Dhara - 8 in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 8

Featured Books
Categories
Share

धारा - 8

विमलेश जी के कहे अनुसार अब देव और धारा को हर समय सतर्क रहना था !!
" विमलेश अंकल जी के मुताबिक कोई भी इंसान मेरा दुश्मन हो सकता है !! मुझे अब हर इंसान को शक की निगाहों से देखना होगा..!!" बोलकर देव धारा को शक्की निगाहों से देखने लगा।
धारा की नज़र जब उसपर गयी तो वो भड़कते हुए बोली, " ए... एक रेप्टा पड़ेगा ना उल्टे हाथ का खींच कर, सारे दांत निकल कर बाहर आ जाएंगे !! मैं तुम्हे तुम्हारी दुश्मन नज़र आ रही हूँ, जो आधी आंखे बन्द करके घूर रहे हो !! तुम्हे मारना होता तो बचाती ही क्यों..?? वैसे तो अब भी तुम्हे मारना कोई बड़ा भारी काम नही है..! एक थप्पड़ में ही धराशायी हो जाओ..!!!"

देव, "एई.....!!"

धारा "क्या ऐई..?? चुपचाप फेस कवर करो और चलो..!!"

देव , " कहां ??"

धारा, "बिना नहाए मंदिर में आने का अपराध किया है! चलकर गंगा जी मे डुबकी लगाकर अपराध की क्षमा मांगने !!"

देव , " गंगा नदी तो हरिद्वार में है ना..??"

धारा, " गंगा हिंदुस्तान की सबसे बड़ी नदी है !! सिर्फ हरिद्वार ही नही, बहुत सारे शहरों से होकर गुजरती है...!!"

देव, " तो.... यहां पर कैसे आयी..??"

धारा, " यहां पर...! वो ना यहां के लोगों के पास पानी की बड़ी समस्या थी !! तो सारे लोग पहुंच गए चाकू-चम्मच लेकर, गंगा का प्रवाह मोड़ने के लिए !!"

धारा का बेतुका जवाब सुन देव ने मुंह बिगाड़ लिया ! उसने जैसे ही बोलने के लिए मुंह खोला,

धारा, "ए... अगर तुमने फिर से कोई बकवास सवाल किया न, तो मैं ही तुम्हे बीच चौराहे पर लेजाकर गोली मार दूंगी !!"




धारा और देव दोनो पेपर्स पर लिखे हुए कुछ अन्य एड्रेस पर भी पहुंचे ! पर कुछ विशेष जानकारी नही मिली ! सुबह धारा ने विमलेश जी को अपना नंबर दे दिया था और उनका नंबर भी ले लिया था। उन्होंने मना किया था धारा से कॉल करने को ! कहा था, " मैं खुद आपको बुला लूंगा, चाभी की व्यवस्था होते ही !!"

दोपहर के लगभग चार बजे विमलेश जी का फ़ोन आया ! डुप्लीकेट चाभी बनवा ली थी उन्होंने..!! देव और धारा उस कॉलोनी में पहुंचे ! विमलेश जी बाहर ही मिल गए.! कॉलोनी एक पॉश एरिया में थी ! वहां सब वर्कर्स लोग ही रहते थे ! सुबह जल्दी जाना देर रात को लौट के आना ! और जो लोग घर मे रहते थे वो घर के अंदर ही रहते थे, बाहर कोई भी आये जाए किसी को कोई मतलब नही..! इसी का फायदा धारा और देव को मिला !!
जब वो लोग कॉलोनी में पहुंचे तब वहां कोई नही था...जो उन्हें देख सके !! विमलेश जी ने घर का लॉक खोला.!! पूरे घर मे डस्ट और जाले हो रहे थे। सामान अस्तव्यस्त पड़ा था..!!
धारा की नजरें सामने दीवार पर गयी। जहां बहुत सारे फोटोज से कोलाज बनाया हुआ था ! उन तस्वीरों पर भी धूल जमी हुई थी !! धारा ने विमलेश जी से कहा, " यहां तो साफ-सफाई करने में ही चार दिन लग जाएंगे ! पता नही कब से घर बन्द पड़ा है !!"

धारा ने घर के बाकी रूम्स में भी जाकर देखा ! एक रूम और था जिसमे लॉक लगा हुआ था ! विमलेश जी ने कहा, " ये ही देव बाबू का कमरा है !! इसकी चाभी तो घर मे ही होगी पर ढूंढनी पड़ेगी..!!"

धारा, " ठीक है ना तो, ढूंढ लेते हैं.!"

" मैडम मैं यहां ज्यादा देर नही रुक सकता ! मेरा गेट के पास होना जरूरी है !! आप और देव बाबू ढूँढिये मिल जाएगी ! मैं सात बजे फ्री होता हूँ फिर आ जाऊंगा !" विमलेश जी ने कहा और बाहर निकल गए।
धारा वापस बाहर आई ! देव तस्वीरों को साफ कर चुका था तब तक ! तस्वीरो में कुछ तस्वीरे उसके पैरेंट्स की, कुछ दोस्तों की तो कुछ उसके अकेले की थी। देव बड़े गौर से उन्हें देख रहा था ! धारा ने पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखा ! देव ने झट से अपनी आंखों की कोर साफ कर ली।
"क्या किस्मत है मेरी..! मैं किसी को जानता तक नही ! किसी ओर को क्या. मैं तो खुद कौन हूँ ये भी नही जानता..!!"

धारा उसके गले लग कर, " सब ठीक हो जाएगा देव ! धैर्य रखो थोड़ा ! जब यहां तक आ गए हैं तो आगे भी पहुंच ही जायेंगे !! तुम्हे भी सब याद आ ही जायेगा...!!!"

देव अलग हुए धारा से ! धारा ने उसके आंसू पोंछे और कहा, " अब जब तक तुम्हारे बारे में हमे कुछ पता नही चल जाता हमे यहीं रुकना होगा..!! और यहां रुकने के लिए थोड़ी सफाई भी करनी होगी !!"

देव ने सिर हिलाकर हामी भरी ! दोनो ने एक एक कोने पकड़ लिए सफाई के लिए!!पर उसके पहले धारा ने विमलेश जी को कॉल कर पहले कुछ पेपर्स और सामान लाने को कहा !!

दोनो ने मिलकर पहले हॉल की सफाई की फिर दूसरे रूम की उसके बाद किचन की !! रात के आठ बजे गए उन्हें सफाई करने में ही !दोनो को भूख लगने लगी थी पर दोनो ही थककर इतने चूर हो गए कि उठने तक नही बन पा रही थी..!!! खाना क्या खाक बनाते?
रात को विमलेश जी दोनो के लिए खाना लेकर आये ! जैसे ही उन्होंने घर देखा, हैरान रह गए ! घर एकदम चकपक लग रहा था ! " क्या बात है? पूरा घर ही चमका दिया आप लोगों ने तो..!!"

"हाँ घर तो चमका दिया पर हमें ऐसा कुछ भी नही मिला, जिससे इस खाली दिमाग के बारे में कुछ पता चल सके..!!" धारा ने देव की ओर इशारा करते हुए कहा।

देव गुस्से से, "तुमने मुझे खाली दिमाग वाला कहा..??'

"अरे नही कहा देव बाबू..! आप दोनो खाना खा लो ! थक गए होंगे ! मैं थाली लगा देता हूँ..!!" विमलेश जी दोनो को बोले।

धारा ने देव को खाना नही खाने का इशारा किया ! चाहे उसने परिस्थिति की वजह से विमलेश जी पर इतना विश्वास कर लिया था! पर वो कोई रिस्क नही लेना चाहती थी !! विमलेश जी ने खाना लगाया और जो सामान था वो धारा को पकड़ा दिया ! विमलेश जी जैसे ही जाने लगे, धारा ने उन्हें रोकते हुए कहा, " अंकल जी..! आप हमारे लिए इतना कर रहे हैं उसके लिए धन्यवाद बहुत छोटा शब्द है ! पर क्या आप आज हमारे साथ खाना खा सकते हैं..??"

विमलेश जी ने पहले तो मना किया, किंतु देव और धारा के बार-बार मनुहार करने पर वे तैयार हो गए ! धारा ने अपनी और देव की थाली में से थोड़ा-थोड़ा सब विमलेश जी की थाली में डाल दिया ! दाल-चावल और रोटी !! धारा ने थाली में साइड में भगवान को भोग लगाया और हाथ जोड़े ! यही काम विमलेश जी ने किया! धारा और देव ने एक दूसरे को देखा !
विमलेश जी ने कहा, "आप दोनो खा क्यों नही रहे हैं..??"

धारा, " जब तक आप शुरू नही करते हम कैसे खा सकते हैं अंकल ..??"

विमलेश जी ने मुस्कुराते हुए खाना स्टार्ट कर दिया ! धारा को तसल्ली हो गयी कि खाने में कुछ मिलावट नही है ! और उन दोनों ने भी खाना स्टार्ट कर दिया। खाना खाकर विमलेश जी दोनो को सतर्क रहने का बोलकर चले गए ! दोनो में ही इतनी हिम्मत नही बची थी कि खाने की प्लेट्स उठाकर रख दें ! दोनो के दोनो सोफे पर पड़े-पड़े ही सो गए !!

आधी रात को धारा की आंख खुली ! उसने देखा, देव सोफे के कोने पर सिर और पास रखी टेबल पर पैर रखकर सोया हुआ था ! और धारा उसके सीने पर सर रखकर । धारा एकदम आराम से उठी और थोड़ी दूर जाकर खुद के सिर पर मारते हुए बोली, " धारा आज तूने दूसरी बार ये बेवकूफी की है ! वो तो देव अच्छा इंसान है इसलिए वरना कोई ओर होता तो ऐसे मौके का फायदा जरूर उठाता !! ऐसे कैसे सो गई तो धारा...??"

धारा ने देव को देखा जो थकान की वजह से गहरी नींद में था ! धारा ने अपना पर्स उठाया और उसमे से एक चाभी निकाली !! ये देव के रूम की वही चाभी थी जो उसे सफाई करते समय वास के अंदर से मिली थी !!
धारा ने बिना आवाज़ किये धीरे से देव के रूम का लॉक खोला ! रूम की लाइट ऑन करी ! रूम में भी बहुत धूल-जाले हो रहे थे ! धारा ने फिर से बाहर आकर देव को देखा, कहीं वो जाग न जाये ! धारा ने उसे देखते हुए मन ही मन सोचा, " माफ कर देना देव ! चाभी मिलने के बाद भी मैंने तुम्हें नही बताया! पता नही तुम्हारे रूम में क्या मिले जो तुम्हारे बारे में कुछ तो बताए..!! अगर मैं तुम्हे बताती चाभी के बारे में और रूम में कोई ऐसी चीज़ मिलती जो तुम्हे तनाव दे..तो तुम्हारी तबियत खराब हो जाती !! फिलहाल जब तक मैं पूरी तरह से तसल्ली नही कर लूं तुम्हे नही जगा सकती !!"

धारा जल्दी से अंदर आयी और रूम चेक करने लगी ! कबर्ड में भी लॉक था ! और कुछ अलमारियां थी, जिनमे भी लॉक लगा था !! धारा अपने सिर पर हाथ रखकर खड़ी हो गयी ! तभी उसकी नज़र सामने दीवार पर लगी फोटोज पर पड़ी !
धारा मुंह खोले एक एक फोटो को देखने लगी !! "ये तो.....वही दिव्या है..!!! मतलब... देव जिस दिव्या का नाम सुनकर परेशान हो जाता था वो दिव्या ये है !!"
धारा को कुछ भी समझ नही आ रहा था ! पर उन फोटोज से इतना तो क्लियर था कि दिव्या और देव एक दूसरे के बहुत क्लोज़ थे ! शायद गर्लफ्रैंड-बॉयफ्रेंड !!

धारा ने फिर से एक एक कर ड्रावर ओपन करने की कोशिश की मगर नाकाम रही !! "भगवान जाने अब इन सबकी चाभी कहां स्पेशल जगह छुपा कर रखी होगी इसने..??" गुस्से में धारा ने एक अलमारी में लात मारी! अलमारी के नीचे से एक चाभी धारा। के पैरों में आकर गिरी !! धारा ने झुककर अलमारी के नीचे देखा, 'एक सीक्रेट लॉकर था उसमें !!

"बाप रे ! कोई चोंर अगर चोरी करने आये तो दीवार से सर फोड़कर निकल जाए वापस !! कहां कहां तो चाभियाँ छुपाकर रखी है इस इंसान ने..!! वास्तव में सीबीआई वाला दिमाग ही चलता है !! अब ये चाभी है किस लॉकर की है या अलमारी की !! एक एक मे लगाकर देखना होगा !!"

धारा ने एक दो अलमारी और ड्रावर में की फंसाकर देखी ! लेकिन वो चाभी किसी लॉक की नही निकली !! धारा ने समय देखा ढाई बजे रहे थे ! उसने वापस सो जाने में ही भलाई समझी !!



क्रमशः