Aag aur Geet - 4 in Hindi Detective stories by Ibne Safi books and stories PDF | आग और गीत - 4

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आग और गीत - 4

(4)

राजेश ने मुस्कुरा कर टेली फोन को आंख मरी फिर से खुजाते हुये माउथ पीस में कहा ।

“यार मलखान ! उस औरत के बाल बड़े सुंदर थे ।”

“मैंने तुमसे सच कह रहा हूँ कि मैंने उसकी लाश ही देखी थी ।” – मलखान की आवाज आई “उससे मेरी पहले से मुलाक़ात नहीं था । ”

“उसका नाम क्या था ? ” – राजेश ने पूछा ।

“उसका नाम मार्या था – केब्रे डान्सर थी ।” – आवाज आई “अब मेरी इज्ज़त तुम्हारे हाथ में है ।”

“अरे ! शहर के राजा साहब इस प्रकार की बात कर रहे है ।” – राजेश ने मुस्कुरा कर कहा “विश्वास नहीं हो रहा है ।”

“विश्वास करो राजेश – मैं गलत नहीं कह रहा हूँ ।”

“लेकिन तुमको परेशानी क्यों है ? ”

“तुम्हारे पिता जी को एक तस्वीर भेजी गई है जिसमे मार्या अर्ध नग्न अवस्था में मेरी मेज के पास है ।”

“तस्वीर तो सच ही होगी ? ” – राजेश ने पूछा ।

“हां । ” – मलखान की आवाज़ आई ।

“मगर अभी तो तुमने कहा था कि तुमने केवल उसकी लाश देखी थी ।”

“मेरे कहने का अर्थ यह था कि उससे मेरा कोई मेल जोल नहीं था ।”

“होटल वालों का बयान लिया ? ” – राजेश ने पूछा ।

“वह लोग बस इतना ही बता सके है कि मार्या का संबंध दक्षिणी आफ्रिका से था । वह यहां जीविका की तलाश में आई थी । होटल ही के एक कमरे में रहती थी । उसके चाहने वालों की संख्या बहुत अधिक थी – संभव है उन्हीं में से किसी ने उसे क़त्ल किया हो ।”

“अच्छा – तो अब तुम उसके चाहने वालों को चेक करो – मैं भी यही चाहता हूँ कि तुम्हारी गर्दन न फंसने पाये ।” – राजेश ने कहा “वैसे एक बात अभी से सुन लो – जिस औरत का नाम तुमने मार्या बताया है और जो केब्रे डान्सर थी और क़त्ल कर दी गई – वह वास्तव में एक देश की सीक्रेट एजेन्ट थी ।”

फिर दूसरी ओर से मलखान “क्या – क्या ” करता ही रह गया मगर राजेश ने न केवल संबंध काट दिया बल्कि प्लग भी निकाल दिया ।

उसके बाद उस कमरे में पहुंचा जिसमें प्राइवेट फोन रहता था और जिसके नंबर टेली फोन डारेक्टरी में नहीं थे । इसी फोन पर वह सीक्रेट सर्विस के चीफ पवन की हैसियत से अपने आधीनो को आदेश दिया करता था । उसने फोन पर नायक के नंबर डायल किये ।

दूसरी और नायक ही ने रिसीवर उठाया था ।

राजेश ने लेहजा तो वही रखा मगर उसमें कठोरता के बजाय कोमलता थी ।

“कैसे हो ? ” – उसने भर्राये हुये स्वर में पूछा ।

“ठीक हूँ श्रीमान जी ।” – नायक की उदासीनता में डूबी हुई मंद से आवाज आई ।

“जोली और मदन ने तुम्हारे संबंध में जो रिपोर्ट दी है – क्या वह सच है ? ”

“जी हा ।”

“मुझे विवरण सहित बताओ – शायद मैं तुम्हारी सहायता कर सकूं ।”

फिर वह नायक की बातें सुनने लगा । नायक ने निशाता से मुलाक़ात से लेकर साइकी के साथ कार में वापसी तक की बात सुना डाली, जब उसकी आवाज आनी बंध हो गई तो राजेश ने पूछा ।

“क्या तुम्हें विश्वास है कि वह कार तुम्हें उतारने के बाद नगर की ओर गई थी और फिर उसी ओर वापस चली गई थी जिस ओर से आई थी ? ”

“जी हां ।” श्रीमान जी ! ”

“अच्छा यह बताओ कि तुम अब क्या चाहते हो ? ”- राजेश ने पहले से भी अधिक कोमल स्वर में पूछा ।

कोई उत्तर नहीं मिला ।

“कदाचित मुझसे कहने का साहस नहीं हो रहा है – क्यों ? ”

“जज....जी.....हां ।”

“अच्छी बात है – मैं राजेश को तुम्हारे पास भेज रहा हूँ – तुम उसे बता देना । मैं पूरी कोशिश करूँगा कि तुम्हारी सहायता कर सकूं ।” – राजेश ने कहा और रिसीवर रख दिया ।

वह विचारों में कहो गया । नायक की कहानी उसके पल्ले नहीं पड़ी थी । आग का स्नान – एक हजार तीस वर्ष की आयु – यह सब उसे एक तिलिस्मी कहानी मालूम हो रहा था ।

फिर वह नायक को भूल कर मार्या के बारे में सोचने लगा जो तीन दिन पहले क़त्ल कर दी गई तिथि और कैप्टन मलखान के साथ जिसका स्केंडिल जोरों पर बनाया जा रहा था ।

कुछ देर बाद उसने जोली के नंबर डायल किये और जब उत्तर मिल गया तो उसने पूछा ।

“अजय और चौहान से रिपोर्ट मिली ? ”

“जी हां – अजय ख़ुद आया था और, रिपोर्ट दे गया है । रिपोर्ट पढ़ने के बाद मैंने उससे कुछ प्रश्न भी किये थे – रिपोर्ट आपको सुनाऊँ ? ”

“नहीं – अभी रहने दो ।” – राजेश ने कहा “यह बताओ कि इस समय उस कमरे में कौन ठहरा हुआ है जिसमें मार्था ठहरी हुई थी ? ”

“एक लम्बे कद और भयंकर रूप वाला इटैलियन ।”

“उसका नाम मालूम हो सका है ? ”

“जी हां । उसका नाम बेन्टो है ।”

“पास्पोर्ट पर आया है ? ” – राजेश ने पूछा ।

“जी हां ।”

“आने का कारण ? ”

“अपने को विदेशी नर्तको के कन्सर्ट का मैनेजर बताता है ।”

“कन्सर्ट आ गया है ? ”

“जी नहीं ।”

“कब तक आयेगा ? ”

“आज ही रात में – बारह बजे । हवाई जहाज द्वारा ।”

“अच्छा ऐसा करो कि अजय को तो होटल ही में रहने दो और चौहान को वहां से हटा कर उसकी डयूटी हवाई अड्डे पर लगा दो ।”

“जी अच्छा – मगर वह वहां करेगा क्या ? ” – जोली की आवाज आई ।

“वह उन लोगों की लिस्ट तैयार करेगा जो उस कन्सर्ट के सदस्यों से मिलने के लिये हवाई अड्डे पर जायेंगे ।”

“जी अच्छा ।”

“अजय – होटल में कहा और किस हैसियत में है ? ” – राजेश ने पूछा ।

“कमरा नंबर चार में – रिटायर मेजर की हैसियत से ।”

“ठीक है ।” – राजेश ने कहा फिर संबंध काटने ही जा रहा था कि उसे जोली की कपकपाती हुई आवाज सुनाई दी ।

“श्रीमान जी – वह नायक ।”

“तुम नायक के लिये इतनी परेशान क्यों हो ? ”

“वह हमारा साथी है सर – बस इसीलिये ।”

“मैं भी उसके लिये चिन्तित हूँ ।” – राजेश ने कहा और संबंध काट दिया ।

कमरे से बहार निकल कर सोने वाले कमरे में आया और कपड़े बदलने लगा । प्रोग्राम यह था कि नायक से मिलने के बाद होटल कासीनो जायेगा जहां अजय ठहरा हुआ था और जहां मार्था का क़त्ल हुआ था ।वह उस आदमी को भी चेक करना चाहता था जिसका नाम नायक ने बेन्टो बताया था ।

अभी वह कपड़े बदल रहा था कि मेकफ कमरे में दाखिल हुआ और एड़ियाँ बजा कर खड़ा हो गया ।

राजेश कुछ क्षण तक उसे घूरता रहा फिर बोला ।

“क्या है ? ”

“बास ।” – मेकफ ने टूटी फूटी हिंदुस्तानी में कहा “भालू हमको साला बोलटा हाय – कहटा हाय कि साला शराब का एक वरायटी होटा हाय ।”

इतने में भोलू भी आ गया और आंखें निकाल कर कहने लगा ।

“यह झूठ बोलता है साहब – भला इस कालिये को मैं अपना साला बनाऊंगा !”

“बात क्या हुई थी ?”

“कुछ नहीं साहब -” भोलू ने कहा “दो बोतल अधिक मांग रहा था, मेरे मुंह से निकल गया कि साला हर वक्त पीता रहता है । बस उसी समय से ऐंठा हुआ था और बडबडाये चला जा रहा था फिर शिकायत करने आपके पास भी चला आया ।”

“भोलू !” राजेश ने आंखें निकाल कर कहा ।

“एक टांग पर, एक घंटा खड़ा रह ।” राजेश ने कहा फिर कनखियों से मेकफ की ओर देखा जिसके चेहरे से खुशी झलकने लगी थी । फिर उसने मेकफ को सम्बोधित किया ।

“येस बास ।” मेकफ ने कहा ।

“पांच सौ डंड ।” राजेश ने कहा ।

“मेरी गलती बास ?”

“तुमने ज्यादा बोतलें क्यों मांगी थीं ?”

फिर वह दोनों चीखते ही चिल्लाते रह गये मगर राजेश हाथ हिलाता हुआ बाहर निकल आया । गैराज से टू सीटर निकाली फिर वहीं से चीखा ।

“भोलू ! जरा मेरी छतरी तो लेते आना ।”

“एक टांग से नहीं आ सकता साहब ।” – भोलू भी चीखा ।

“अच्छा, दोनों टांगों से चला आ – मेकफ को भी लेते आना ।”

“वह तो डंड लगा रहा है साहब ।”

“एक बोतल देकर उसे भी छुट्टी दे दे ।”

भोलू ने खुशी खुशी छतरी लाकर दे दी । राजेश ने मेकफ से अपनी छोटी वाली अटैची मंगवाई और दोनों वस्तुएं रख कर टू सीटर स्टार्ट कर दी ।

नायक के फ़्लैट के सामने पहुंचकर उसने गाड़ी रोकी और नीचे उतर कर फ्लैट का दरवाजा खटखटाने लगा ।

कई बार खटखटाने के बाद दरवाजा खुला और राजेश अंदर दाखिल हो गया । वह उन दो आंखों को नहीं देख सका था जो नायक के फ्लैट के द्वार पर जमी हुई थीं ।

अंदर पहुंचते ही नायक ने कुछ ऐसे भाव में उसे सलाम किया था कि वह बौखला गया था । फिर उसने सर के बल खड़े होने की कोशिश की । वह कनखियों से नायक की ओर भी देखता जा रहा था जिस पर उसकी इस बौखलाहट का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था । उसका चेहरा बिलकुल सपाट था और वह खड़ा पलकें झपका रहा था ।

राजेश सीधा खड़ा हो गया और आगे बढ़कर उसे सीने से लगा लिया । मगर नायक ने कोई आपत्ति नहीं की । फिर जब राजेश ने उसे जोर से दबाया तो उसने हलकी सी कराह के साथ कहा ।

“राजेश भाई ! मुझ दुखी पर दया करो ।”

“अरे यार ! तुम भंग तो नहीं खा गये हो ।” राजेश उसे छोड़कर अलग हट गया ।

“नहीं ।” नायक ने संक्षिप्त उत्तर दिया ।

“किस से आंखें लड़ गई हैं दोस्त ?” राजेश ने पूछा “जो इस तरह मजनू बन गये हो ?”

फिर नायक इस प्रकार बोलने लगा जैसे टेप रेकार्डर का स्विच आन कर दिया हो । वह कुसुमित घाटी की कहानी सुना रहा था ।

जब वह चुप हुआ तो राजेश ने उसे आंख मारते हुए कहा ।

“जोली उससे कहीं अधिक सुंदर है ।”

“नहीं राजेश भाई !” नायक ने कहा “वह सूरज है और जोली कण है – वह चौदहवीं का चाँद है तो जोली द्विज का चाँद है – दोनों का कोई मुकाबिला नहीं है । आपने उसे देखा नहीं है इसलिये उसके सौन्दर्य का अनुमान भी नहीं लगा सकते ।”

राजेश खोपड़ी सहलाने लगा फिर बोला ।

“तुम्हारे चीफ पवन ने तुम्हें किसी अभियान पर भेजा था ?”

“हां ।” नायक ने ठंडी सांस खींच कर कहा “आप यह मत सोचियेगा कि मेरा दिमाग ख़राब हो गया है या मैं पागल हो गया हूं या मेरी स्मरण शक्ति नष्ट हो गई है ।”

वह एक दम से मौन हो गया और राजेश उसके बोलने की प्रतीक्षा करने लगा । नायक की स्थिति देख कर और उसकी बातें सुन कर राजेश गंभीर हो उठा था ।

कुछ देर बाद नायक कहने लगा ।

“मैं बिलकुल अपने होश हवास में हूं मिस्टर राजेश । बस अंतर इतना है कि आज तक मैं न्यूनतर वस्तुओं के पीछे भागता रहा था इसलिये लोगों से लड़ाई झगड़ा भी होता रहा और अब मैंने इस संसार से बहुत श्रेष्ठ वस्तु देख ली है और जब हर वस्तु मुझे तुच्छ नजर आने लगी है तो फिर अब किसी से लड़ाई झगड़े का भी प्रश्न नहीं है । इसलिये मैं आपसे उसे समस्त बातों के लिये क्षमा चाहता हूं – पिछली बातों के लिये जिनमें मेरी मूर्खता सम्मिलित है ।”

“सुनो नायक दोस्त ! तुम्हारा मेदा ख़राब हो गया है । मेदे की गर्मी दिमाग पर पहुंच गई है । इसका एक मात्र उपचार यह है कि सवेरे शाम ठंडे जल से स्नान किया करो और स्नान के बाद जवान और सुंदर औरतों का दर्शन किया करो । अन्त में इतना अवश्य कहूँगा कि तुम नंबरी गधे हो – टाटा !” राजेश ने कहा और फ्लैट से बाहर निकल आया ।