तीन- चार दिन बाद आगोश के पापा डॉक्टर साहब वापस लौट आए। उनके साथ ही ड्राइवर सुल्तान भी काम पर लौट आया। सब पहले की तरह यथावत चलने लगा।
लेकिन डॉक्टर साहब की अनुपस्थिति के इन दिनों में आगोश को गाड़ी चलाने की जो खुली छूट मिल गई थी उस पर फ़िर से बंदिश लग गई। आगोश को फ़िर से वही आज्ञाकारी बच्चा बन जाना पड़ा जिसे किसी काम से बाहर जाने पर स्कूटर ले जाने के लिए भी पापा से परमीशन लेनी पड़ती थी। अब कार के लिए तो ड्राइवर सुल्तान था ही।
मम्मी भी अपनी गाड़ी उसे पापा से बिना पूछे कभी देती नहीं थीं।
दो दिन बाद रविवार था। रविवार को शाम के समय आगोश के पापा प्रायः क्लीनिक में बैठते नहीं थे। उनका कुछ जूनियर स्टाफ ही ज़रूरत के अनुसार वहां रहता था। कभी - कभी तो केवल सुल्तान ही अकेला वहां ड्यूटी संभालता था।
आर्यन और आगोश के प्लान के मुताबिक साजिद की बेकरी में काम करने वाले लड़के अताउल्ला को रविवार को ही सुल्तान से मिलने के लिए वहां आना था। उसे ये भी हिदायत दी गई थी कि वह यथासंभव डॉक्टर साहब की अनुपस्थिति में ही सुल्तान से मिलने की कोशिश करे।
सुबह - सुबह आगोश सोकर भी नहीं उठा था कि साजिद का उसके पास फ़ोन आया।
साजिद ने उसे बताया कि सब गड़बड़ हो गई। अताउल्ला उनके यहां से नौकरी छोड़ कर ही चला गया और किसी को ये भी बता कर नहीं गया कि वह कहां गया है। यहां तक कि बेकरी के किसी अन्य नौकर को उसका पता- ठिकाना भी मालूम नहीं था।
आगोश चिंतित हो गया। उसने सोचा कि वह थोड़ी देर में आर्यन को भी बता देगा और तब दोनों मिलकर किसी और आदमी की तलाश करेंगे।
लेकिन आगोश सुबह नहा कर तैयार हुआ ही था कि ख़ुद आर्यन ही वहां आ गया। वह अपनी बहन की स्कूटी लेकर आया था।
आते ही वो आगोश के साथ उसके कमरे में गया और वहां जाते ही आगोश की कंप्यूटर टेबल की रिवॉल्विंग चेयर पर सिर पकड़ कर बैठ गया।
वह कुछ परेशान सा दिख रहा था। कुछ हड़बड़ाया हुआ भी था। आगोश को लगा कि शायद साजिद ने उसे भी फ़ोन करके अताउल्ला के नौकरी छोड़ कर चले जाने वाली बात बता दी होगी। पर उसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है।
आगोश ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि आर्यन बोल पड़ा- हद हो गई यार, कैसे - कैसे लोग होते हैं.. इडियट!
- अरे क्या हुआ? किसी से झगड़ा हुआ क्या? कहां से आ रहा है? आगोश ने हैरानी से पूछा।
आर्यन कुछ न बोला।
आगोश ने ही फ़िर ज़ोर देकर पूछा- हुआ क्या? कौन है इडियट?
- साजिद के अब्बू! आर्यन एकदम से बोला।
- ओह! वो कहां मिले तुझे, उनसे क्या बात हो गई? आगोश हंसते हुए बोला।
पर आर्यन नहीं हंसा। वह एकदम से फट पड़ा। गंभीर होकर बोला- यार मैं अभी यहां आने से पहले साजिद के घर ही चला गया था। वहां का नज़ारा देख कर तो डूब मरने का दिल हो रहा है।
- अरे, ऐसा क्या हुआ? मुझे तो सुबह साजिद ने ख़ुद ही फ़ोन करके बताया था कि अताउल्ला चला गया। और तो कुछ भी नहीं कहा। आगोश ने कहा।
आर्यन हिकारत से बोला- मैं जब उसके घर पहुंचा तो उसके अब्बू एक मोटी सी छड़ी लेकर उससे बेचारे साजिद की पिटाई कर रहे थे। देखना, बेचारे के सारे शरीर पर नील पड़ गया होगा। वो तो मुझे देखते ही छड़ी फेंक कर भीतर चले गए। वरना साजिद बिना बात और न जाने कितनी देर तक मार खाता।
- पर हुआ क्या? कुछ बताया भी तो होगा साजिद ने तुझे? आगोश ने तमतमा कर कहा।
- बास्टर्ड! आर्यन ने कहा।
- बात क्या हुई ऐसी। आगोश सवालिया निगाहों से आर्यन को देखता रहा। आख़िर ऐसा क्या हुआ कि आर्यन साजिद के पिता तक को गाली दे रहा है।
आर्यन फ़िर बोला- सारी ग़लती उस बास्टर्ड अताउल्ला की है जो दिखने में तो सीधा- सादा देहाती सा दिख रहा था पर पक्का शैतान निकला।
अच्छा, तो आर्यन साजिद के डैड को नहीं, अताउल्ला को अपशब्द कह रहा था। पर बात क्या हुई? क्या किया अताउल्ला ने? आगोश ने आश्चर्य से पूछा।
आर्यन ने बताया कि अताउल्ला ने साजिद के अब्बू को कह दिया कि साजिद से कोई ग़लती हो गई है जिससे उसकी गर्लफ्रेंड प्रेग्नेंट हो गई।
- क्या??? आगोश ने अपने दोनों हाथ अपने कानों पर रख लिए।