Anya's in-laws - 1 in Hindi Women Focused by Riya Jaiswal books and stories PDF | आन्या का ससुराल - 1

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आन्या का ससुराल - 1

रात का समय था। यही कोई ग्यारह बज रहे होंगे। अब आन्या को सोने जाना था। उसने अपने कमरे की तरफ कदम बढ़ाए ही थे कि अचानक उसे एक आहट सुनाई दी। अंधेरा था, कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा, फिरभी, पलटकर उसने बत्ती जलाई। आसपास कोई नहीं था। सोचा कोई बिल्ली होगी पर ये क्या! अचानक उसे पायल की छनछन सुनाई दी, और फिर उसने बिना देर किए आवाज की ओर गई। सामने सासु मां खड़ी थी। आन्या ने सोचा कि वो बेकार ही परेशान हो रही थी। उसने मम्मीजी से पूछा, कुछ चाहिए क्या मम्मीजी? सासु मां ने ना में सर हिलाया और अपने कमरे में चली गई। आन्या भी अपने कमरे की ओर चली और जाकर सोने की कोशिश करने लगी पर उसे बार-बार ऐसा लगता कि पता नहीं क्यों ये मम्मीजी उससे खुश नहीं रहती। जाने क्या चाहती हैं? लगभग सारा काम भी संभाल लिया। कोई बूरी आदत नहीं। सबसे प्यार और इज्जत से पेश आती हूं। न लालच, न जलन और ना ही कोई भी ऐसी सोच जो उन्हें आहत करे। फिर क्यों वो मुझे दिल से नहीं अपना रही? क्यों वो मेरे हर काम में दोष निकालती रहती हैं? उन्हें तो ये भी नहीं समझ आ रहा कि एक लड़की शादी के बाद कितना कुछ मायके में ही छोड़कर ससुराल आती है। बचपन, स्कूल, कॉलेज, मां-बाप और भाई-बहन का प्यार, दोस्तों का साथ। कुछ भी कहने, करने, पहनने और कहीं भी जाने की आजादी। सब तो छोड़कर ही आती है। ऊपर से लगभग कोई काम करने की आदत नहीं और कुछ करने पर शाबाशी पाना। ससुराल में इतना कुछ संभालने के बाद भी ताने सुनना और वो सम्मान न मिलना जिसकी वो हकदार होती है। शादी से पहले तो ससुराल वाले ऐसे ही बोलते हैं जैसे सच में बहुरानी की एक खास इमेज होती है, वो तो बाद में पता चलता है कि 'बहु' की जगह 'नौक' लगा लेती है सासु मां। अब जब मां ऐसी होगी तो भला बेटे से क्या उम्मीद करें। बहुरानी मां के लिए नौकरानी हो गई और बेट की प्राइवेट प्रॉपर्टी। सारा दिन काम में बीत जाता और रात पति के साथ में। इन सबके बाद भी अगर पति थोड़ी कद्र कर ले तो पत्नी सब हंसत-हंसते सह ले। लड़की के ससुराल में अगर उसका पति उसे सम्मान दे तो किसी की मजाल नहीं कोई उसे आंख उठाकर भी देख ले, उसके मां-बाप भी नहीं। बड़ी अजीब दास्तां है ये। जितनी शिद्दत लड़की के मां-बाप या दूसरे रिश्तेदार उसकी शादी कराने में दिखाते हैं उतनी करियर बनाने में लगाते तो जिंदगी कुछ और ही रंग दिखाती। खैर पर ये भी सच है कि कहीं सास को सहना पड़ता है तो कहीं बहु को। दोनों का सही कॉम्बिनेशन नहीं होता और लाईफ पार्टनर का भी कुछ ऐसा ही होता है। आन्या को अब नींद आने लगी और वो सो गई। आज वो अकेली थी कमरे में। सुमित(आन्या का पति) अपनी बहन के यहां गए थे। आन्या को बहुत बूरा लगता कि उसके पास एक सेलफोन भी नहीं जिससे वो उनसे हालचाल पूछ सके।
अलार्म बजते ही आन्या हड़बड़ा कर उठी। सुबह के छ: बज रहे थे। उसकी सुमित के साथ हुई शादी को एक साल होने को आया। तब से अब तक वो रोज सुबह ऐसे ही छ: बजे उठकर घर के कामों में लग जाया करती। सासु मां की नजर में ये लेट ही था। आन्या को वो जब भी देखती खा जाने वाली नजरों से ही देखती। बाद में कभी कभार हंसती भी पर ज्यादातर व्यंग्य रूप से हंसती थी। शादी और लेन-देन में थोड़ी कमी हो गयी थी। आन्या गरीब मां की बेटी थी। उसकी एक बड़ी बहन भी थी जिसकी शादी बहुत पहले हो चुकी थी। अपनी छोटी बहन की शादी उन्होंने ही पति और दूसरे रिश्तेदारों की मदद से बेहद समस्याओं का सामना कर ये सोचकर कराई थी कि घर और पैसों की समस्याओं से जुझना नहीं पड़ेगा। आन्या के पापा नहीं थे दुनिया में। जैसे-तैसे मां और बड़ी दीदी ने ही उसे पढ़ाया और संभाला। वो खुद भी छोटी-सी नौकरी कर घर खर्च में मदद करती थी। सुमित आ गया! ये सुनकर आन्या अतित से वर्तमान में लौट आई। आन्या, सुना नहीं सुमित आया है। कम-कम एक ग्लास पानी तो लाकर दे देती। पानी का ग्लास सुमित की ओर बढ़ाते हुए सासु मां ने झल्लाकर कहा। आन्या चुप थी। सुमित ने एक हल्की-सी स्माइल के साथ पानी का ग्लास लिया। मां जी बाहर जाने के लिए तैयार थीं। वो कुछ काम किया करती थीं। कड़ी मेहनत करना और कभी हार न मानना ये शायद उनके उसूल थे। वो पैसे इतने कमा लेतीं कि किसी के अधिन न रहना पड़े। मगर फिरभी लालच उनमें कूट कर भरा था। कंजूस इतनी कि बस! अपने पहले बेटे के लिए बड़े अरमान सजाए थे। वो चीजें जो पूरी न हो सकी उसके गम में बौखलाकर सारा गुस्सा आन्या पर ही उतारती, उसे ताने दे दे कर। सबके सामने जलील कर। वो बुराईयां भी ढूंढ लेती जिससे आन्या का दूर तक नाता नहीं था। सुमित अपनी मां का भक्त था और भाई-बहन जैसे उसके गुरु हों। उसका व्यवहार भी आन्या के साथ वैसा ही रहता जैसा उनलोगों को अच्छा लगता। शुरू में सुमित आन्या को बहुत प्यार करता था पर वो तो बाद में पता चला कि उसमें जिम्मेदार इंसान की वैसी छवि है ही नहीं जैसी एक लड़की चाहती है। हर लड़की की चाहत होती है कि उसका पति उसकी केयर करे, उसके मान-सम्मान की रक्षा करे। वो शौकिन हो। घुमना-फिरना, बातें करना, उसके मम्मी-पापा की इज्जत करना सब आता हो। पर ये तो सभी जानते हैं कि लड़का भले ये सब करे न करे मगर लड़की को वो सब करना पड़ता है जो उसका पति और ससुरालवाले चाहते हैं। अजीब है न ये😀एक तो बड़ी मुश्किल से लड़की वाले सारी तैयारी करते हैं। ऊपर से लड़की ससुराल में एक ऐसी मशीन बनकर रह जाती है जो न सिर्फ सारा काम संभाले बल्कि बच्चे भी जरूर पैदा करे। फिर किसी वजह से अवॉर्शन की नौबत आ जाए तो उसे भी झेले भले शरीर का बुरा हाल हो जाए।