रवि स्नेहा के पास पहुंचा और उसे अपने घुटने पर बैठकर लाल गुलाब देकर कहा, "I Love You Sneha"। स्नेहा ने रवि के हाथ से गुलाब ले लिया। रवि के मन में जो खुशी थी, वह उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। स्नेहाने गुस्से से गुलाब फेंक दिया और कहा, "हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं। मुझे ये उम्मीद नहीं थी तुम से।" यह सब सुनकर रवि तुरंत उठा और वहां से चलने लगा। स्नेहा रवि के पीछे दौड़ी और उसे बहुत जोर से गले लगा लिया और कहा, "I Love You Too, पागल। मैं तो सिर्फ मज़ाक कर रही थी।" यह सुनकर रवि हँसने लगा। स्नेहा ने पूछा, "तुम क्यों हँस रहे हो?" रवि ने कहा, "तो मैं भी मजाक ही कर रहा था। मुझे पता था कि तुम भी मुझसे उतना ही प्यार करती हो जितना कि मैं तुमसे करता हूँ।" स्नेहा ने उत्सुकता से पूछा, "तुम्हें केसे पता था कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ?" तब रवि ने कहा, "अगर तुम मुझसे प्यार नहीं करती, तो तुम यहाँ इतनी खूबसूरती से तैयार होकर नहीं आती।" स्नेहा ने कहा, "लेकिन एक बात तुमने गलत कहीं।" रवि ने पूछा,"क्या?" स्नेहा ने कहा, "जितना तुम मुझसे प्यार करते हो में तुम्हें उससे ज्यादा प्यार करती हूँ।" रवि ने कहा, "अच्छा! ये बात है।" रवि और स्नेहा ने मुस्कुराते हुए एक-दूसरे को गले लगा लिया। फिर दोनों हाथ पकड़े हुए डिनर टेबल की तरफ चलने लगे। उनको ऐसा लगा कि कोई उनके पिछे चल रहा है। जब उन्होंने पलट कर देखा तो कोई नहीं था। यह महसूस करते हुए कि यह उनका वहेम था, वे आगे बढ़ने लगे। अचानक उनकी आँखों के सामने दो भयानक दिखने वाली आत्माएँ आ गईं। वो आत्माएं स्नेहा और रवि को एक दूसरे से अलग करने लगी। उन दोनों के हाथ एक दूसरे के हाथों से फिसल रहे थे। जब उनके हाथ अलग होने वाले थे तब स्नेहा जोर से चीख पड़ी।...... स्नेहा बिस्तर से उठ गई। वो पूरी पसीने से भीग गई थी और उसकी सांसें तेज हो गई थी। उसने कहा, "Thank God! यह एक सपना था। लेकिन ये केसा सपना था जो रोमांटिक था और भयानक भी था?" वह बिस्तर से उठ गई और कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगी।
स्नेहा तैयार हो गई और अपने सहेलियों के साथ कॉलेज गई। उसने क्लास में प्रवेश किया, उसकी आँखें जिस व्यक्ति को ढूंढ रही थीं वो उसे नहीं दिख रहा था। उसकी सहेली अवनी कहती है, "रवि को ढूंढ रही हो?" उसकी दूसरी सहेली रिया ने कहा, "रवि के अलावा और कौन होगा? क्या तू भी अवनी ?" उसकी तीसरी सहेली भक्ति ने कहा, "तुम दोनों शांति रखो। तुम उसे क्यों तंग कर रही हो? एक तो उसका आशिक रवि भी नहीं दिखाई दे रहा है। दिखता नहीं कि बिचारी कितनी परेशान है।" वे एक-दूसरे को ताली देती है और हंसने लगती हैं। स्नेहा कहती है, "अभी जितना चाहे हंस लो। तुम्हारी बारी भी एक दिन आएगी।" जैसे ही उसने ये कहा कि, उनकी नजर क्लास के दरवाजे पर गई। लाल टी-शर्ट और काली पैंट पहने, रवि अपने दोस्तों भाविन, विशाल और ध्रुव के साथ क्लास में आ रहा था। स्नेहा को देखते ही वह खड़ा रह गया। दोनों एक-दूसरे को देखने लगे। वे कुछ देर तक एक-दूसरे को देखते रहे, फिर ध्रुव ने रवी को आगे धक्का दिया और कहा, "जल्दी चलो, प्रोफेसर शिव आ रहे हैं।" रवि और उसके दोस्त जाकर अपनी सीट पर बैठ गए।
प्रोफेसर शिव कक्षा में आए। सभी छात्रों ने खड़े होकर "Good Morning" कहा। प्रोफेसर ने सभी को "Sit Down" कहा। सब बैठ गये लेकिन श्रद्धा अभी भी खड़ी थी और प्रोफेसर को देख रही थी। उसकी सहेली साक्षी ने उसे खींच कर बिठाते हुए कहा, "श्रद्धा, तुम्हें क्या हो जाता है? हर बार तुम शिव सर के लेक्चर में ऐसा ही करते हो!" श्रद्धा बोलती है, "He is so handsome yaar, I love him." साक्षी बोलती है, "क्या?" श्रद्धा बोलती है, "कुछ नहीं।"
प्रोफेसर शिव ने कहा, "Hello Everyone, आपको एक प्रोजेक्ट बनाना होगा जिसमें आपको अंधविश्वास, भूत, प्रेत, आत्माओं, पुराने रीति-रिवाजों पर रिसर्च करना होगा। इसके लिए आपको कॉलेज से एक गाँव में तीन महीने के लिए ले जाया जाएगा। उस गांव का नाम है 'स्वर्णापुर' ।" पार्थ ने खड़े होकर पूछा, "लेकिन उसी गाँव में क्यों, सर?" प्रोफेसर ने कहा, "ये तो तुम को वहाँ जाने के बाद ही पता चलेगा।" इतना कहने के बाद प्रोफेसर ने क्लास से चले गए।
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