Dhara - 6 in Hindi Love Stories by Jyoti Prajapati books and stories PDF | धारा - 6

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धारा - 6

धारा ने कुछ दिनों का मेडिकल लीव ली..!देव और धारा ने अपना कुछ जरूरी सामान बेग में रखा और निकल पड़े अपने सफर के लिए..!! दोनो सबसे पहले उसी हॉस्पिटल पहुंचे जहां देव धारा को मिला था..!!
हॉस्पिटल पहुंचकर उन्होंने ये पता करना था कि देव कहां पर मिला था उन्हें..?
हॉस्पिटल के स्टाफ से पता चला कि, देव के पास से जो सामान मिला था, उसमे एक कार्ड था, जिसमे यहां का पता था..! इसी लिए देव को यहां भेज दिया गया, ताकि अगर कोई उसे जानने वाला हो तो आ जाये लेने।

धारा ने पूछा,"कहां से शिफ्ट किया गया इन्हें..??"

"देहरादून से मैम..!!" रिसेप्शनिस्ट ने कहा।

"देहरादूरन से...!!" धारा और देब दोनो ही हैरान रह गए..!

"लेकिन मैं वहां क्या कर रहा था..??" देव ने पूछा।

"अब ये तो तुम्हे पता होना चाहिए था..! मैं क्या बोलूं..??" धारा ने कहा।

"तो अब क्या करें..? देहरादून चलें..??" देव ने पूछा !

धारा ने कुछ सोचते हुए कहा,"अब अगर सब जानना है तो चलना ही होगा..!! तुम्हारे एक्सीडेंट के बारे हमे वहीं से पता चलेगा..??"

देव कुछ सोच में पड़ गया..! उसने धारा से पूछा," मुझे एक बात समझ नही आई पर..! तुमने तो कहा था कि, एक रोड एक्सीडेंट में मेरे पैरेंट्स की डेथ हो गयी और मैं कोमा में चला गया था..!! पर यहाँ आकर तो पता चल रहा है कि कहीं और से मुझे शिफ्ट किया गया था और फिर यहां से तुम मुझे अपने साथ ले गयी !! तो फिर तुम्हे कैसे पता चला मेरे एक्सीडेंट के बारे में, मेरे पैरेंट्स की डेथ के बारे में ..??"

धारा ने उससे कहा,"अभी यहां से निकलते हैं ! रास्ते मे बताती हूँ तुम्हे सब..!!"

धारा ने एक कैब बुक की और देव के साथ रेलवे स्टेशन पहुंची !! फिर वहां तत्काल में दो टिकिट लिया देहरादून के लिए !! ट्रैन देर शाम को आने वाली थी ! अभी समय था दोनो के पास तो धारा ने कहा," वहां जो सामने होटल दिख रही है वहां चलकर कुछ खा लेते हैं पहले.!!"

देव के मन मे अभी भी खलबली मची हुई थी ! धारा ने उससे झूठ कहा या उससे सच छुपाया इसी उलझन में वो धारा के साथ चल पड़ा।

दोनो ने खाना खाया और वहीं स्टेशन पर बेंच पर बैठ गए ! देव कुछ पूछता उसके पहले ही धारा ने कहना शुरू कर दिया," मैं अपने किसी काम से उस हॉस्पिटल गयी थी ! जहां तुम पिछले कई महीनों से एडमिट थे ! जब मैंने तुम्हें ऐसी हालत में देखा तो दंग रह गयी.! तुम कोमा में थे ! कुछ पता भी नही था वहां कैसे पहुंचे..? जो तुम्हे एडमिट करके गया था, उस बंदे की भी कोई खबर नही थी किसी के पास ! तुम्हे देहरादून से लाया गया था, ये बात मैं भी नही जानती थी ! मुझे बस इतना पता था, तुम्हे जल्द से जल्द वहां से किसी सेफ जगह पर लेकर जाना है ! जहां कोई तुम्हे नही जानता हो ! तुम मेरी नज़रो के सामने ही रहो !!"

"मुझे सेफ जगह पर लेकर जाना, जहां कोई मुझे जानता ना हो ! मतलब..???" देव ने हैरानी से पूछा।

धारा, "देव, कैसे कहूँ तुमसे और क्या कहूँ..? तुम्हारे बारे में जितना पता है उतना तो बता ही सकती हूँ !! पर शुरुआत कहां से करूँ..? समझ नही पा रही !!"

"तुम शुरुआत से ही बताओ सब कुछ ! मुझे सब जानना है..!!" देव ने कहा।

"देव, ट्रैन आ गयी ! हम अंदर चलते हैं ! मैं तुम्हे वहीं सब बताती हूँ.! चलो !!" धारा ने कहा और देव का हाथ पकड़ कर ट्रैन में चढ़ गई !! सफर लंबा था इसलिए धारा ने स्लीपिंग कोच का टिकिट लिया हुआ था ! दोनो सीधे वहीं पहुंचे ! अपना बैग रखकर दोनो आमने सामने बैठ गए..!!

देव ने कहा, " अब बताओ !!"

धारा, "देखो, बचपन वाली जो बात है वो बिल्कुल सही थी ! उसमें कुछ झूठ नही कहा था मैंने !! आज मैं जो कुछ भी हूँ तुम्हारे पापा की वजह से ही हूँ !! तुम्हारे पापा पुलिस में थे, किसी ने दुश्मनी निकालने के लिए उनका मर्डर कर दिया था !!"

देव सन्न रह गया सुनकर ! उसके हाथ कांपने लगे ! उसकी हालत देख धारा डर गई ! धारा तुरंत सामने से उठकर देव के बगल में आ बैठी और देव का हाथ पकड़कर उसकी हथेलियां रगड़ने लगी !! धारा ने कहा, " तुम्हारे पापा की डेथ हुए पूरे आठ साल हो गए देव !!"

देव ने हैरानी से धारा को देखा ! धारा ने कहा," जानती हूँ तुम क्या सोच रहे हो .? यही ना, की मैंने तुमसे झूठ क्यों कहा कि तुम्हारे पैरेंट्स की उसी एक्सीडेंट में डेथ हो गयी, जिसमे तुम्हारी याददाश्त गयी थी..!!"

देव ने हामी में सिर हिलाया !
धारा ने उससे कहा," मैंने ये इसलिए कहा, क्योंकि मैं तुम्हारे दिमाग पर प्रेशर डालने वाली कोई बात नही करना चाहती थी..! अगर मैं तुम्हे बताती की तुम्हारे पैरेंट्स की डेथ पहले ही हो गयी तो तुम अपने घर जाने की ज़िद करते ! अपने बारे में पता करने की कोशिश करते ! तुम्हारे बारे में क्या बताती मैं तुम्हे..?? उस समय मेरे दिमाग मे जो आया, वो ही मैंने तुमसे कह दिया ! देव मैं खुद नही जानती थी तुम्हारे बारे में ज्यादा ! तुम्हारे पापा की डेथ के बाद मम्मी भी सदमे में चली गयी! पैरेंट्स की मौत के बाद तुम तो ऐसे गायब हुए अचानक, किसी को पता ही नही चला तुम कहाँ हो.? किस हाल में हो ?"

देव नीचे चेहरा कोई सुन रहा था ! चेहरे पर एकदम गंभीरता लिए देव ने धारा से पूछा, " मैं कौन हूँ धारा...??"

"तुम एक सीबीआई इंस्पेक्टर हो देव..!!" धारा ने सपाट लहजे में कहा।

देव को विश्वास ही नही हो रहा था ! वो आश्चर्य से धारा को देखने लगा !

धारा, "तुम्हारी मम्मी की डेथ पर हम दोनो आखिरी बार मिले थे ! उसके बाद तुम्हारे कुछ पता नही था किसी को भी ! तुम सीबीआई इंस्पेक्टर बन गए हो, ये बात भी मुझे दिव्या से पता चली थी ! जब एक बार दिव्या तुम्हारे पापा की बरसी पर आयी थी !! उसी से फ़ोन पर तुम्हारे बारे में पूछती रहती थी ! क्यों कि तुमसे बात करने की कभी हिम्मत ही नही हुआ करती थी..!!"

"ऐसा क्यों..??" देव ने हैरानी से पूछा।

धारा ने कहा, "वो मेरी आदत ज्यादा बोलने की, ज्यादा मस्ती करने की थी और तुम और दिव्या शांत और गंभीर रहने वाले ! तुम दोनो का नेचर सेम था ना, इसलिए तुम्हारी उससे ज्यादा बनती थी! तुम मुझसे बहुत ही कम बातें करते थे ! जैसे-जैसे हम बड़े होते गए थोड़ी समझदारी आती गयी ! तुम्हारा बोर्डिंग स्कूल और दिव्या का होस्टल ज्यादा दूर नही था !! इसलिए अंकल जब भी तुमसे मिलने जाते तो उसी रुट पर दिव्या से भी मिल लिया करते और साथ मे तुम भी !! मैं थोड़ा अलग पड़ जाती थी !
एक दो बार मैंने किसी से सुना था, तुमपर जानलेवा हमला हो चुका है! पहले ही कई बार कोशिश की गई, मगर हर बार असफल रहे वे लोग, जो तुम्हे मारना चाहते थे!!
पर शायद इस बार उनकी प्लानिंग अच्छी थी, इसलिए लगभग काम हो ही गया था उनका !!
मैं कोई रिस्क नही लेना चाहती थी तुम्हारी लाइफ को लेकर इसलिए तुम्हे पिछले आठ महीनों से सबसे छुपाकर अपने घर मे रखा हुआ है !!"

देव, "मैं सीबीआई में था ! दिव्या एक आईएएस है और तुम डॉक्टर...!! एक बात बताओ.....

धारा, "अब कुछ नही बताना! मुझे कुछ नही पता ! सुबह से लगी हुई हूँ काम मे ! अब बहुत थक गई हूं देव ! जानती हूँ अब भी सैकड़ो सवाल होने तुम्हारे ज़हन में ! पर धीरे-धीरे जानते जाओगे न सब ! हम लोग कल रात तक पहुंच जाएंगे देहरादूरन...! और तुम्हारे किसी ना किसी सवाल का जवाब हमे वहां जरूर मिलेगा..! विश्वास करो मुझपर..!!!"

देव, "हम्म ठीक है ! कहीं से ही सही शुरुआत तो हो रही है !!"

देव खिड़की से बाहर झांकने लगा ! जहां पेड़ पौधे, मकान खेत खलिहान पीछे छूटते नज़र आ रहे थे ! उन्हें देखकर देव फिर किसी सोच विचार में गुम हो गया ! वहीं धारा मोबाइल निकालकर देखने लगी !

थोड़ी देर बाद धारा ने बेग से एक शॉल निकाला और बेग को सिरहाने रखकर, शॉल ओढ़ा और आंखे बंदकर सीट पर लेट गयी !! ठंडी हवा अंदर आ रही थी ! धारा ने देव से कहा," देव सर्दी लग जायेगी तुम्हे ! खिड़की बन्द करो और दवाई खाकर सो जाओ !!"

देव ने बेग से दवाई और पानी की बोटल निकाली ! दवाई खाकर बेग में से अपना शाल निकाला और धारा की तरह ही बेग पर सिर रखकर, शॉल ओढ़कर सो गया !

रात को देव की नींद खुली !! प्यास लगी थी उसे ! उसने बोटल में देखा, पानी खत्म हो चुका था ! फिर धारा के बैग पर नज़र गयी ! धारा के सिर के पास बॉटल रखी हुई थी ! देव आहिस्ते से पानी की बोटल निकालने लगा ! देव जैसे ही बॉटल निकालता, धारा ने नींद में ही उसका हाथ अपने दोनो हाथों से पकड़ा और गाल पर रख लिया।।

देव ने हाथ छुडाना चाहा, मगर धारा ने ओर कसकर पकड़ लिया ! देव धीरे से वैसे ही आगे की ओर झुककर पीछे बैठ गया !
थोड़ी देर बाद धारा की पकड़ जब ढीली हुई, देव ने अपना हाथ खींच लिया ! देव लेटकर धारा को देखने लगा !! धारा के बाल, हवा के झोंको की वजह से उड़कर चेहरे पर आ रहे थे..!!
अनायास ही धारा नींद में मुस्कुराने लगी ! जैसे कोई हसीन सपना देख रही हो..! देव को थोड़ा विचित्र लगा ! मगर नींद में मुस्कुराती हुई धारा, एक मासूम बच्चे की तरह लग रही थी !! जैसे कोई मासूम बच्चा सोया हुआ हो ! धारा की मुस्कान से, देव के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई!! देव बहुत देर तक अपलक धारा को निहारता रह ! मगर उसकी हिम्मत नहीं हुई, धारा के चेहरे पर से बाल हटाने की।

होंश में आने के बाद देव ने धारा के साथ लगभग चार-पांच महीने बिताए थे ! मगर कभी धारा पर उसने इतना गौर नही किया था !
आज देखा था उसने गौर से धारा को ! पतले, उभरे हुए होंठ, मोटी मोटी आंखे, आंखों के पास तिल, जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहा था ! स्टेप्स में कटे हुए बाल ! गले मे ॐ का लॉकेट ! हाइट में उसके कंधे तक ही लगती थी सिर्फ..!!

देव सोचने लगा, " अगर मुझे मेरा बीता हुआ वक़्त याद आ जाता है तो क्या मैं इसे छोड़कर वापस पहले वाली ज़िन्दगी जीने लगूंगा..?? इसने मेरे पैरेंट्स के एहसान को चुकाने के लिए मेरे साथ इतना सबकुछ किया..!! बदले में मैं क्या करूँगा इसके लिए !!"

सोचते विचारते देव नींद की आगोश में चला गया ! अभी तो एक ही रात हुई थी ! अगले पूरे दिन का सफर बाकी था दोनो के लिए.....!