Its matter of those days - 20 in Hindi Fiction Stories by Misha books and stories PDF | ये उन दिनों की बात है - 20

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ये उन दिनों की बात है - 20

तभी सामने से आ रहे सागर से टकरा गई थी मैं | ये दूसरी बार था जब सागर से फिर से टकराई थी मैं | और वो हमारी पहली टक्कर पिक्चर की तरह फिर से मेरे सामने आ गई |
आई एम सॉरी |
इट्स ओके नो प्रॉब्लम, सागर मुस्कराया |

एक्चुअली, हम सब ट्रिप पर आये हैं, उसने बताया | एंड यू ?

हम भी ट्रिप पर ही आये है यहाँ |


कृतिका और राज हाथों में हाथ डाले हमारी ही तरफ ही आ रहे थे |

सागर और मुझे एक साथ देखकर कृतिका चौंकी |

ये लड़का कौन है, जो दिव्या के साथ है? क्या इसका भी बॉयफ्रेंड है? कृतिका ने मन ही मन सोचा |

उसे चौंकता हुआ देखकर राज ने उससे पूछा, डू यू नो हर ?

यस, शी वॉज इन माय क्लास? कृतिका ने मुँह बनाया |

इसकी गर्लफ्रेंड, मेरी गर्लफ्रेंड से ज्यादा खूबसूरत कैसे हो सकती है, राज ने मन ही मन कहा |

कुछ कहा तुमने |

नाह !!

अब मुझे चलना चाहिए | काफी देर हो गई है | ओके बाय और फिर दोनों गले मिले |


दरअसल राज सागर को अपना कट्टर दुश्मन मानता था |

उसकी एक वजह थी और वो वजह थी सागर को स्कूल का हेडबॉय बना देना जो कि कभी वो हुआ करता था सागर के आने से पहले | लेकिन जबसे सागर आया था कुछ ही समय में वो सबका चहेता बन गया था | वजह थी सागर का मीठा स्वभाव और सबकी मदद करना | चाहे फिर वो कोई भी हो वो सबकी मदद करता था | सब उसके दोस्त थे और वो सबका दोस्त था | इसी वजह से वो राज की आँखों में खटकने लगा था | क्योंकि जबसे वो आया था, सबकी जुबान पर उसका ही नाम रहता था | स्टूडेंट्स से लेकर, टीचर्स से लेकर, स्कूल के प्रिंसिपल तक |

पिछले कुछ समय से राज की ज्यादतियां बढ़ती ही जा रही थी | गरीब बच्चों को चाहे कुछ भी कह देना | उनसे अनचाहे काम कराना ये सब |

इसलिए जब कुछ बच्चों ने प्रिंसिपल से शिकायत की तो उन्होंने उसके खिलाफ एक्शन लिया और उससे हेड बॉय के पद से बर्खास्त कर दिया | अब समस्या थी की नया हेड बॉय किसे बनाया जाए |
तब स्कूल के सभी बच्चों ने कुछएक को छोड़कर जो राज के फ्रेंड्स थे सागर को अपना हेड बॉय चुना|

राज को ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, क्योंकि उससे हेडबॉय की उपाधि जो छिन गई थी | ना ही अब वो स्कूल में या क्लास में टॉप करने लगा था | उसे अपने ऊपर काफी घमंड था जो की सागर के आने से चूर-चूर हो गया था | उसे उसकी हर एक चीज बुरी लगती थी | इसलिए जब उसने दिव्या को देखा तो उसके मन में ये ख्याल आया | क्योंकि वो कृतिका से भी ज्यादा सुन्दर थी |


बाय द वे, तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो, सागर ने मेरी तारीफ की |

मैं हैरान थी | "थैंक्स", मेरे मुँह से बस इतना ही निकला |

ह्म्म्मम्म.........हम्म्म्म्म.........हम्म्म्म..........कामिनी और बाकी सब मुझे छेड़ने लगी |

अरे ऐसा कुछ भी नहीं है | वो तो बस मिल गया, तो बात हो गई थोड़ी सी और कुछ नहीं |
कौन मिल गया ? क्या बात हुई ? कामिनी अनजान बनने की कोशिश कर रही थी |
जैसे तुझे कुछ पता ही नहीं, निशा ने छेड़ा |
अब तो हमारी दिव्या भी...............
मैं भी क्या!!! मुझे चिढ़ सी हुई |
कुछ कुछ हो रहा होगा ना तेरे दिल में | अरे वो कौन सा गाना है........मेरे दिल में जो होता है,
तेरे दिल में होता है क्या,
होता है तो....... ये प्यार है......इकरार है.......चारों-पाँचों गाना गाकर मुझे छेड़ने लगी |

मुझे गुस्सा आ गया और मैं पैर पटकती हुई वहां से चली गई |

चीनू!! चीनू!! पता है मैंने आज दिव्या को किसी लड़के के साथ देखा, कृतिका अपनी सहेली को बता रही थी |
अच्छा, कौन था वो और देखने में कैसा था ?
देखने में तो काफी स्मार्ट था | फेयर कलर विद अट्रैक्टिव फीचर्स!! राज की ही स्कूल में पढता है | सागर नाम है |

वाओ !! साउंड्स इंटरेस्टिंग !!
पर यार!! दिव्या! आई मीन दिव्या जैसी मिडिल क्लास लड़की को भी कोई भाव दे सकता है | "आई कांट बिलीव", हैरान थी कृतिका |

चलो अब सब जल्दी से बस में बैठो, कुछ ही देर में हम निकलेंगे, मेम ने सबको बस में बैठने का आदेश दिया |
सब बस में बैठ चुके थे | फिर सबकी अटेंडेंस ली गई की कहीं कोई रह तो नहीं गया |
बस चल पड़ी थी | थकान के कारण हम सब सो गए थे |

"तुम खूबसूरत लग रही हो" यही ख्याल मेरे मन में आये जा रहा था | क्योंकि पहली बार, पहली बार, किसी लड़के ने मेरी तारीफ की थी और वो लड़का कोई और नहीं बल्कि सागर था, जिससे मैं अभी कुछ दिनों पहले तक तो झगड़ती थी | आँखों में तो नींद थी लेकिन मन कहीं और ही था, जो मुझे चैन से सोने भी नहीं दे रहा था |