Risky Love - 32 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | रिस्की लव - 32

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रिस्की लव - 32



(32)

शाहीन अब स्टिक के सहारे घर में इधर उधर चलती थी। प्लास्टर के कारण बिस्तर में बैठे बैठे वह ऊब जाती थी। इसलिए ‌कभी कभी बालकनी में जाकर बैठ जाती थी। इस समय भी वह बालकनी में बैठी थी। वह नफीस के बारे में सोच रही थी। नफीस ने उसकी खूब तिमारदारी की थी। कोशिश करता था कि जितना हो सके उसके साथ वक्त बिताए। बहुत ज़रूरी होने पर ही बाहर जाता था।‌ उसके क्राइम शो के शूट के लिए उसका जाना ज़रूरी था। नाज़नीन आ नहीं सकती थी। इसलिए मेड को उसके पास रहने को कहकर गया था।
वह जानती थी कि उसकी अम्मी की कही बात नफीस को बहुत बुरी तरह से चुभ गई है। उसने कुछ कहा नहीं पर वह उसकी आँखों में वह तकलीफ देख सकती थी। एक माँ होने के नाते बच्चे की मौत का ग़म उसे भी था। पर उसने अपने इस दुख को सीने में दबाकर रखा हुआ था। वह जानती थी कि यदि वह अपना दुख नफीस के सामने लाएगी तो वह और भी टूट जाएगा। उससे जो गलती हुई थी उसके लिए पहले से ही उसका मन पछतावे से भरा हुआ है।
शुरुआत में उसके मन में ज़रूर नफीस के लिए गुस्सा था। वह उसे छोड़कर अपने अम्मी अब्बू के घर चली गई थी। उसने नफीस से अलग होने का मन बना लिया था। अम्मी उसके इस फैसले से खुश थीं। उन्होंने तो नफीस के साथ उसकी शादी के फैसले का पुरज़ोर विरोध किया था। उनकी इच्छा दुबई में कारोबार कर रहे अपनी बहन के बेटे से उसकी शादी करवाने की थी। पर शीरीन नफीस से मोहब्बत करने लगी। उनके समझाने पर भी ज़िद पर अड़ी रही। उससे शादी करके ही मानी।
जब शीरीन ने नफीस से अलग होने की बात कही तो उन्हें बड़ी तसल्ली मिली थी। वह उसके लिए दूसरा रिश्ता खोजने लगी थीं। पर नफीस इतनी आसानी से अपने प्यार को खोना नहीं चाहता था। उसने रिश्ता कायम रखने की कोशिशें शुरू कर दीं। फोन करके उससे गुज़ारिश करता रहता था कि एक बार उससे मिलकर अपनी बात कह लेने दे। फिर वह जो फैसला चाहे कर ले।
शीरीन गुस्से में नफीस को छोड़कर चली आई थी। उस समय अपने बच्चे को खोने का जख्म ताज़ा था। पर उसने नफीस की हालत भी देखी थी। वह अपने आप को कुसूरवार मानकर पछता रहा था। जब नफीस ने उसे फोन करके मिलने के लिए बुलाया तो वह इस बारे में विचार करने लगी। तब उसने महसूस किया कि उसके मन में अभी भी नफीस के लिए प्यार है। कम से कम उसे अपनी बात कहने का मौका देना चाहिए। वह उससे मिलने को तैयार हो गई।
दोनों खुलकर बात कर सकें इसलिए वह नफीस के घर पर जाकर उससे मिली। नफीस ने उससे जो हुआ उसके लिए माफी मांगी। उसे यकीन दिलाया कि वह बहुत पछता रहा है। अगर ऐसे में वह भी उसे छोड़ देगी तो वह सह नहीं पाएगा। टूट जाएगा। शीरीन उससे प्यार तो करती ही थी। उसके पछतावे को देखकर पिघल गई। उसने अपना फैसला बदल दिया।
उसकी अम्मी को यह बात अच्छी नहीं लगी। उनका कहना था कि नफीस लापरवाह ही नहीं ख़ुदग़र्ज़ भी है। बस अपने बारे में सोचता है। वह बहुत पछताएगी। पर शीरीन नफीस के पास वापस आ गई।
नफीस ने फैसला किया कि मुंबई में रहेंगे तो अपना दुख भूल नहीं पाएंगे। दोनों दिल्ली चले गए। अपना दुख भुलाने के लिए नफीस ने अपने आप को काम में डुबो दिया। पर शीरीन वह भी नहीं कर पाई। वह चाहती थी कि नफीस उसे वक्त दे। नफीस चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाता था। शीरीन ने मुंबई वापस चलने की ज़िद की। उसके अपने यहीं थे। नफीस वापस मुंबई आ गया।
कॉलबेल बजी। मेड ने दरवाज़ा खोला। नफीस वापस आ गया था। वह सीधा बालकनी में बैठी शीरीन के पास गया। उसने कहा,
"कोई दिक्कत तो नहीं हुई ?"
शीरीन ने मुस्कुरा कर कहा,
"दिक्कत कैसी होनी थी ? सबकुछ तो तुम करके गए थे। तुम बताओ कैसा रहा शूट।"
"अच्छा रहा। वैसे चैनल वाले चाहते हैं कि मैं किसी नए कांसेप्ट पर काम करूँ। शो की टीआरपी कम हो रही है।"
"कोई नया कांसेप्ट है तुम्हारे दिमाग में।"
"मैं भी महसूस कर रहा था कि क्राइम पर आधारित कई प्रोग्राम चल रहे हैं। मैंने एक नया कांसेप्ट सोचा था। राजनीति और अपराध जगत की सांठ गांठ पर। प्रपोज़ल दे दिया है। अब चैनल वाले सोचकर बताएंगे।"
"अच्छा कांसेप्ट है। यह शो भी लोग पसंद करेंगे। वैसे तुम अपनी नई किताब लिख रहे थे उसका क्या हुआ ? क्या नाम था उसका ? शायद कोई विश्वकर्मा था।"
"अंजन विश्वकर्मा.... अभी तो उसकी ज़िंदगी के कुछ राज़ जानने हैं। तब किताब पूरी होगी। वैसे बड़ा दिलचस्प कैरेक्टर है।"
शीरीन ने एक बार फिर मुस्कुराते हुए कहा,
"अगर तुम मोहब्बत भरी कहानियां लिखते तो मैं पढ़ती भी। पर अपराधियों की कहानियां मुझे अच्छी नहीं लगती हैं।"
नफीस ने भी हंसते हुए जवाब दिया,
"तुमने भी तो एक क्राइम रिपोर्टर से शादी की है। कोई शायराना मिज़ाज का तलाशा होता तो वह तुम्हारे लिए रोमांटिक कहानियां या शायरी लिखता।"
"अब क्या करूँ....दिल तुम पर ही आ गया।"
आज शीरीन का उससे इस तरह बातें करना नफीस को बहुत अच्छा लगा। वह हंस दिया। तभी मेड ने आकर कहा कि खाना टेबल पर लगा दिया है। अब वह जा रही है।

नफीस फ्रेश होने चला गया। उसके दिमाग में समर का नाम घूम रहा था। शूट के बीच में विनोद का फोन आया था। उसने मानवी और निर्भय के केस में मिली नई जानकारी उसे दे दी थी। उसने यह भी कहा था कि अब अखबार वाले उसे मुंबई वापस आने को कह रहे हैं। नफीस ने उसे लौट आने के लिए कह दिया था।
उसे लग रहा था कि समर नाम के इस शख्स से शायद वह कहीं मिला है। शायद किसी पार्टी में। वह याद करने की कोशिश कर रहा था। उसे एक पार्टी के कुछ दृश्य याद आ रहे थे। अंजन के साथ उस पार्टी में एक आदमी था। गोल चेहरा, छोटी छोटी आँखें और टुड्डी पर गोटी। रंग गोरा था और कद कोई पाँच फीट। अंजन ने उसे किसी से मिलाते हुए यह नाम लिया था। पर उसे याद नहीं आ रहा था कि वह किसकी पार्टी थी। अंजन उसका परिचय किससे करवा रहा था।
कुछ देर सोचने के बाद नफीस को याद आया कि उसने समर को कहाँ देखा था। परिकर बंधुओं की मौत के एक महीने बाद की ही बात थी। एक टीवी प्रोड्यूसर ने अपने नए सीरियल की लांच पार्टी रखी थी। सीरियल एक क्राइम स्टोरी पर था इसलिए उसे भी निमंत्रण आया था। वहीं अंजन के साथ उसके दो दोस्त लव चढ्ढा और समर सिंह पहुँचे थे। लव चढ्ढा को पार्टी में बहुत से लोग पहचानते थे। ‌वह उन सब लोगों से मिल रहा था। लेकिन समर नया था। इसलिए अंजन उसे पार्टी में सबसे मिलवा रहा था। उसी समय सीरियल की हिरोइन से उसने समर का परिचय करवाते हुए कहा था कि यह मेरा दोस्त समर है। मुंबई गोवा हाइवे पर इसका मोटेल है। उस समय नफीस पास ही था। उसने सबकुछ सुन लिया था। उसके बाद समर कभी अंजन के साथ किसी पार्टी में नहीं दिखा। नफीस को वह याद रह गया क्योंकी हिरोइन से हाथ मिलाते हुए वह बड़ी अजीब निगाहों से उसे देख रहा था।‌ उसके देखने का तरीका ऐसा था जैसे वह उसे निगाहों में ही नाप तौल रहा था। वह हिरोइन भी नर्वस हो गई थी और धीरे से वहाँ से चली गई थी। नफीस की खासियत थी कि उसे आकर्षित करने वाली कोई चीज़ या व्यक्ति उसके दिमाग में उसी तरह सेव हो जाते थे जैसे किसी डिवाइस की मेमोरी में। थोड़ी सी कोशिश के बाद वह उसे रीकॉल कर लेता था।
आज कई सालों बाद उसका नाम मानवी और निर्भय के अपहरण के केस में सुनाई पड़ा था।‌
शीरीन ने आवाज़ लगाई कि जल्दी करो। उसे भूख लगी है। नफीस तैयार होकर खाने के लिए चला गया।

कार मीरा को लेकर जा रही थी। दोनों आदमी उसके अगल बगल इस तरह से बैठे थे कि वह अधिक हिल डुल भी नहीं पा रही थी। वह यह सोचकर डर रही थी कि अंजन ने उसका पता लगा लिया है। ये लोग उसे अंजन के पास ही ले जा रहे हैं। वहाँ पहुँचने पर अंजन उसे मार देगा। उसकी आँखों में आंसू थे। वह उस पल को कोस रही थी जब मानवी और निर्भय उससे मिले थे।
एक घंटे की यात्रा के बाद कार एक खूबसूरत बंगले के गेट पर रुकी। मीरा के बाईं तरफ वाले आदमी ने सिक्योरिटी से कुछ कहा। बंगले का गेट खुल गया। कार अंदर चली गई।
दोनों आदमी मीरा को लेकर बंगले के अंदर गए। एक और आदमी वहाँ उनकी राह देख रहा था। उसने मीरा के साथ आए आदमियों को वहीं रोक दिया। मीरा को अपने पीछे आने को कहा। डरते हुए मीरा उसके पीछे चल रही थी। लॉबी में लगी लिफ्ट से वह दोनों तीसरी मंजिल पर पहुँचे। लिफ्ट से निकल कर कॉरीडोर के अंत में बने कमरे के सामने जाकर उस आदमी ने नॉक किया। अंदर से आवाज़ आई,
"सेंड हर इन...."
मीरा ने यह आवाज़ पहले सुनी थी। यह अंजन नहीं था। उस आदमी ने मीरा को अंदर जाने के लिए कहा। मीरा अंदर पहुँची तो सामने सागर खत्री था। उसके लिए वह भी ‌यमदूत ही था। मीरा घबराई हुई उसके सामने खड़ी थी।
सागर खत्री उसे गुस्से से घूर रहा था।