Raat-4 in Hindi Horror Stories by Keval Makvana books and stories PDF | रात - 4

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रात - 4

भाग :~ 4

स्नेहा सुबह-सुबह आईने के सामने खड़ी होकर अपने गीले बालों को बना रही थी और कुछ सोच रही थी। रात को सभी लोग छत पर बैठे थे और देर रात तक बात कर रहे थे इसलिए स्नेहा की आँखों में नींद अभी भी दिखाई दे रही थी। स्नेहा ने आईने में देखा और कहा, "मैंने कल बस की खिड़की से जो देखा वह एक सच था या मेरा भ्रम था; जो भी हो मैंने अपने जीवन में ऐसा भयानक दृश्य कभी नहीं देखा। लेकिन अगर यह एक सच था, तो मैंने जो देखा वो मेरे अलावा किसी ओर को क्यों नही दिखा? सिर्फ ही मुझे क्यों? " दूसरी ओर, रवि भी शॉवर लेते हुए यही बात सोच रहा था। रवि ने बोला, "होली की रात मुझे जो आवाज़ें सुनाई दे रही थीं, वो एक ओरत की ज़ांज़र की थीं, लेकिन इतनी रात को कोन ओरत हो सकती है? और अगर कोई थीं भी, तो मुझे क्यों नहीं दिखी? और मैंने आवाज़ें भी मुझे ही क्यों सुनाई? सिर्फ़ मुझे ही क्यों?"

प्रोफेसर शिव और मैडम आइशा और सभी स्टुडेंट्स फ्रेश होकर हवेली के हॉल में बैठे थे। प्रोफेसर शिव बोले, "Good Morning, Students" सभी ने जवाब दिया, "Good Morning, Sir" प्रोफेसर शिवने कहा, "तो सुनो सभी, आज से आपके प्रॉजेक्ट के लिए रिसर्च वर्क शुरू हो रहा है। आज से हम हर दिन नई जगहों पर जाएंगे और वहाँ अपने टॉपिक पर रिसर्च करेंगे, Ok!!!" सभी स्टूडेंट्स ने कहा, "Ok Sir"। विशाल ने कहा, "तो सर आज हम कहाँ जा रहे हैं?" प्रोफेसर शिव ने कहा, "आज हम इस गांव में 200 साल पुराने चामुंडा माता के मंदिर जाएंगे।"

सभी चामुंडा माता के मंदिर जाने के लिए बस में बैठ गए थे। बस ड्राईवर रमेश को रास्ता नहीं पता था इसलिए वह हवेली से थोड़ी दूर एक घर में गया और किसी से रास्ता पूछने का सोचा। वो प्रोफेसर शिव को भी अपने साथ ले गए। वो दोनो हवेली के सामने वाले घर पर गये और दरवाजा खटखटाया। अंदर से एक वृद्ध आदमी की आवाज़ आई, "कौन है?" प्रोफेसर ने कहा, "दादाजी, मैं कॉलेज का प्रोफेसर शिव हूं। हम यहां स्टूडेंट्स को एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए लाए हैं और सामनेवाली हवेली में रह रहे हैं।" ये सुनकर कि वो लोग हवेली में रहते हैं, वृद्ध ने जल्दी से दरवाजा खोला और बाहर आया और कहा, "क्या! तुम उस मनहूस हवेली में रहते हो? तुम्हें वहाँ रहने की अनुमति किसने दी? मेरी मानो तो, अभी के अभी उस हवेली से निकल जाओ, वरना कोई नहीं बचेगा! "" दादाजी ने एक साथ इतना बोल दिया। प्रोफेसर ने कहा, "क्यों दादाजी! आप हमें उस हवेली में क्यों नहीं रहने देते? वो हवेली हमारे कॉलेज के प्रिंसिपल रविराज आचार्य की है।" दादाजी ने कहा, "ठीक है। जो भी हो, मुझे क्या ? तुम मेरे पास क्यों आए हो?" प्रोफेसर ने कहा, "दादाजी! हम अपने स्टूडेंट्स के साथ रिसर्च के लिए यहां आए हैं। अभी हमें इस गांव के 200 साल पुराने चामुंडा माता के मंदिर जाना है, लेकिन हमे वहां का रास्ता पता। तो क्या आप हमें रास्ता दिखा सकते हैं?" दादाजी ने कहा, "हाँ, बिल्कुल। कोई भी मातारानी के दर्शन को मना नहीं कर सकता। चलो! मैं तुम्हारे साथ ही आता हूँ। वैसे भी मैं बहुत दिनों से मातारानी के दर्शन करने नहीं गया हूँ। मैं आखरी बार चैत्र नवरात्रि से पहले वहाँ गया था मंदिर की साफ सफाई करने। चलो! चलो!" प्रोफेसर ने कहा, "दादाजी! आप हमारे साथ आयेंगे, ये तो सोने में सुहागा मिलने जैसी बात है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आप हमें मंदिर के बारे में जानकारी भी दे सकते हैं। चलो! चलो!" फिर वो वहां से बस की ओर जाते हैं और में बैठ जाते हैं।

दादाजी ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठे थे और ड्राइवर को रास्ता दिखा रहे थे। बस अब गाँव के जंगल की ओर जा रही थी। रवि और स्नेहा उस भयानक दृश्य के विचारों में खो गए थे जो उन्होंने देखा था। विशाल, भाविन, ध्रुव, भक्ति, अवनी और रिया एक दूसरे से बात कर रहे थे।

दोपहर हो गईं थी। बस जंगल से गुजर रही थी। अचानक किसी मृत जीव की तीव्र स्मेल आने लगी। सभी ने अपने मुंह पर रूमाल रख दिया था। ध्रुव ने अपने बैग से रूम फ्रेशनर निकाला और उसके आस पास स्प्रे करने लगा, लेकिन स्मेल अभी भी आ रही थी। थोड़ी देर बाद स्मेल आना बंद हो गई। विशाल ने कहा, "ये कैसी स्मेल थी?" प्रोफेसर शिवने कहा, "ये जंगल का रास्ता है। यहां मांसाहारी जानवर अन्य जानवरों का शिकार करते हे तो सायद किसी मरे हुए जानवर की स्मेल होगी।"

बस फिर से चलने लगी थी। थोड़ीदेर बाद बस अचानक रुक गई। ड्राइवर ने नीचे उतरकर देखा कि बस के दाहिने टायर के नीचे एक नींबू में कील घुसी हुई थी। नींबू के अंदर की कील से टायर पंक्चर हो गया। ड्राइवर ने कहा, "टायर पंक्चर हुआ हैं तो थोड़ा समय लगेगा।" दादाजीने बस के नीचे उतरे और टायर के नीचे एक नींबू में कील घुसी हुई देखी। ड्राइवर उस नींबू को छूने ही वाला था के तभी दादाजी ने कहा, "उसे मत छूना।" ड्राइवर ने अपना हाथ पीछे हटा लिया। दादाजी नींबू के पास गए और अपने मन में कुछ बोलकर, नींबू को अपने बाएं पैर से दूर फेंक दिया। दादाजी बस में वापस बैठ गए। प्रोफेसर ने दादाजी से पूछा, "दादाजी! आपने नींबू का क्या किया ?" दादाजी ने कहा, "नींबू में कील घुसी हुई थी। इसका मतलब है कि उसमें कोई शैतानी शक्ति केद थी। अगर ड्राइवरने उसे छुआ होता, तो शैतानी शक्ति ड्राइवर के शरीर में प्रवेश कर जाती। मैंने चामुंडा मंत्र का जाप किया और उस नींबू को अपने बाएं पैर से दूर फेंक दिया। अब वो हमारे पास नहीं आ सकती है। " सभी स्टूडेंट्स भी दादा को सुन रहे थे। भाविन ने इस बात को अपनी डायरी में लिखा लिया।


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