Words in Hindi Motivational Stories by Roop Kishore books and stories PDF | शब्द

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शब्द

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है प्रज्ञा के कारण वह संसार के सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है। हमारे जीवन में तीन अक्षरों के कॉम्बिनेशन का अत्याधिक महत्व है जो हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक और पारिवारिक व्यवहार में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है यह तीन अक्षरों का कॉम्बिनेशन है - शब्द । जी हाँ , हमारे जीवन में शब्दों का बहुत महत्व है शब्द का सही प्रयोग ही यह परिवर्तन ला सकता है। हमें बोलने से पूर्व शब्दों पर बहुत ध्यान देना चाहिए । क्योंकि एक बार शब्द मुँह से निकलने के बाद फिर वापस नहीं जा सकते भले ही हम उसके लिए माफ़ी मांग लें परन्तु माफ़ी मांग लेने और जिसके लिए बोला उसके द्वारा माफ़ किये जाने के बाद भी वह व्यक्ति उन शब्दों को नहीं भूल पता है । कहावत भी है तीर कमान से शब्द जबान से निकलने के बाद वापस नहीं हो सकते। हमारे शब्द किसको चुभने नहीं चाहिए क्योंकि शब्दों के घाव शस्त्रों के घाव से कहीं अधिक गंभीर होते हैं। कई बार हम सच बोलते है वास्तविकता बयान करते है किसी के बारे में कुछ बोलते है उस समय हम शब्दों पर ध्यान नहीं देते । ऐसे शब्द जिस व्यक्ति के लिए बोले जाते है न केवल उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचते है बल्कि वातावरण को भी ख़राब करते हैं क्योंकि बोले हुए शब्द वातावण में रहते हैं । हमें सदैव यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में हमारे द्वारा बोले गए शब्दों से किसको ठेस न पहुंचे । कई मनोवैज्ञानिकों सिद्ध किया हैं और मेरे व्यक्तिगत अनुभव से सत्य भी है की हमारे द्वारा बोले गए कटु शब्द जिसके लिए बोले जा रहे हैं उनके द्वारा न स्वीकार किये जाने पर कुछ समय के बाद वापस हमारे पास आते हैं परन्तु हम कह कर भूल जाते हैं फिर अचानक किसे दिन बिना किसे बात के हमारा मूड ख़राब रहता हैं कुछ अच्छा नहीं लगता हम समझ नहीं पाते क्यों परन्तु उसका कारण यही हैं ।
उदाहरणार्थ, हम किसी बीमार को देखने जाएँ तो उसके जल्द स्वस्थ होने के लिए बतायें - आज तो आप कल से बेहतर लग रहे हैं इस पर वह खुश होंगे और मानसिक बल मिलेगा जिससे बीमारी में आराम भी मिलेगा। इसके स्थान पर यदि हम कहें आपके कर्म हैं भुगत रहे हो तो उस पर क्या असर पड़ेगा। इसी प्रकार विद्यार्थिओं से सदैव सफल होने के शब्द बोलने हैं कितना भी नीचे हो उसकी तारीफ करते हुए शब्दों से बताना है कि आप सचमुच सफल होंगे आप काफी परिश्रम कर रहे हो थोड़ा और करो सफलता आपके कदम चूमेगी - वह अवश्य सफल हो जायेगा। यदि हम उसको बोले तुमसे नहीं होगा तुम बेकार प्रयास कर रहे हो तो वह कभी सफल नहीं हो सकता। किसी भी परिस्थिति में हमारे शब्द सकारात्मक होने चाहिए।
इसी प्रकार अंधे को अँधा कहो उसको अच्छा नहीं लगेगा बुरा लगेगा लेकिन यदि सूरदास कहो तो अच्छा लगेगा, काने को समदर्शी कहने से उसे अच्छा लगेगा। इसी क्रम में विकलांग को दिव्यांग कहें तो उसे बुरा नहीं लगेगा। यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य विशेष को करने में सक्षम नहीं है तो उसको यह बोलना कि आप अभी इस कार्य के लायक नहीं हो उसको बुरा नहीं लगेगा यदि हम बोले आप नालायक हो तो बुरा लगेगा। यहां मुझे एक संस्मरण याद आता है जिस संस्था से मै जुड़ा हुआ हूँ (ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय ) के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय जो माउंट आबू में स्थित है वहां टी वी के मशहूर सीरियल रामायण में रावण का रोल करने वाले श्री अरविन्द त्रिवेदी जी आये सब लोग उनको रावण रावण कह रहे थे आम आदमी नाम तो जानता नहीं था वो बहुत मायूस हो गए दुखी हो गए अंत में शर्माते हुआ संस्था की चीफ दादी जी के पास पहुंचे दादी जी ने देखते ही कहा अरे ब्राहमण कुलभूषण महाज्ञानी शिव के परम भक्त दशानन आपका स्वागत है । इस पर वो इतना प्रसन्न हुए भाव विभोर हो उठे ऐसे सम्मानजनक शब्द सुनकर ख़ुशी से आंसू आ गए। अब रावण और दशानन एक ही बात है परन्तु शब्दों का हेर फेर कितना माने रखता है।
अर्थात, मतलब और अर्थ वही रखते हुए हम शब्दों के हेर फेर से दूसरों को खुश रख सकते हैं। दूसरों के लिए सकारात्मक अच्छे शब्दों का प्रयोग सिर्फ उसको खुश नहीं रखता बल्कि आपके शब्दों से खुश हो जो भावनाएं उसके ह्रदय से निकलती हैं यद्यपि वो सुनाई व दिखाई नहीं देतीं परन्तु आपके जीवन में बहुत सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। अर्थात हम अच्छे शब्दों के प्रयोग से भी अपना काम करवा सकते है कभी-कभी गुस्से के कारण काम न होने से जिससे काम हो उसके लिए हम बुरे शब्दों का प्रयोग करते हैं जिससे काम में और भी देर होती है इसके स्थान पर यदि हम धैर्य रखते हुए काम करने वाले की व्यस्तता का उल्लेख करते हुआ उसकी कार्य प्रणाली की सराहना करें तो हमारा कार्य जल्द हो जायेगा । अब इसके ऊपर है -
निशब्द यह बिना कुछ बोले इशारों की भाषा है और सबसे ज्यादा पावरफुल है। जो बात हम बिना बोले सिर्फ इशारों से करते है आँखों से या हांथों से वो ज्यादा पावरफुल इफेक्टिव होती है। कुछ परिस्थितियां होती है जहाँ हम बोले नहीं सकते वहां निशब्द भाषा तेज काम करती है ।
तो आइये हम प्रण करें जीवन में जहाँ तक संभव हो व्यर्थ, नकारात्मक एवं किसी को दुःख पहुंचाने वाले शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे बल्कि ऐसे शब्दों का प्रयोग करें जिससे दूसरों को सुख मिले अच्छा लगे प्रोत्साहन मिले। धीरे धीरे आपका स्वाभाव ही सकारात्मक अच्छी सोच वाला हो जायेगा । आप स्वयं अनुभव करेंगे कि आपके व्यक्तिगत, सामाजिक और पारिवारिक व्यवहार में परिवर्तन हो गया जिससे आप परिवार के प्रिय समाज के प्रिय लोकप्रिय और जनप्रिय हो जायेंगे।
इति॥