रत्ना बोली चाचू आप ने बहुत ही देर कर दी।रवि बोला हां चाचा जी पापा, मम्मी सब चले गए कोई नहीं बचा।
फिर चन्दु ने कहा ,हां भईया मैंने आपके घर का नमक खाया था। मांजी ने मेरे साथ इन बच्चों को भेज दिया था कह कर रोने लगा।
रमेश ने कहा हां मुझे अब पता चला तो मैं यहां आ गया अब तुम सब चलो अपना सामान पैक कर लो।
रत्ना के मामा बोले। हकीम पुर की दशा मेरे आंखों देखा हाल है मैंने सबको कहा था कि यहां से चले पर आपकी अम्मा को आपका इन्तजार था। रमेश ने कहा हां एक मां का विश्वास था पर मैं पुरा ना कर सका।
फिर वहां से चारों लोग निकल गए।
आगरा बस अड्डे से अलिगढ की बस पकड़ लिया। और तीन घंटे बाद अलिगढ पहुंच गए।
घर पहुंच कर ही रत्ना और रवि बड़े खुश हो गए।
चन्द्रू बोला भईया आज से इस घर का रसोईया बन जाता हुं अम्मा ने कहा था कि जैसे यहां करता था वैसे ही वहां करना।
रमेश बोला अरे चन्द्रू काका आप तो इस घर के सदस्य हों।
रमेश बोला परसों एक अच्छा मुहूर्त है उसी दिन हम-सब मिल कर एक पुजा करेंगे।
हकीम पुर गांव में जो महामारी फैली थी उसके लिए एक शान्ति पुजा करना होगा।
फिर चन्द्रू ने सबको नाश्ता कराया।
चन्द्रू बोला भईया अम्मा, बाबूजी आपकी चिंता किया करते थे। बाबूजी कहते थे कि रमेश वहां है तो अच्छा है वरना यहां रहता तो इस महामारी के चपेट में आ जाता।
रमेश बोला अरे काका आपको कुछ पता चला कि ये घटना कब हुआ?
चन्द्रू बोला भईया इतना ही पता चल पाया था कि सारे लोग ही कोलेरा की चपेट में आने की वजह से चले गए और उनका कोई अन्तिम संस्कार नहीं कर पाया ।
रमेश बोला हां ये बात मुझे जिंदगी भर परेशान करती रहेगी।
रत्ना बोली चाचू चाची तो हमें इतना प्यार करती थी कि कभी कोई नहीं कर सकता।
रमेश बोला अच्छा बच्चों अब नाश्ता करके आराम कर लो और फिर मैं तुम दोनों का दाखिला एक बड़े स्कूल में करवा दूंगा।
रवि बोला हां चाचू हमें पढ़ना है।
फिर दूसरे दिन सुबह रमेश आफिस चला गया और वहां जाकर सब बात बताई। सबने सुनकर बहुत ही दुःख व्यक्त किया।
शाम को घर लौटते समय पुजा का सारा सामान लेकर घर लौट आया।
चन्द्रू ने सब सामान रख दिया।
फिर रात का खाना खा कर सोने चले गए।
रवि और रत्ना के लिए चन्द्रू ने बेड लगा दिया और रमेश भी अपने कमरे में जाकर सोने लगा पर पुरी रात वो हकीम पुर की उस एक रात को याद करता रहा।
सुबह सब जल्दी उठकर तैयार हो गए।
चन्द्रू ने सबके पसंद का एक -एक भोजन तैयार किया था जैसे रमेश ने कहा था। रमेश ने अपने आफिस के दोस्तों को बुलाया था।
पंडित जी आए। पुजा और हवन करवाया।
हकीम पुर से जो एक पारिवारिक फोटो लाया था वो पंडित जी को दिया और फिर विधि पूर्वक रमेश और रवि, रत्ना बैठ कर पुजा किया।
फिर सभी अतिथियों को भोजन कराया गया।
रमेश बहुत ही मार्मिक चित्रण में पहुंच गए थे
रमेश हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा हे अम्मा मुझे माफ़ कर देना मैं समय पूर्व नहीं आ सका।
उर्मी मैंने पति धर्म नहीं निभा पाया।
फिर सब मिलकर अतिथि सत्कार किया और सब चलें गए।
पंडित जी ने कहा पुजा पाठ अच्छी तरह से सम्पन्न हुआ और हकीम पुर गांव के सभी लोगों के लिए प्रार्थना किया गया।
फिर पंडित जी चले गए।
चन्द्रू ने सबको थाली सजा कर दे दिया।
रत्ना, रवि और रमेश खाना खाने लगे।
रमेश के आंखो से आंसु बहते जा रहे थे उसे ये महसूस हो रहा था कि उसने क्या खो दिया है।
रमेश ने कहा बच्चों मैंने एक अंग्रेजी स्कूल में तुम् दोनों का दाखिला करवाने की बात कर लिया है।
अगले सोमवार को हमारे साथ जाना होगा।
रत्ना खुश हो कर बोली चाचू थैंक यू।
फिर रमेश ने सबके पसंद का एक- एक भोजन लेकर छत पर गया और वहां रख दिया।
फिर कुछ देर बाद कुछ कौंवे आकर भोजन करने लगे।
कहते हैं हमारे प्रिय सदस्य इस दुनिया से विदा हो जाते हैं तो उनके बारे में सोच कर रखो तो उसकी आत्मा आकर खाना खा जाती है।
रमेश नीचे आ गया और फिर रत्ना और रवि के साथ बात करने लगे।
चन्द्रू भी वहां बैठ कर बातें करने लगा।
चन्द्रू बोला भईया उर्मी बहु का बड़ा शौक था कि शहर आकर रहे पर अम्मा जी की वजह से कभी बोल नहीं पाईं।
फिर इसी तरह एक महीना बीत गया।
अब रत्ना और रवि दोनों ही एक अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने जाने लगें।
रमेश अपनी तरफ से पुरी कोशिश से उन दोनों बच्चों की जिम्मेदारी रहा था और उसने कोई कमी नहीं छोड़ी थी।
वो उनके मम्मी पापा को तो वापस नहीं ला सकते थे पर हर तरह की सुविधाएं और खुशी देने की कोशिश करता रहता था।
रमेश हमेशा दीवाल पर टंगे हुए उस तस्वीर को देखकर अपने अम्मा, बाबूजी,भाई, भाभी और उर्मी से बात किया करता था।
वहीं तो एक सबूत था उसके पास की वो हकीम पुर में एक रात घर में अपने लोगो के साथ बिता कर आया था।
किसी ने भी उसका कोई नुक्सान नहीं पहुंचाया।
मुझे नहीं पता कोई इन्सान मरने के बाद कहा जाता है क्या होता है पर ये घटना रमेश के साथ घटा था और उसने सबके साथ बातचीत किया, खाना भी खाया था।
ये घटना सत्य है। कोई भी इन्सान को अगर मुक्ति ना मिले तो कहते हैं कि उसकी आत्मा भटकती रहती है।।
क्रमशः