GAREEB KI DOSTI - 5 in Hindi Love Stories by Harsh Parmar books and stories PDF | गरीब की दोस्ती - 5

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गरीब की दोस्ती - 5


आगे आपनेे पढ़ा की कैसे राजू ने संजय की मदद की और फिर संजय ने राजू को कैसे अपने साथ लेकर गया | शिला सामान देकर अपने रूम मेे वापिस आ गई | फिर दूसरे दिन संजय ने राजू को बोला की ये थोड़े पैसे अपने पास रखलो | जैसे ही संजय ने राजू को पैसा देना चाहा तब राजू ने कहा की पैसे की जरूरत नही है मेरे पास थोड़े पैसे पड़े है फिर भी संजय ने राजू को थोड़े पैसे दे दिये | फिर संजय ने राजू को बोला की चलो मेरी ऑफिस मे मे वहा काम करता हु वहा आपको कोई अच्छा सा काम दिला दूंगा .

संजय राजू को लेकर अपनी ऑफिस पहुँचता है वहा अपने बॉस को बोलता है की हमारे ऑफिस मे स्टाफ् की जगह थी तो इनको लाया हु ये भाई कुछ कागजाद वगेरे रखने मे या काग़ज़ को समेटने मे काम करेंगे तो बॉस ने बोला ठीक है | फिर राजू उसी दिन ही ऑफिस मे काम के लिए रख लिया | राजू पढ़ा लिखा तो नही था पर जो काम बोलते कागजाद को समेटने या रखने का वो काम अपने मन से और ईमानदारी से कर लेता था |राजू की सेलरी महीने की 6000 rs. करदी .

नियमित समय पर राजू ऑफिस मे काम करने लगा और उनके पापा और माँ का ध्यान भी रखने लगा | पापा को अच्छी होस्पिटल मे दवाई दिलाने से पापा की तबियत पहले से अब अच्छी हो गई थी |सब लोग एक दूसरे से मिल -जुलकर रहते और कभी कभी एकदूसरे के घर का खाना भी बनाकर साथ मे खाते |

एक दिन की बात है जब राजू और संजय अपनी कार से ऑफिस जाने के लिए निकले तब सिला ने कहा की भैया मुझे बाजार कुछ सामान लेने जाना है तब संजय ने कहा ठीक है बाजार तक छोड़ दूंगा | सिला कार मे पिछली सीट पे बैठने ही वाली थी तब राजू ने बोला रुको सिला जी मे पिछली सीट पे चला जाता हु आप आगे की सीट पे आकर बैठ जाओ तब सिला ने बोला आप रहने दीजिये मे पिछली सीट पे बैठ जाऊंगी | राजू उठकर कार से बहार आया और सिला को बोला आप आगे आकर बैठ जाइये फिर सिला उठकर आगे की सीट पर बैठ गई और राजू पिछली सीट पर बैठ गया.

संजय ने कार स्टार्ट करके चलाना सुरु किया | सिला ने राजू को बोला आपकी जॉब कैसी चल रही है राजू ने कहा जी अच्छी चल रही है फिर तीनो ने मिलकर उधर इधर की बातें की | सिला कार के सामने वाले आईने के जरिये से राजू को बार बार देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी | सिला पता नही राजू के बारे मे क्या सोच रही थी | राजू के लिए उसके मन मे क्या चल रहा था | राजू ने कभी सिला के बारे मे कुछ गलत नही सोचा
बल्कि राजू ने सिला के साथ ईमानदारी और इंज्जत से रिस्ता निभाया है | ऐसा ईमानदार और सच्चा आदमी कही भी ढूंढोन्गे तो नही मिलेगा |

बाजार आ गया तब सिला कार से नीचे उतरकर दो कदम चलने के बाद पीछे मुड़कर राजू को स्माइल देकर वहा से चली गई | संजय और राजू अपने ऑफिस के काम मे लग गए | उस दिन ऑफिस मे एक मीटिंग के लिए सबको रात को डिनर पे बुलाया हुआ था.


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आगे के पार्ट के लिए कृपया इन्तजार कीजियेगा 🙏🙏
स्टोरी अच्छी लगी हो तो स्टोरी पे रेटिंग्स कॉमेंट और अपनी पर्तिक्रिया जरूर दीजियेगा 🙏🙏