Matarniji in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | मास्टरनीजी

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मास्टरनीजी


कहानी - मास्टरनीजी


सरला ने बी ए पास करने के बाद कुछ समय तक नौकरी पाने का प्रयास किया था . उसे आशा की कोई किरण नहीं दिख रही थी .एक दो जगह छोटी मोटी नौकरी सेल्स गर्ल टाइप की मिल रही थी पर उसमें दिन भर दरवाजे दरवाजे बातें सुनने या धक्के खाने के सिवा कुछ हासिल न होना था .अगर सामान बिका तो कमीशन मिलता नहीं तो सिफ़र , इसलिए उसने इससे तौबा कर लिया था.


सरला के पिता एक कैजुअल वर्कर थे और उनका दो साल पहले देहांत हो चुका था .घर में माँ के अलावा एक छोटी बहन थी .पिता कोई जमा पूँजी छोड़ नहीं गए थे .माँ को सिलाई आती थी , सौभाग्यवश एक सिलाई मशीन शादी के समय ही उसे मैके से मिली थी .इसके अतिरिक्त पीहर या ससुराल से कोई मदद की गुंजाइश नहीं थी . सरला एक दो ट्यूशन से कुछ कमा लेती थी .


एक दिन सरला ने माँ से कहा " माँ , मैं सोच रही थी कि बी एड कर लेती तो सरकारी नहीं तो प्राइवेट स्कूल में ही कहीं न कहीं टीचर की नौकरी मिल जायेगी .थोड़े पैसे मेरे पास हैं थोड़े अपनी सहेली सोनी से मिल जायेंगे .उसी ने यह सलाह दी है और कुछ मदद करने की पेशकश की है .मैं उसे बाद में चुका दूंगी ."


" कोई जरूरत नहीं है उधार लेने की .मेरे पास शादी के समय के मंगल सूत्र और एक दो गहने पड़े हैं .मेरे तो किसी काम के नहीं हैं .तुम्हीं लोगों की शादी के लिए बचा कर रखा है .अभी उन्हें बेच देते हैं ."


" बेचना क्यों , उसे गिरवी रख कर उधार ले लो .बाद में उन्हें छुड़ा लूंगी ."

2

" तुम पागल हो क्या ? तुम्हें पता है ये साहूकार करीब दस प्रतिशत महीने के हिसाब से सूद लेते हैं और इन्हें सूद मूल से ज्यादा प्यारा होता है .सालों तक हम सूद ही भरते रह जायेंगे ."

माँ के गहने बिक गए .सरला बी एड पढ़ने उत्तर बिहार में अपने घर से कुछ दूर के शहर में गयी .देखते देखते एक साल बाद उसने बी एड की पढ़ाई पूरी कर ली . बी एड की डिग्री लेते लेते सरला की आँखों पर चश्मा चढ़ गया .घर आने पर माँ ने कहा " तू तो अभी से मास्टरनी दिखने लगी है . "


" सिर्फ दिखने से तो पेट नहीं भरेगा .नौकरी भी मिलनी चाहिए ."


" तू चिंता न कर , वह भी जल्द ही मिल जाएगी ."


और सच जल्दी ही उसे प्राइवेट स्कूल में नौकरी मिल गयी .यहाँ वेतन तो ज्यादा नहीं था फिर भी घर की जरूरतें आराम से पूरी हो जाती थीं .सरला सरकारी नौकरी की तलाश में थी .


भाग्य ने सरला का साथ दिया और एक साल के अंदर ही उसे एक सरकारी स्कूल में टीचर की नौकरी मिल

गयी .उसके पूरे परिवार की ख़ुशी का ठिकाना न था .


सरला की पोस्टिंग उत्तर बिहार के एक ब्लॉक के गाँव के स्कूल में हुआ .उसे माँ और छोटी बहन के साथ वहां जाना पड़ा .ब्लॉक में ही एक घर किराये पर ले लिया .बहन का एडमिशन ब्लॉक के एक इंटर कॉलेज में करा दिया .वह बहुत खुश थी कि जिंदगी की गाड़ी अब पटरी पर चल पड़ी थी .


कुछ महीने बाद दसवीं बोर्ड की परीक्षा थी .सरला को भी एक क्लास रूम में निगरानी करनी थी .उसी रूम में एक पुरुष टीचर की भी ड्यूटी थी .हेड मास्टर ने कहा था कि सब कुछ ठीक से शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए .


इस स्कूल में नक़ल और चोरी की लगभग छूट सी थी जिसमें स्कूल प्रशासन का पूरा सहयोग था .उन्हें शिक्षक या तो प्रश्नोत्तर बोलकर लिखवाते या विद्यार्थियों को किताबों या पर्चियों से नक़ल करने की इजाजत दे देते थे . फिर बाहर खड़े उनके मित्र या परिवार के सदस्य भी उनकी सहायता के लिए तत्पर रहते थे .


प्रश्न पत्र मिलते ही बच्चों ने उत्तर पूछना शुरू किया .तब सरला ने उन्हें डांटते हुए कहा " क्यों , दो साल

से क्या पढ़ रहे थे . खुद जो आता है लिखो वरना कॉपी छीन कर रिपोर्ट लिख कर जमा ले लूंगी ."


दूसरे शिक्षक ने कहा " बच्चों , कम से कम शुरू तो करो लिखना .जिन प्रश्नों का उत्तर आता हो उन्हें लिखो , आगे हम लोग हैं न . "


वह शिक्षक सरला से सीनियर था .सरला ने कहा " सर , क्या बात कह रहे हैं ? हमलोग क्यों इन्हें मदद करें या चोरी की छूट दें ? मैं तो यह नहीं करने दूँगी ."

कुछ बच्चे खड़े हो कर शोर मचाने लगे .वे कहने लगे " यह नयी मास्टरनी जुम्मे जुम्मे आठ दिन पहले आयी है तो अपने को शेरनी समझती है .सर , इसे समझाइये नहीं तो यह बाहर निकलेगी तो इसकी औकात बता देंगे

हमलोग ."


सरला को यह सब देख कर पसीना आ रहा था , ऊपर से गर्मी भी थी और बिजली गुल थी .शिक्षक ने कहा

" आप बेकार परेशान हो रहीं हैं और यहाँ हंगामा खड़ा कर रहीं हैं .जाईये थोड़ी देर बाहर से पानी वानी पी कर आईये .तब तक मैं इन्हें समझाता हूँ ."


सरला साड़ी के आँचल से पसीना पोछती हुई बाहर निकल गयी .वह सोच ही रही थी कि हेड मास्टर साहब से जा कर बात करे .तब तक उसकी नजर हेडमास्टर पर पड़ी जो सरला की तरफ ही आ रहा था .निकट आने पर सरला को डांटते हुए उसने कहा " मैडम , यह क्या ? आपकी ड्यूटी रूम में निरीक्षण करने की है , यहाँ खड़ी होकर हवा खाने की नहीं .चलिए रूम में ,"


हेडमास्टर के पीछे पीछे वह भी परीक्षा रूम में गयी .वहां शांति थी , पर शिक्षक महाशय ब्लैकबोर्ड पर प्रश्नोत्तर लिख रहे थे . हेडमास्टर ने कहा " सब ठीक ठाक है न ? .कुछ देर पहले मुझे इस कमरे से काफी शोरगुल की आवाज सुनाई पड़ी थी , इसीलिए मैं खुद देखने चला आया ."


सरला ने हेडमास्टर से कहा " देखिये सर , यहाँ क्या हो रहा है ? "


" मैं देख रहा हूँ जो भी हो रहा है शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है ."


दूसरे टीचर ने कहा " सर इन्हें मैंने समझाने की कोशिश की थी पर इन्होंने रूम में हंगामा खड़ा कर दिया .अब आप ही समझाएं इन्हें ."


" मैंने कुछ गलत नहीं किया , समझने की जरूरत आपको है ."


हेडमास्टर बोले " मैडम , सीनियर से तमीज से बात करें . आप मेरे साथ ऑफिस में चलिए ."


सरला हेडमास्टर के साथ उनके कार्यालय में गयी .उन्होंने उसे बैठने को कहा .सरला बोली " मैं बच्चों को परीक्षा में चोरी या नक़ल नहीं करने दे रही थी . ऐसे बच्चों की कॉपी जब्त कर उन्हें बाहर निकाल देती ."


हेडमास्टर ने उसे घूरते हुए कहा " मैडम ऐसा करने के पहले हो सकता है , आप ही बाहर हो जाएँ ."


" क्या मतलब ? "

" मतलब आप अभी अस्थायी हैं और प्रोबेशन पर हैं .मेरी एक रिपोर्ट पर आपका प्रोबेशन बढ़ा दिया जायेगा .और अगर दूसरी बार भी आपके विरुद्ध रिपोर्ट होगी तो फिर समझिये कि आपकी छुट्टी .या कम से कम नक्सलाईट एरिया में तबादला तो हो ही जायेगा ."

सरला कुर्सी पर बैठे बैठे सब चुप चाप सुन रही थी और एक पेपर वेट को घुमाये जा रही थी .फिर हेडमास्टर ने जरा शांत भाव और सहानुभूतिपूर्वक कहा " देखिये हमारे स्कूल का रिजल्ट दो साल से काफी अच्छा रहा है .ब्लॉक या पूरे जिले में नाम है इसका .मैं नहीं चाहता कि स्कूल का रिजल्ट ख़राब हो और स्कूल के साथ शिक्षकों की बदनामी हो कि यहाँ पढ़ाई ठीक से नहीं होती है ."


सरला खामोश थी .


" आप सुन रही हैं जो मैं बोल रहा हूँ . "


" जी सर ."


" तो समझने की कोशिश भी कीजिये .इसी स्कूल में प्रधानजी , बी डी ओ साहब , दारोगा और कई रसूखदारों के बच्चे पढ़ते हैं .उनमें कुछ छंटे हुए बदमाश भी हैं .आप औरत हैं और आपके परिवार में कोई पुरुष भी नहीं है .आप समझदार हैं , अब जा सकती हैं ."


तब तक परीक्षा समाप्त हो गयी थी .सरला घर आ गयी .उसने माँ से स्कूल की सारी बात बताई .माँ ने भी समझाया " एक अकेली तू क्या कर लेगी ? हवा का रुख देख कर चलने में ही भलाई है ."


अगले दिन सरला फिर निरीक्षण की ड्यूटी में थी . वह हेडमास्टर के पास अपना रूम नंबर पूछने गयी .हेडमास्टर ने कहा " तब कल जो कहा था समझ गयी हैं न ? "


सरला ने स्वीकृति में सर हिलाया . उसने अपने मन के आक्रोश पर लगाम कसी और कॉपियां लेकर अन्यमनस्क सी अपने रूम की ओर प्रस्थान किया .