शाम को आदित्य का कॉल आया की वो एक दोस्त के यहां जा रहा है ।रात को वही रुकेगा।
रात में नवीन घर आया । वो लड़खड़ा रहा था । बताया कि उसके पुराने दोस्त मिल गए थे उन्होंने पिला दी है। वो थका था , बिना वक़्तगंवाए अपने कमरे में चला गया ।
घर का सारा काम ख़तम करने के बाद मंजरी ने एक बार अपने रूम में देखा तो नवीन गहरी नीद में सोया था सुबह तक नहीं उठने वालाथा।
उसे लगा कि यही सही वक़्त है रश्मि से बात करने का ।
वो रश्मि के रूम में गई तो रश्मि भी अब सोने जा रही थी देखते ही। बोली
अरे मां जी आप इस वक़्त ।
"हां अगर तुम बुरा न मानो तो कुछ बात करनी है तुमसे " मंजरी बोली।
हां हां कहिए न , रश्मि ने बैठते हुए कहा ।
मंजरी ने उसका हाथ अपने हाथ। मे रखा और पूछा
सच बताओ बात क्या है ?
रश्मि ने बताना शुरू किया ।
कुछ महीने पहले उसने आदित्य के मोबाइल पर किसी मिनल का मैसेज देखा था । उसे लगा कि वो उसकी सहकर्मी होगी तो उसने ध्याननहीं दिया और मोबाइल आदित्य को दे दिया ।
हालांकि मिनल से बात करते वक़्त आदित्य के हाव भाव ये बता रहे थे कि मिनल बस एक सहकर्मी नहीं है।
लेकिन रश्मि ने खुद को टोका की ये वो क्या कर रही है , अपने ही पति पे शक कर रही है।
फिर सब नॉर्मल हो गया ।
लेकिन फिर उसने नोटिस किया कि पिछले कुछ दिनों से आदित्य का व्यवहार कुछ बदला बदला सा है।
वो अब उससे कुछ बताता भी नहीं था न ही ज्यादा बात करता था ।
आज मिनल का मैसेज देखने के बाद वो उससे जोड़ने लगी।
फिर उसने खुद को समझाया की ये बस एक ektfaq है ,
और फिर घर का काम करने लगी ।
उसके बाद धीरे धीरे आदित्य का व्यवहार सच में बदल गया था।
अब रश्मि को कुछ कुछ समझ आने लगा था ।
एक दिन रात में खाते समय ही उसने पूछ ही लिया
" ये मिनल कौन है ?"
आदित्य चौंक गया।
" वो वो मेरे ऑफिस में काम करती है । क्या हुआ ? "
आदित्य हड़बड़ाते हुए बोला ।
कुछ नहीं ऐसे ही " रश्मि ने कहा ।
रश्मि ने कह तो दिया कुछ नहीं लेकिन आदित्य की हड़बड़ाहट ने उसे सोचने पे मजबूर कर दिया।
सारी रात वो सो नहीं पाई।
वो ऐसे ही किसी को अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं करने दे सकती थी।
वो आदित्य से पूछ भी नहीं सकती थी क्योंकि ये तो उसका शक था।
अगर गलत हुआ तो आदित्य कभी उस माफ नहीं करेगा ।
वो सोच नहीं पा रही थी कि क्या करे।
दिन बीतते गए ।
एक दिन वो मार्केट से कुछ खरीद कर आ रही थी ।
पास के थियेटर से गुजरते ही उसे आदित्य दिखा । वो किसी लड़की के साथ था।
"जरूर ये मिनल ही है " रश्मि मन में बोली ।
फिर सोचा ही सकता है ऑफिस के सारे लोग आए हो साथ में " ये सोचते हुए रश्मि आगे बढ़ने लगी
अचानक वो देख कर चौंक गई।
मिनल ने आदित्य का हाथ अपने हाथ में पकड़ा था और आदित्य को कोई आपत्ती नहीं थी।
रश्मि इस बात पे यकीन ही नहीं कर पा रही थी।जैसे तैसे वो मुड़ी घर जाने के लिए।
" हे भगवान मेरा शक सही न हो । मै मर जाऊंगी "
जाने क्या क्या बड़बड़ाते हुए रश्मि चल रही थी।
अचानक उसे पता नहीं क्या सूझा ।
उसने आदित्य को कॉल किया ।
" हां रश्मि मै ऑफिस में हूं । अभी फ़्री होके बात करता हूं "
आदित्य ने बस इतना कहा और रख दिया।
रश्मि का दिल धक से रह गया।
उसका शक आज सच हो चुका था।
वो तेज तेज कदमों से चलने लगी ।
वो जोर जोर से रोना चाहती थी ।
लेकिन वो अपने आंसुओ को लोगो के बीच तमाशे का कारण नहीं बनने देना चाहती थी।
वो जल्दी जल्दी घर पहुंची ।
मिनल के हाथ में आदित्य का हाथ और आदित्य का वो झूठ
उसे अन्दर ही अन्दर मारे जा रहा था ।
वो दरवाजा बन्द करके सीधे वॉशरूम गई और शॉवर चला दिया।
पानी की बूंदे उसके सर से होते हुए उसके पूरे बदन पे गिर रही थी ।
कितने ही ख्यालात उसके दिमाग में चलने लगे थे।
******** to be continued********