Anchaha Rishta in Hindi Love Stories by Veena books and stories PDF | अनचाहा रिश्ता - (जंग) 24

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अनचाहा रिश्ता - (जंग) 24

कुछ सोचते हुए मीरा ने अजय से कहा, " मुझे तुझ से कुछ बात करनी है। आज शाम बाहर चले।"

" तुझे बात करनी है तो जरूर जाएंगे। जब कभी तू कहे। सात बजे निकलते है।" इतना कह अजय वहा से चला गया। मीरा के डिपार्टमेंट से बाहर निकलते ही उसने एक कॉल लगाया।

" हैलो। मीरा ठीक है, पर थोड़ी परेशान है। नही अंकल आप के लिए नही, पर शायद आपकी वजह से। उसने कहा उसे कुछ बात करनी है। हम शाम को बाहर जा रहे है। अच्छा। क्या उसने आपसे सच मे हो चुका जमाई कहा????? अभी में कुछ नही कह सकता। शाम को बात करते है। जी।" अब तो अजय भी सोच मे पड़ गया था। उसे मीरा का आकर्षण पता था। मीरा कॉलेज मे किसी को पसंद करती थी, लेकिन उसके लिए ऐसी जिद्द मीरा ने कभी नही की। उस वक्त मीरा और अजय दोनो जानते थे की वो लड़का मीरा का आकर्षण है। तो इस बार ये बात समझने मे मीरा को इतनी दिक्कत क्यो हो रही थी।

आज अजय को सब बता दूंगी अंदमान के बारे मे। अपनी चाहत के बारे मे। उसे समझना ही होगा, डैड की जिद्द का कोई मतलब नहीं है। अगर उन्होंने हद पार की तो भी वो सच नहीं बदल सकते। मीरा अपने खयालो मे उलझी थी, तभी उसकी नजर घड़ी पर गई। सात बजने मे बस दस मिनट बाकी थे। स्वप्निल की साइन लेने वो केबिन गई। लेकिन वो वहा नही था। कुछ देर उसका इंतजार किया, लेकिन वो वापस भी नही आया। उसे ढूढने मीरा टेरेस पोहची वो अकेला वहा खड़ा था।

उसे इस तरह अकेले, देख मीरा को हमेशा तकलीफ होती थी। वो वही दरवाजे पर खड़ी रही। ये ऑफिस का वो वक्त था, जब ज्यादा तर स्टाफ अपने घर जा चुका होता है। इस लिए मीरा को कोई परेशानी नहीं थी, कोई उसे देखेगा, या कुछ पूछेगा। काफी देर सोचने के बाद वो आगे बढ़ी और स्वप्निल के पास जा कर रुकी।

" मुझे लगा तुम वही से लौट जाओगी।" स्वप्निल ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

" आपको पता था, में यहां हु???? वाउ आपके सर के पीछे भी आंखे है।" मीरा ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

" तुम्हे क्या लगा, तुम्हारा ये मू बोला पति तुम्हारी खुशबू भी पहचान नही पाएगा ?" स्वप्निल।

" आपने ऐसा क्यों कहा???? " मीरा की आखों मे अचानक आसू आ गए।

" हे, आई एम सॉरी। क्या हुवा मीरा???? मेरी तरफ देखो, plz।" स्वप्निल ने उसे अपनी तरफ घुमाया।

मीरा बिना कुछ कहे उस के गले लग गई। लेकिन अभी भी आसू उसकी आंखो से रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। स्वप्निल कुछ समझ नही पा रहा था। " मीरा प्लीज बताओ क्या हुवा???"

" आपको ऐसा क्यों लगता है, के में उस हादसे की वजह से आप के साथ हु????" मीरा ने स्वप्निल की आखों मे आंखे डालते हुए कहा।

स्वप्निल ने अपनी नजर उस से हटाते हुए उसे समझाने की कोशिश की, तभी मीरा ने अपने हाथो से उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए उसे उसकी आंखो मे देखने पर मजबूर कर दिया।

" मेरी बात ध्यान दे कर सुन लीजिए, मुझे अपने आप को दोहराने की आदत नही है। अगर आप मुझे पसंद नही होते तो में कभी इस रिश्ते के लिए हा नही कहती। अगर उस रात के बाद में प्रेगनेंट भी हो जाती ना, फिर भी में उस बच्चे को अकेले संभाल लेती। लेकिन आप को कभी पता नही चलने देती। जो चीज मुझे पसंद नही होती, उसे तोड़ना तक मुझे जरूरी नही लगता। लेकिन मेरी चीज कोई तोड़े, ऐसा में कभी होने नही दूंगी। आप भी मेरे हो। ये बात आप याद रखना। में हमेशा आप के साथ थी, हु, रहूंगी।" उसने फिर से स्वप्निल को गले लगा लिया।

स्वप्निल के चेहरे पर एक मुस्कान बिखर गई। " तो क्या में कोई चीज हु? या खिलौना ??"

" नही। आप वो है, जो सिर्फ मेरे लिए इस दुनिया में आए है।" मीरा।

" तुम्हे कैसे पता?" स्वप्निल।

" जल्द आप को भी पता लग जाएगा। चलिए मुझे भूख लगी है।" तभी मीरा का फोन बजा। " हा अजय। आज पॉसिबल नही है। तू घर जा बाद मे बात करेंगे।"

" तुम कही बाहर जाने वाली थी???" स्वप्निल ने पूछा।

" हा में सोच रही थी की अजय को सब बता दू। लेकिन अब लगता है, अभी वक्त नही आया उस बात का। खैर चलिए।" मीरा ने स्वप्निल का हाथ पकड़ा और उसे खीच के ले गई। दोनो ने एक साथ डिनर किया बाद में स्वप्निल ने मीरा को ऊस के घर छोड़ा। घर के बाहर मीरा का एक दोस्त ३ कुत्तो के साथ उसका इंतजार कर रहा था। उसे देख स्वप्निल ने मीरा से सवाल पूछा।

" ये सब क्या है???"

" ये सबक है।" मीरा ने हंसते हुए जवाब दिया।

" सबक ???" स्वप्निल।

" फिक्र मत कीजिए। घर जाइए कल मिलेंगे।" मीरा ने ऊस से विदा ली। उन ३ कुत्तों को पकड़ा और घर ले गई।
जैसा की उसने सोचा था, मिस्टर पटेल यहां से वहा चक्कर काटते हुए उसका इंतजार कर रहे थे। मिस्टर पटेल मीरा के साथ उन कुत्तों को देख सोफे पर चढ़ गए।

" तुम्हे कितनी बार कहा मैंने इन जानवरों को घर मत लाया करो??" मिस्टर पटेल ने डरते हुए कहा।

" अरे क्यो। ये मासूम जो कुछ बोल भी नहीं सकते इन्होंने एक निडर बिजनेस मैन को डरा दिया।" मीरा।

" मज़ाक मत करो मीरा, इन्हे अभी मेरे घर से बाहर निकालो।" मिस्टर पटेल।

" क्यों डैड??? आपके घर मे कुछ कुत्ते आ गए तो आपको इतनी तकलीफ हो गई। और आप जो रोज ऑफिस आ कर, मेरे काम मे दखलंदाजी कर रहे है। उस से मुझे फर्क तक पड़ना नही चाहिए।" मीरा ने अपने दोस्त को बुला कर उन कुत्तों को वापस कर दिया।

" अच्छा तो ये उस स्वप्निल का सीखा सिखाया काम है। और क्या क्या पढ़ा के भेजा है उसने ??? बताओ ??" मिस्टर पटेल ने गुस्सा करते हुए कहा।

" आप कहना क्या चाहते है। वो मुझे कुछ पढ़ा नहीं रहे। ये आपकी हरकते है जो मुझे आपके खिलाफ जाने पर मजबूर कर रही है।" मीरा।

" जाओ। और अपने बाप के खिलाफ जाओ। ना में उस आदमी को सड़क पर ले आवू तो कहना। मेरी बेटी को मेरे खिलाफ करने की सजा उसे मिलेगी।" मिस्टर पटेल।

" आप उसे जिस सड़क पर फेकेंगे ना। आपकी बेटी भी आपको वही मिलेगी। आप का खून हु, रंग उतना ही गाढ़ा है और जिद्द भी।" मीरा ने अपने डैड की आखों में आंखे डालते हुए कहा, उस की आखों मे आसू थे। और मिस्टर पटेल की आखों मे नफरत।