यों बोलूंगा..? तुम बस इतना ही कर दो कि पानी लाकर दे दो..!! नहा मैं खुद से ही लूंगा..!!"

बाल्टी बड़ी थी और फुल भरी हुई भी..!!धारा बड़े ही आराम से उसे उठाकर आगे बढ़ी कहीं पानी ना फैल जाए..!!
उसने बाल्टी बाथरूम में रखकर देव से कहा, "ये लो !!"

देव आंखे बंद किये ही बाल्टी की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोला, " कहाँ रख दी...?? मेरा हाथ नही पहुंच रहा..!! यहां मेरे पास ही रख दो ..!!"

धारा ने गुस्से से बाल्टी उठायी और देव के सामने रख दी और जैसे बाहर जाने के लिए पलटी उसका पैर साबुन पर रखा गया !
"मम्मीईईईई....." चीखते हुए धारा जैसे ही गिरने को हुई उसने शॉवर का वॉल्व पकड़ लिया..! पर झटके से पकड़ने की वजह से वॉल्व टूट गया! धारा फिरसे जैसे ही गिरने को हुई देव ने झट से आंख खोल उसका हाथ पकड़ अपनी ओर खींच लिया !

शॉवर का वॉल्व टूटने से उसका पानी सीधे देव और धारा के ऊपर गिरने लगा ! देव के चेहरे पर लगा साबुन धुलने की वजह से वो धारा के चेहरे पर आ गया ! जिससे धारा की आंखों में जलन होने लगी ! देव ने कसकर धारा को अपनी बाहों में पकड़ा हुआ था ! और धारा ने देव को।
देव का एक हाथ धारा की कमर में था और दूसरे हाथ से उसने अपने चेहरे को साफ किया ! फिर धारा को देखा ! जो आंख में साबुन का पानी जाने से कसकर आंखे मींचे, उसे पकड़कर खड़ी हुई थी !

धारा ने सीधे खड़े होने की कोशिश की..! पर पैर में साबुन लगने से चिकनाई की वजह से फिर से फिसल गई। देव ने उसे ओर कसकर पकड़ लिया।

आंखे बंद किये हुए धारा किसी मासूम बच्ची सी लग रही थी ! देव बड़े ही प्यार से उस को देखने लगा ! होंठो पर मुस्कुराहट के साथ उसने अपने हाथों से धारा की आंखों पर से पानी हटाया ! धारा की मासूमियत देव को अपनी ओर आकर्षित करने लगी थी..!! देव का स्वयं पर कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था ! उसने धारा का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके चेहरे को थोड़ा ऊपर किया ! फिर से उसकी आँखों पर से पानी हटाया और हल्के से अपने होंठों को धारा के गुलाबी अधरों से छुआ दिए..!!

धारा के पूरे शरीर मे एक सिहरन सी दौड़ गई ! उसने देव को धक्का देकर खुद से अलग किया और चीखते हुए बोली, " हाऊ डेर यु...?? हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी ये सब करने की..?
तुम सब लड़को को बस यही चाहिए होता है ना...! उसने भी मेरे साथ यही किया और अब तुम भी वही कर रहे हो....!!"
धारा चीखते चिल्लाते हुए बाहर निकल गयी !

धारा को खुद पर गुस्सा आ गया ! क्या बोल गए थी वो देव के सामने।

देव वहीं बाथरूम में अपना सिर पकड़ कर बैठ गया ! अपनी बेवकूफी पर शर्मिंदा हो रहा था ! आखिर कैसे कर सकता है वो ये सब..?? धारा उसपर ईतना विश्वास करके उसकी हेल्प कर रही है और उसने....
"ये क्या किया देव..?? ऐसा कैसे कर सकता है तू..?? खुद पर कंट्रोल नही हुआ तुझसे...!!" देव खुदपर ही गुस्सा होते हुए बोला !
अचानक उसे धारा के कहे शब्द ध्यान आये.., 'तुम सब लड़को को यही चाहिए होता है ! उसने भी मेरे साथ यही किया और अब तुम भी....!
"उसने भी " मतलब कौन..??" देव परेशान हो उठा ! अपने जीवन के बारे में जानने की जिज्ञासा में उसने कभी धारा के जीवन के बारे में जाना ही नही ! उसे तो कुछ पता ही नही था धारा के बारे में ! जितना उसने बताया था उसके अलावा !!

धारा पूरी तरह से भीगी हुई थी ! ठंड और गुस्से की वजह से उसका पूरा शरीर कांप रहा था !! उसे देव के साथ साथ खुद पर भी गुस्सा आ रहा था ! "मैं गयी ही क्यों उसके पास..? जब उसने मुझे अपने करीब खींचा था तब ही अलग हो जाना चाहिए था!!" धारा कमरे के एक कोने में बैठकर रोने लगी।

फिर थोड़ी देर बाद उसने जल्दी से बैग से कपड़े निकाले और चेंज किया ! दिमाग को शांत करने के लिए वो बाहर बालकनी में आकर खड़ी हो गयी !
बहुत देर तक बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आती रही.!! धारा को लगा, "देव शायद गिल्ट की वजह से बाहर नही आ रहा है ! अगर वो ऐसे ही पानी मे बैठा रहा तो तबियत खराब हो जाएगी उसकी !!"

धारा भाग कर बाथरूम के पास गई और बाहर से ही देव को आवाज़ लगाते हुए बोली, " देव बाहर आ जाओ..! इतना भिगोगे तो बीमार हो जाओगे..!!"

धारा ने दो तीन बार देव को आवाज़ लगाई मगर देव ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया ! धारा को कुछ आशंका हुई..! उसने बाथरूम में झांककर देखा ! धारा के हाथ पैर ठंडे पड़ गए !
देव बाथरूम के फ्लोर पर बेहोन्शी की हालत में पड़ा था ! धारा जल्दी से उसके पास गई और उसे उठाने की कोशिश करने लगी। जैसे-तैसे वो देव को लेकर बाहर आई ! देव को कुर्सी पर बैठाकर धारा ने हीटर ऑन किया और तौलिए से देव के शरीर को पोंछने लगी !! धारा ने देव का सिर पोंछा फिर उसके कपड़े लेकर आई !
देव के कपड़े बदलने के बाद उसने देव को बिस्तर पर लिटाया और कम्बल से उसका पूरा शरीर अच्छे से ढंक दिया!

धारा ने अपने बैग से दवाई लेकर देव को खिलाई और तेल लेकर उसके हाथ पैर और सिर की मालिश करने लगी ! थोड़ी ही देर में देव का शरीर बुखार से तपने लगा ! अब धारा को खुदपर ही गुस्सा आने लगा था ! आखिर क्यों उसने तुरंत ही देव को बाहर आने को नही कहा ! अगर वो पहले ही ध्यान दे देती तो शायद उसकी ये हालत नही होती।

दवाई के नशे की वजह से देव गहरी नींद में था ! देव के सिर पर मालिश करते हुए धारा भी उसके सिरहाने ही सो गई..!! आधी रात को जब देव की नींद खुली तो उसने धारा को अपने करीब पाया ! देव के होठों पर फिर मुस्कुराहट आ गयी।
अच्छा लगने लगा था उसे धारा का साथ ! धारा का उसके आसपास होना, देव को बहुत सुकून देता था ! एक लगाव, एक अपनत्व सा हो गया था उसे धारा के साथ ! सालभर से ज्यादा समय हो गया था दोनो को साथ रहते ! कुछ समय तक तो देव को कोई सुधबुध ही नही थी ! फिर जब होंश आया तो कुछ पता ही नही था !! धारा ने उसका हर तरह से खयाल रखा ! कभी प्यार से तो कभी डाँट से..!!
अब तो धारा की डाँट भी देव को अच्छी लगने लगी थी !

रात में धारा ठंड लगने से नींद में कसमसाई ! देव धीरे से पीछे सरक गया और उसपर कम्बल डाल दिया ! कम्बल की गर्माहट मिलते ही धारा ने खुद को उसमे छुपा लिया !

देव बेड के बिल्कुल कोने पर लेट गया और बीच में तकिए रख दिये ! ताकि जब धारा की नींद खुले तो उसे किसी तरह की कोई गलतफहमी ना हो।

धारा को देखते-देखते फिर से देव नींद के आगोश में चला गया..!!
अपने और धारा के बीते हुए कल से अंजान देव, धारा के साथ अपनी चाहत के सपने संजोने लगा था !!



क्रमशः