Risky Love - 31 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | रिस्की लव - 31

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रिस्की लव - 31



(31)

भारत लौटने के बाद अंजन उस आदमी से संपर्क बनाए हुए था जिसे सागर ने मानव और निर्भय पर निगरानी के लिए लगाया हुआ था।‌ वह उस आदमी से उनकी हर गतिविधि के बारे में पता करता रहता था।
अंजन इस बार बहुत सोच समझकर अपनी चाल चलना चाहता था। इसलिए कोई जल्दबाज़ी नहीं कर रहा था। इस समय वह सब कुछ भूल गया था। अपना बिज़नेस, अपना रिज़ॉर्ट वाला प्रोजेक्ट। उसके ‌जीवन का उद्देश्य केवल मानवी और निर्भय से बदला लेना रह गया था।
लेकिन जब मीरा का खयाल मन में आता था तो वह कमज़ोर पड़ जाता था। उसके पास कोई सबूत नहीं था पर उसे लगने लगा था कि ‌मीरा भी उसके साथ धोखा कर रही थी। उसी ने मानवी और निर्भय को उसके बीच हाउस में जाने की सूचना दी थी। यह बात उसे बहुत परेशान कर देती थी।
एक तरफ तो मीरा की इस बेवफाई पर उसे गुस्सा आता था तो दूसरी तरफ उसे सज़ा देने की बात पर वह कमज़ोर पड़ जाता था। जीवन में पहली बार उसने किसी से मोहब्बत की थी और उसे धोखा मिला था। यह बात हर पल उसके दिमाग में एक हथौड़े की तरह चोट करती थी।
यही कारण था कि उसका मन अब बाकी चीज़ों से उचट गया था। उसे अपने कारोबार की भी फिक्र नहीं थी। बुलाए जाने पर किसी पार्टी में नहीं जाता था। बस सारा दिन घर में शराब पीता रहता था और गुस्से की आग में जलता रहता था।


मानवी और निर्भय दोनों ही परेशान थे। दोनों अब गोवा छोड़कर जाना चाहते थे। पर पुलिस ‌ने कहा था कि जब तक उनकी जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक वह गोवा में ही रहें।‌ लेकिन यहाँ अधिक समय ठहरना उन्हें खतरनाक लग रहा था। लेकिन ‌उससे भी बड़ी ‌बात यह थी कि उन्हें एहसास हो गया था कि उन पर नज़र रखी जा रही है। यह समझना कठिन नहीं था कि यह काम अंजन करवा रहा है।
दोनों हर पल एक डर के साए में रहते थे। उन्हें लगता था कि अगर उन्होंने यहाँ से भागने की कोशिश भी की तो और भी बड़े खतरे में पड़ सकते हैं। यहाँ तो फिर भी वह सुरक्षित हैं। अपहरण का मामला अभी जांच के दायरे में है। अभी अंजन उनके साथ कुछ करने का जोखिम नहीं लेगा। पर अगर दोनों ने गोवा छोड़ दिया तो उसके खबरी उसे बता देंगे। दोनों की जान खतरे में पड़ जाएगी।
डर की वजह से दोनों घर में ही कैद होकर रह गए थे। मानवी तो गार्डन में जाने से भी डरती थी। घर का ज़रूरी सामान ऑनलाइन मंगा लेते थे। बाकी चीज़ों के लिए नौकर को ही बाहर भेजते थे। पुलिस के दो गार्ड तैनात रहते थे पर उन्होंने अपने गार्ड भी रख लिए थे।‌
मानवी कमरे में ही टहल रही थी। उसे ऐसा करते देखकर निर्भय ने कहा,
"गार्डन में जाकर क्यों नहीं टहलती। हमने सिक्योरिटी गार्ड्स रखे हैं। अब क्यों डर रही हो।"
मानवी उसके पास आकर बैठ गई,
"मुझे तो बहुत डर लगता है। सच कहूँ तो अब लगता है कि अंजन पर हमला किया ही क्यों ? जो भी हुआ था पर अपनी ज़िंदगी में सैटल हो गए थे हम दोनों।"
उसकी बात से निर्भय भी सहमत था। उसे भी अब लगता था कि अंजन से बदला लेने के चक्कर में ‌पड़कर उसने अपना ही नुकसान किया। वह गोवा में छिपकर बैठा है। अपने बिज़नेस पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। इस सबके चक्कर में इतना खर्च भी हो गया। वह बोला,
"अब पछतावा होता है कि कुछ और गोलियां मारी होतीं तो अच्छा होता। इतना सबकुछ करके भी नतीजा कुछ नहीं निकला। उल्टा वह हमारी जान के पीछे पड़ गया। जोश में खुद ही उसे सबक सिखाने निकल पड़े। किसी को सुपारी देकर भी काम चला सकते थे। इस सबके चक्कर में मेरा बिज़नेस भी चौपट हो रहा है।"
निर्भय यह सोचकर परेशान था कि अब ना जाने क्या होगा। वह आगे बोला,
"अब तो उस मीरा ने भी धमकी देनी शुरू कर दी है। फोन पर कह रही थी कि उसके रहने का इंतज़ाम कहीं और कर दूँ। उसे वहाँ डर लगता है। समझ नहीं आ रहा क्या करूँ ?"
मानवी ने गहरी सांस लेकर कहा,
"एक बार इस मुसीबत से निकल जाएं तो दोनों मिलकर सब ठीक कर लेंगे। मार्वल बहुत कुछ छोड़कर गया है। हम दोनों उसके सहारे अच्छी ज़िंदगी जी सकते हैं।"
निर्भय उठकर खड़ा हो गया। वह कुछ सोचते हुए कमरे में इधर उधर टहलने लगा। कुछ देर में अपनी जगह पर आकर बोला,
"मानवी बिना अंजन को रास्ते से हटाए हम कहीं भी और कभी भी चैन से नहीं रह सकते हैं। अपने ज़िंदा होते हुए वह हमें कहीं चैन से नहीं रहने देगा‌। अब तो वह घायल शेर की तरह हो गया है।"
उसकी बात सुनकर मानवी और घबरा गई। वह बोली,
"पर क्या उसे रास्ते से हटाना आसान होगा ?"
"मुश्किल ही सही पर अगर हमें चैन से ज़िंदा रहना है तो उसे मारना ही होगा। वरना इस तरह डर डर कर छिपते फिरेंगे।"
"अब क्या करोगे ?"
"अभी तो फिलहाल दिमाग काम ही नहीं कर रहा है। दिमाग शांत हो तो कुछ सोचूं।"
मानवी और निर्भय दोनों ही अपनी स्थिति के बारे में सोचकर परेशान हो गए। मन ही मन प्रार्थना करने लगे कि किसी तरह इस झंझट से मुक्ति मिले।

मीरा किसी काम से बाहर गई थी। लौटते हुए उसे सारे रास्ते यही लगता रहा जैसे कोई है जो उसका पीछा कर रहा है। वह बहुत घबरा गई थी। जबसे उसे पता चला था कि मानवी और निर्भय का अपहरण हुआ था पर पुलिस ने उन्हें बचा लिया तबसे वह ‌डरी हुई रहने लगी थी। वह जानती थी कि उन दोनों के अपहरण के पीछे अंजन ही होगा।
लौटकर आने पर उसने डरकर निर्भय को फोन कर दिया। वह चाहती थी कि वह उसे वहाँ से कहीं और शिफ्ट होने में मदद करे। निर्भय ने उससे कहा था कि वह अभी खुद परेशान है। उसकी मदद करने की स्थिति में नहीं है। वह अभी शांति से वहीं रहे। उसे कुछ नहीं होगा।
निर्भय से बात करने के बाद मीरा समझ गई थी कि वह उसकी कोई मदद नहीं करेगा। उसके पास भी ऐसी कोई जगह नहीं थी जहाँ वह जा सके। वह अपने आपको मुसीबत में जकड़ा हुआ महसूस कर रही थी।
वह समझ नहीं पा रही थी कि अब क्या करे ? कहाँ जाए ? वह वापस लंदन नहीं जा सकती थी। वह जानती थी कि अंजन का दोस्त सागर खत्री वहाँ उसके लिए जाल बिछाए हुए बैठा होगा। अब यहाँ रहना भी ‌उसके लिए मुश्किल था।
मीरा के घर की घंटी बजी। उसने सिक्योरिटी कैमरा में देखा। कुरियर ब्वॉय था। उसे याद आया कि उसने कुछ सामान मंगवाया था। उसने दरवाज़ा खोल दिया। अपना पार्सल लेकर वह अंदर जा रही थी तभी दो लोग उसे धक्का देकर अंदर घुस गए। उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया। उनके हाथों में गन थीं। जो उन्होंने उस पर तान रखी थीं। मीरा के हाथ से पार्सल गिर गया। वह घबराई हुई थी। उन दोनों में से एक आदमी ने कहा,
"मीरा आसवानी.... तुम्हें हमारे साथ चलना है।"
मीरा ने डरते हुए पूँछा,
"तुम लोग कौन हो ? मुझे कहाँ ले जाना चाहते हो ?"
उस आदमी ने कहा,
"चुपचाप हमारे साथ चलो। बाद में सब पता चल जाएगा।"
"पर बिना कुछ जाने....."
मीरा की बात बीच में ही काटकर दूसरे आदमी ने डांटते हुए कहा,
"तुम्हारे पास हमारी बात मानने के अलावा कोई और चारा नहीं है। समय बर्बाद मत करो। चुपचाप चलो।"
मीरा समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे। वह किसी को मदद के लिए बुला भी नहीं सकती थी। उस आदमी ने फिर कहा,
"सीधे सीधे नहीं चलोगी तो हम जबरदस्ती ले जाएंगे। इसलिए चलो।"
मीरा के पास कोई चारा नहीं था। वह जानती थी कि इनकी बात मानकर ही वह बच सकती है। वह उनके साथ चली गई।

विनोद समय समय पर मानवी और निर्भय के केस के बारे में पता करता रहता था। उसने अभय नाम के एक कांस्टेबल से दोस्ती कर ली थी। वह उसे फोन करके केस में क्या हो रहा है बताता रहता था। अभय ने उसे बताया था कि माइकल का जो आदमी घायल हो गया था और अस्पताल में था वह अब बयान देने की स्थिति में है। इंस्पेक्टर कौशल सावंत और सब इंस्पेक्टर रोवॉन उसका बयान लेने गए हैं। विनोद ने उससे कहा कि जब वह लौटकर आएं तो उसे बताए कि माइकल के आदमी ने क्या बयान दिया है।
इंस्पेक्टर कौशल सावंत और सब इंस्पेक्टर रोवॉन अस्पताल पहुँचे। उन्होंने माइकल के आदमी से सारी घटना के बारे ‌में पूँछताछ की। माइकल के आदमी ने बताया कि उन दोनों को किडनैप करके मुंबई ले जाने का आदेश उन्हें समर से मिला था। उसी आदेश का पालन कर माइकल ने अपने आदमियों ने उन लोगों का अपहरण किया। जब वो लोग उन्हें मुंबई ले जा रहे थे तब पुलिस ने आकर उन दोनों को छुड़ा लिया। माइकल मारा गया और वह भागते हुए वह घायल हो गया।
इस केस में समर का नाम पुलिस के सामने आया था। समर का नाम अब सीधे अपराध जगत से नहीं जुड़ा था। गोवा और मुंबई हाईवे में उसका एक मोटेल था।‌ पर वह माइकल के ज़रिए अपहरण का काम करवाता था। उसकी नज़र उन लोगों पर होती थी जिनसे फिरौती में मोटी रकम वसूल की जा सके। फिर उन्हें या उनके करीबियों का अपहरण माइकल के ज़रिए करवा कर फिरौती वसूल करता था। उसका एक हिस्सा माइकल को दे देता था। अब तक यह काम वह बहुत सावधानी से करता था।
लेकिन मानवी और निर्भय के केस में गड़बड़ी हो गई थी। उसके बाद वह भी फरार हो गया था।