ऑफ़िस जाकर मैं अपने काम में बिज़ी हो गई थी, बीच में लगभग बारह बजे अपना फोन चैक किया तो देखा उसका मैसेज आया हुआ था।
और मैसेज ये था कि - "इतने सारे मैसेज" ! क्या डिलीट किया है?
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था , बहुत कुछ कहना भी चाह रही थी । ऐसा मन कर रहा था उसे सुना दू अच्छे से या पुछु तो सही आखिर उसने ऐसा क्यूं किया। नहीं मिलना चाहता था तो सीधा बोल देता पर फिर खुद को कंट्रोल करते हुए मैंने बस रीपलाई में लिखा - कुछ नहीं।
इसके बाद उसका कोई मैसेज नहीं आया। मैं भी अपने काम में बिज़ी हो गई थीं।
पर एक बात जो दिमाग में चल रही थी घर जाते - जाते जो मैं रास्ते में सोच रही थी क्या ये सब इतना ही नोर्मल था, जितना नोर्मल वो दिखा रहा था, या उसे इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता!!
हो सकता है बहुत थक गया होगा , रात को सो गया हो वो और फोन खुला रह गया हो इसलिए ऑनलाइन शो हो रहा हो!!
जो कुछ भी हो सकता था मैं सब मानने के लिए तैयार थी फिर भी मुझे सब ठीक नहीं लग रहा था।
ठीक है अगर हम नहीं भी मिले तो, ठीक है वो थका हुआ था तो, ठीक है उस समय उसने मेरे कॉल या मैसेज का रिप्लाई भी नहीं किया तो ,, सब ठीक है पर इन सब के बावजूद उठने के बाद एक कॉल करके बात तो कर सकता था !!
मैसेज में इतना तो लिख सकता था मेरी वजह से लास्ट मोमेंट पर मिलने का कैंसल हुआ, तुम्हें सब मैनेज करने में प्रॉब्लम तो नहीं हुई । कैसे मैनेज किया !! सब मैनेज तो कर पाई ना तुम।
पूछ तो सकता था ना ऑफ़िस गई या घर पर ही हो।
पर ये सब तो सिर्फ मैं ही सोच रही थी लगता है उसके दिमाग में तो दूर दूर तक भी ऐसा कुछ नहीं था ।
कभी कभी हम अनजाने में कहे या प्यार में सामने वाले को ज़रूरत से ज़्यादा ही वैल्यू दे देते है, जिसके चलते हम अपनी ही वैल्यू को शायद कम कर देते हैं।
ऐसे इन्सान जिसे सिर्फ अपने से मतलब है ऐसे इन्सान में खुद को ढूंढना हमारी अपनी बेवकूफी है । बिज़ी भी इन्सान अपने आप को वहीं शो करना शुरू करता है जहां वो जानता है सामने वाले की अहमियत उतनी नहीं है उसकी लाईफ में । जिसके होने या ना होने से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। ये कुछ ऐसी सीख कह सकते हैं जो ज़िंदगी और लोग हमें देते है।
ऐसे में बेहतर है हालातो को देखते हुए , सम्भल जाना ।
पर यहां बेवकूफी इस हद तक थी कि यहां भी समझने के जगह , कारण देकर खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी , फिर सब नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी।
सोच रही थी जैसे ये सब मेरी ओवर थिंकिंग है, मैं कुछ ज़्यादा ही सोच रही हूं। उसकी सफाई में खुद ही मैं खुद को बोल रही थी ।।
पर क्या ऐसा करना ठीक है?? आपको क्या लगता है , इसके बाद मुझे क्या करना चाहिए ?