अदैन्य इस बात को लेकर कभी-कभी मंद मंद हास्य
करता है कि एक तरफ ग्लोबलाइजेशन का मतलब
पूरा विश्व का एक राष्ट्र ही है और दूसरी ओर ईरान इराक पर गोले बरसा रहा है, अमेरिका फिलिपिंस पर ब्रिटेन जर्मनी पर और पाकिस्तान हिंदुस्तान पर.
और फिर भी पश्चिम के कुछ विद्वान वैश्वीकरण की खोखले दावे कर रहे हैं.
प्रफुग एक ऐसी अर्थ प्रणाली(device) है जिससे संसार बहुता से विमुख होकर इकाई की ओर प्रस्तुत होती है.
प्रफुग मैं स्व चलनो का उल्लेख है यानी निजी चलन भोज( self paper currency) जिसे अंग्रेजी में प्राइवेट करेंसी या सेल्फ करेंसी भी कहा जाता है. ज्यादातर इसे सेल्फ करेंसी ही कहा जाता है.
दोस्तों, सेल्फ करेंसी को आप क्रिप्टोकरंसी नहीं कह सकते. क्रिप्टोकरंसी जैसी खतरनाक चीज अर्थ तंत्र के लिए और कोई हो ही नहीं सकती.
ना तो आज इसके एक्सचेंजर बन पा रहे हैं और ना ही 100000 वर्षों के बाद क्रिप्टो के रूपांतरण होंगे.
इसलिए सेल्फ की तुल्ला क्रिप्टो से करना व्यर्थ है.
सेल्फ को आप दुनिया की किसी भी रिजर्व बैंक में ले जाएंगे तो उसके रूपांतरण आपको मिल जाएंगे, और वह भी वर्तमान मूल्यों के अनुसार.
मुझे पता है कि सारी बात अभी बहुत अटपटी और पेचीदी लग रही हैं. मगर आगे अदि ही इन सारी बातों के विस्तृत वर्णन आपको बताएगा.
क्रिप्टो आपकी फुग ( ब्लैक मनी) का शोषण तो कर सकती है मगर उसके लाभ आपको कभी नहीं दिलवा सकती.
जबकि सेल्फ कहीं ना कहीं स्टॉक सिस्टम से चलती है, और फूग के शोषण का लाभ तथा अपने स्वयं के भी बड़े हुए भाव का लाभ दिला सकती है.
ठीक वैसे ही जैसे शेरो रों के भाव उछलते हैं.
मगर यहां सेल्फ में मंदी कभी नहीं आती. कैसे!
वह सब हम अदी से ही पूछेंगे.
अदैन्य जानता है कि खाड़ी के मचलते युद्ध और रिपब्लिकन( यूएस पॉलीटिकल पार्टी) के कुछ चित्र प्रेमियों के उत्साह के पीछे कहीं ना कहीं फुग ही जिम्मेदार है.
क्योंकि कठोर सत्य तो यही है कि जब जब हमारी करेंसी अंडरवर्ल्ड के हाथों लगेगी तब तक संविधान और समाज दोनों में खलबली मचेगी और इसी खलबली से उत्पन्न ना जो मिथ्या प्रयास होंगे वह प्रयास ही राष्ट्री को युद्ध के द्वार पर लाकर खड़ा कर देगा.
मगर कोई यह नहीं सोचेगा की भूगर्भ सक्रिय बन चुका है.
जब जब भूगर्भ सक्रिय बनता है तब तब वह सर्वप्रथम कूटनीति का आश्रय करता है और दो राष्ट्रों के बीच में तनाव उत्पन्न करवाता है. और स्वयं के प्रवेश के मार्ग आसान बना देता है.
और एक दिन अंडरवर्ल्ड पैरा कॉन्स्टिट्यूशन बनके भ्रष्टाचार को सामाजिक सभ्यता घोषित कर देता है.
एक बात तो यह भी तय ही है की चाहे ब्रह्म प्रलय भी आ जाए तो भी हमार त्रिस प्रतिशत इकोनामी को कोई भी तोड़ नहीं पाएगा, क्योंकि यही है 30% इकोनामी स्टॉक मार्केट में रिकॉर्डेड है.
यानी कि किसके नाम के कितने शेर है.
अदैन्य चाहता था कि इस दुनिया की सारी करेंसी रिकॉर्डेड हो जाए और उसके बाद पूरी दुनिया की करेंसी consumption जानकर वन करेंसी इस्टैब्लिशमेंट हो जाए.
यह सारी प्रक्रिया में कम से कम 20 साल जितना वक्त लग सकता है मगर फिर भी उन 20 सालों के बाद यह संसार किसी स्वर्ग से कम नहीं होगा.