Pawan Granth - 5 in Hindi Mythological Stories by Asha Saraswat books and stories PDF | पावन ग्रंथ - भगवद्गीता की शिक्षा - 5

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पावन ग्रंथ - भगवद्गीता की शिक्षा - 5

अध्याय तीन-
कर्मयोग या कर्तव्य मार्ग

अनुभव — दादी जी हमें अपनी इच्छाओं पर क़ाबू क्यों करना चाहिए?
दादी जी— जब इंद्रियों के सुख के लिए ग़लत व्यवहार चुनते हो,तो तुम उसके परिणामों को भी चुनते हो ।इसलिए कोई भी काम सबके भले के लिए किया जाना चाहिए,अपनी इच्छाओं को शांत करने के लिए या व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं ।कर्मयोग के अभ्यास करने वाले को कर्मयोगी कहते है ।कर्मयोगी सेवा का सही मार्ग चुनता है और अपने काम को पूजा का रूप देता है ।कर्मयोग में कोई भी काम किसी दूसरे काम से अधिक या कम महत्वपूर्ण नहीं है ।

अनुभव— दादी ,एक व्यक्ति चाचा हरि पिछले दिनों भगवान की खोज में घर छोड़ कर आश्रम में चले गये । क्या भगवान की खोज में हमें घर छोड़ना पड़ता है?

दादी जी— नहीं , बिलकुल नहीं । गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भगवान की प्राप्ति के लिए हमें अलग-अलग रास्ते दिखलाये है ।जो मार्ग तुम चुनते हो,वह तुम्हारी व्यक्तिगत प्रकृति पर निर्भर करता है । साधारणतः दुनिया में दो तरह के लोग है— अंतर्मुखी,अध्ययनशील और बहिर्मुखी या कर्मशील ।
चाचा हरि जैसे अंतर्मुखी लोगों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग सर्वश्रेष्ठ है ।इस मार्ग का अनुसरण करने वाले किसी सच्चे आध्यात्मिक गुरु की शरण में जाते हैं,जिनकी सही देखरेख में वे वैदिक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं ।इस मार्ग में हम इस ज्ञान की प्राप्ति करते हैं कि हम कौन हैं और हम कैसे सुख शांति का जीवन यापन कर सकते है ।
अनुभव— क्या भगवान को समझने के लिए और पाने के लिए हमें सब शास्त्र-ग्रंथों को पढ़ना ज़रूरी है?

दादी जी— हमारे धर्म में अनेक शास्त्र-ग्रंथ हैं ।चार वेद, एक सौ आठ उपनिषद, अट्ठारह पुराण , रामायण, महाभारत, सूत्र-ग्रंथ और अन्य बहुत से ग्रंथ है । उन सब का अध्ययन करना एक कठिन कार्य है ।किंतु भगवान श्री कृष्ण ने हमारे जानने योग्य हर चीज़ को गीता में कह दिया है ।गीता में आज के समय के लिए सभी वेदों,उपनिषदों का सार उपलब्ध हैं ।

अनुभव— चाचा मगनलाल एक किसान है और उनकी रुचि गीता पढ़ने में नहीं है । वे कहते हैं कि गीता बहुत ही कठिन है और उनके जैसे साधारण लोगों के लिए नहीं है तो उन्हें भगवान की प्राप्ति कैसे हो सकती है?

दादी जी— चाचा मगनलाल को कर्मयोग का मार्ग ग्रहण करना चाहिए ।गीता के अध्याय में उसका वर्णन है ।
यह कर्तव्य या निष्काम सेवा का मार्ग है ।यह मार्ग अधिकांश लोगों के लिए अच्छा है ।जो परिवार को पालने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं और जिनके पास शास्त्रों को पढ़ने के लिए समय नहीं है, न उनमें रुचि। इस मार्ग पर चलने वालों के लिए घर छोड़कर किसी आश्रम में जाना ज़रूरी नहीं । वे अपने स्वार्थ भरे उद्देश्यों का त्याग कर के समाज में भले के लिए काम करते हैं,केवल अपने लिए नहीं।

अनुभव— लेकिन अगर लोग अपने स्वार्थ भरे उद्देश्यों के लिए काम करेंगे, तो वे अधिक परिश्रम करेंगे,दादी जी ।

दादी जी— यह तो सच है कि यदि लोग अपने स्वार्थ भरे लाभ के लिए काम करेंगे,तो अधिक कमा सकेंगे,किंतु ऐसा करने से उन्हें स्थाई सुख और शांति नहीं मिलेगी । केवल वे ही लोग जो सबके भले के लिए नि:स्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य पूरा करेंगे,सच्ची शांति और संतोष पायेंगे ।

अनुभव— यदि लोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए काम नहीं करेंगे, तो क्या वे तब भी अच्छी तरह काम करेंगे और आलसी नहीं हो जायेंगे ?

दादी जी— सच्चा कर्मयोगी व्यक्तिगत लाभ के बिना भी परिश्रम करता है ।अज्ञानी केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए ही काम करते हैं ।दुनिया सहज रूप से इस लिए चल रही है कि लोग अपना कर्तव्य पूरा करते हैं ।माता -पिता परिवार के पोषण के लिए परिश्रम करते हैं ।
बच्चे अपने हिस्से का काम करते हैं । कोई भी हर समय निष्क्रिय या निठल्ला नहीं रह सकता।अधिकांश लोग किसी न किसी काम में लगे ही रहते हैं और यथाशक्ति काम करते हैं ।सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने मानव को अपनी पहली शिक्षा दी,जब उन्होंने कहा—- तुम सब प्रगति करो,फलों-फूलो ।
एक दूसरे की सहायता करते हुए और सही रूप में अपने कर्तव्य का पालन करते हुए ।

अनुभव— यदि केवल अपने ही लाभ के लिए परिश्रम करें तो क्या होगा?

दादी जी— तो वे पाप करेंगे । अनुभव दूसरों पर अपने काम के असर का ध्यान न करके स्वार्थ वश काम करना ग़लत है ।भगवान श्री कृष्ण ने ऐसे लोगों को चोर, बेकार पापी कहा है ।हमें कभी भी अपने लिए जीना और काम नहीं करना चाहिए ।हमें एक दूसरे की सहायता और सेवा करनी चाहिए ।

अनुभव— जो व्यक्ति भगवान ब्रह्मा जी की शिक्षा पर चलता है और समाज की भलाई के लिए काम करता है, उसे क्या लाभ होता है?

दादी जी— ऐसे व्यक्ति को जीवन में शांति और सफलता मिलती है, ईश्वर की प्राप्ति होती हैं और पृथ्वी पर उसका फिर जन्म नहीं होता ।

अध्याय तीन में जिस नि:स्वार्थ सेवा के बारे में विचार किया गया है, वह जीवन में कैसा अद्भुत काम करती है इसको बताने में हमारे समय की एक सच्ची कहानी है— अनुभव मैं यह कहानी तुम्हें कल सुनाऊँगी ।

क्रमश: ✍️


सभी पाठकों को मेरा नमस्कार 🙏
भगवद्गीता की शिक्षा— को छोटे रूप में बताने का प्रयास किया गया है ।छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर लिखा गया है ताकि बच्चों को और आरंभिक पाठक आसानी से पढ़ कर समझ लें । सभी से अनुरोध है कि प्रथम अध्याय से पढ़ना प्रारंभ करें तो ठीक से समझ आयेगा।
धन्यवाद 🙏