The Dark Tantra - 4 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | द डार्क तंत्र - 4

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द डार्क तंत्र - 4



योनिनिशा - 4


आज सुबह से ही पंडित दयाराम महाराज के मन में कुछ बुरा होने वाला है ऐसी भावनाएं आ रही है । हालांकि आज ऐसा नहीं होना चाहिए । 3 दिन पहले ही उन्होंने विपरीत प्रक्रिया किया था और वह विपरीत क्रिया सफल भी हुआ है । देवी पितांबरी की आशीर्वाद से उनका कोई भी तंत्र क्रिया असफल नहीं होता । अगर सब कुछ ठीक रहा तो कल रात ही वह लड़की मर गई होगी । अर्थात आज से राहुल और आराध्या की सारी मुसीबत समाप्त हो जाएगी । लेकिन फिर भी सुबह से मन क्यों बौखलाया हुआ है । पंडित महाराज अपने घर में इसी उत्तेजना की वजह से इधर - उधर टहल रहे थे । उस वक्त सुबह के 8:00 बज रहे हैं । उसी वक्त उनका मोबाइल फोन बजने लगा ।
तुरंत ही उनके मन में एक बिजली दौड़ गई । कहीं कोई बुरा समाचार तो नहीं ? फोन रिसीव करते ही उधर से राहुल की उत्तेजित आवाज सुनाई दिया,

" हैलो पंडित महाराज , रिया अब जिन्दा नहीं हैं । वह मर गई । इस वक्त उसके फेसबुक पर थोड़ा इधर उधर करते हुए एक रिश्तेदार के पोस्ट से पता चला । "

पंडित महाराज को थोड़ी शांति हुई ।
" इसका मतलब विपरीत क्रिया ने अपना कार्य कर दिया है । "

लेकिन इसके बाद जो बातें राहुल ने बताई उसके लिए पंडित दयाराम तैयार नहीं थे ।

" लेकिन पंडित महाराज रिया की मौत कल नहीं हुई । लगभग देढ महीने पहले ही उसकी मौत हो गई थी । उसने अपने गले में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था । लेकिन यह कैसे संभव हुआ पंडित जी अगर रिया देढ महीने पहले ही मर गई है तो उसके योनि में वास करने वाला योनिनिशा भी खत्म हो जाना चाहिए था । वह इतने दिनों से यह सब कैसे कर रहा था ? "

यह सुनकर पंडित महाराज का सिर गर्म हो गया ।
उन्होंने पूछा ,
" राहुल तुम्हारी जननी माँ की कसम , सच-सच बताओ रिया के साथ रिश्ते में रहते वक्त तुमने कभी आराध्या के साथ शारीरिक संबंध बनाया था या नहीं ? "

इस प्रश्न को सुनकर राहुल एक बार फिर कुछ देर चुप रहा । फिर मिमियाते हुए बोला ,
" हाँ हुआ था पंडित महाराज लेकिन उस दिन शर्म के कारण मैंने आपसे झूठ बोला था । "

" कब और कहां तुम दोनों ने संबंध बनाया था ? "

" उसी रात जब मैं अपने रिश्तेदार के शादी में उससे मिला था । उस वक्त कुछ भी सीरियस नहीं था केवल एक दूसरे को पंसद करके और थोड़ा नशे में आउट ऑफ़ इंट्रेस्ट हम करीब आ गए और फिर वो सब..... "
शर्म के कारण राहुल ने अपनी बात को समाप्त नहीं कर पाया । अपने पिताजी से भी बड़े उम्र के आदमी जिसे उसके घरवाले बहुत सालों से जानते हैं उनसे यह बताते हुए संकोच से राहुल का दिल बैठ गया ।

" हे भगवान ! सब कुछ खत्म । अभी तुरंत आराध्या के घर पर जाना होगा । "

आराध्या के घर पर पहुंचने के बाद ही विशेष लाभ नहीं हुआ । कोई लाभ होता भी नहीं । जो कुछ भी होना था पहले ही हो चुका है । विपरीत प्रक्रिया के हिसाब से कल आधी रात को ही आराध्या योनिनिशा के काम भूख का शिकार हुई है । उसकी खून से लतपथ शरीर उसके कमरे में ही मिला । शरीर पर एक भी खरोच नहीं केवल उसके योनि से खून की बारिश हुई है ।

अब हालांकि पूरी बात पानी के जैसी स्पष्ट हो गई है । कहीं कोई भी संदेह नहीं । ,


रिया नहीं भयानक शैतानी क्रिया के माध्यम से योनिनिशा
को आराध्या ने अपनी योनि में स्थान दिया था । केवल और केवल राहुल को पाने के लिए । किसके माध्यम से व किसने इस क्रिया को पूर्ण किया था यह जानना अब सम्भव नहीं । लेकिन जिसने भी इस शैतानी क्रिया को किया था उसे अवश्य ही अपने अंदर से योनिनिशा को दुसरे की योनि में भेजकर बहुत शांति मिला होगा ।

जो भी हो पूरी कहानी का हिसाब साफ - साफ मिल रहा है ।
एक शादी के कार्यक्रम में अचानक आराध्या से राहुल मिला था । नशा या अचानक एक दूसरे को पसंद करने के कारण आपसी शारीरिक संबंध हो गया । इसके कारण आराध्या राहुल को पसंद करने लगी थी । लेकिन उस वक्त रिया और राहुल में सबकुछ सामान्य था दोनों एक दुसरे के प्यार में डूबे हुए थे । इसके बाद आराध्या ने जब बहुत कोशिश करके भी राहुल के दिल में जगह नहीं बना पाई । तब उसने अपने प्यार को पाने के लिए इस भयानक रास्ते को चुन लिया । उस दिन जब आराध्या के डरने के कारण राहु ल उसके घर गया था और आराध्या बहुत देर तक राहुल के सीने से लिपटी हुई थी । उसी वक्त शायद इस क्रिया में लगने वाले राहुल के सीने के बाल को उनसे चुपचाप संग्रह कर लिया था ।

रिया ने शायद राहुल के प्रति आराध्या के वासना को समझ लिया था । इसीलिए उसे पसंद नहीं करती थी । इस संसार में एक लड़की को किसी लड़की से ज्यादा कौन समझ सकता है । उपचार क्रिया समाप्त होते ही योनिनिशा ने अपना काम शुरू किया । रिया के साथ राहुल का रिश्ता धीरे-धीरे झगड़े के कारण कमजोर पड़ने लगा । सामान्य झगड़ा ने भी बड़ा रूप ले लिया और दोनों के बीच दरार पड़ गई । और इसी के दूसरी तरफ आराध्या के प्रति राहुल का मानसिक व शारीरिक आकर्षण बढ़ता ही गया । इसके फलस्वरुप राहुल जल्द ही आराध्या की प्यार में वशीभूत हो गया । यह प्यार है या किसी अलौकिक क्षमता के द्वारा घटित कोई मायावी नशा ? जो मनुष्य को सब कुछ भूलने के लिए विवश कर देता है । उसे भी जो अपने से ज्यादा उस आदमी को प्यार करती थी । इधर उस भयानक शैतान को सहन न कर पाने के कारण रिया आगरा छोड़कर अजमेर चली गई । उसने सोचा था कि वहां पर उसे शांति मिलेगी । लेकिन योनिनिशा इतनी आसानी से अपने शिकार को नहीं छोड़ती । इसीलिए उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा ।आगरा छोड़ने से पहले वह राहुल को एक बार समझाने आई थी । शायद वह समझ गई थी कि इसमें कोई अलौकिक शैतानी बात है । लेकिन राहुल ने उसकी बातों को नहीं सुना और सुनेगा भी कैसे वह तो उस वक्त पूरी तरह आराध्या के वश में था । रिया मर चुकी थी । राहुल ,आराध्या की मुट्ठी में..
ऐसे ही जब सब कुछ ठीक ही चल रहा था तभी कहानी में एक नया मोड़ आ गया । योनिनिशा के काम भोग से परेशान होकर आराध्या ने उसे रोकना शुरू कर दिया । लेकिन बेचारी लड़की शायद नहीं जानती थी कि इसका अंजाम कितना भयानक हो सकता है । योनिनिशा ने बाधा पाने के कारण आराध्या को भी ठीक वैसे ही सताता रहा जैसे वह अपने शिकार को करता है । आराध्या ने इस बात को छुपाने की बहुत कोशिश की लेकिन अंत में वह राहुल द्वारा पकड़ी गई । वैसे भी स्वाभाविक है इन चीजों को ज्यादा समय तक छुपाया नहीं जा सकता । इसके बाद वही पंडित महाराज के पास जाना और बाकी घटना समूह । केवल राहुल अगर एक बार पंडित महाराज से उस दिन बता देता कि आराध्या के साथ बहुत पहले ही उसने शारीरिक संबंध बना लिया था , तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता । क्योंकि पंडित महाराज ने शुरू से ही आराध्या पर ही शक किया था । क्योंकि नियमानुसार योनिनिशा को योनि में धारण करने से पहले जिसे वशीकरण करना है उसके साथ एक बार शारीरिक संबंध बनाना पड़ता है । उस दिन राहुल की बात पर पंडित महाराज ने भी विश्वास कर लिया था । जिसके फलस्वरूप आज आराध्या को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा । केवल छोटा सा एक झूठ , थोड़ी सी काम नशा मनुष्य के जीवन में कितना बड़ा मुसीबत बन सकता है यह मनुष्य समझ ही नहीं पाता । हालांकि अब राहुल को समझ आ गया है । यमुना नदी के किनारे बैठकर वह रो रहा है ।


आराध्या की शरीर को कुछ देर पहले ही विद्युत् शवदाह गृह में ले जाया गया है । जिस शरीर की तृप्ति के लिए इतना कुछ वही शरीर कुछ ही देर बाद राख बन जाएगा । फिर वह राख इस यमुना में कहीं मिल जाएगा ।
यमुना के किनारे यहां दूर से ही आराध्या के माता पिता के रोने की आवाज सुनाई दे रहा है ।
राहुल भी रो रहा है लेकिन किसके लिए ? आराध्या के लिए या रिया के लिए ? रिया जिसने उससे हमेशा प्यार किया था एवं अपने प्यार के फल में उसे निर्मम मृत्यु प्राप्त हुई । या वो रो रहा है आराध्या के लिए जिस आराध्या ने उससे दिल से प्यार किया था । लेकिन भूल गई थी कि जिससे हम प्यार करते हैं वह भी हमें प्यार करें ऐसा नहीं होता । कभी - कभी उसे अपनी तरह अच्छे से रहने देना चाहिए, उसके ख़ुशी में खुश होना चाहिए , यही तो सच्चे और स्वच्छ प्यार के लक्षण हैं ।

यमुना किनारे खड़े पंडित दयाराम महाराज अपने में बड़बड़ाते रहे ,
" हाय ! ये मनुष्य शरीर । हाय ! उसके अंदर की यह काम वासना की नशा । "

काम वासना ? काम वासना इस प्रवृति को अगर राहुल और आराध्या ने सही समय पर नियंत्रण कर लिया होता तो आज शायद तीन जीवन ऐसे नष्ट न होते । अनियंत्रित यह कामवासना मनुष्य के अंदर रहकर धीरे - धीरे अपने प्रभाव को बढ़ाता है । फिर क्रमशः दिमाग में रहने वाले वाली नैतिकता व समझ को खत्म करके उस पूरे मनुष्य को ही खत्म कर देता है । उसकी भूख भी कभी शांत नहीं होती । काम वासना से बड़ा क्या कोई योनिनिशा इस पृथ्वी पर है ?

....समाप्त....

*हमारे देश में मेरी तरह कई नौजवान जब किसी को प्यार करके पाने की कोशिश करते हैं लेकिन उन्हें सामने से वह उत्तर नहीं मिलता जिसे वो सुनना चाहते हैं । इसी वक्त उसे पाने की काम वासना नौजवानों को अंधा करती है और अक्सर रेप व मर्डर जैसे मामले सामने आते हैं ।*
काम वासना इस एक पर जिसने नियंत्रण कर लिया वह हमेशा एक आम मनुष्य से कई पायदान ऊपर होता है ।।


@rahul