कहानी - सरप्राइज
मैं ग्रेजुएशन कर चुकी थी . मेरे माता पिता मेरी शादी के लिए अच्छे वर की तलाश में थे . मेरे पिता के पास धन -दौलत और शोहरत की कमी न थी . धन के साथ समाज में मान सम्मान स्वतः प्राप्त हो जाता है .इसके अतिरिक्त समाज में हमें ऊंची जाति का भी दर्जा प्राप्त था .मेरी शादी एक धनी परिवार में हो गयी . पर जिस प्यार के किस्से सहेलियों से सुनती आई थी या किताबों में पढ़ा था वैसा कभी महसूस नहीं हुआ हालांकि मेरा सारा प्यार उन्हीं के लिए था .
मेरे पति संजय का अपना बिजनेस था . ऐसा भी न था कि संजय मेरे प्रति वफ़ादार न रहे हों , जहाँ तक मैं समझती हूँ उनकी जिंदगी में कभी कोई दूसरी औरत न थी . उन्हें अपने बिजनेस से बेहद प्यार था , वे अपार संपत्ति के स्वामी होना चाहते थे और हुए भी . अपने बिजनेस के अतिरिक्त भाग्य ने भी उनका साथ दिया , सट्टेबाजी और लैंड एस्टेट में भी उन्हें काफी लाभ हुआ .
शादी के कुछ दिनों बाद शुरू में मुझे लगा कि संजय मुझे बहुत प्यार करते हैं . मुझे कुछ दिनों के लिए वे यूरोप की सैर पर ले गए थे . तीन वर्षों में दो पुत्रों की माँ बनी . पर संजय के पास मेरे लिए समय नहीं था सिवाय अपने बायोलॉजिकल जरूरतों के लिए . फिर भी माँ बनने के बाद मुझे लगा अब मैं सम्पूर्ण हूँ . मैं अपने दोनों बच्चों के पालन पोषण में रम गयी .
शनैः शनैः समय मुठ्ठी में रखे बालू की तरह सरकता गया . मेरे दोनों बेटे स्कूलिंग के बाद SAP का टेस्ट दे कर आगे पढ़ने के लिए अमेरिका गए . एक बार मैं भी बच्चों के पास अमेरिका गयी थी , पर ज्यादा दिन नहीं रह पायी . इसी बीच संजय को दिल का दौरा पड़ा और खबर मिलते ही मैं अगली फ्लाइट से भारत लौट आयी .
संजय कुछ दिनों में ठीक हो चले थे पर हमेशा तनाव में रहते . उन्हें शेयर मार्केट में बहुत बड़ा नुक्सान हुआ था और लैंड एस्टेट का बिजनेस भी कानूनी लफड़े में फंसा था . किसी तरह अपने पुराने पारिवारिक बिजनेस से हमारी जीविका चल रही थी . लक्ष्मी बड़ी चंचल होती है जितनी तेजी से वह मेरे घर में आयी थी उससे दूनी गति
से घर से निकल कर चली गयी . संजय को नुकसान पर नुकसान होता गया नतीजतन उन्हें दिल का दूसरा और अंतिम दौरा पड़ा . संजय के जाने के बाद एक बार मैं अपने बच्चों के पास अमेरिका गयी .
मेरा बड़ा बेटा उमंग अच्छी नौकरी में था .वह अपनी पत्नी और एक साल के बेटे के साथ न्यू यॉर्क में रहता था . कुछ दिन उसके साथ रहने के बाद मैं छोटे बेटे अनुज के पास एडिसन ,न्यू जर्सी चली गयी . न्यू जर्सी और न्यू यॉर्क बहुत करीब हैं और एडिसन इन दोनों के बीच है , इसलिए मुझे लगता मैं दोनों बच्चों के साथ ही हूँ . अनुज एक लड़की रजनी के साथ मिलकर एक स्टार्ट अप कंपनी चला रहा था . उसे एक वेंचर कैपिटलिस्ट से अच्छी फंडिंग मिली थी . अनुज रजनी की काफी तारीफ करता था , वह बोलता “ मम्मी , इस लड़की की जितनी तारीफ करूँ कम है . बहुत तेज और मेहनती है और इसकी मेहनत जरूर रंग लाएगी . कभी कभी सोलह घंटे तक लगातार काम में लगी रहती है . मुझे पूरा भरोसा है हमारी कंपनी बहुत आगे जाएगी , वह बड़े काम की लड़की है . “
“ कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रहा है तू उस लड़की का , क्या नाम बताया उसका ? “ मैंने पूछा
“ रजनी “
“ कोई चक्कर तो नहीं चल रहा है उसके साथ ? “
“ क्या मम्मी , मैं अपने प्रोजेक्ट में इतना बीजी हूँ कि अभी मुझे दम लेने की फुर्सत नहीं मिलती है . वैसे रजनी बहुत सुंदर है …. मगर आपसे कुछ कम ही . “
“ इतना मक्खन लगाने की आवश्यकता नहीं है , अगर तुझे पसंद है तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है . कभी मुझे रजनी से मिलवाओ . “
“ मम्मा , तुम उससे मिलकर क्या करोगी ? तुम जो सोच रही हो वैसी कोई बात नहीं है . वैसे भी उसकी मम्मी और पापा दोनों की तबीयत ठीक नहीं रहती है . वह ऑफिस के बाद अपने घर में काफी व्यस्त रहती है . मैं भी उन से नहीं मिल सका हूँ अभी तक “
“ यह गलत है , काम के साथ अपने कलीग और उसके परिवार के सुख दुःख में भी साथ होना चाहिए तुम्हें . “
“ मम्मी यह अमेरिका है . लोग से इस तरह से मिलना जुलना अच्छा नहीं भी मानते हैं . पर मैं उनसे मिलने का उचित अवसर देख रहा हूँ . “
इसी बीच एक बार मैं अपने हेल्थ चेक अप के लिए अमेरिका में एक डॉक्टर के पास गयी थी . इतने में मैंने देखा कि एक हमउम्र आदमी व्हीलचेयर पर एक औरत को लिए डॉक्टर के केबिन से बाहर निकला . वह अपनी पत्नी को कंधे थपथपा कर सांत्वना दे रहा था और उसके हाथ को बड़े प्यार से चूमे जा रहा था . वह जैसे ही मेरे पास से गुजर रहा था तभी व्हील चेयर से मुझे टक्कर लगी .
उसने सर उठा कर मुझे देखा फिर बोला “ सॉरी मैडम , गलती से टक्कर लग गयी . “
तब तक व्हीलचेयर पर बैठी औरत ने भी मेरी ओर देखते हुए कहा “ वेरी सॉरी , ये मुझे तसल्ली देने में इतने व्यस्त हो गए कि आपको ठीक से देख भी न सके . मुझे क्रोनिक आर्थराइटिस है , चलने में बहुत कष्ट होता है . “
तब तक डॉक्टर के यहाँ से कॉल आ गया , मैं “ इट्स ओके , कोई बात नहीं है, मुझे भी देख कर चलना चाहिए था . “ बोलते हुए मैं डॉक्टर के रूम में चली गयी .
कुछ दिन बाद मैंने बेटे से कहा “ अच्छा , मुझे ऑफिस जाते समय कल इंडियन कम्युनिटी सेंटर छोड़ देना और लौटते समय पिक कर लेना . वहां काफी हमउम्र लोग मिल जाते हैं . वहां लंच भी मिल जाता है . “
“ मम्मी , छोड़ तो दूंगा पर लौटने में बहुत देर होगी . सॉरी , बुरा न मानना , उबेर कैब से चली आना . “
मैं इंडिया सेंटर गयी . इत्तफ़ाक़ से उस दिन वहां मेरी मुलाक़ात उसी दंपत्ति से हुई जो डॉक्टर के यहाँ मिले थे . उनसे परिचय हुआ , व्हील चेयर पर माला थी और साथ में उसके पति अमित . मैंने देखा कि माला का चेयर एक विशेष प्रकार का व्हीलचेयर था जो . बैट्री से चलता था और कार की तरह ही स्टीयरिंग व्हील लगा था . मैं काफी देर उन लोगों के साथ रही .
कुछ दिनों बाद अनुज ने मुझसे कहा “ मम्मी मेरी कंपनी को पहला आर्डर मिला है . इस अवसर पर मैंने अगले वीकेंड में होटल रिज़ कार्लटन में एक छोटी सी पार्टी रखी है . मैंने रजनी को परिवार और दोस्तों के साथ आने को कहा है , उससे मिल लेना . तुम्हारी मंशा भी पूरी हो जाएगी . “
“ तुम कहो तो उसके माता पिता से तुम्हारी बात करूँ , शायद तुम्हारी मंशा भी पूरी हो जाए . “
“ नो मम्मी , ऐसी कोई बात नहीं है , वैसे भी यह एक ऑफिसियल पार्टी है . ऐसे मौके पर ज्यादा पर्सनल होने की जरूरत नहीं है . “
अगले वीकेंड शनिवार सुबह नाश्ते के समय अनुज बोला “ मम्मा , शाम को रिज़ होटल चलना है . जरा जल्द ही चलेंगे , फाइनल तैयारी का मुआयना भी कर लेंगे . “
उस शाम मैं अनुज के साथ होटल गयी . हालांकि उसने एक इवेंट मैनेजर को पूरी जिम्मेवारी दे दी थी , फिर भी स्वयं देख कर संतुष्ट होना चाहता था . काफी अच्छा इंतजाम था . 7 बजे से मेहमान आने लगे थे . मेरा बड़ा बेटा उमंग भी सपरिवार आया था . मैं एक किनारे कुर्सी पर बैठी थी . मैंने माला और अमित को भी आते हुए देखा . अनुज उनके साथ आया और उसने परिचय कराते हुए कहा “ ये रजनी के माता पिता हैं . वह इन्हें ड्राप कर किसी काम से गयी है , थोड़ी देर में आ जायेगी . “
मैंने मुस्कुरा कर उत्सुकतावश कहा “ कितने सुखद आश्चर्य की बात है . यहाँ भी मुलाक़ात हो गयी . “
“ मेरी बेटी रजनी इसी कंपनी में काम करती है . वह हमें छोड़ कर अपने फ्रेंड को पिक करने गयी है . वह भी आती ही होगी . “
फिर अमित जा कर हमलोगों के लिए ड्रिंक्स ले आया . उसी समय एक लड़की ने हॉल में प्रवेश किया . अनुज ने उसे देख कर हाथ हिला कर इशारा कर यहीं आने को कहा . उस लड़की के साथ एक लड़का भी था .
वह लड़की पास आयी तो अनुज ने परिचय कराते हुए कहा “ मम्मी , यही रजनी है . मेरी बिजनेस पार्टनर और कलीग . “
रजनी ने अपने साथ वाले लड़के का परिचय कराते हुए कहा “ यह नीरज है , मेरा बॉयफ्रेंड . “
“ और रजनी का मंगेतर भी . “ अमित ने कहा
अनुज और मैं एक दूसरे को देख रहे थे , मुझे लगा वह कहने की कोशिश कर रहा था “ मैंने कहा था न रजनी के साथ कोई ऐसी वैसी बात नहीं है . “
मुझे भी संतोष हुआ कि मैंने अमित या माला से अभी तक इस बारे में कोई चर्चा नहीं की थी .
“ अच्छा , अब आप लोग बातें करें . मैं बाकी गेस्ट्स को अटेंड करता हूँ . “ अनुज मुझसे बोला . फिर रजनी और नीरज की ओर देख कर बोला “ तुम दोनों भी चलो मुझे हेल्प करना , मेरे साथ चलो . “
कुछ देर बाद अनुज एक अमेरिकन लड़की के साथ मेरे पास आया और बोला “ मम्मी यह मिशील है , मेरे वेंचर कैपिटलिस्ट पेंस की बेटी . पेंस खुद नहीं आ सके , वे किसी जरूरी बिजनेस मीटिंग में वेस्ट कोस्ट में कैलिफ़ोर्निया गए हैं . वैसे भी मिशील इकलौती संतान है , पिता को बिजनेस में मदद करती है . इसकी मम्मी अब इस दुनिया में नहीं है . “
मिशील ने दोनों हाथों से भारतीय तरीके से मुझे नमस्कार किया और कहा “ डैड आपके बेटे की तारीफ़ करते नहीं थकते हैं . कहते हैं बहुत जीनियस और मेहनती लड़का है . बहुत राइज करेगा . “
पार्टी के बाद हम घर लौट रहे थे . मैंने रास्ते में अनुज से कहा “ रजनी बहुत चालाक निकली , अपनी शादी खुद ठीक कर ली . “
“ इसमें चालाकी की कोई बात नहीं है , आजकल अपनी मर्जी और पसंद से काफी लड़के और लड़कियां शादी करते हैं . यहाँ तो अरेंज्ड मैरेज कोई सोच भी नहीं सकता है . “
“ तब तुम्हें भी कोई लड़की पसंद है क्या ?”
“ मैंने तो अभी तक नहीं की है पर एक दिन पेंस मुझसे पूछ रहे थे कि . . .”
“ क्या कहा उन्होंने ? “
कुछ पल खामोश हो मेरी ओर मुस्कुराते हुए शरारती लहजे में बोला “ कि मिशील तुम्हें कैसी लगती है ? “
“ क्या मतलब , और तुमने क्या कहा ? “
“ मैंने कहा सोच कर बताऊंगा . “ बोल कर वह फिर हँसने लगा
मुझे यह अच्छा नहीं लगा . मैंने कहा “ बस यही तो बाकी रह गया है , अब ईसाई लड़की मेरी बहू बनेगी . “
“ मम्मी , मैंने उनसे कुछ नहीं कहा है . तुम विश्वास करो मैंने अभी इस बारे में कुछ भी नहीं सोचा है . “
फिलहाल यह बात आयी गयी हो गयी . अनुज अपने काम में व्यस्त रहता था . पार्टी के दिन रजनी ने ही मुझे बताया कि पेंस और उनकी बेटी मिशील दोनों ही अनुज को बहुत पसंद करते हैं और मिशील भी उनके काम में मदद करती है .
कुछ सप्ताह बाद अचानक एक दिन अनुज ने दुःखी हो कहा “ मम्मी , लगता है मुझे अमेरिका छोड़ना होगा . वापस इंडिया जाना होगा . “
“ क्यों ? “
“ अब अमेरिका में प्रशासन बदल गया है , छः साल के आगे मेरा H 1 B वीजा रिन्यूअल रिजेक्ट हो गया है . कोई बात नहीं है , मैं इंडिया में अपनी कम्पनी खोलूँगा और अपनी कंपनी को आगे ले जाऊँगा . तुम यहाँ भैया के साथ रह लेना . “
“ नहीं अगर तू जायेगा तो मैं भी तेरे साथ इंडिया चलूंगी . “ मैंने कहा
लगभग एक महीने में मैं अनुज के साथ भारत आ गयी . अनुज ने बेंगलुरु में अपना काम शुरू किया . रजनी और मिशील भी उसके प्रोजेक्ट में साथ थीं .
सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था . एक दिन एक दवा की दुकान पर अचानक मुझे अमित दिख गया . मैंने पूछा “ व्हाट ए सरप्राज़ अमित . तुम यहाँ कैसे और कब आये . और रजनी कहा है ? “
अचानक एक साथ इतने सवाल सुन कर वह मुझे आश्चर्य से देखने लगा , फिर मुस्कुरा कर बोला “ सॉरी मैम , मैं अमित नहीं हूँ . और मैं यहाँ से गया ही कब था कि मेरे यहाँ आने से आपको आश्चर्य हो रहा है . आपको कोई ग़लतफ़हमी हुई है .मैं किसी रजनी को भी नहीं जानता हूँ . मैं अक्सर यहाँ माँ के लिए दवा लेने आता हूँ . “
मैंने उसे सॉरी कहा . पर मेरा मन यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि वह अमित नहीं था . हूबहू वही चेहरा , डीलडौल , घुंघराले बाल . उसके जाने के बाद मैंने दुकान वाले से बात की तो उसने भी यही कहा कि वह तो पिछले पांच सालों से अक्सर माँ के लिए दवा यहीं से ले जाते हैं .उस व्यक्ति के बारे में मेरी जिज्ञासा और बढ़ गयी . एक दिन दुकान वाले से उस आदमी का पता पूछ उसके घर गयी . घर में एक बूढ़ी औरत बेड पर थी और बगल में एक लड़की थी .
मैंने उससे कहा “ आपका बेटा अक्सर मुझे दवा की दुकान पर मिलता है तो थोड़ी जान पहचान हो गयी है .अभी वह नहीं दिख रहा है . “
“ नहीं हमारी एक किराने की दुकान है , अभी वह दुकान पर होगा , यह लड़की दिन भर मेरी देखभाल करती है . “
मैंने अपने फोन पर अमित की तस्वीर दिखाते हुए पूछा “ यह आपका बेटा है न ? “
“ हाँ , पर मैंने उसे इस ड्रेस में कभी नहीं देखा है . सुनील की तस्वीर आपके पास कैसे है ? “
“ यह अमित है , मुझसे अमेरिका में मिला था . पर दोनों बिल्कुल जुड़वाँ ऐसे लगते हैं . ये कैसा इत्तफाक है . “ मैं बोली
उन्होंने लड़की को संदूक में से एक अल्बम लाने कहा . वह कुछ पन्ने पलटने लगीं तो एक फोटो देख कर मैंने कहा
“ यह सुनील है न ? “
“ नहीं , यह सुनील के पिता हैं . “
“ ऐसा कैसे हो सकता है ? अमित , सुनील और सुनील के पिता तीनों की शक्ल सूरत मिलती हो ? “
मेरा दिमाग अब चकराने लगा था . अमित , सुनील और यह तीसरे व्यक्ति के चेहरे हूबहू मिलते थे . मैं घोर आश्चर्य से उस औरत की तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी , फिर कहा “ यह कैसा इत्तफाक है , तीनों चेहरे एक सामान . “ .
वह बोली “ तीन नहीं चार कहो . मैं जिस सेठ के यहाँ काम करती थी उसका लड़का मुझसे प्रेम करने लगा था . जब सुनील मेरे गर्भ में आया तो उसके पिता ने उसे अमेरिका भेज दिया . इसके बाद वह कभी लौट कर नहीं आया . हम पिछड़ी जाति के थे न , शायद इसीलिए दोनों को एक नहीं होने दिया . मैंने सुना उसने वहीँ शादी कर ली थी . पर सेठ का एक जुड़वां भाई भी था . उसका बेटा शादी के एक साल के अंदर विधुर हो गया था . सेठ के भतीजे ने मुझे अपनाया , उनका चेहरा भी सुनील से मिलता है . इसे संयोग कहो या प्रकृति की लीला तीन ही नहीं चारों के चेहरे मिलते हैं . “
“ सुनील का अपना परिवार कहाँ है ? “
“ मैं वर्षों से बीमार पड़ी हूँ . सुनील की शादी हुई , एक बेटा भी हुआ . बहू मेरे साथ रहना नहीं चाहती थी और सुनील मुझे छोड़ना नहीं चाहता था . फिर वह हमें छोड़कर अपना बच्चा लेकर चली गयी . सुनील ने मेरे चलते दूसरी शादी भी नहीं की . “
जिसे मैं मिस्ट्री समझती थी , वह सस्पेंस अब दूर हो गया . अमित ही सुनील का पिता है . इसके दो दिन बाद ही मुझे रजनी के माता पिता की एक एक्सीडेंट में मौत की खबर मिली . मैंने सुनील वाली बात अभी बेटे को नहीं बताई थी . मैं कभी कभी सुनील के घर जाने लगी थी , सुनील से भी मुलाकात होती . सुनील ने माँ के लिए अपनी शादी दोबारा नहीं की . मुझे उसके प्रति सहानुभूति हुई . हमारा मिलना जुलना बढ़ने लगा .
एक बार सुनील की माँ ने मुझसे कहा “ मेरी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं . मेरे बाद मेरा बेटा बिल्कुल अकेला पड़ जायेगा . मेरे लिए उसने बहुत त्याग किया है . वह 55 साल का हो चुका है . तुम भी तो अकेली हो और हमउम्र ही हो . “
इससे आगे उन्होंने कुछ कहा नहीं था , पर उनका इशारा मैं समझ गयी थी . एक दिन सुनील मेरे घर भी आया . उसकी माँ अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच थीं , यही बताने आया था . उस समय अनुज भी मौजूद था . सुनील को देख कर वह भी आश्चर्य से देखता रहा . उसके जाने के बाद मैंने उसकी सारी कहानी बेटे को बतायी .
सुनील की माँ चल बसीं . वह बिल्कुल अकेला था . उसके प्रति सहानुभूति की भावना धीरे धीरे प्रेम का रूप लेने लगी . इसी बीच पेंस की कंपनी ने बेंगलुरु में अपना ब्रांच ऑफिस खोला और मिशील यहाँ आयी . मिशील और अनुज का भी मेलजोल बढ़ने लगा और वे दोनों भी प्यार करने लगे . अनुज ने अपनी शादी की मंशा बतायी . उसके ईसाई होने के चलते शुरू में मुझे यह रिश्ता कुछ ठीक नहीं लगा . पर दोनों के प्यार और मिशील का व्यवहार देख कर मैं भी तैयार हो गयी . मिशील शादी के कुछ महीने बाद अमेरिका जा रही थी , उसने कहा “ अब अनुज की वीजा में कठिनाई नहीं होगी . कुछ महीने बाद अनुज भी अमेरिका चला गया . मिशील ने जाने समय कहा था “ मम्मी बाद में आप भी अमेरिका शिफ्ट कर जाएँ . “
मैं और सुनील अब रोज मिलने लगे , दोनों को साथी ही जरूरत थी . हमने शादी का फैसला किया . दोनों बेटों को इसकी सूचना दी . मिशील और अनुज तो सुन कर खुश हुए , पर बड़ा बेटा उमंग इसके विरुद्ध था . वह तो अनुज से भी नाराज था क्योंकि उसने दूसरे धर्म की लड़की से शादी की थी .
उमंग ने मुझसे कहा “ क्या मम्मी , इस उम्र में जगहंसाई करने जा रही हो . वह भी और कोई नहीं मिला तो पिछड़ी जाति के साथ शादी कर रही हो . “
मुझे उमंग की बात से बहुत दुःख हुआ . मैंने अनुज से कहा “ तेरे भैया को मेरा और सुनील का साथ मंजूर नहीं है . “
अनुज और मिशील दोनों ने कहा “ पर हमदोनों को न सिर्फ मंजूर है बल्कि सचमुच हमें बहुत ख़ुशी और शांति मिली है . और सबसे बड़ी बात अगर आपको यह मंजूर है तो आपको किसी दूसरे की बात को नजरअंदाज कर देना चाहिए .
अनुज और मिशील दोनों ने हमारा साथ दिया . हम सभी को आश्चर्य था कि इतने दिनों तक अमेरिका में रहने के बाद भी उमंग का विचार इतना संकीर्ण कैसे था . मिशील और अनुज दोनों भारत आये और उनकी मौजूदगी में मेरा और सुनील का कोर्ट मैरेज हुआ . शेष जीवन के लिए जीवनसाथी मिलने से मैं खुश थी . पर दुःख इस बात का था कि मेरे बड़े बेटे ने हमसे रिश्ता तोड़ लिया था .
समाप्त
नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है , इसके किसी पात्र ,घटना या जगह से भूत या
वर्तमान का कोई सम्बन्ध नहीं है