भाग ।। ) हद्द - ऐ - आशिकी
एक बिछडन की तड़प के बाद अब कहानी को आगे बढ़ाते है , और हमारी कहानी 5 साल आगे पहुँचती है , सौम्या के भी मॉडलिंग का कोर्स पूरा हो गया और अपने घर मम्मी को फोन लगाती है .।।
सौम्या - हेलो मम्मी , कैसी हो , कितने दिन हो गए मिले नहीं …
मम्मी - आज कैसे टाइम मिल गया तुझे फोन करने का … आजा वापस लखनऊ , मिल जा अपने मम्मी पापा से .।।
सौम्या - हाँ , मम्मी आ रही हूँ लखनऊ , आपको मिलवाना भी है किसी से ..
मम्मी - मिलवाना … मतलब … शादी कर ली क्या वहां ..??
सौम्या - अरे नहीं मम्मी .. बस आती हूँ फिर मिलती हूँ …
सौम्या , तैयारी करती है लखनऊ आने की …
सौम्या ट्रैन से उतर के सीधा अपने घर ही आती है …
सौम्या मम्मी से - मम्मी … कितने साल बाद मिल रहे है ऐसा लग रहा … मगर देखो लखनऊ अपना नहीं बदला … सब वैसा ही लगता है .।।
मम्मी - हाँ तो तेरे आने से बदल जाएगा क्या …
अब सौम्या मोहल्ले में आएंगी तो खबर तो लगेगी ।।
अभिषेक के दोस्त उसे सौम्या के बारे में बताते है …
दोस्त - अभी मेरे भाई …. भाभी आ गई वापस … तू बोला था न .. के वो वापस आएंगी, आ गयी ,।।
अभिषेक - चौकते हुए … क्या …??? क्या बात कर रहे हो ….?? सौम्या आ गयी …??
दोस्त - हाँ भाई , अभी देख के भी आया हूँ …
अभिषेक - बहुत खुश हो जाता है … उसे संभला नहीं जाता … आखिर सौम्या को वो अब 5 साल बाद देखेगा … वो सीधा uske घर आता है ।।
अभिषेक - घर के बहार से ही … Saumyaaaa…… Saumyaaaa…. चिल्लाने लगता है।।
सौम्या - अरे मम्मी , ये कौन चिल्ला रहा है बाहर ..
मम्मी - अरे तुमने आवाज़ नहीं पहचानी …?
सौम्या - नहीं मम्मी …. देखती हूँ जाके …
सौम्या नीचे आती है और सामने देखती है …
अभिषेक ने पूरी रोड पे फूल बिछाए हुए होते है और सामने खड़ा होता है ..
सौम्या --- ये सब देखके …. अरे ये सब क्या …
अभिषेक - अरे सौम्या …. पहचाना नहीं क्या …
सौम्या - नहीं ऐसा नहीं है … पहचान लिआ .. अभिषेक ना … ?
अभिषेक - (इतना ठंडा रिस्पांस देख के उसे समझ नहीं आता … जिसका इंतज़ार उसने भगवन से ज़ादा किआ … उसका ऐसा रिएक्शन )
अभिषेक - क्या तुम्हे मिलके ख़ुशी नहीं हुई सौम्या ..?? मैंने तुम्हारा इतने साल इंतज़ार किआ है … हम लोग कितना प्यार करते थे एक दूसरे से ।।।
सौम्या - हेलो , अभिषेक , वो बचपन की बातें थी … सब करते है .. अब ऐसा कुछ भी नहीं है …. और इतने साल वेट किआ …?? क्यों … मैंने तुमसे वेट करने बोला था क्या …? मैंने कोई कॉल तुम्हे की क्या …?
अभिषेक - मगर वो सब पुरानी बातें …???
सौम्या - भूल जाओ यार , हाँ हम दोस्त बन सकते है .
अभिषेक की आँखों में आंसू होते है … . और वो टूट जाता है ….
2 दिन बाद सौम्या स्टेशन आती है …. किसी को पिक करने … तो ये आते है सौम्या के बॉय फ्रेंड “खालिद ” जिसे वो मम्मी से मिलवाने लायी है … खालिद अफ़ग़ानिस्तान का रहने वाला है , और एक मॉडलिंग कांटेस्ट में दोनों की मुलाक़ात हुई … खालिद एक फोटोग्राफर है ।।
सौम्या - ओह खालिद , कितना मिस किआ तुम्हे 2 दिन में ही …
खालिद - हाँ मैंने भी तुम्हे बहुत मिस किआ .. रहा नहीं गया और फ़ौरन भाग आया तुम्हारे पास ..
सौम्या - चलो घर चलते है और तुम्हे सबसे मिलवाते है …
सौम्या खालिद को लेके घर आती है .. और सबसे मिलवाती है ..
मम्मी ये खालिद है मेरा बॉय फ्रेंड मुंबई से ..
मम्मी - क्या …? क्या बात कर रही हो सौम्या … ये मुस्लमान …?
सौम्या - हाँ तो मम्मी क्या हुआ ..? मैं खालिद से शादी करना चाहती हूँ ….
मम्मी - नहीं , मुझसे तो तुमने नहीं पूछा ..? मुझे नहीं पसंद … समाज परिवाल वाले क्या सोचेंगे और अपने कमरे में चली जाती है …
सौम्या को मम्मी का गुस्सा देख के समझ नहीं आता क्या करे …. उसे एक आईडिया आता है …
सौम्या अभिषेक को बुलाती है और बोलती है मिलना चाहती है …
अभिषेक खुश हो जाता है .. उसे लगता है सौम्या को अपने पुराने दिन याद आ गए है .. और वो पहुंच जाता है मिलने …
सौम्या - कैसे हो अभिषेक …? तुम्हे किसी से मिलवाना है ।।
अभिषेक को समझ नहीं आता किस्से मिलवाने के लिए बोल रही है …?
तभी पीछे से खालिद आता है ….
सौम्या - अभिषेक ये है खालिद मेरा मंगेतर ….
अभिषेक - ( चौक जाता है … ऐसा लगता है उसके निचे से ज़मीन ही चली गई हो … ). Mmmmmangetar… तुमने बताया नहीं …
सौम्या - हाँ तो अब बता तो रही हूँ …
सौम्या - तुम न इतने पुराने हमारे मोहल्ले के हीरो हो .. मेरी मम्मी को तुम्हे मानना होगा हमारी शादी के लिए ..
अभिषेक - (कुछ समझ नहीं आता उसे ..) क्या …? क्यों … क्या हो गया …?
सौम्या - अरे मम्मी है हमारी पुराणी सोच वाली .. मुस्लिम लड़के की वजह से मन कर रही है … और तुम बोलोगे तो शायद मान जाये …
अभिषेक - कुछ बोल नहीं पाता … और बस … एक हलकी सी हाँ बोलके वहां से चला जाता है …
अभिषेक को अब रोने के बजाये गुस्सा आता है …. वो सोचता है जिसके लिए उसने अपनी पढाई तक का बलिदान कर दिआ …. जिसके खयालो में हमेशा रहता रहा .. उसने कभी प्यार ही नहीं किआ ….
अगले दिन अभिषेक खालिद को बुलाता है मिलने के लिए ..
अभिषेक - खालिद आजा न मिलते है , बताता हूँ तुम्हे कैसे इम्प्रेस करना है सौम्या के घरवालों क।।।
खालिद - अरे वह .. तुम बताओगे मुझे .. खालिद खुश हो जाता है ।।
अभिषेक उसको काफी दूर मिलने बुलाता है .. और बोल देता है के सौम्य को मत बताना … नहीं तो मज़ा ख़राब हो जाएगा …
खालिद भी खुश हो जाता है और टैक्सी पकड़ के चला आता है ।।।
खालिद जब वहां पहुँचता है , अभिषेक पहले से ही वहीं होता है …
अभिषेक पीछे से - हेलो खालिद ।।
खालिद - हे अभिषेक , कैसे हो .. बहुत अच्छा लगा तुम हेल्प करने आये .।।
अभिषेक - खालिद , तुम्हे पता है मेरे और सौम्या के बारे में ..??
खालिद - तुम्हारे और सौम्या ….?? मतलब .. मैं समझा नहीं …?
अभिषेक - मैं सौम्या को बचपन से प्यार करता हूँ .. और इतना .. के बचपन में जेल तक जा चूका हूँ उसकी वजह से …
खालिद - थोड़ा घबराया हुआ … मैं समझ नहीं पा रहा अभिषेक .. तुमने यहाँ क्यों बुलाया है मुझे ..??
अभिषेक - जेब से एक बहुत ही नुकीला चाक़ू निकालता है .. और उसके पेट में डाल देता है ।।
खालिद - अभिषेक … ??? ये क्यों ….??
हर तरफ खून ही खून … खालिद चिल्लाता है मगर दूर दूर तक कोई नहीं ….
अभिषेक - मेरी तुमसे कोई ख़ास दुश्मनी नहीं .. मगर सौम्या का प्यार सिर्फ मेरे लिए है .. और किसी के लिए भी नहीं ….
अभिषेक उसे वहीँ मार्के … गाड़ देता है … और चला जाता है …।।
इधर सौम्या को कहीं भी खालिद नज़र नहीं आता … उसका फ़ोन भी नॉट reachable जाता है … उसे समझ नहीं आता .. खालिद यहाँ किसी को जानता नहीं .. तो गया कहाँ ..?
काफी परेशां होक सौम्या अभिषेक को फोन करती है ।।
सौम्या - अभिषेक , खालिद से कोई बात हुई क्या ..?
अभिषेक - नहीं , सौम्या , मेरी तो उस दिन से ही कोई बात नहीं हुई जब तुमने मिलवाया था … क्या हुआ ..?
सौम्या - पता नहीं सुबह से नहीं दिखा …. और फ़ोन भी नॉट रचाबळे है ।।
सौम्या पूरा दिन इंतज़ार करने के बाद … पुलिस कंप्लेंट लिखवाती है … के खालिद कहीं गुमशुदा है ….?
सौम्या को इतना तड़पता देख के … अगर कोई खुश हो रहा होता है तो वो है अभिषेक …।।।
अभिषेक (मन ही मन में … अब पता चला तड़प क्या होती है …. जब आप किसी की राह ताको और वो नज़र न आये …. )
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भाग ३ (इश्क की तड़प )
अगले दिन परेशां सौम्या अपने घर में होती है और अभिषेक घर आता है … सौम्या को न जाने क्या समझ आता है वो अभिषेक को गले लगा लेती है …
सौम्या जो की बिलकुल टूटी हुई सी थी , उसे कोई नहीं समझ आता जिससे अपना ग़म बातें , और सामने अभिषेक में उसे कोई अपना नज़र आता है …
अभिषेक , थोड़ा खुश होता है , और उसे कहता है ..
अभिषेक - चलो सौम्या , ज़ादा घबराओ मत , पता चल जाएगा खालिद का .. चलो कहीं बहार चलते है .. हो सकता है कहीं नज़र आ जाये ..
दोनों बहार चाय पीने आते है ..
सौम्या - तुम्हे पता है अभिषेक , खालिद मुझे एक कांटेस्ट में मिला , और उसे देखते ही प्यार सा हो गया था , इतना ध्यान रखने वाला और प्यारा , उसे भी मेरी फोटोज लेनी बहुत अच्छी लगती थी , हम धीरे धीरे मिलते रहे … और कब इतना करीब आये पता ही नहीं चला … हमने 3 महीने पहले ही सोचा अब शादी करने को …
अभिषेक - बस सुनता रहा …
अभिषेक - वैसे सौम्या , तुम्हे कभी मेरी याद नहीं आयी जब से तुम गयी …
सौम्या - अभिषेक वो बचपन की बातें थी , तुम दोस्त थे , और हो भी सकता है वो प्यार हो , लेकिन बचपन में किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है …. अब ऐसा कुछ नहीं है …
अभिषेक से हाथ में पकड़ा हुआ कप टूट जाता है .. और गरम चाय उसके हाथो में … (इतना गुस्सा आता है अभिषेक को .सौम्या की बातें सुनकर )
सौम्या - अरे अरे अभिषेक ,… ये क्या हुआ ….??
अभिषेक - कुछ नहीं --- वो कप बहुत हल्का है लगता है .. गरम से टूट गया ..
सौम्या —ओह्ह अच्छा अच्छा .. चलो चलते है … एक पुलिस स्टेशन होके आते है ..
अभिषेक घबरा जाता है …
अभिषेक - सौम्या तुम जाओ , मैं कुछ काम करके घर आता हूँ … बहुत ज़रूरी है ..
सौम्या - अच्छा ठीक है …
सौम्या पुलिस स्टेशन जाती है ।।
सौम्या - कुछ पता चला सर ..?
पुलिस - नहीं सौम्या जी , अभी कुछ पता नहीं चल रहा है …. हम पता करवा रहे है .. आपको कोई शक , किसी से उनकी दुश्मनी या …?
सौम्या - नहीं सर , वो तो पहली बार ही यहाँ लखनऊ आया … उसकी किस्से दुश्मनी होगी …
पुलिस - Ok…हम पता कर रहे है , आपको बताते है जैसे ही कुछ पता चलता है …।।
सौम्या - हताश होके फिर घर आ जाती है … और खालिद की यादों में खो जाती है …
सौम्या - खालिद तुम कहाँ चले गए …? वापस आ जाओ …
(खालिद कहाँ वापस आएगा , उसे तो अभिषेक ने मार दिए ….)
अभिषेक उधर अपने घर पहुँचता , और पूरा पसीने की हालत में क्युकी वो भी घबराया हुआ होता है , उसे खून तो हो गया .. मगर अब समझ नहीं पा रहा था करे क्या …अगले दिन अभिषेक फिर सौम्या के घर पहुँचता है … और ऐसे ही इनका मिलना रोज़ शुरू हो जाता है … और ऐसा करीब 2 हफ्ते चलता है … और अभिषेक भी खुश हो जाता है … के अब उसने फिरसे वापस सौम्या को पा लिया … और सौम्या को भी ठीक लग रहा अभिषेक के साथ क्युकी उसने तो पहले ही साफ़ कर दिए था के उसके मन में अभिषेक के लिए कुछ नहीं है ..
दोनों साथ बैठे ही होते है के सौम्या के पास पुलिस स्टेशन से फ़ोन आता है …
पुलिस - हेलो , सौम्या जी
सौम्या - हांजी इंस्पेक्टर सर बताइये
पुलिस - वो आपको पुलिस स्टेशन आना होगा …
सौम्या - क्या हुआ
पुलिस - वो हमको एक लाश मिली है बहुत बुरी हालत में … आपको पहचानना है i…
सौम्या के हाथ से मोबाइल फ़ोन छूट जाता है …
अभिषेक उसे संभालता है .. फोन उठा के देता है …
पुलिस - हेलो सौम्या जी … आप सुन रही है …??
सौम्या - हांजी हांजी … मैं अभी आती हूँ …
अभिषेक - क्या हुआ सौम्या ..? इतना परेशां क्यों हो गई …
सौम्या - वो पुलिस स्टेशन से फ़ोन था … बुलाया है ..
अभिषेक - क्यों …?
सौम्या - उन्हें कोई डेड बॉडी मिली है नहर के पास .
अभिषेक - बहुत घबरा जाता है … वो पसीने पसीने हो जाता है …
सौम्या - चलो अभिषेक हमे चलना होगा …
अभिषेक - इस बार मना नहीं कर पाता .. और साथ चला जाता है ..
सौम्या और अभिषेक दोनों स्टेशन पहुंचते है …
सौम्या - जी इंस्पेक्टर सर , बताइये कहाँ है . .
पुलिस उन्हें वो बॉडी दिखाता है ..
सौम्या - खालिद के हाथ का ब्रेसलेट देख के पहचान जाती है और वहीं गिर जाती है बेहोश होकर …
अभिषेक उसे संभालता है … और पानी डालता उसके चेहरे पे ..
अभिषेक की भी हालत और ख़राब हो जाती है … क्युकी पुलिस को खालिद की बॉडी मिल गई है .. उसे डर था के अब वो भी पकड़ा जाएगा …
पुलिस - जी आप कौन है ..?
अभिषेक - मै अभिषेक हूँ , सौम्या का बचपन का दोस्त …
पुलिस - अच्छा … आपसे पूछ ताछ करनी होगी … आना होगा स्टेशन …
अभिषेक - जी आ जाऊंगा जब आप बोलेंगे ..
सौम्या को जब होश आता है … उसके पैरो तले ज़मीन ही निकल जाती है … उसे समझ नहीं आता ये क्यों और कैसे हो गया ….
2 दिन अपने आप को कमरे में बंद कर लेती है .. सब समझाते है .. मगर वो नहीं मानती ।।
अभिषेक को समझ नहीं आता वो क्या करे अब …?
पुलिस भी और तलाशी करती है उस जगह की जहाँ से खालिद की बॉडी मिलती है … और उन्हें एक पेंडंट मिलता है ….. जिसे वो रख लेती है …
पुलिस सौम्या को फिर फोन मिलाती है ..
पुलिस - सौम्या जी , हम जानते है आपको बहुत बुरा लग रहा होगा इस वक़्त , मगर आपको एक बार स्टेशन आना होगा …
सौम्या - मगर अब क्यों …
पुलिस - दरअसल , हमको एक पेंडंट मिला है , ये मालूम करना है के ये खालिद का है या किसी और का ..? और हाँ वो अपने दोस्त अभिषेक को मत लाइयेगा , और न बताइयेगा ..
सौम्या - मगर ऐसा क्यों … वो मेरे बचपन का दोस्त है …
पुलिस - जी बस . आप आ जाइये जल्दी ..
सौम्या पुलिस स्टेशन पहुँचती है … और वो पेंडंट देखती है ..
पुलिस - क्या आप पहचान पा रही है इस पेंडंट को …?
सौम्या - जी ये खालिद का नहीं है … वो ऐसा कोई पेंडंट नहीं पहनता था … और मुझे नहीं याद ये किसका है …??.
पुलिस - अच्छा … ठीक है … आपको याद आये कुछ भी तो बताइयेगा ..
सौम्या घर पहुँचती है … और उस पेंडंट के बारे में सोचती है …
सौम्या को ध्यान आता है … के ऐसा पेंडंट तो उसने अभिषेक को पेहेनते देखा है …. और उसे शक होता है ….. पुलिस को न बताते हुए , वो अभिषेक को फोन करती है …
सौम्या - अभिषेक …. आज मिल सकते है …?
अभिषेक - हाँ ठीक है … कहाँ आना है …
सौम्या - उसे काफी दूर मिलने बुलाती है …
दोनों मिलते है …
अभिषेक - अरे सौम्या , इतनी दूर क्यों बुलाया है …
सौम्या - उसका वो पेंडंट देखती है … तो वो नहीं होता है उसके गले में …
सौम्या - अभिषेक , तुम तो एक पेन्डेन्ट पेहेनते थे न …? वो कहाँ गया … दिख नहीं रहा ..?
अभिषेक - पेंडंट कौन सा पेंडंट .. अपना गला टटोलता हुआ …? ओह्ह घर पे रह गया होगा …
सौम्या - घर पे रह गया …? या कहीं गिर गया …?
अभिषेक - अरे लेकिन क्या हुआ क्या …? तुम्हे ऐसे पेन्डेन्ट की याद क्यों …?
सौम्या - क्युकी वो पेंडंट खालिद की बॉडी के पास मिला ….
सौम्या - उसे थप्पड़ मारती है … और बोलती है .. क्यों अभिषेक … तुमने खालिद को मारा क्यों ..? उसने क्या किआ था ….?
अभिषेक - घबरा जाता है .. नहीं सौम्या .. मैं क्यों मारूंगा ..?
सौम्या - झूठ मत बोलो अभिषेक , मुझे सब पता चल गया है … तुम्हे कारण बताना होगा … एक सीधे से आदमी , जिसने तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा उसे तुमने क्यों मारा ….?
अभिषेक - आखिरकार बोलता है …
अभिषेक - क्युकी वो तुमसे प्यार करता था …? और तुम्हे तो पता है , तुम किसी और की नहीं हो सकती … मैंने बचपन से सिर्फ तुम्हे प्यार करा है … तुम जब मुझे छोड़ के गयी थी .. मैं कितना तड़पा .. तुम्हे क्या पता … एक एक दिन इस इंतज़ार में काट रहा था .. के एक दिन तुम वापस मेरे पास होगी … और तुम आयी तो वो भी उस खालिद के साथ … शादी करने … मैं ये कैसे होने दूंगा …
सौम्या को बहुत गुस्सा आता है …
सौम्या - अभिषेक तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है … ये कैसा प्यार … मैंने कब कहा तुमसे के मैं तुमसे प्यार करती हूँ , बचपन की बातों को दिल से लगाके बैठे हो …
अभिषेक - सौम्या , तुम्हे ये पागलपन लगता होगा , मेरे लिए ये दीवानगी है .. तुम्हे पास करने के लिए मैं बचपन में ही 2 साल के लिए जेल गया … तुमने पूछा भी नहीं … तुम्हारे लिए चोरियां की .. क्या नहीं किआ ….?
सौम्या - नहीं अभिषेक , ये कोई प्यार नहीं .. के तुम किसी मासूम की जान ले लो …
अभिषेक - मैं तुम्हरे लिए कुछ भी कर जाऊंगा सौम्या .. तुम नहीं तो कुछ नहीं .. बस …
सौम्या एक तेज़ धार चाक़ू निकालती है और अपने आप को मार लेती है …. हर तरफ खून हो जाता है …
अभिषेक दौड़ के सौम्या के पास आता है …
अभिषेक - सौम्या …???? ये क्यों किया …??? मुझे मार देती …
सौम्या - नहीं अभिषेक … तुम्हारी सजा तुम्हारी तड़प ही है …. बस अब मैं इस सुकून से जाउंगी के मैं तुम्हे नहीं मिली … और तुम्हे पूरी उम्र तड़प के साथ जीना होगा …
ाभसिंहक - चिल्लाता है ….. Saaaaummmyaaaaaaa.a….?????
अभिषेक की आँखों में सिर्फ आंसू होते है ….. पागल सा हो जाता है ….
उसे कुछ समझ नहीं आता …
वो पुलिस स्टेशन जाता है …. और अपना जुर्म कुबुल कर लेता है … के उसने खालिद और सौम्या दोनों को मार दिआ ….
पुलिस उसे हिरासत में ले लेती है …. और अदालत उसे उम्र कैद की सजा सुनाती है ….
कुछ एक साल बाद …. अखबार में खबर आती है …
एक मुरजिम जो एक साल पहले जेल गया था अपनी प्रेमिका और उसके प्रेमी का खून करके उसकी असामयिक मृत्यु हो जाती है ….
अभिषेक उस तड़प को ज़ादा सेहेन नहीं कर पाया और सोच सोच के … उसने अपना दम जेल में ही तोड़ दिआ और अपनी तड़प को अलविदा कह दिया…. !!!
“इश्क़ की तड़प भी कमाल है ग़ालिब , मिल जाये तो जन्नत , न मिले तो जहन्नुम हो जाती है ज़िन्दगी …”
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