नवलकथा के बारे में: अगर इस नवलकथा का शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे है कि ये कहानी मेरे बारे में है तो आप लोग गलत सोच रहे है। दरअसल I. T. (Information Technology) के बारे में आप सभी लोग जानते है, पर हम अपने सबसे महत्वपूर्ण अंग दिमाग के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानते। इस नवलकथा में हमारे दिमाग की ऐसी ही कुछ कंडीशन के बारे में चर्चा करेंगे, जिसे Medical Terminology में Brain Disorders कहते है। घबराइए मत मैं यहां कोई Scientific Language में बात नहीं करने वाला, पर मैं और आप हम आसानी से समझ सके इसलिए कुछ कहानियों के जरिये समझाने की कोशिश करूंगा।
Condition 1: Schrödinger’s Smiley :):
राहुल: तू उसे जाकर ये बोल क्यों नहीं देता की तू उससे प्यार करता है।
समीर: नहीं यार मैं उसे नहीं बोल सकता, उसके सामने मैं ऐसे भले ही कितनी बातें कर लूं पर प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं होती। क्या पता मैं उसे propose करूं और वो मुझे प्यार ना करती हो, इससे हमारी अच्छी सी दोस्ती भी टूट जाएगी।
राहुल: तू बोलेगा नहीं तब तक उसे पता कैसे चलेगा कि तू उससे प्यार करता है? क्या पता वो तुझसे प्यार करती हो, और शायद ना भी करती हो। पर जब तक तू उसे पूछेगा नहीं तब तक कैसे पता चलेगा। भूल गया आज अपने प्रोफेसर बख्शी ने क्या पढ़ाया? Schrödinger के experiment के बारे में। तेरी हालत भी फिलहाल ऐसी ही है।
समीर: यार क्या तू भी वो बोरिंग लेक्चर की याद दिला रहा है?
तभी वहां नेहा और निशा आती है।
नेहा: क्या बातें कर रहे हो? हमें भी तो बताओ?
निशा: अरे ये दोनों बस पढ़ने की बातें करते है, जो हमें कभी भी पल्ले नहीं पड़ने वाली। हम ठहरे कॉमर्स के छात्र और ये दोनों साइंस के छात्र।
नेहा: बताना समीर, क्या बातें कर रहा था?
समीर: क..कुछ नहीं, तुम्हारी ही, I mean तेरी ही बात हो रही थी।
नेहा: मेरी बात? क्या मेरी बात?
राहुल: अरे कुछ नहीं हम दोनों सोच रहे थे, तू कितनी अमीर है। तेरे पापा के पास अरबों की दौलत है। ढेर सारी गाड़ियाँ है, बंगले है। तेरी तो ऐश ही ऐश है।
नेहा: हां वो तो है! पर तुम लोगो को इस बात को लेकर मुझसे जलन हो रही है क्या?
समीर: हमें भला क्यों जलन होगी? हम तो उलटा खुश है इस बात को लेकर की हम चारों दोस्तों में से एक तू ही है जो हर मायने में खुश है। जिसकी लाइफ एकदम परफेक्ट है।
निशा: चलो ये सब बातें छोड़ो, भूख लगी है चलो कैंटीन में जाकर कुछ खाते है।
निशा ने कहा और चारों दोस्त राहुल, समीर, नेहा और निशा अपने कॉलेज की कैंटीन में नाश्ता करने चले गए। कैंटीन के बाद निशा और नेहा अपने घर चली गई, पर समीर राहुल को मॉल ले गया।
राहुल: तू मुझे बताएगा भी की मुझे मॉल क्यों ले जा रहा है?
समीर: तेरी बातों से मुझे हिम्मत आ गई है, कल मैं नेहा को propose करने वाला हूं। बस मेरा एक काम करना, निशा उसके आसपास ना हो इसका इंतजाम कर देना।
राहुल: हां कर दूंगा, पर ये तो बता की हम मॉल क्यों चल रहे है?
समीर: मुझे एक आईडिया आया है, देखते है उसका नतीजा क्या निकलता है!
अगले दिन,
नेहा: ये निशा कहां चली गई? अभी तो यहीं थी!
समीर: वो निशा और राहुल को भूख लगी थी तो कैंटीन चले गए। तुम्हें भी जाना है?
नेहा: नहीं यार, मुझे भूख नहीं लगी। Hey, nice t-shirt…! नई है?
समीर: हां कल ही मॉल से ली है।
नेहा: अच्छी है, पर इसमें क्या लिखा है? कुछ समझ में नहीं आ रहा।
समीर: Schrödinger's Smiley :):
नेहा: मतलब?
समीर: कल बख्शी सर का लेक्चर था, उन्होंने कल इसी टॉपिक पर लेक्चर दिया था। उसके बाद मैंने थोड़ी सी रिसर्च की और मॉल में मुझे इसी प्रकार की t-shirt मिल गई।
नेहा: हां पर इसका मतलब क्या है?
समीर: जानना चाहेगी? Detail में?
नेहा (घड़ी को देखते हुए): हां अभी लेक्चर में टाइम है, बता क्या है इसका मतलब?
समीर: तो शुरू से शुरू करते है,
एक जमाने में Erwin Schrödinger नामक एक Austrian-Irish Scientist थे, जो Quantum Physics को बहुत ही गहराई से समझने की कोशिश कर रहे थे। Quantum Physics कितनी अजीब है ये साबित करने के लिए उन्होंने एक Imaginary Experiment (ऐसा प्रयोग जो सिर्फ सोचा गया, किया नहीं गया।) अपने दिमाग में बनाया। इस imaginary experiment में एक बिल्ली को रेडियो धर्मी पदार्थ के साथ एक डब्बे में रखा गया, और साथ ही उसमें एक बॉम्ब भी फिट किया गया जो रेडियो धर्मी पदार्थ के क्षय के साथ ही फट जाएगा और वो बिल्ली मर जाएगी।
अब Quantum Physics के किसी भी Scientist का ये मानना है कि, जब तक किसी भी प्रयोग में कोई observer (देखने वाला) ना हो तब तक उस experiment के कई सारे पहलू होते है, और कई सारी संभावनाएँ भी होती है। जब तक कोई observer हकीकत देख ना ले तब तक उस प्रयोग की कई सारी सच्चाई एक ही समय में अस्तित्व रखती है। और जब observer उसे देख ले तब उन्हीं सारी संभावनाओं में से एक संभावना सच हो जाती है। अब जैसे कि उस बिल्ली का क्या हुआ अगर ये हमें जानना है तो हमें वो डब्बा खोलना होगा। जब तक वो डब्बा बंद है तब तक उसकी कई सारी संभावनाएँ हो सकती है। जैसे कि, रेडियो धर्मी पदार्थ का क्षय हो गया और बिल्ली मर गई, या फिर रेडियो धर्मी पदार्थ का क्षय नहीं हुआ और बिल्ली मरने से बच गई। इस बात की सच्चाई हमें तभी पता चलेगी जब वो डब्बा खुलेगा। यानी डब्बा खुलने तक बिल्ली जिंदा भी हो सकती है और मरी हुई भी हो सकती है।
ये प्रयोग मानव दिमाग के चेतन मस्तिष्क का वास्तविकता के साथ संबंध को दर्शाता है। इस imaginary experiment को नाम दिया गया, Schrödinger's Cat. अब इसी प्रयोग से प्रभावित होकर किसी ने Schrödinger's Smiley :): नामक एक meme बना दिया। जिसमें :): इस निशानी में आधा emoji हँस रहा है और दूसरा आधा emoji उदास है। इंसान का दिमाग काफी पेचीदा होता है। इंसान का दिमाग भी एक psychological box जैसा है, उस दिमाग के अंदर क्या चल रहा है उसको जानने के लिए हमें उस डब्बे को खोलना पड़ता है। जो इंसान बाहर से खुश हो जरूरी नहीं वो सच में खुश हो, या जो दुःखी हो तो जरूरी नहीं कि वो दुःखी ही हो। एक ही समय पर ये दोनों संभावनाएँ मौजूद होती है। पर हम जिसे अपने सच्चे दिल से चाहते है वो ही इस डब्बे को खोल सकता है। जिसे हम अपनी मन की सारी बात सही-सही बताते है।
तुम समझ रही हो ना?
नेहा: हां, समझ रही हूं।
समीर अब सोच ही रहा था कि अब वो नेहा को अपने दिल की बात कह दे, और नेहा के दिमाग में क्या हैं वो उसके मन के डब्बे में से बाहर निकाले। तभी नेहा ने कहा।
नेहा: एक बात बोलू समीर?
समीर: हां? हां!
नेहा: बचपन से ही मैं अमीर हूं। पापा बहुत बड़े बिजनेसमैन है। मुझे कभी किसी चीज़ की उन्होंने कमी नहीं होने दी। पर जानते हो मेरा ये मन क्या कहता है? मुझे जो सबसे जरूरी था वो प्यार मुझे कभी नहीं मिला। माँ का प्यार! बचपन में ही मेरी माँ चल बसी, पर पापा ने मेरी सारी ज़िम्मेदारी उठाई। पापा से कोई शिकायत नहीं है, पर वो कितना भी कर ले एक माँ की कमी को पूरा तो नहीं कर सकते। मैं हँसती रहती हूं, हंमेशा खुश रहती हूं, पर कोई ना कोई कमी हंमेशा महसूस होती है। हर कोई मुझे परफेक्ट समझता है, पर मैं जानती हूं मैं परफेक्ट नहीं हूं। लोग मेरी अमीरी से जलते है, कुछ दोस्त भी उनमें से एक है। और कुछ दोस्त मेरी अमीरी की वजह से है। पर मैंने तुम्हारी आँखों में हंमेशा अपने आप को इन सब से परे पाया है।
समीर: क्या मतलब?
नेहा: मतलब, तुम प्यार करते हो ना मुझसे?
समीर (एकदम से चौंक गया): हां? हां! पर तुम्हें कैसे पता?
नेहा: लड़कियों के अंदर एक woman instinct होता है। कई बार उन्हें पहले से ही पता लग जाता है कि क्या होने वाला है, या सामने वाले को खुद को लेकर क्या feeling है। तुम्हारी तो आँखों में ही साफ-साफ लिखा है कि तुम मुझसे प्यार करते हो। इतना लंबा खिंचने की जरूरत ही नहीं थी, साफ लफ़्ज़ों में कह देते, I LOVE YOU! तो ज़्यादा आसान रहता तुम्हारे लिए।
समीर: कोई बात नहीं पर इसी बहाने तुम्हें कुछ नया जानने को तो मिला! खैर, अब जब तुम जानती ही हो तो तुम्हारा जवाब क्या है?
नेहा: मुझे कहानी सुनाकर खुद उस कहानी का बोध-पाठ भूल गए? तुमने ही कहा ना कि कोई भी अपने मन का बॉक्स तभी उसी के सामने खोलेगा जब वो सच्चे दिल से उससे प्यार करता हो। तो मैंने अपनी माँ की बात और उसे लेकर अपने मन की बात कभी किसी को नहीं बताई। आगे तुम खुद ही समझदार हो!
समीर: मतलब?
नेहा: मतलब Schrödinger's Smiley :): को आगे से देखो और Smile कर दो :)
समीर और नेहा दोनों हँसने लगे।
Condition 1 ends here…
P.S.: Late Sushant Singh Rajput भी Schrödinger's Smiley लिखा हुआ t-shirt पहनता था। बाहर से हँसते रहता वो शख्स पता नहीं अंदर से कितना टूटा हुआ था। काश उसके मन के बॉक्स को कोई खोलकर उसकी हालत को समझ पाता, तो शायद आज वो… हर इंसान को किसी एक ऐसे की तलाश हंमेशा रहती है जिसके सामने वो जो है वहीं बनकर रहे, और अपने मन के डब्बे में जो बातें छुपा रखी है उसे share कर सके। अगर आपके पास ऐसी कोई व्यक्ति है तो ये मानना की आप इस दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान है।
Condition 2 will be continued soon…
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✍️ Anil Patel (Bunny)