Majhse dosti karonge - 6 in Hindi Horror Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | मुझसे दोस्ती करोगे - भाग 6

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मुझसे दोस्ती करोगे - भाग 6


अगले दिन से ही वहां कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो गया ।
मिस्टर मल्होत्रा अभी भी उस बच्ची के बारे में सोच रहे थे और मन ही मन कह रहे थे वह मनहूस दुबारा ना दिख जाए लेकिन दो-तीन दिन बाद वह फिर वही लड़की दिख गई वो भी अपनी गुड़िया के साथ ।
मल्होत्रा के कहने पर अनिल ने उसे बहुत समझाया लेकिन वह वापस नहीं गई, वह हमेशा उसी जगह पर आकर खड़ी हो जाती और फिर वापस न जाने की जिद करती । रोज-रोज यही घटना होने से मल्होत्रा परेशान हो गया था उन्होंने सोच लिया था इस मनहूस लड़की का कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा । वह यह सब सोच ही रहे थे कि तभी अनिल वहां भागता भागता आता है और कहता है " अरे सर जल्दी चलिए देखिए वहां पर खुदाई करने पर कुछ निकला है", सभी ने देखा तो वहां एक शरीर का ढांचा निकला जिसे देखकर सब हैरान रह गये, सब सोच में पड़ गए कि आखिर किस का ढांचा है तभी वह लड़की बोली "वह मेरी मां है, वह सो रही है उसे सोने दो"।

अनिल ने मल्होत्रा से गुहार लगाई कि सर ऐसा करते हैं उसे ढक देते हैं कहीं ऐसा ना हो कि इस औरत की आत्मा जाग जाए और हमें परेशान करने लगे । इस पर मल्होत्रा ने गुस्साते हुए कहा "व्हाट द हेल, क्या बकवास करते हो ऐसा भी कभी होता है, फटाफट इसको हटाओ और कुछ भी करो मुझे इस से मतलब नहीं है और हां सब लोग कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दो, और अगर ये मनहूस लड़की ज्यादा बकवास करें तो इसको भी इसकी मां के पास भेज दो" ।

यह सुनकर उस लड़की ने कहा "मेरा और कोई नहीं, सिर्फ मेरी मां ही मेरी दोस्त है, उसे सोने दो चुपचाप सोने दो, मैं उसी से तो मिलने रोज आती हूं, उसे सोने दो….उसे सोने दो…."।

यह कहते हुए फिर वह झाड़ियों की ओर चली गई लेकिन आज उसने बार-बार पीछे मुड़कर इन दोनों को नहीं देखा लेकिन उस गुड़िया की नजरें जरूर इन दोनों की ओर थी ऐसा लग रहा था की वो गुड़िया इनको घूर रही हो।

रात हो चुकी थी और मिस्टर मल्होत्रा को अब एक-एक पल भारी लग रहा था उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे अगर उन्होंने उस लड़की का मामला सही नहीं किया तो आगे काम करना मुश्किल हो पाएगा इसलिए आधी रात में उन्होंने अनिल को फोन लगाया और तुरंत बुलाया । आधी रात में जब अनिल घर से जाने लगा तो माला ने कहा इतनी रात गए किसका फोन था और कहां जा रहे हो, उसने गुस्से में कहा "तुमसे मतलब मैं कहां जा रहा हूं, परेशान करके रखा है वैसे भी यह बेटी पैदा करके तुमने मेरे जी का जंजाल कर दिया, बेटा नहीं पैदा कर सकती थी अरे कम से कम सुकून ही देदे, बार-बार मुझसे सवाल जवाब नहीं कर"।

यह कहते हुए वह दरवाजे को पटक कर बंद कर के चला गया । माला मुन्नी को गोद में लिए रोती रही और यही सोचती रही कि काश वो एक बेटा पैदा कर पाती तो उसका पति उससे खुश होता लेकिन उसे क्या पता था की अनिल जब से इस कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहा था तब से उसे न जाने क्या हो गया था वो चिड़चिड़ा और परेशान रहता था ।