Wo Ankahi Baate - 11 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - भाग - 11

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वो अनकही बातें - भाग - 11

पर तुने मन बदल दिया मेरी लाडो। और अब आगे।

शालू ने कहा रानो बुआ मुझे क्या वापस अपने घर जाना चाहिए? बुआ बोलीं क्या तू समीर का सामना कर पायेगी? शालू बोली बुआ मेरा मन कहता है शायद मैं फिर से उसे पा लूं।

बुआ बोलीं शालू हम भी तेरे साथ चले। शालू बोली हां बुआ तुम भी चलो।

फिर शालू ने दो मुम्बई की एयर टिकट बुक करवाया और अगले दिन दोनों निकल गए।

शाम तक शालू बुआ को लेकर अंधेरी एयरपोर्ट से बाहर निकल कर सीधे अपने घर पहुंच गई और फिर शालू ने कान्ता बाई को बुलाया।
शाम को शान्ता बाई आ गई और बहुत खुश हो गई।
शालू ने जाॅब के लिए एप्लिकेशन डाउनलोड करना शुरू कर दिया और फिर बहुत सारे जगहों से इन्टरव्यू के लिए बुलाया गया और फिर एक बड़े कम्पनी में बड़ा पोस्ट भी मिल गया।

शालू को हर पल समीर का ख्याल आता रहता था।उसे उसकी तड़प शायद मुम्बई तक खींच लाई थी।

उधर समीर इन सब से अनजान मिटिग और कान्फ्रेंस लेकर कभी लंदन कभी पेरिस जगह पर जाता रहता था और हमेशा शालू के लिए कुछ ना कुछ खरीद लेता था।उसे अब मुम्बई अच्छा नहीं लगता था ये सब कुछ जिसके लिए था वो तो थी नहीं।पर समीर समझता था कि शालू शादी करके खुश होंगी।

फिर समीर भी लम्बी टूर के बाद वापस मुंबई लौट आए ।


फिर वही सुनापन लेकर अपने कमरे में पहुंच कर अलमारी खोली और जो भी तोहफा खरीदा था उन सब को सजा कर रख दिया। और देखा इतनी सुन्दर- सुन्दर साड़ियां और डिजाइनर तरह-तरह के सूट, रंग बिरंगी दुपट्टा और चूड़ियां, बहुत से हैड बैग और सेंडिल भी सजे हुए थे बस कोई पहनने वाली नहीं थी क्या ये सब समीर ने शालू के लिए खरीदा होगा? क्या कोई किसी को इतना प्यार कर सकता है जो पूरी कायनात भी ना कर सके।कितनी बेबसी है।।



फिर विनय काका काॅफी ले कर आएं। समीर बोला मेरे पीछे कोई आया था? विनय काका नहीं बेटा। खाना लगा दू।।

समीर बोला नहीं आप खा लो।
फिर समीर मायूस हो कर बाथरूम चला गया।





शालू को नया आफिस नये लोग सबसे जल्दी ही धुल मिल गई थी और वो सबकी बाॅस थी पर सबसे अच्छी दोस्ती हो गई थी।

शालू के आफिस में एक मैनेजर की पोस्ट पर शेखर नाम का लड़का था एक दम हीरो टाइप।

शालू ये नोटिस कर रही थी कि शेखर इन दिनों शालू का बहुत केयर कर रहा था ।

शालू ने एक दिन शेखर को बुलाया और पुछा कि क्या तुम ऐसा सबके साथ करते हो या फिर।।

शेखर बोला हां मैम मैं ऐसा ही हूं।
शालू बोली देखो शेखर तुम्हारा बर्ताव मुझे किसी की याद दिलाता है तो फिर ये सब मत करो।

शालू उस दिन जल्दी वापस घर आ गई।
अपने कमरे में जाकर खुब रोने लगी खुद को हारा हुआ महसूस कर रही थी खुद से।।
क्या मैं सोमू को भूल नहीं पाऊंगी। क्या करूं। इतनी बेबसी है कि कहा नहीं जाता।।

फिर करवट बदल कर पुरी रात बीत गई।
सुबह उठते ही शालू को लगा की जैसे सोमू उसको याद कर रहा हो।


किसी तरह से ही शालू तैयार हो कर नाश्ता करके निकल गई।

आफिस में जाकर एक मिटिग किया जिसमें सबने अपना अपना काम ईमानदारी पर सवाल पूछे गए।

शालू ने सभी को प्रोत्साहित किया और कहा कि आप सभी को एक नई उम्मीद नई मंजिल के साथ काम करना होगा और लैपटॉप भी दिया जाएगा।

उधर समीर भी अनजान सा अपने एहसास को दबाए हुए अपने मरीजों का इलाज करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

जब भी तनहा होता तो अपने शालू को याद कर लेता है। समीर आजकल नाइट ड्यूटी करने लगे।

विनय काका बोले अरे समीर बेटा खाना तो ठीक से खा लो।
समीर बोला अरे विनय काका कितना खिलायेगे हां। चेम्बर्स में नींद आ जायेगी।

विनय बोला अरे वाह क्या बात है सुबह ही आते हो। ऐसा कैसे?

समीर ने कहा इतना चिंता मत करिए।

फिर समीर तैयार हो कर निकल गए।

अस्पताल में मैरी बोली सर एक एमरजेंसी केश आ गया।

समीर बोले हां ओ टी रेडी है।



क्रमशः