modern chameleon in Hindi Short Stories by Anand M Mishra books and stories PDF | आधुनिक गिरगिट

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आधुनिक गिरगिट

राष्ट्र्भूमि केंद्र विद्यालय का समाज में बहुत नाम है। यहाँ से पढ़कर निकलनेवाले छात्र उच्च पदों पर सुशोभित हैं। इस विद्यालय को सजाने-संवारने में यहाँ के अध्यापकों, शिक्षकेतर कर्मचारियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

समय बदलता है तो शिक्षक आदि भी बदलते चले गए। जिस मूल्यों तथा विचारधारा को लेकर विद्यालय की स्थापना हुई थी वह मूल्य समय के साथ बदलते चले गए। भय का वातावरण बना दिया गया। सभी भय के साए में जीने लगे। सब खामोश रहने लगे, कोई आवाज भी नहीं करता। कोई करे भी क्यों? सच बोलकर यहाँ, कोई किसी को नाराज़ नहीं करने लगा। अपने देश में हर व्यक्ति अपनी जगह सही होता है और वास्तविक संघर्ष सही और ग़लत के बीच न होकर सही और सही के बीच ही होता है।

एक दिन इस विद्यालय में एक छात्र अपने जन्मदिन की खुशियों को अपने सहपाठियों के साथ साझा करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चॉकलेट लेकर आया। उस छात्र ने नियमानुसार अपने वर्गशिक्षक को आवेदन प्राचार्य को संबोधित कर चॉकलेट वितरित करने की अनुमति प्राचार्य से मांगी।

प्राचार्य ने वर्गशिक्षक को ठीक से डांट लगाईं।

“ आप बेवजह परेशानी खड़ी करते हैं? इस तरह की गतिविधियों को हमारी संस्था में बर्दाश्त नहीं किया जाता है। आपकी नौकरी चली जायेगी। बच्चे को कह दें कि जन्मदिन के अवसर पर पौधा दिया जाए। यहाँ पौधे लगाने की परम्परा है। इससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। जाकर इस चॉकलेट के डब्बे को वापस कर दीजिए। यहाँ कोई भूखा नहीं है। पढ़ाने-लिखाने की जगह आप बेमतलब का बखेड़ा खडा करते रहते हैं। आपके व्यवहार की शिकायत मुख्यालय को की जायेगी। वार्षिक वृद्धि इत्यादि सब बंद हो जाएगा। समझते क्या है - आप अपने को?"

प्राचार्य महोदय की लताड़ एक्सप्रेस यही नहीं रुकी। वह एक्सप्रेस की तरह चलती रही। बच्चों को पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी गयी। बच्चे विद्यलय में पौधा लगायें तथा इससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी। एक पेड़ लगाने से प्राणवायु मिलती है। इसकी जानकारी तो अवश्य होगी। या यह भी पता नहीं है। यदि नहीं है तो पता करिए। पहले जब किसी बच्चे का जन्मदिन मनाया जाता था तो पौधारोपण का ही कार्य किया जाता था। आजकल तो पश्चिमी संस्कृति ने सब गुड गोबर कर दिया है।

और भी कई तरह की बातें वर्गशिक्षक को प्राचार्य ने कह दी। विद्यालय के बच्चों का स्वास्थ्य भी खराब होने का भय दिखाया गया।

वर्ग-शिक्षक सिर झुकाए चुपचाप खड़ा था। दूसरा और कोई उपाय भी नहीं थी। मन मारकर वहां से चला गया।

इस बात की जानकारी अपने अन्य सहकर्मी को हुई। किसी को आनंद मिला तथा किसी को दुःख हुआ। अंत में एक सहकर्मी ने इसका जो हल बताया वह वास्तव में किसी के दिमाग में आया ही नहीं थी। हल भी इतनी आसानी से निकलेगा, इसकी कल्पना वर्गशिक्षक ने नहीं की थी।

हल मिलने के पश्चात वर्गशिक्षक ने कहा कि बच्चा स्थानीय राष्ट्रीय बैंक के शाखा प्रबंधक का पुत्र है। इतना सुनते ही प्राचार्य उछल पड़े तथा फिर कहा कि आपने पहले ही क्यों न बताया? जाइए! जाकर चॉकलेट को छात्रों के बीच वितरित करें तथा शाखा प्रबंधक को धन्यवाद पत्र भी दें।

वर्गशिक्षक इस आधुनिक काल के गिरगिट को देखकर आश्चर्यचकित था। प्राचार्य अपने लिपिक को 'धन्यवाद-पत्र' बनाने का निर्देश दे रहे थे।