Zorawar Garh - Part 2 in Hindi Adventure Stories by Shakti Singh Negi books and stories PDF | जोरावर गढ़ - भाग 2

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जोरावर गढ़ - भाग 2

प्रिया - भोजन कर लीजिए।


मैं - ठीक है राजकुमारी जी।


प्रिया - मैं कुछ देर में आती हूं।


मैं - ठीक है जी।


मैंने भोजन कर लिया और हाथ मुंह धो कर सो गया। सुबह 4:00 बजे मेरी नींद खुली। नित्य कर्म से निवृत्त होकर व्यायाम, योगासन आदि कर के मैंने स्नानादि किया और नोटबुक पर फिर लिखने लगा। लगभग 8:00 बजे प्रिया कमरे में दाखिल हुई और बोली चलिए आपको अपनी लाइब्रेरी दिखा लाऊं। नाश्ता कर हम दोनों तैयार हो गए। प्रिया के साथ मैं लाइब्रेरी में पहुंचा। लाइब्रेरी एक लंबे चौड़े हॉल में थी। वहां सुंदर महंगी बडी - बडी अलमारियां लगी थी। उनमें पुस्तकें सलीके से रखी हुई थी। लाइब्रेरी के दरवाजे पर चार बड़ी - बड़ी मूछों वाले पहलवान किस्म के व्यक्ति बंदूक थामे खड़े थे। हाल में सफेद वस्त्र पहने तीन - चार व्यक्ति बैठे हुए थे। हमारे पहुंचते ही सब ने हम दोनों का अभिवादन किया। प्रिया बोली यह हैं हमारे देश के प्रख्यात रचनाकार प्रताप सिंह जी। इनकी ख्याति पूरे देश - विदेश तक फैली है। ये कई भाषाओं के जानकार हैं। इनकी लेखनी कई विषयों पर चलती है। मैंने पुस्तकों का अवलोकन किया तो पाया कि विश्व की सभी सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें इस लाइब्रेरी में मौजूद हैं। तथा विश्व की कई सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें भी वहां पर हैं।


फिर प्रिया मुद्दे पर आती हुई बोली हमारे राजमहल में रहें और मेरे और मेरे परिवार के बारे में एक पुस्तक लिखें।


मैं - क्यों


प्रिया - मैं चाहती हूं कि आप हमारे बारे में ऐसा लिखें कि हमारे वंश की प्रतिष्ठा और बड़े।


मैं - वह तो ठीक है कुमारी जी परंतु मैं ऐसा करूंगा क्यों?


प्रिया - ताकि देश की जनता को देश के प्रति हमारे योगदान का पता लगे।


मैं - लेकिन मैं केवल सच्ची बातें ही लिखूंगा।


प्रिया - ठीक है इसके लिए आप जो भी फीस चाहे वह मैं दूंगी।


मैं - ठीक है। मेरे भी बाल - बच्चे हैं। लेकिन मैं नौकर बनकर काम नहीं करूंगा। आप कॉन्ट्रैक्ट बेस पर मुझे फीस दे सकती हैं।


प्रिया (खुशी से उछल कर) - ठीक है। मैं आपको इस कार्य के लिए ₹40 करोड दूंगी।


मैं - यह तो बहुत कम है। मैं 110 करोड़ लूंगा।


प्रिया - ठीक है। 101 करोड़ पर बात पक्की।


मैं - ठीक है जी। आप उस खाते में रकम डाल दीजिए। (मैंने प्रिया को अपना अकाउंट नंबर दे दिया।)


प्रिया - अभी 2 मिनट में मैं यह रकम आपके खाते में डाल देती हूं। (प्रिया अपने मैनेजर को फोन करती है और उससे कुछ आदेशात्मक लहजे में कहती है।)


कुछ देर में मेरे मोबाइल पर 101 करोड़ रु. मेरे खाते में आने का मैसेज आता है।


प्रिया - यहां आप राजमहल में ठहर कर मेरा मान बढ़ाएं। आपका रहना, खाना, घूमना सब मेरी तरफ से होगा। साथ ही मैं आपको अपना एक फाइव स्टार होटल व एक कार गिफ्ट करती हूं।


मैं - जी धन्यवाद। अब बताइए कहां से शुरू करें।

प्रिया - जी ये आपकी मर्जी है। मेरे सभी संसाधन आपकी सेवा में हैं।


मैं - जी मैं पूरे इलाके में घूमूंगा - फिरूंगा। लाइब्रेरी मैं अध्ययन करूंगा। लिखूंगा।


प्रिया -जी धन्यवाद। मैं प्रिया द्वारा दी गई कार में बैठकर अकेला ही पूरे जोरावर गढ के भ्रमण पर निकल गया। प्रिया के सभी होटलों का निरीक्षण किया। गिफ्ट मिले होटल में कुछ देर स्टाफ के साथ रहा। कुछ नोट्स लिये और अपने कमरे में आ गया।


कमरे में आकर मैंने थोड़ा आराम किया और नहा धोकर बालकनी में खड़ा हो गया। कमरे में प्रिया ने नए कपड़े और विभिन्न किस्म के सेंट रखवा दिए थे। मैंने उनका भरपूर उपयोग किया।


अक्सर मैं प्रिया के साथ जोरावर गढ़ के नगर व जंगलों में भ्रमण करने चले जाता था। अब तक मुझे जोरावर गढ़ में 2 माह हो चुके थे तथा यहां के चप्पे-चप्पे से मैं परिचित हो चुका था। प्रिया मुझसे वरिष्ठ मित्र का सा व्यवहार करती थी। जोरावर गढ़ की आबादी लगभग 20 लाख थी। यह आबादी किले के बाहर बसी हुई थी।