वह लड़की कुछ देर तक सिर झुकाए बैठी रही । कुछ देर बाद वह भयानक महिला उस लड़की के सामने आकर खड़ी हो गई । उसकी चेहरे की रेखाएं उसके क्रूरता को साफ दर्शा रही है ।
" अब उसे तुम्हें अपने अंदर लेना होगा । उसे खुद के शरीर में ग्रहण न करने पर यह उपाचार पूर्ण नहीं होगा । लेकिन याद रखना वह तुम्हारे अंदर तब तक रहेगा जब तक उसके काम की भूख खत्म न हो जाए । रंडी ऐसे क्यों देख रही हो । केवल खुद के शरीर की हवस को शांत करोगी और जिसकी दया से इतने कार्य होंगे उसके भूख को नहीं मिटाओगी । वह जब तक चाहेगा तुम्हारे शरीर के अंदर रहकर तुझे भोग करेगा। तुम उसे रोक नहीं पाओगी । अगर उसे रोका तो खुद ही मारी जाओगी । उसका भूख खत्म होते ही वह अपने आप चला जाएगा । अब ज्यादा मत सोच उसे अपने शरीर के अंदर ले लो । "
इतना बोल कर उस पिशाचीनी महिला ने अपने नाभि के पास हाथ रख तेजी से सांस लेकर कुछ मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया ।
" हदुन्गुबंद निशांनं.................... "
और इसके बाद ही जो हुआ उसे देख कोई स्वाभाविक मनुष्य स्वस्थ नहीं रह पायेगा । हाथ और मुँह बंधे लड़की ने देखा कि उस भयानक महिला के योनि से एक लाल मांसल धुआँ निकल रहा है । वह लाल मांसल धुआँ जानता है कि इस जगह को छोड़कर अब कहां जाना है । लड़की ने डरते हुए आतंकित होकर देखा वह लाल धुआँ अपने पहले जगह से निकलकर उसके तरफ ही बढ़ने लगा । फिर धीरे - धीरे उस लड़की की योनि में प्रवेश कर गया । लड़की के शरीर में फिर से एक भयानक कंपकपी , शरीर की गर्मी मानो जलते चिता से भी कई गुना ज्यादा बढ़ गई । और फिर अचानक पीठ व कंधे पर छड़ी से प्रहार होने लगा । बहुत ही दर्द से रोते - रोते जब उस लड़की की आँखों में बेहोशी से पहले अंधेरा छाने लगा , तब उसे महिला की भयानक आवाज सुनाई दिया ।
वह जिन्दा पिशाचिनी चिल्लाकर हँसते हुए बोल रही थी ,
" नारी की योनि ही उसका घर घर है । योनि के अंदर वह खुद को शरीर की नशों में फैला लेता है । इसके बाद प्रतिदिन वह अपने ही पालक का सम्भोग करता है । मनुष्य योनि में रहता है इसीलिए उसका नाम है योनिनिशा ।...... "
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आश्चर्य होकर राहुल ने पूछा,
" योनिनिशा ? "
" हाँ योनिनिशा , इन्हें मृत्यु व पाताल लोक के बीच की कुछ भयानक शक्तियों में गिना जाता है । ये आकृति में सूक्ष्म लाल लेकिन बुद्धि में मनुष्य से भी तेज होते हैं । और अलौकिक क्षमता में कुछ देव - देवियों से भी अधिक शक्तिशाली होते हैं । ये भयानक , क्रूर व काम भूख की प्रवृत्ति वाले होते हैं ।नारी की योनि के अंदर ही ये रहते हैं । जिस नारी की योनि में यह रहते हैं उसी योनि से ही अपना भूख मिटाते हैं । योनि भोग करते करते एक वक्त ऐसा आता है जब वह नारी की मृत्यु का कारण बनता है । योनि के अंदर रहकर उसी से अपना भूख मिटाते हैं इसीलिए इनका नाम योनिनिशा है । "
राहुल यह सब सुन कुछ देर अचम्भा होकर बैठा रहा । पंडित महाराज जो कुछ भी बोल रहे हैं उसके अधिकांश भाग का मतलब उसे नहीं पता । समझ आने पर भी ऐसी बातों पर विश्वास करने का मन नहीं कर रहा ।
क्या ऐसा भी हो सकता है ? ऐसा तो केवल कहानियों व मूवीज में होता है । लेकिन क्या वास्तविक जीवन में भी ऐसा होना संभव है ?
" हाँ राहुल संभव है । वास्तविक जीवन में हमारे चारों तरफ ऐसी ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिसे कोई कहानीकार कभी कल्पना भी नहीं सकता । जबतक वो उसे खुद देख व कहीं पढ़ ना ले । तुम्हारे पहले प्रेमिका के बारे में उस दिन ज्यादा कुछ पूछ नहीं पाया था क्योंकि आराध्या भी यहीं पर थी । आज बताओ वह लड़की कैसी थी ? और तुम दोनों में रिश्ता क्यों टूट गया ? "
राहुल जवाब देने से पहले कुछ देर सिर झुका कर बैठा रहा । फिर बोलना शुरू किया,
" रिया दिखने में बेहद ही खूबसूरत है । उसका और मेरा क्लास 11 से ही दोस्ती थी । पहले दोस्ती थी फिर धीरे-धीरे हमारा रिश्ता प्रेम की तरफ बढ़ गया । रिया बहुत बुरी नहीं थी । मैं उसके साथ लगभग 6 सालों तक रिलेशनशिप में था । इन 6 सालों में हमने एक दूसरे को जबरदस्त प्यार किया लेकिन लगभग 6 महीने पहले मेरे एक रिश्तेदार की शादी में मैं आराध्या से मिला । मेरे ही टाइप की ऊपर से इतनी सुंदर । पहले मैंने इसे सीरियस नहीं लिया लेकिन धीरे-धीरे मेरा मन आराध्या की तरफ बढ़ता गया । उसकी चाल , बात करने की शैली , अपने आप गुनगुनाना यह सब कुछ मानो मेरे लिए वसंत मौसम जैसा था । इसके अलावा दूसरी तरफ उस वक्त रिया के साथ मेरा हमेशा झगड़ा हो रहा था । "
" झगड़ा किस बात लेकर हो रहा था ? "
" कुछ भी नहीं , केवल छोटी-छोटी बातों पर ईगो की लड़ाई । ऐसी बहुत सारी बातें जिससे झगड़े की संभावना भी नहीं है उसे लेकर भी हम दोनों झगड़ते थे । कभी कभी वह अपने आपे में नहीं रहती और गाली गलौज करने लगती । वह रिया को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी , हमेशा उसके बारे में गंदी गंदी बातें करती । वो शायद हम दोनों को लेकर कुछ शक कर रही थी । "
" फिर "
" सच कहूँ तो मैं इस रिश्ते से परेशान हो गया था । इसीलिए मैंने उससे ब्रेकअप मतलब अपना रिश्ता तोड़ दिया । लगभग साढ़े 3 महीने पहले की बात है । उस वक्त मैं बहुत ही डिप्रेस्ड था । कुछ भी अच्छा नहीं लगता था । दोस्त कहते थे कि जो हो गया भूल जाओ लेकिन कांटा जिसके पैरों में चुभती है दर्द उसे ही पता होता है । जिसके साथ 6 सालों से प्यार किया व उसके साथ शारीरिक संबंध में था उससे अचानक रिश्ता टूट जाए तो आप ही बताइए कोई ठीक कैसे रह सकता है । "
कुछ देर शांत रहने के बाद राहुल ने फिर से बोलना शुरू किया ,
" उस वक्त जब मेरे पास कोई भी नहीं था तब आराध्या मेरे साथ आकर खड़ी हुई । मुझे मेंटली ठीक होने में आराध्या ने बहुत मदद की । हालांकि इसके बाद केवल मानसिक तरीके से नहीं शरीरिक रूप से भी मैं उससे जुड़ गया । अब मुझे ऐसा लगता है की आराध्या शारीरिक संबंध नहीं चाहती थी केवल मेरे मन को खुश करने के लिए यह सब करती थी । जिससे सब कुछ भूल कर मैं अच्छे से रह पाऊं । सच कहूं तो अगर आराध्या नहीं होती तो मैं सामान्य जीवन जी नहीं पाता । "
" अच्छा समझा । वैसे आराध्या के साथ चार-पांच महीने पहले कोई अद्भुत घटना घटी थी । ऐसी घटना जो तुम्हें स्वाभाविक नहीं लगा । "
" चार-पांच महीने पहले तो हमारा रिलेशन केवल शुरू हो रहा था । हाँ एक अद्भुत घटना घटी थी । आराध्य थोड़ी डरपोक लड़की है । उसके माता पिता अक्सर आगरा से बाहर रहते हैं इसीलिए फ्लैट में वो अकेली ही है । एक बार परछाई जैसा कुछ बाथरूम में देखकर वह बहुत ही डर गई थी । फिर फोन करके मुझे अपने फ्लैट पर बुलाया था । उसके फ्लैट में जाते ही वह रोते हुए मेरे सीने से लिपट गई क्योंकि उसे बहुत डर लग रहा था । शाम तक वह मेरे गले में सिर रखकर लिपटी हुई थी मुझे तो सोफा से उठने भी नहीं दिया । बाद में मुझे पता चला कि वह ऐसे ही छोटी - छोटी बातों से डर जाती है । "
" और रिया , उसकी कोई अद्भुत वाक्या याद है तुम्हें ? "
" उस वक्त उसके सभी आचरण अद्भुत थे । वह लड़की ना जाने क्यों ऐसा हो गई थी । ईर्ष्या और ईगो क्या मनुष्य को इतना बदल देता है । जो भी हो , एक दिन अपने रूम में लौटा , मेरे रूम की एक चाभी उसके पास ही रहती थी ।
सभी उसे पहचानते थे इसीलिए कोई रोकता नहीं था । और उस वक्त हमारे ब्रेकअप को हुए लगभग 2 सप्ताह हो गया था । रूम में जाकर मैंने देखा तो वह मेरे कपड़ों को समेट रही थी । मुझे देखते ही गले लगाकर रोने लगी । लेकिन मैंने तब तक अपना डिसीजन ले लिया था कि उससे साथ अब और रिश्ता नहीं रखूंगा । मैंने जब उससे ये बात बोला तो वह गुस्से में लाल हो गई । और बोलने लगी, " तुम्हें क्या लगता है तुम उस लड़की के साथ बहुत खुश रहोगे । वह एक साक्षात चुड़ैल है । वह तुम्हें कभी खुश नहीं कर पायेगी । अगर तुम मेरे साथ नहीं रह सकते तो किसी के भी साथ नहीं रह पाओगे । " इतना बोल कर वह रूम से बाहर चली गई । हालांकि उस वक्त in बातों पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था लेकिन रूम के ताले को मैंने बदल दिया था । जिससे वह मेरे रूम में न जा सके । "
" हम्म्म ! मुझे तो ऐसा लगता है कि इन सभी घटनाओं के पीछे तुम्हारी पूर्व प्रेमिका ही है । उसी ने शायद तुम्हें अपने वश में करने एवं आराध्या को अपने रास्ते से हटाने के लिए योनिनिशा को अपने शरीर में आह्वान किया है । उस लड़की के अंदर तुम्हारे लिए मोह इतना बढ़ गया है कि साक्षात शैतान को अपने अंदर धारण कर लिया है । शायद वह लड़की नहीं जानती कि इसमें वह सफल हो तो या ना हो लेकिन उसकी जान को शैतान कभी भी निकल सकता है । "
" क्यों ? "
" प्रकृति की यही प्रथा है जैसे सांप को जितना भी पाल लो वह डंक मरेगा ही । यह भी वैसे ही हैं कितनी भी कोशिश कर लो लेकिन ये संतुष्ट नहीं होते । योनिनिशा की काम तृप्ति अगर थोड़ा भी कम हुआ तो वह जिस शरीर में वास कर रहा है उसी को मार डालेगा । और उसके काम क्षुधा को नियंत्रण करना उतना आसान नहीं है । बहुत सारे नियमों को मानकर योग - ध्यान करके उसके लिए सिद्ध साधिका होना जरूरी है । सामान्य लड़की के द्वारा उसको नियंत्रण में रखना संभव नहीं है । वैसे रिया इस वक्त कहाँ पर है ? तुम्हें उसके बारे में पता लगाने को मैंने कहा था । "
" पंडित महाराज मैंने उसको खोजने की कोशिश किया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ । उसका पहले वाला नंबर स्विच्ड ऑफ है । शायद उसमें अपने नंबर को चेंज कर लिया है । और 2 महीने पहले ही आगरा छोड़ कर चली गई कहाँ गई यह बात उसके दोस्तों को भी नहीं पता । लेकिन शायद मुझे लगता है कि वह अजमेर गई है वहीं पर उसका घर है । "
" मतलब उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चला । अगर वह पास रहती तो उसे समझाकर कुछ किया जा सकता था ।
लेकिन जब यहां पर नहीं है तो हमारे पास केवल एक ही उपाय है । "
" क्या पंडित महाराज ? "
" भेद द्वारा साम दाम दंड और भेद । भेद अर्थात एक शत्रु को दूसरे शत्रु से लड़वाओ । लोहे से लोहे को काट दो ।क्योंकि यहां पर तुम्हारा बुरा चाहने वाले दो हैं केवल इस वक्त वह दोनों एक ही शरीर में उपस्थित हैं । "
" पंडित महाराज कृपया सब खुलकर बताइए । "
" इस वक्त योनिनिशा और तुम्हारी पूर्व प्रेमिका ये दोनों ही तुम्हारे शत्रु हैं । इन दोनों को अगर एक दूसरे से लड़ने पर मजबूर कर दिया जाए तो कार्य सफल हो जाएगा । "
" लेकिन क्या यह संभव है । आप इसे कैसे करेंगे ? रिया तो यहां पर नहीं है । "
" कार्य थोड़ा कठिन है लेकिन असंभव नहीं । तंत्र में असंभव शब्द नहीं है । सिद्ध साधक इसे जानते हैं l इस पद्धति की केवल एक ही शर्त है । मैं जिस विपरीत क्रिया को करूंगा उससे कुछ देर के लिए तुम्हारे पूर्व प्रेमिका की योनि में बसा योनिनिशा कुछ देर के लिए अपने धात्री को ही शिकार समझेगा । इससे उस लड़की की मौत लगभग तय है । केवल उसके मरने से ही योनिनिशा की शक्ति खत्म होगी । इससे तुम्हारे और आराध्या के ऊपर उसका कोई प्रभाव नहीं रहेगा । लेकिन अब प्रश्न यह है कि रिया मर जाएगी यह जानकर भी क्या तुम विपरीत क्रिया चाहते हो ? अगर तुम कहो तो मैं यह कर सकता हूं । सच कहूं तो जो लड़की एक दूसरी लड़की को जान से मारना चाहती है उसके लिए मेरे मन में विशेष कोई दया नहीं । "
पंडित महाराज के इन बातों को सुनकर वो बेरहम व निर्दयी हैं ऐसा लगता है लेकिन फिर उन बातों के तात्पर्य को राहुल समझ रहा है । बात तो सही है जो किसी की जान के पीछे हाथ धोकर पड़ सकती है उसके लिए क्या राहुल को सोचना चाहिए । पंडित महाराज के कहे अनुसार शायद कुछ दिनों बाद ही वो रिया का दास बन जाएगा और तब क्या होगा ? नहीं किसी पापी के बारे में सोचकर कोई लाभ नहीं । पहले पास में जो है उसे बचाया जाए । उसके लिए सोचना है जो तुमसे प्यार करती है ।
राहुल कुछ देर सोचता रहा फिर बोला,
" नहीं पंडित महाराज कोई असुविधा नहीं है । आप बिना कुछ सोचे ही विपरीत प्रक्रिया को कीजिए । जो दूसरों की जान ले सकती है उसके बारे में मैं क्यों कुछ सोचूँ । "
" ठीक है यही होगा । कल ही मैं देवी पीतांबरी की आशीर्वाद से विपरीत प्रक्रिया में बैठूंगा । यह प्रक्रिया समाप्त होने के 3 दिन बाद योनिनिशा अपने धात्री को ही मार डालेगा । वह लड़की मर जाएगी । तुम अब जा सकते हो मुझे इसके लिए सामग्री इकट्ठा करना है । "
पंडित महाराज के बातों को सुनकर राहुल वहां से उठ खड़ा हुआ । घर से निकलते वक्त पंडित महाराज ने उसे रोकते हुए पूछा,
" वैसे राहुल एक और प्रश्न का उत्तर दो । रिया के साथ रिश्ता टूटने से पहले आराध्या के साथ तुमने शारीरिक संबंध तो नहीं बनाया था । "
राहुल इस प्रश्न को सुनकर चौंक गया फिर कुछ देर सोचने के बाद बोला ,
" नहीं, नहीं , ऐसा नहीं हुआ था । "
" अच्छी बात है । अब जा सकते हो । "
पंडित महाराज थोड़ा निश्चिंत हुए । चलो जो शक था वह खत्म हुआ । .....
अगला भाग क्रमशः ....