"चलो....तुम कहती हो तो मैं तैयार हूँ तुम्हारी बात मानने के लिए !! तुम महिलाएं नही जी पाती हो अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से ! मायके में हमेशा घरवालो की मर्ज़ी से रहना पड़ता और शादी के बाद ससुराल वालों के हिसाब से ! ऐसे में तुम्हे अपने हिसाब से रहने का मौका नही मिल पाता है..!! मैं समझता हूँ तुम्हारी परेशानी को..!! और इसके लिए मैंने एक उपाय भी सोचा है !!"
"क्या??" पत्नी ने पति के कंधे से सिर हटाकर हैरानी से पूछा।
"हम लोग अब वहां नही रहेंगे!!" पति ने थोड़े उदास स्वर में कहा। जिसे सुनकर पत्नी खुशी से चहकते हुए बोली,"सचsss? चलो भगवान ने आखिरकार मेरी सुन ही ली !! मुक्ति मिलेगी मुझे उस पिंजरे से !! सारा दिन काम मे खटते रहो !! ज़रा सी कमी रह जाये या ऊंच-नीच हो जाये तो कह-कहकर सुनाते है तुम्हारे घरवाले !! अरे भई, इंसान हैं गलती हो जाती है! ज़रा-ज़रा सी बात पर ज्ञान देने की क्या ज़रूरत? लेकिन नही !! उन्हें तो बस सुनाने का मौका चाहिए होता है !!"
पति बड़ी ही खामोशी और धैर्य के साथ पत्नी की बातें सुन रहा था !! दिल दुखता था उसका जब पत्नी उसके घरवालों के बारे में ऐसी बातें करती थी। मगर वो खामोश रहकर सुनता रहता। बेकार में झगड़ा ना हो इसलिए। लेकिन रोज़-रोज़ होने वाली हल्की-फुल्की चिकचिक अब अच्छी खासी कलह का कारण बन चुकी थी!! हफ्ते-हफ्ते भर तक घर मे तनाव और अबोला रहता ! जिसके कारण सब परेशान रहते !! किसी का भी मन नही लगता! इसलिए तंग आकर उसने एक अलग घर मे किराए से रहने की व्यवस्था कर ली थी। घरवालों को भी वो अपना दो टूक जवाब सुना चुका था !! सबने खूब समझाया मगर वो समझने को तैयार नही हुआ!
आखिर पत्नी को लेकर आया था वो, अब ज़िम्मेदारी थी उसकी ! निभाना तो था!!
दो कमरों का घर था !एक कमरा और किचन अटैच थे और एक हॉल नुमा बड़ा सा कमरा था! पत्नी जितना भी सामान दहेज में लेकर आई थी सब अपने हिसाब से जमाया। शाम को खाना बनाने,खाने और बर्तन साफ करने में काफी रात हो गयी। बच्ची छोटी सी थी। बीच-बीच मे उसे भी देखती रही!! काफी सुकून मिलता पत्नी को अकेले में! ज़रा सा काम रहता था दो लोगो का! फिर दिनभर फ्री!! ससुराल में होती थी तो खाना-बर्तन करते-करते ही बारह-एक बजे जाते थे! आखिर पांच-छह लोग थे वहां। सास-ससुर, देवर, ननद, और वो दोनो पति-पत्नी!! काम निपटाकर वो थोड़ी देर कमरे में जाकर आराम करती की सासु माँ की आवाज़ आ जाती! आज पापड़ बना लेते हैं, तो आज गेहूं या दाल साफ कर लेते हैं,मिर्ची साफ करके पीसना, धना साफ करके पीसना,किचन के डिब्बो की अदला-बदली और नही तो किसी न किसी कमरे की सफाई, पुराने कपड़ो की छांटा-बीनी!! तंग आ गयी थी वो इन हर दूसरे-तीसरे दिन के कामो से !! लेकिन अब कोई काम नही था! अब तो बस आराम!!
हफ्ताभर आराम में बीता! फिर दिन बड़े लगने लगे! घर मे अकेले उकताहट होने लगी! जहां किराए से रहते थे उनकी बहू काफी मॉर्डन थी!! एक दिन उन्ही के पास जाकर बैठ गयी। जानने के लिए की वो खाली समय का सदुपयोग कैसे करती है!! मकान मालिक की बहू ने उसे व्हाट्सएप्प के किसी ग्रुप में ऐड कर लिया!!
वो देखती ग्रुप में कितनी ही महिलाएं ऐसी थी जो ससुराल पक्ष से त्रस्त थी। ग्रुप में हमेशा सब एकदूसरे को अपनी आपबीती सुनाती और समाधान करने के लिए सुझाव देती रहती!! ओ भी बड़े गौर से पढ़ती सब बातों को और शाम को अपने पति को बतलाती की फलाने की बहू के साथ उनके ससुराल वालों ने ऐसा किया तो उसने कौन सी धारा लगवाकर उनपर केस कर दिया!!
पति ने अपना माथा पीट लिया। ससुराल पुराण से छुटकारा पाने के लिए ही तो वो अलग हुए था और यहां भी वही सब चल रहा है !! उसने समझाया एक दो बार की," इन सब पछड़ो में क्यों पड़ रही हो! फ्री रहती हो तो बुक्स पढ़ो, किसी कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी करो।"
मगर पत्नी का जवाब होता,"कैसे करूँ कॉम्पीटिशन की तैयारी ?? दिनभर तो काम मे निकल जाता है!! सुबह से लगती हूँ जिसकी रात तक हाथ बन्द नही रहते!!"
पति आश्चर्य से भर उठा,"ऐसा कौन सा काम करती हो तुम?"
पत्नी दोनों हाथ नचाते हुए बोली,"हां तुम्हे मेरे काम कहां दिखाई देंगे!! तुम आदमियों की यही समस्या है...हाउस वाइफ के काम कभी नज़र आते ही कहां है? एक औरत दिनभर लगी रहती है फिर भी उससे सवाल पूछा जाता है कि वो करती क्या है??"
आज शायद पति भी बहस करने के मूड में ही था। वो जवाब देते हुए बोला,"सब पत्नियो का तो नही पता। मगर तुम मुझे कोई काम करती नज़र नही आती !! सुबह उठकर पानी मैं लेकर आता हूँ! दूध लेकर आने का काम मैं करता हूँ! तुम्हे बेड पर चाय भी मैं ही लाकर देता हूँ! तुम उठकर नहाती हो, तैयार होकर आती हो तबतक मैं सब्ज़ी निकालकर...और कभी-कभी तक बनाकर भी रख देता हूँ!! कपड़े तुम धोती नही हो! मशीन में धुलते हैं।और वो भी बस तुम्हारे और गुड़िया के। मेरे कपड़े तो हफ्ते-पांच दिन में धुलते हैं! मसाले का सामान घर जितना सालभर ला इकट्ठा नही करती हो! हर महीने में तैयार मसाला लेकर आता हूँ!! बाज़ार का सारा काम मैं करता हूँ!काम से लौटने के बाद जब रात का खाना बनता है तो उसमें भी मैं तुम्हारी हेल्प करता हूँ ताकि गुडिया परेशान ना करे!! दो लोगो का काम मे घण्टो नही लगते!! दिन में भी गुड़िया के सो जाने के बाद तुम फ्री ही रहती हो!! उसके बाद भी कह रही हो कि समय नही मिलता !!"
पत्नी हक्की-बक्की सी पति को देख रही थी। उसने एक एक काम उंगलियों ओर जो गिनवा दिए थे!! उसे लगा बात ज़्यादा आगे बढ़ रही है। इसलिए बहस खत्म करने के उद्देश्य से वो नरम लहजा अपनाते हुए बोली,"इतना क्या नाराज़ हो रहे हो!मेरा वो मतलब नही था!!"
पति भी शायद बहस खत्म करना चाह रहा था इसलिए बेटी को गोद मे उठाकर बाहर निकल गया! पत्नी ने चैन की सांस ली!! आज तक क्लास लग चुकी थी उसकी।
कुछ दिनों बाद दोनों पति-पत्नी फिर से बहस कर रहे थे। क्योंकि खर्चा बजट से ज़्यादा हो चुका था! पति आरोप लगा रहा था कि पत्नी ने हिसाब से खर्च नही किये। फालतू का सामान ज़्यादा मंगाया और पत्नी कह रही थी कि महंगाई बढ़ गयी है, इतने कम में गुज़ारा कैसे हो??"
पति चिल्लाया,"इतने ही रुपयों में पहले इतने सारे लोग आराम से खर्चा चला रहे थे। लेकिन अब तुम्हे अकेली को भी कम पड़ रहा है!!" फिर उसने मेकअप के समान और कपड़ो के ढेर की ओर इशारा करते हुए कहा," ये सब फालतू का सामान खरीदने के बजाय बचत करती तो दिक्कत नही आती! लेकिन नही...तुमने सोचा कि इस बार ज़्यादा रुपये बच गए तो कपड़े खरीदलो !!"
बात ज़्यादा बढ़ गयी। गुस्से में पत्नी बेटी को लेकर मायके जा पहुंची!! खूब रोई। ससुराल वालो कि बुराई की!! मोहल्ले पड़ोसियों को भी बढ़ा चढ़ाकर बताया गया!! सब लोग लड़की से सहानुभूति जताने लगे। जिससे लड़की को खूब खुशी मिलती!! उसे लगा पति परेशान होगा तो झक मारकर लेने आएगा! मगर ऐसे कुछ नही हुआ!! पति उस किराये के कमरे को ताला लगाकर अपने माता-पिता के पास जा पहुंचा!! मगर उसने बताया नही की पत्नी गुस्से में मायके गयी है। वो बोला,"कुछ दिनों रुकना चाहती थी मायके में तो चली गयी। और मैं यहां आ गया!!"
माँ ने बेटे की हालत देखी। पहले से कुछ अच्छी हो चली थी। आखिर साथ रहकर तनाव में रहने से अलग होकर भी प्यार और सुकून में रहना ज़्यादा बेहतर था! स्वास्थ पर तो असर नही पड़ रहा था!!
कुछ दिनों तक यूँ ही चलता रहा! जब पति लेने नही आया तो पत्नी अपनी माँ से बोली,"सासु मां ने बुला लिया होगा अपने पास! उनके पल्लू से बंधे रहना जो अच्छा लगता है उन्हें!!"माँ समझाती उसे!!
जब दिन कुछ ज़्यादा ही हो गए और बहू के आने का ठिकाना नही पड़ा तो लड़के की माँ बोली,"बहु सच मे ही कुछ दिनों के लिए गयी है या तुम दोनों में झगड़ा हुआ??"
बेटा ज़्यादा छुपा नही पाया और सब बता दिया!! माँ भी क्या कहती? सब ठीक हो जाएगा का दिलासा देकर रह गयी। चार - पांच महीने तक जब दोनों ओर से पहल नही हुई तब जाकर रिश्ता जोड़ने वालो को बीच मे आकर बात करनी पड़ी!! दोनो से कलह का कारण जाना। दोनो ने अपने-अपने कारण बताये। पहले पत्नी बोली कि,"ससुराल में मुझे बहु तो समझा ही नही जाता है!!नौकरानी बनाकर रखा हुआ है। दिनभर काम करो फिर भी इन्हें मैं अच्छी नही।लगती। हर छोटे-छोटे कामो में गलती निकालकर सुनाया जाता!!"
"उसे सुनाना नही समझाना कहते हैं!! " पति बीच मे टोकते हुए बोला ।
"क्यों टोकते हैं? मुझे क्या काम करना नही आता?" पत्नी अपनी आवाज़ थोड़ी ऊंची करते हुए बोली। पति खामोश हो गया । पत्नी का पक्ष सुनने के बाद पति से पूछा गया तो वो बोला,"मुझे ना तो कोई बहस करनी है ना ही कोई झगड़ा !! मैं सबकुछ भूलकर इसे लेकर जाने को तैयार हूँ!! लेकिन एक शर्त पर..!!"
सब लोग हैरानी से देखने लगे। वो बोला,"मैं इसे लेकर जाऊंगा...अगर मेरी सासु माँ और मेरी पत्नी की प्यारी माँ हमारी गृहस्थी में किसी प्रकार का कोई दखल ना दे तो !!"
सब लोग एक दूसरे का चेहरा तकने लगे!! पत्नी तुनककर बोली,"क्यों? तुम्हारी मम्मी जब चाहे, जो चाहे वो कहे! मगर मेरी माँ कुछ ना बोले! ऐसा क्यों??"
"क्योंकि मेरे जीवन मे असल कलह का कारण तुम्हारी माँ ही है!!" पति पूरे तैश में आकर बोला। सब लोग खामोश से बस तमाशा देखने लगे। वो रिश्तेदारों से अपनी पत्नी की ओर इशारा करते हुए बोला,"अगर ये अपनी मर्ज़ी से घर मे कोई काम भी करना चाहे ना...तो हमारी प्यारी सासु मां को रास नही आता!! मतलब ये हैं कि इनकी बेटी मायके में चाहे जी तोड़ काम करे..कोई दिक्कत नही। क्योंकि वो इनके संस्कार हैं। घर के सारे काम आने चाहिए बेटियों को!! लेकिन अगर यही बेटी ससुराल में इतने काम कर रही है तो ससुराल वालों ने उसे नौकरानी बनाकर रख दिया!! है ना !!" लड़का अपनी सास की ओर देखकर बोला । सबके चेहरे के भाव देखने के बाद वो अपनी पत्नी से बोला,"तुम्हे मेरे घरवालों ने कभी नौकरानी नही समझा! तुमने ही अपने दिमाग मे ये फितूर बिठा रखा है कि मेरे घरवाले तुम्हे नौकरानी समझते हैं!! तुम्हारे मायके में अगर तुम्हारी माँ तुम्हे डांटती, टोकती तो तुम एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देती...मगर मेरी माँ ने कुछ कह दिया तो तुम तिल का ताड़ बना देती हूँ। मुंह फुलाकर बैठ जाती हो!! ऐसा तो नही है कि जब तुम काम करती हो तो कोई तुम्हारी हेल्प नही करता! मैं अंधा नही हूँ जो मुझे दिखाई नही देता! ये कह लो कि जब तक सब साथ थे मैं कितने सुकून।में था ! बाजार की सारी दौड़भाग मेरा भाई कर लिया करता था! तुम्हारे साथ चौके-चूल्हे का काम मेरी बहन करवा लिया करती थी!! और मम्मी जो हर तीसरे-चौथे दिन जो काम लेकर बैठ जाती थी उसे करने के बाद वाहवाही भी तुम्हे ही मिलती थी कि देखो बहु ने घर कितना व्यवस्थित किया हुआ है!!मम्मी भी हरदम तुम्हारी तारीफ किया करती थी। लेकिन तुम्हे वो सब कहां दिखाई देता है!! तुम्हे तो सिर्फ वो दिखाई देता है जो तुम्हारी माँ कह देती है!! उन्होंने कहा कि तुम्हे इतना काम करवा रहे हैं जैसे तुम नौकरानी हो, तो तुम अपने आप को नौकरानी समझने लगी!! सच बात तो ये है कि तुमने मेरे परिवार को कभी एक्सेप्ट ही नही किया !!
उस दिन गुड़िया को मम्मी ने डाँट दिया था तो तुमने कितना हंगामा मचाया था...! क्या कहा था तुमने? दादी तो हमेशा डांटती फटकारती रहती है....नानी कितने लाड़प्यार से रखती है!! बच्ची के मन मे भी तुम ज़हर भरने से बाज़ नही आई..! बच्चा ही क्या...कोई बड़ा भी अगर हमारे पास ज़्यादा रहता है तो उसको सही-गलत पर डांटना-समझाना ज़रूरी होता है! वरना चार दिन के आये मेहमान को तो सभी पलको पर रखते हैं!! अगर गुड़िया अपनी नानी के यहां भी इतने दिन रुके ना तो मैं लिखकर दे सकता हूँ कि सिर्फ नाना-नानी ही नही, बल्कि मामा-मौसी भी इसे डांटे बिना नही रह पाएंगे। क्योंकि बच्चे चंचल होते हैं। कुछ न कुछ छेड़छाड़ कर बिगाड़ा करते ही रहते हैं। तुम शादी के बाद ससुराल वालों को स्वीकार नही कर पाई और ना ही मायके से मोह छुड़ा पाई!! मायके से मोह लाज़िमी है...मगर उसकी तुलना ससुराल से करना किसी भी हाल में उचित नही। मेरी माँ ने तुम्हे बेटी बनाकर रखा, तो बदले में तुम्हे भी अच्छी बेटी की तरह उनसे व्यवहार करना चाहिए था। मगर तुम तो जैसे अपनी माँ को अनसुना कर जाती हो वही मेरी माँ के साथ भी किया!! मम्मी ने ना कभी तुम्हे तुम्हारे मायके आने-जाने से रोका! ना कि फोन पर बात करने से रोका! फिर भी तुम्हे तकलीफ है??"
पत्नी सिर झुकाकर खड़ी हुई थी। पति अपनी सास के सामने जाकर खड़ा हो गया और उनसे बोला,"आप खुद इससे तीन-तीन चार-चार घण्टे फोन पर बात करती थी। फिर भी आप ये कह रही हैं कि आप की बेटी को नौकरानी बनाकर दिनभर काम करवाया जाता है?? अरे रोज़रोज़ ऐसी कौन सी बात करनी होती है आप दोनों माँ बेटी को? थोड़ी देर का तो समझ आता है मगर रोज़-रोज़ और वो भी घण्टो तक !!! और मुझे तो याद भी नही की आपने कभी इसे एक बार भी समझाया होगा कि,'बेटा रोज़-रोज़ क्या बात करनी? थोड़ी बहुत देर अपनी सास के पास भी बैठा कर या फिर घर के काम मे खुद को उलझाकर रखा कर !! अहाँ...बिल्कुल नही !! बल्कि आपने तो उल्टी ही सीख दी है कि,"खाना बना और कमरे में चली जा। वो लोग खुद लेकर खा लेंगे। बर्तन पड़े हैं तो पड़े रहने दे, तेरी ननद करेगी !!" जबकि वही करती आई है हमेशा! मम्मी ने दोनों के हिस्से में आधे-आधे काम बांटे हुए थे!! वाकई में...आप जैसी माँ के सीख में रही ना ये.…तो मैं तो इसे नही लेकर जाऊंगा!! बाकी आगे का आप देख लीजिए! इसे साथ भेजना है या जिंदगीभर यही रखना है !! क्योंकि मैं अपने माता-पिता को तो नही छोडूंगा। यहां तक कि जो किराये के घर मे रह रहा था अबतक, अब वहां भी नही रहूंगा!!"
अपनी बात कह वो पत्नी की ओर देखा और सीधे बाहर निकल गया!! रिश्तेदार समझ चुके थे....उनकी गृहस्थी में असली क्लेश का कारण क्या था?
लड़की के माता-पिता लड़के की शर्त मानने को तैयार थे। लड़के ने फिर भी थोड़ी नम्रता दिखाते हुए अनुमति दे दी थी कि पत्नी को अगर अपनी माँ से बात करनी होगी तो वो खुद बात करवा दिया करेगा!!"
रिश्तेदारों ने भी दोनो पक्ष को समझाइश दी!! लड़की मन मे थोड़ी कड़वाहट लिया ससुराल वापस आ चुकी थी!! उसका पति अब तटस्थ हो चुका था ! पत्नी के लिए भी और अपने घरवालों के लिए भी!!
एक व्यक्ति का कठोर होना, पूरे घरवालों के लिए सुकून का कारण बन चुका था!जबतक लड़का नरमाई से सबके बारे में सोचकर आगे बढ़ रहा था तबतक सब लोग उसपर हावी हो रहे थे। मगर जब उसने कठोरता अपनाई, सबलोग ढीले पड़ने लगे!! मायके से ज़्यादा सम्पर्क नही होने के क्षरण लड़की भी थोड़ा-थोड़ा ससुराल के करीब आने लगी थी। जब ज़्यादा समय हो गया तब उसकी सास ने ही अपने बेटे को डांटकर उसे मायके भिजवाया। हालांकि वो चार-पांच दिनों बाद ही उसे वापस लेकर भी आ गया!! मगर लड़की इतना तो समझ चुकी थी की जब तक वो दूसरो के दिमाग से, उनके कहने से आगे बढ़ रही थी तब तक परेशान थी। जब से उसने खुद सोचना शुरू किया तब से आराम में थी।
मेरे मामा जी जिला कलेक्ट्रेट में है!! परिवार परामर्श केंद्र में वे जज पैनल मे हैं!! ये केस उन्होंने ही बताया था!!मामाजी बता रहे थे कि अधिकांश केसेस ऐसे ही आ रहे हैं आजकल..! जहां लड़की थोड़े समय ससुराल में रहने के बाद अलग रहने की मांग करने लगती है! बेटी के गृहस्थ जीवन मे आजकल माओं की बढ़ती दखलंदाज़ी रिश्ते टूटने का बहुत कारण बन रही है ! लड़कियां दूसरो को देखकर बहकावे में आती हैं और खुद की गृहस्थी बर्बाद करने पर तूल जाती है !! बिना आगे-पीछे का सोचे! उन्हें ससुराल से आज़ादी चाहिए होती है! और लोगो की झूठी सहानुभूति इसमें आग में घी का काम करती है!!