Raaste Pyaar Ke in Hindi Love Stories by Rohit Kishore books and stories PDF | रास्ते प्यार के ।।

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रास्ते प्यार के ।।

भाग 1. ) पहली मुलाक़ात


वो कहते है न “किसीको मुक़्क़म्मल जहाँ नहीं मिलता.. कहीं ज़मीन, तो कहीं आस्मां नहीं मिलता...”

तो बस इसी से शुरू करते है अपनी कहानी और मिलवाते है आपको कहानी के हीरो से… एक इतिहासिक शहर आगरा का एक मामूली सा साधारण घर का लड़का “राहुल”, मस्त मौला रहने वाला लड़का.. राहुल, जो की अभी 26 साल का है, अपने मम्मी पापा और एक छोटी बेहेन “प्रिया” के साथ रहता है…

राहुल हमेशा परेशां रहता था, के उसकी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है… बड़ा प्रयास करता था.. प्रिया से जुगाड़ लगवाके उसकी दोस्तों से मिलता था.. मगर कहीं दाल नहीं गलती थी.. ऐसा नहीं की राहुल हैंडसम नहीं था, बस अपने हीरो को कोई समझ नहीं आती थी… .

राहुल- अरे भगवन, 26 का हो गया हूँ और एक लड़की नहीं लाइफ में… क्या होगा मेरा… ये बोलते ही घर पे सब खिलखिला के हसने लगे ..

राहुल की मम्मी- चल चल, आ जाएगी तेरे सपनो की रानी, पहले खाना खा ले..

प्रिया- होगी कोई बंदरिया जो आएगी कभी दादा की लाइफ में… हँसने लगती है

सब हसने लगे और सो गए… मगर अपना राहुल—खयालो में ग़ुम…

अगली सुबह होती है और पहुंचते है पंजाब में… और क्या देखते है… 1 लड़की गाडी चला रही है बहुत स्पीड में, राह चलते लड़को से रेस लगाते, हराते हुए…तभी एक आवाज़ आती है “रिया” गाडी धीरे चला… क्या कर रही है… कुछ हो जाएगा… और माता रानी को याद करने लगती है। … ब्रेक लगता है और सामने आता है इनका घर, …

अरे अरे… वो पीछे से आवाज़ किसकी थी… तो वो है “श्रेया” रिया की बड़ी बेहेन.. रिया से बिलकुल अलग… रिया जहाँ एक दम शोर, वही श्रेया एक दम शांत, रिया जहाँ रॉक म्यूजिक सुनने वाली.. श्रेया पुराने गाने और भगवन के भजन सुनने वाली…।।।

दोनों बहने मार्किट से घर आती है…

श्रेया- पापा ज़रा समझाओ अपनी लाड़ली को… इतनी तेज़ गाडी चलती है… सुनती भी नहीं…

रिया- “अरे पापा- धीमे चलूंगी तो पीछे रह जाउंगी.. मुझे तो हवा से भी तेज़ चलना है…. तभी पीछे से मम्मी बोलती है… “हाँ उड़ ले उड़ ले, जिस दिन शादी होगी, तब देखते है कितना उड़ पाएगी---, सब हसने लगते है…

श्रेया- “पापा, ग्रेजुएशन तो ख़तम हो गया, मगर मुझे MBA करना है, MNC में जॉब तभी मिलेगी और उसके लिए दिल्ली जाना होगा.. वहीँ अच्छे कॉलेज है..

पापा- “मगर बेटा, तुम और रिया बचपन से साथ स्कूल, कॉलेज गए हो.. और अब अलग अलग.. अकेले कैसे तुम्हे जाने दूंगा.”

श्रेया- “मगर पापा, रिया को MBA नहीं करना है… उसे आपके साथ बिज़नेस में इंटरेस्ट है, और आपको पता है मै खुद कुछ करना चाहती हूँ…”

पापा- “ठीक है बेटा, तुम्हारी बात कहाँ कभी टाली है.. जो अच्छा लगे वो करना..”

अरे अपना राहुल कहाँ गया… ??

चलो आते है वापस आगरा में..

राहुल- “पापा मै क्या सोच रहा हूँ.. ग्रेजुएशन हो गया है… मगर अच्छी नौकरी करनी है तो MBA तो करना ही होगा, मैंने एंट्रेंस दिया था और मुझे दिल्ली के एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल गया है”।।।

पापा- “अरे तूने बताया भी नहीं, सब अकेले सोच लिया.., और हम लोग यहाँ अकेले.. और प्रिया का क्या.. ??

राहुल- “पापा, इतना क्या सोचना.. और प्रिया क्या.. उसका तो अभी ग्रेजुएशन भी बाकि है… और वीकेंड में आता रहूँगा.. दिल्ली कौनसा दूर है… आप लोग तो हमेशा साथ रहोगे ही…

पापा- ठीक है.. कब निकलना है…?

राहुल- बस अगले हफ्ते….

अब आती है हमारी दिल्ली…..// और हम पहुंचते है MBA कॉलेज पहला दिन, इंट्रोडक्शन क्लास..

राहुल- अपने मन में बात करता हुआ--- “अरे भाई, ये कहाँ आ गए है… इतनी सारी लड़कियां, मगर सब इतनी हाई फाई, ये तो अपने को घास भी नहीं डालेंगी, तभी उसे कोई बुलाता है,

हे राहुल- देखा तो उसकी पुरानी कोचिंग का एक फ्रेंड उसे मिल जाता है “ अमन”.

राहुल- ओये, अमन तू यहाँ कैसे,

अमन- बस यार मैंने भी एग्जाम दिए था, क्या पता था तू भी यहीं मिल जाएगा. दोनों साथ में—अब मज़ा आएगा MBA मे..

क्लास में जा ही रहा होता है के रस्ते में मंदिर में देखता है एक लड़की जो इतने हाई फाई माहौल में भी सफ़ेद सलवार कमीज में , एक दम सिंपल लुक्स में , एक छोटी सी बिंदी लगाए पूजा कर रही थी… “ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय रघुनाथ हरे..”

राहुल उसे देखता ही रह जाता है…

जी हाँ, बिलकुल सही सोचा आपने ये है अपनी “श्रेया”…

राहुल श्रेया से- “ एक्सक्यूज़ में, तुम भी 1st सेमेस्टर में आयी हो..?

श्रेया- कोई जवाब न देते हुए आगे चली जाती है..

राहुल- मन में बोलता हुआ, बड़ी घमंडी है… जाने दे यार..।।

राहुल क्लास में बैठ जाता है…

अरे अरे ये क्या… श्रेया उसकी सीट के एकदम आगे वाली सीट पे बैठ गई , श्रेया ने राहुल को देखा तक नहीं , मगर राहुल का अब कहाँ पढाई में मन लगेगा , श्रेया को देखे ही जा रहा था ..

अमन - भाई , सारा आज ही देख लेगा क्या … थोड़ी किताब भी देख ले … "है कौन ये … जनता है क्या "…??

राहुल - नहीं यार , जनता तो नहीं हूँ , मगर जानना चाहता हूँ … कुछ अलग सा है इसमें , इसकी सिम्पलिसिटी दिल ले गई …

इतने में प्रोफेसर - "हे यू मिस्टर ब्लू शर्ट … (राहुल को बोलते हुए )

राहुल - यस . यस .. यस सर … !!!

प्रोफेसर - मुझे दिख रहा है आपका इंटरेस्ट कहीं और जा रहा है …

राहुल - नहीं नहीं सर मै तो … पढाई ही कर रहा था …

प्रोफेसर - जाइये बहार जाके पढाई करिये ..

श्रेया ने पहली बार राहुल को तब देखा , बहार जाते हुए भी … राहुल श्रेया को देखते देखते बहार चला गया

राहुल बार बार श्रेया से बात करना चाहे … मगर श्रेया उसे इग्नोर कर आगे चली जाये …

राहुल को समझ नहीं आया — घर जाके मन में सोचा ऐसा भी क्या कल बात करके रहूँगा ..

अगले दिन , क्लास ख़तम होने के बाद , राहुल ने फिर श्रेया से बात करनी चाही , श्रेया फिर आगे चली गई , इस बार राहुल ने श्रेया का रास्ता रोक लिए और बोलै - “तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है .. साथ में पढ़ते है … कोई गली का लड़का तो नहीं के तुम एक हेलो तक नहीं कर सकती ।।।

श्रेया - क्या बात क्या करना चाहते हो ..?? why are you following me..??

राहुल - इसलिए क्युकी तुमने मेरा दिमाग ख़राब कर रखा है … जबसे देखा है न पढ़ पता हु , न सो पता , न खा पता हु न पि पाता हूँ .. हर जगह तुम दिखती हो … मै बस फ्रेंडशिप करना चाहता हूँ ..

श्रेया - न मै फ्रेंडशिप करना चाहती हूँ न मेरा कोई इंटरेस्ट है .. पढ़ने आये हो .. पढ़ो और जाओ .. जिसे जानते तक नहीं उसे प्यार भी होने लग गया .. वाह।।

राहुल का दिल टूट जाता है … के जिसके बारे उसने इतना अच्छा सोचा वो इतनी मगरूर निकली …

मगर राहुल को उसके चेहरे की एक उदासी खाये जाती थी .. जैसे न जाने कितना बड़ा ग़म छुपाये हुए है ..

राहुल ने पीछे हटने के बजाये मानाने को सोचा … रोज़ उसकी सीट पे एक गुलाब रख देता और एक फ्रंडशिप नोट उसकी डेस्क पे छोड़ देता … कभी एक चॉकलेट लेता और उसकी डेस्क पे रख देता ..

न रास्ता रोकता , न बात करता … बस रोज़ ऐसा करता रहता …

ये सब देख श्रेया को और रोना आ जाता … और उसका मन ख़राब हो जाता ..

एक दिन श्रेया - “राहुल , ये सब क्या और क्यों कर रहे हो … तुम क्यों बात करना चाहते हो मुझसे , जब मुझे जानते तक नहीं … मुझे नहीं पसंद ये सब जो तुम कर रहे हो ..

राहुल - श्रेया , मै तुम्हे जानना ही तो चाहता हूँ … मुझे तुम्हारे चेहरे और मैं में एक उदासी दिखती है .. इतने अच्छे कॉलेज क माहौल में भी तुम खुश सी नहीं दिखती .. न तुम्हारी कोई दोस्त न कोई घरवाले … न तुम फोन पे बात करती दिखती हो .. न whats app पे हो … न फेसबुक पे हो .. न Instagram में … क्या हुआ क्या …

श्रेया - अचानक से उसकी आँखों में आंसू आ जाते है …

राहुल - अरे श्रेया क्या हुआ … तुम्हारी आँखों में आंसू क्यों …

श्रेया - राहुल , तुम कुछ भी नहीं जानते मेरे बारे में .. मै तुमसे फ्रंडशिप वगेरा कुछ नहीं कर पाऊँगी , उसका कोई फायदा नहीं …

राहुल —मगर ऐसा क्यों … क्या मुझमे कोई खराबी है .. क्या मै तुम्हे बिलकुल भी नहीं पसंद … मैंने तुम्हे चोरी से मुझे देखते हुए देखा है … हर रोज़ मेरे गुलाब का तुम भी इंतज़ार कर रही थी …

श्रेया - मैं कुछ नहीं कह सकती …

राहुल - नहीं आज तुम्हे बताना ही होगा .. के आखिर ऐसा क्यों ..??

श्रेया - मैं तुमसे किसी लेवल पे आगे नहीं बढ़ना चाहती … क्युकी …. क्युकी …. “ मै शादी शुदा हूँ …”

राहुल .- whaattttt…??? नहीं तुम झूठ बोल रही हो , मुझसे पीछा छुड़ाने के लिए

श्रेया - नहीं राहुल , ये सच है … मेरी शादी को 3 साल हो चुके है ।।।।

---------- भाग १ समाप्त हुआ ----------x


भाग २ - नयी शुरुआत



शाम का समय है झील के किनारे बैठे राहुल और श्रेया ।।


श्रेया - मैं क्लास 10th में थी , जब “अभिनव ” मेरी ज़िन्दगी में आया , वो एक दम तुम्हारे जैसा था , एक दम मस्त मौला , हम साथ स्कूल जाते , और शाम को साथ स्कूल से आते …


वो ऐसे ही मुझे रोज़ चॉक्लेट दिए करता था …


धीरे धीरे हम दोनों बड़े होते गए , और फिर उसकी नौकरी एयर फाॅर्स में लग गई , हम दोनों बहुत खुश थे .


एक दिन अभिनव हमारे घर आया , मम्मी पापा से शादी की बात करने , किसी को कोई परेशानी नहीं हुई , क्युकी हम दोनों का एक दूसरे के घर में आना जाना था …


अभिनव के मम्मी पापा को मैं पसंद थी .. और मेरे मम्मी पापा को वो …


हम दोनों की शादी तय हो गयी … और 10th October 2016 में मेरी शादी हो गयी ….


काफी खुश थे हम दोनों , के अचानक ही अभिनव की असम में पोस्टिंग हो गयी … और शादी के एक साल बाद ही उन्हें जाना पड़ गया , ऐसा नहीं था के हममे दूरियां आ गई हो .. लेकिन बस फोन पे ही बात हो पाती थी …


2019 में एक MIG दुर्घटना हुई , प्लेन क्रैश हुआ और अभिनव के चले जाने की खबर आयी , हाँ अभिनव हम सब को छोड़ कर चला गया …।।।



ऐसा लगा जैसे संसार ही ख़तम हो गया , सबने बहुत समझाया , दूसरी शादी को बोला, मगर हमसे हुआ नहीं , क्युकी यादों से अभिनव कभी गया ही नहीं … मैं फिर वापस अपने घर आ गयी , क्युकी सबको लगा शायद मुझे अपने घर में ज़ादा ठीक लगे , जाती रहती थी अभिनव के मम्मी पापा से भी मिलने … वो समय बहुत ख़राब था … तब सबसे ज़ादा मेरी छोटी बेहेन “रिया ” ने मुझे संभाला , वो मुझे हमेशा अपने साथ रखती और मेरा मन बहलाया करती रहती … !!


राहुल - एक दम चुप सा हो गया , उसकी आँखों में भी आंसू थे …


बोला - “ I I am so sorry श्रेया , मुझे बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था ऐसा कुछ भी …..”


श्रेया - हाँ यही मेरी सचाई है .. मै किसी से भी रिश्ता रखने से डरती हूँ … मैं किसी से कोई वास्ता नहीं रखना चाहती, क्युकी दिल तो लग जाता है , मगर जुदाई पे , दर्द फिर सहा नहीं जाता है …”


दोनों वहां से चले जाते है …


राहुल के मैं में फिर भी एक चुंबन सी रहती है … सो नहीं पाता है वो उस रात , उधर न ही श्रेया को नींद पड़ती है ,


अगले दिन क्लास में श्रेया आती है .. उसे फिर से रेड रोज , एक लव नोट और चॉक्लेट मिलती है उसकी डेस्क पे , वो इधर उधर देखती है , और उसे राहुल दीखता है मुस्कुराता हुआ , श्रेया भी स्माइल करती है और उस गुलाब को रख लेती है …


दोनों शाम को फिर मिलते है …


राहुल - “श्रेया ” मुझे पाता है जो भी कुछ हुआ बहुत बुरा हुआ , मगर किसी के चले जाने से ज़िन्दगी ख़तम तो नहीं हो जाती … “पढ़ने को है पैन कई , ज़िन्दगी अभी और बाकि है ….”


श्रेया - मतलब … समझी नहीं …


राहुल - “मैं तुम्हारा कभी साथ नहीं छोडूंगा , ये मेरा तुमसे और उप्पेर वाले से वादा रहा , एक दोस्ती से शुरुआत तो कर ही सकते है …”



श्रेया और राहुल दोनों मुस्कुरा देते है … और बातों , मुलाक़ातों का सिलसिला शुरू हो जाता है …


अगले दिन श्रेया के पास सुबह सुबह रिया का फोन आता है “


दीदी …… मैं दिल्ली आ रही हूँ …”


श्रेया - अरे … ऐसे अचानक …. क्या हुआ .. तुमने पहले बताया नहीं …


रिया - बस दीदी पापा का कुछ काम था दिल्ली में , मैंने सोचा मैं आ जाती हूँ आपसे मिल भी लुंगी


श्रेया - अरे वह … ये तो अच्छा हुआ , आजा मिलते है फिर .


रिया , नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरती है और टैक्सी करने लगती है … मगर क्या दिन था वो , उस दिन टैक्सी वाले हड़ताल पे थे …. कोई टैक्सी नहीं .. ऑटो नहीं … और जाना रिया को 70 km दूर था दीदी के पास ..


बहुत परेशां होकर वही बैठ जाती है सड़क पे अपने सूटकेस के उप्पेर … तभी एक लड़का रिया के पास आता है …


एक्सक्यूज़ में , आप परेशां दिख रही है , ऐसे रस्ते में …


रिया - actually, मै अभी ट्रैन से उतरी , और पाता चला आज टैक्सी वालो की हड़ताल है … कोई तैयार नहीं चलने को ।।



क्या ..?? हाँ … ये लड़का .. कोई और नहीं राहुल है …. इस बात से अनजान के रिया , श्रेया की बेहेन है ,…


राहुल - आप एक मिनट इंतज़ार करिये , मै कुछ करता हूँ …


राहुल एक टैक्सी वाले को किसी तरह मन लेता है , और रिया से बोलता है , आप चली जाइये , ये आपको छोड़ देगा ..


रिया - Ohh so nice of you, Thank you very much.


रिया , राहुल को देख के बहुत खुश हो जाती है ..


रिया , श्रेया के हॉस्टल पहुँचती है और टैक्सी वाले को पैसे देती है … टैक्सी वाले के पास खुल्ले पैसे नहीं होते और वो झगड़ने लगता है , राहुल और श्रेया का हॉस्टल पास ही होता है , राहुल भी वही पहुँचता है , और देखता है रिया फिर परेशानी में है .


राहुल - अरे आप यहाँ , अब क्या हुआ ..?


रिया - अरे आप फिर से मिल गए , what a coincidence, जब मै मुष्किल में पड़ रही हूँ आप मिल जा रहे हैं .


देखिये न ये टैक्सी वाले के पास खुल्ले पैसे नहीं है … चिक चिक कर रहा है ..


राहुल - भैया कितने पैसे हुए , और वो उसे खुल्ले पैसे देके अलविदा कर देता है ..


राहुल - आप यहाँ कैसे ..?


रिया - वो actually मेरी दीदी यहाँ रहती है , मिलने आयी हूँ …


राहुल - अच्छा ओके .. बिना ये जाने के ये श्रेया की बेहेन है , वो वहां से चला जाता है …


रिया , अपनी बेहेन श्रेया से मिलती है , दोनों बहुत खुश होते है ,..


रिया - दीदी , क्या बात है आपका चेहरा बड़ा खिला हुआ लग रहा है .. कौन है वो … बताओ …


श्रेया - शरमाते हुए .. अरे कोई नहीं …


रिया - नहीं दीदी .. बताओ न .. आपका चेहरा बता रहा है कोई आया है आपकी ज़िन्दगी में …


श्रेया - बात घूमते हुए , इग्नोर कर देती है ..


तभी रिया , अपना आज का किस्सा सुनाती है ..


रिया - दीदी , आज पाता एक इतना अच्छा लड़का मिला , उसने मेरी 2 बार मदद की ..


श्रेया - अच्छा , अरे वाह … भले लोग आज भी है दुनिया में ..


रिया - हाँ दीदी , पर मुझे तो लग रहा मुझे उससे प्यार ही हो गया है ..


श्रेया - अरे अरे .. 2 बार हेल्प में प्यार … तूने स्पीड काम नहीं की अब तक अपनी ..


रिया - अरे दीदी बोला था न … तेज़ नहीं चलूंगी to पीछे छूट जाउंगी …


दोनों हसने लगते है …


अगले दिन , रिया अपने काम से मार्किट जाती है और पास के कॉफ़ी हाउस में राहुल को देखती है , और उसे बुलाने लगती है … Hey.. Hey Hello…u….


राहुल को समझ नहीं आता उसे कौन बुला रहा है … पीछे देखता है … तो रिया होती है …


राहुल - अरे आप फिरसे ,, अब क्या मुसीबत आ गई …


रिया - आह फाइनली आपसे फिरसे मिल रही हूँ … आपने 2 बार हेल्प की … और आपका नाम तक नहीं जानती मै ..


राहुल - ओह्ह मेरा नाम राहुल है ..


रिया - और मेरा नाम रिया .. आपसे मिलके बहुत अच्छा लगा …


राहुल - मुझे कुछ काम है निकलना होगा …


रिया - अरे अभी तो मिले है और जाना है आपको … एक कप कॉफ़ी प्लीज कॉफ़ी हाउस में बैठे है और कॉफ़ी न पिए


राहुल - चाह के भी मन नहीं कर पाया … और साथ बैठ जाता है …


रिया - तो Mr. राहुल , आप लोगों की मदद करने के इलावा और क्या करते है …


राहुल - मैं MBA फाइनल ईयर में हूँ …


रिया - ओह्ह wao …. मेरी दीदी भी MBA ही करने आयी दिल्ली .. क्या बात है … मुझे भी दीदी के साथ कर लेना चाहिए था …. मन में सोचती है .. (क्या पाता आपसे और थोड़ा पहले मिल लेती …)


राहुल - Excuse me…. हेलो … कहाँ गायब हो गई आप , चलिए कॉफ़ी ख़तम अब मै चलता हु ..


रिया - अरे wait wait wait….. मै दोबारा मुसीबत में फसी तो हेल्प कैसे मांगूंगी … आपका नंबर प्लीज …


राहुल --- Ohho… आपको बार बार हेल्प चाहिए क्यों होगी … anyways.. take it…


दोनों अपना नंबर exchange कर लेते है …


शाम को दीदी को किचन में खाना बनाते बनाते किसी से बात करते देख , रिया सोचती है … चलो राहुल से बात की जाए ,


रिया - राहुल को फोन मिलती है , मगर वो बिजी आता है ….


फिर मिलाती है … बिजी आता है …


क्युकी राहुल तो श्रेया से बात कर रहा होता है ….


रिया - परेशां होक दीदी से बोलती है … आज दिन ही ख़राब है .. जिससे बात करनी है वो कहीं और व्यस्त है …


अच्छा … कहाँ किस्से बात करने को उतावली हो ..


रिया - कुछ नहीं दीदी .. बस .. है कोई … बताउंगी …


श्रेया - ठीक है .. जब मैं हो तब बताना …


और दोनों सो जाते है …


रात को रिया के फोन पे मैसेज आता है , और श्रेया अचानक से रिया का फोन देखती है .. उसपे राहुल का मैसेज आया हुआ होता है … “Sorry, missed your call, मैं कहीं बिजी था …”


श्रेया , राहुल का नंबर पहचानती है .. उसका मैसेज देख के श्रेया अचम्भे में पड़ जाती है …


उसे कुछ समझ नहीं आता … पूरी रात सो नहीं पाती …


सुबह उठके रिया से पूछती है … वो किस्से बात करने को कल तुम कह रही थी …


फिर रिया बताती है … दीदी वो राहुल है ,…..


श्रेया के हाथ से चाय का कप निचे ज़मीन पे गिर जाता है ….


और चौक जाती है ।।।


x---------- भाग २ समाप्त हुआ --------x


भाग ३- नादान इश्क़ ।।



वो कहते है न - “ये इश्क़ नहीं आसान , बस इतना समझ लीजिये , एक आग का दरिया है और डूब के जाना है …”



अगले दिन , राहुल श्रेया को फोन करता है , मगर श्रेया उसका फोन नहीं उठाती ….


राहुल पूरा दिन फोन मिलाता रहता है , मगर श्रेया उसका फोन नहीं उठाती ..


राहुल को समझ नहीं आता आखिर हुआ क्या ऐसा …


श्रेया , ये जानके के उसकी अपनी बेहेन जिसे वो सबसे ज़ादा चाहती है वो राहुल से प्यार करती है … मगर ये नहीं जानती के राहुल भी उसे प्यार करता है या नहीं .. राहुल को ignore करने लगती है …


इधर , रिया , राहुल को सुबह से फोन लगा रही होती है और राहुल फोन नहीं उठाता …


राहुल के रिया का एक बार फोन उठाने पे …


राहुल - क्या है … (चिल्लाते हुए ), क्यों फोन कर रही हो सुबह से …


रिया - अरे , (सहमे हुए,.. क्युकी उसने राहुल को कभी ऐसा नहीं देखा था … ), मैं बस ऐसे ही हाल चाल लेने के लिए फोन करा … सोचा आज कहीं मिलते है ..


राहुल - नहीं , मुझे नहीं मिलना है … काम है बहुत …


रिया - उदास होक बैठ जाती है …


ये देखके श्रेया रिया के पास आती है …


श्रेया - अरे तूफ़ान एक्सप्रेस को क्या हुआ आज इतनी शांत …


रिया की आँखों में आंसू देखते हुए …


श्रेया - अरे अरे अरे … क्या हुआ … तुम्हे तो रोते नहीं देखा कभी …


रिया - दीदी , वो राहुल का बताया था न आपको … बात नहीं कर रहा सुबह से .. न जाने क्यों … परेशां सा लग रहा है …


श्रेया - (जानते हुए के वजह क्या है … ), कोई बात नहीं , बिजी होगा कर लेगा फोन …


राहुल के लगातार फोन मिलाने पर … श्रेया फोन उठाती है ..


राहुल - “Hey, whats wrong, मैं पागलों की तरह फोन मिला रहा हूँ .. हो कहाँ तुम ..? क्या हुआ ..?


श्रेया - “मिलना चाहती हो तुमसे ”, शाम को 4 बजे कॉफ़ी हाउस पे मिलो .


राहुल और श्रेया मिलते है ….


श्रेया - राहुल , तुमने बताया नहीं के तुम्हारी कोई नयी दोस्त बनी है ..


राहुल - दोस्त … कौन दोस्त ..?


श्रेया - मै रिया की बात कर रही हूँ …


राहुल - हैरान होक .. रियया …. अरे वो दोस्त क्या कुछ नहीं .. बस उसकी 2-3 बार हेल्प करि जो मेरा नेचर है .. तबसे पाता नहीं .. मिलने की ज़िद करती है .. फोन करती है …


श्रेया - जानते हो रिया कौन है ..??


राहुल - नहीं … बस ये बताया उसने .. पंजाब से आयी है .. कुछ बिज़नेस के काम से …


श्रेया - रिया मेरी सगी बेहेन है ….


राहुल - अचम्भे म। …. क्युकी उसे तो पता ही नहीं था …


श्रेया - हाँ , रिया मेरी बेहेन है … और मुझे सबसे प्यारी … मेरी जान से प्यारी भी है .. और वो तुम्हे प्यार करने लगी है …


राहुल - Whattt…??? मगर मै तो उसे मिला भी ठीक से नहीं हूँ .. और मै तो तुमसे प्यार करता हु .. और तुम भी मुझसे प्यार करती हो …


श्रेया - मुझे वो सब नहीं पता … मै अपनी बेहेन की आँखों में आंसू नहीं देख सकती ..


श्रेया - अब जो मै कह रही हूँ उसे ध्यान से सुनो …


राहुल - शांत होके बैठ जाता है .. उसे समझ नहीं आता ये हुआ क्या …


श्रेया - राहुल तुमने अगर मुझसे थोड़ा भी प्यार किआ होगा तो तुम्हे मेरी कसम है तुम्हे मेरी बात माननी होगी …


राहुल - वो वो …. वो क्या …?


श्रेया - तुम्हे रिया से शादी करनी होगी … और रिया को हमारे बारे में कुछ भी नहीं बताना होगा ..


राहुल - क्या …. तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है … मै ऐसा कुछ नहीं करने जा रहा ..


श्रेया - मै तुम्हे कल तक हाँ करने का समय de रही हूँ .. कल तक तुमने हाँ नहीं की … तो सीधे हॉस्पिटल आ जाना , मेरी मरी हुई बॉडी लेने …


राहुल - तुम पागल हो गई हो … कह कर चला जाता है ..


उधर रिया - “अरे दीदी , आप कहाँ चली गई थी …


श्रेया - कुछ नहीं रिया , मुझे कुछ काम था …


रिया - दीदी , मै सोच रही थी आप एक बार राहुल से मिल लो न … आपको पसंद आया तो मै फिर कुछ सोचु आगे …


श्रेया - थोड़ी देर सोचने के बाद … “हाँ , मिल लेती हूँ .. जब तुझे इतना पसंद है तो मिलना तो होगा ही …”


रिया राहुल को फोन करती है … .


रिया - Hey Rahul, कैसे हो …? कल कॉफ़ी हाउस में मिले प्लीज …


राहुल - नहीं मैं नहीं आ पाउँगा , कुछ काम है …


रिया - नहीं , तुम्हे आना ही होगा , वरना मै वहां आ जाउंगी …


राहुल - नहीं , यहाँ आने की ज़रूरत नहीं है , मै आता हु कल ..


राहुल - कॉफ़ी हाउस में इंतज़ार करता हुआ .. सामने से देखता है रिया आ रही होती है … और रिया के ठीक पीछे होती है श्रेया …


राहुल के होश उड़ जाते है दोनों को साथ देख के …


राहुल कुछ कहे उससे पहले , उसे श्रेया की दी हुई वो कसम याद आ जाती है … और वो रिया को ज़ाहिर नहीं होने देता के वो श्रेया को जनता है …



श्रेया और रिया , मिलने के बाद वापस घर आते है और श्रेया अपने घर पे फोन लगाती है …


श्रेया - “मम्मी , पापा हमारी रिया को एक लड़का बहुत पसंद आ गया है यहाँ और मै भी mil चुकी हूँ .. इसकी शादी करनी है ..


मम्मी - अरे इतनी जल्दी , ऐसे कैसे .. कौन है … क्या करता है ..? मेरी बात करा रिया से …


रिया - शरमाते हुए .. हाँ मम्मी ,,


मम्मी - अरे तुझे तो आज तक कोई न समझ आया .. कौन है .. और कैसे पसंद आ गया .. बताया नहीं तूने


रिया - बस मम्मी .., राहुल नाम है उसका … बस देखते ही कुछ हो गया था ….


दोनों घरों में बात पक्की हो गयी …. और शादी की तारीख निकली 15th मई , वाहः .. क्या इत्तेफ़ाक़क है .. ये वही दिन है .. एक साल पहले जब पहली बार राहुल ने श्रेया को देखा था …


राहुल .. कुछ नहीं कर पा रहा था … क्युकी उसे श्रेया ने कसम दी हुई थी …


अब आता है शादी का दिन … 15th मई :



सब लोग तैयारी में लगे है .. श्रेया और रिया दोनों ही रेडी हो रहे है .. रिया काफी खुश है .. उसके मन के साथी से जो उसकी शादी हो रही है … श्रेया शांत है .. पर उसने अपनी उदासी अपने चेहरे पे नहीं आने दी .. क्युकी उससे रिया को दुःख होता …


श्रेया - चल रिया तू तैयार हो जा अब … बरात आती होगी .. मै निचे जा रही ..


रिया - ओके दीदी …


रिया - “अरे ये मांग टिका .. कहाँ रख दिआ मैंने …”


रिया को कहीं उसका मांग टिका नहीं मिल रहा … उसने श्रेया को आवाज़ दी .. मगर कोई नहीं आया … रिया अकेले ही थी रूम में ..


तभी रिया ने श्रेया की अलमारी खोली देखने के लिए …. तभी उप्पर से एक डायरी निचे गिरी … उसने निचे से डायरी उठाई .. और वही निचे पड़ा उसका मांग टिका भी मिल गया …


बरात भी आ चुकी है …. रिया भी पूरी तरह तैयार है …


पंडित जी - कन्या को बुलाइये …


श्रेया - रिया को लेके आती है …


राहुल और श्रेया दोनों मंडप में बैठ जाते है …


मगर रिया देखती है के राहुल खुश नहीं है . और उसकी आँखों में आंसू होते है ..


उधर अपनी दीदी श्रेया की ऑंखें भी भरी हुई देखती है …


थोड़ी देर बैठे रहने के बाद … रिया अचानक से मंडप से उठ जाती है .. सब लोग चौक जाते है .. के ये क्या हुआ …


अचानक ताली बजाते हुए ….


वाहः दीदी …. मेरी ख़ुशी के लिए अपने अपना गाला घोट दिया …


श्रेया को समझ नहीं आता .. ये क्या बोल रही है ..


श्रेया - क्या बोल रही हो रिया …



रिया - दीदी मै सब जान गई हूँ … आपके और राहुल के बारे में …


तो आप लोग भी हैरान होंगे न .. की रिया को कैसे पता चला …


तो रिया जब अपना मांग टिका ढूंढ रही थी तो उसे वो जो डायरी मिली थी ..


उसमे उसे वो सारे फ्रंडशिप / लव नोट्स मिले जो राहुल ने श्रेया को लिखे थे और रोज़ उसे एक नोट देता था … वो सब पढ़ने के बाद रिया के बहुत आंसू आये थे …


श्रेया - रिया , ऐसा कुछ नहीं है .. तुम्हे कोई गलत फहमी हुई है ’..


रिया - अगर ऐसा कुछ नहीं तो आपकी और राहुल की आँखों में आंसू क्यों …


इतने खुशनुमा माहौल में भी एक सन्नाटा सा क्यों ….


रिया - राहुल तुम तो दीदी से इतना प्यार करते थे .. फिर तुमने भी मुझे क्यों नहीं बताया …


राहुल - मैंने कई बार सोचा … मगर किसी कारण मैं नहीं बता पाया (उसे श्रेया ने कसम जो दी थी ..)


रिया - दीदी , मुझे पता है आप मुझे सबसे ज़ादा प्यार करती है .. मगर मै किसी और के हिस्से का प्यार अपने पास नहीं रख सकती … इससे न राहुल खुश होगा .. न आप और न कभी मै …


दीदी - जब आपने अभिनव को खोया था .. उसके बाद से जब मै दिल्ली आयी , तब मैंने कितने टाइम के बाद आपके चेहरे पे ख़ुशी देखि .. आप कुछ बताना भी चाहती थी .. मगर मैंने अनसुनी कर दी …


नहीं दीदी .. आप और राहुल दोनों साथ अच्छे हो … मै बीच में आ गई …


और मै अब भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ …


और राहुल को भी मै कौन सा जाने दे रही हूँ .. जीजाजी बनके उनकी आधी घरवाली तो रहूंगी …. ये बोलके हसने लगती है …


सबकी आँखों में आंसू के साथ ख़ुशी के पल भी आ जाते है …


उसी मंडप में … रिया - श्रेया और राहुल की शादी करवा देती है …


श्रेया और राहुल दोनों एक दूसरे की तरफ देखते है … और मुस्कुरा देते है …


और इनका प्यार पूरा हो जाता है - दोनो को रास्ते प्यार के मिल जाते है ।।।


-------END OF EPISODE------------