तांत्रिक रुद्रनाथ ने बताना शुरू किया , –
" धूनी के पास बैठकर ही रात का खाना खत्म किया I उस बूढ़े आदमी को भी मैंने खाने के लिए कुछ मुट्ठी लाई , चूड़ा व दाना दिया I यहां पर पानी की कमी नहीं है I खाने के बाद गुफा से बाहर निकल आगे बहते जलधारा से पानी पिया I वह बूढ़ा आदमी भी पानी पीने के लिए बाहर निकला और आसमान की ओर देखकर बोला कि आज अमावस्या है I
मैंने कुछ भी नहीं कहा I मन ही मन सोचा कि हो सकता है I पहाड़ी लोग आसमान को देखकर अगला एक-दो दिन कैसा मौसम रहेगा यह भी बता सकते हैं व आसमान के नक्षत्र को देखकर दिशा व तीथि संबंध में भी बहुत कुछ बता सकते हैं I पहाड़ी लोगों को यह प्राकृतिक ज्ञान उनके जीवन यापन को और सरल बना देती है I
यहां पर ठंडी कुछ ज्यादा ही है I महसूस हो रहा है कि जितना हिमालय के पास पहुंच रहा हूं ठंडी उतना ही बढ़ रही है I बहुत रात हो गई है I थकान महसूस हो रहा है इसीलिए गुफा के दीवार से टेंक लगाकर मैं आराम कर रहा था I मेरे सामने जलते आग के पास ही वह बूढ़ा आदमी सोया हुआ था I अचानक न जाने कहां से एक ठंडी हवा का झोंका गुफा के अंदर आ गया और तुरंत ही राख व जलते लकड़ी के टुकड़े इधर उधर फ़ैल गए I उस बूढ़े आदमी के हाथ व पैरों में जलती लकड़ी के टुकड़े छूने से वह हड़बड़ा कर उठा बैठा I मैं समझ गया कि वह गहरी नींद में थे और अचानक जलन महसूस होते ही वह घबरा गए I लेकिन इसमें घबराकर इधर-उधर देखने लायक तो कुछ भी नहीं हुआ I शायद बूढ़ा आदमी कुछ ज्यादा ही डर गया है या उनके मन में इससे भी बड़ा कुछ भयानक चल रहा था I मुझे उनके हाव-भाव थोड़े बेढंग लगे I मेरे कुछ बोलने से पहले ही बूढ़े आदमी ने मेरी ओर देखा I उनके आंखों की विनम्रता अब नहीं थी I
उन्होंने गंभीर आवाज में मुझसे पूछा - " तुम कोई तांत्रिक हो क्या ? "
यह सुन मैं आश्चर्यचकित हो गया क्योंकि मैंने अपने बारे में उन्हें कुछ भी नहीं बताया था I लेकिन उन्हें कैसे पता चला ? अगर वह जान भी गए हैं लेकिन वो इतना डर क्यों रहे हैं ?
फिर से उन्होंने गुस्से में पूछा - " क्या हुआ सुनाई नहीं दे रहा क्या पूछ रहा हूं I "
मैं बोला - " हाँ बाबाजी ,मैं एक तांत्रिक हूँ I लेकिन क्या हुआ आप ऐसे व्यवहार क्यों कर रहे हैं ? "
बूढ़ा आदमी थोड़ा कांपते हुए बोला - " मैं भूल गया था लेकिन अब सब कुछ याद आ गया I शायद आज ही वो रात है जिसका जिक्र साधु बाबा ने किया था I"
मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है I मैंने बूढ़े आदमी से पूछा - " आप क्या कह रहे हैं , मैं कुछ समझा नहीं I "
इसी बीच देखा वह बूढ़ा आदमी कांप रहा है I अचानक वह सीधे लेट गए I लेट गए यह कहना गलत होगा क्योंकि ऐसा लगा मानो किसी अदृश्य ने उन्हें जबरदस्ती पकड़कर नीचे दबा रखा था I मैं उसे रोकना चाहा लेकिन रोकूं किसे क्योंकि मेरे और उस बूढ़े आदमी के अलावा इस गुफा में और तीसरा कोई भी नहीं है I इसके बाद एक ऐसी घटना घटने लगी जिसे मैं देखना तो नहीं चाहता था पर आगे क्या होगा यह जानने के एकटक भयभीत होकर देखता रहा I मैंने देखा कि उस बूढ़े आदमी के हाथों और पैरों के नाखूनों को कोई एक एक करके खींचकर निकाल रहा है I उन नाखूनों के जड़ से निकल रहा है लाल ताजा खून I बूढ़ा आदमी तब तक बेहोश हो गया था I मुझे ऐसा लगा कि उनके बेहोश होने से ठीक ही हुआ क्योंकि अगर वह होश में रहते तो इस दर्द को सहन नहीं कर पाते I मैं मन ही मन देवी माँ को याद कर रहा था I साधना से मैंने जो शक्तियां पाई थी उससे मैं यह नहीं रोक सका I इस अदृश्य पिशाच को काबू करने की क्षमता उस
समय मेरे अंदर नहीं थी I तब तक बूढ़े के हाथ और पैरों में एक भी नाख़ून नहीं बचा था I गुफा का फर्श लाल खून से भरता जा रहा था I इसी बीच मैंने देखा उस बूढ़े आदमी के दाहिने पैर को कोई अदृश्य हाथ मोड़कर तोड़ना चाहता है I
मैं जान गया कि यह अदृश्य जो कुछ भी है वह बूढ़े आदमी के नाखूनों से संतुष्ट नहीं हुआ वह प्रेत उन्हें मारना भी चाहता है I फिर एक बात मेरे मन में आते ही मैं कांप उठा क्या पता है इस बूढ़े आदमी के बाद मेरी बारी हो I यह प्रेत अगर मुझे भी मार डाले लेकिन क्यों ? मैंने तो कभी किसी का नुकसान नहीं किया I महादेव क्या मुझे मृत्यु प्रदान करने के लिए इस गुफा में स्वप्नादेश देकर लाए थे I
इसी बीच और एक आश्चर्यजनक घटना घटी I गुफा में जलती आग बुझने वाली थी लेकिन अचानक न जाने कहाँ से एक सफेद रोशनी से पूरा गुफा झिलमिला उठा I अब उस बूढ़े आदमी के तरफ देखा शायद पिशाच ने अपनी हत्यालीला को रोक दिया था I धीरे - धीरे गुफा के बाहर से आने वाला सफेद रोशनी बढ़ने लगी I फिर दिखाई दिया कि एक मनुष्य शरीर हमारी ओर आ रहा है लेकिन रोशनी इतना तेज है कि उनका चेहरा नहीं दिख रहा I वह आदमी जितना आगे बढ़ता गया मैं उतना ही आश्चर्य व अवाक् से भर उठा I
इस प्रकाशमान आदमी का चेहरा मैं पहचानता हूँ , बहुत बार इस चेहरे को देखा है जिसे कभी नहीं भूल सकता I केवल चेहरा ही नहीं उसके चलने का ढंग भी मैं जानता हूँ क्योंकि वह प्रकाशमान शरीर था मेरे छोटे भाई अनिल का लेकिन यह उसका कैसा रूप है I देखने में एकदम किसी साधक जैसा परन्तु अनिल तो मर गया है लेकिन इस अनिल को देखकर ऐसा नहीं लग रहा I
अनिल धीरे - धीरे मेरे सामने आकर बोला - " डरो मत बड़े भैया , क्या करूँ भैया तुमसे पहले ही ईश्वर ने मुझे अपने पास बुला लिया I उनके बुलावे को क्या कोई अनदेखा कर सकता है I तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि तुम्हारा केदारनाथ यात्रा अवश्य पूरा होगा I मैं जानता हूँ कि तुम बहुत ही आश्चर्य में हो यह स्वाभाविक है I पास ही जिस बूढ़े आदमी को देख रहे हो उसका नाम दीनानाथ अग्रवाल है I इनको मैंने ही तुम्हारे पास भेजा था I जिन्दा रहते इस गुफा के आसपास इनके साथ मैं कई बार मिला था I मुझसे बहुत ही श्रद्धा करते थे लेकिन कभी नहीं जान पाए कि मैं यहां जितने दिन था सूक्ष्म शरीर में था I इस गुफा में मैंने 12 साल तक सूक्ष्म शरीर द्वारा साधना किया और मेरा असली शरीर हमारे गांव वाले घर में था I मैं जानता हूँ कि तुम्हारे मन में बहुत सरे प्रश्न चल रहे होंगे लेकिन अब और नहीं I मेरे जाने का वक्त आ गया है लेकिन तुम्हारे साथ मैं फिर मिलूंगा Iऔर जहां मैं मिलूंगा उसका जगह को हिमालय का महापवित्र ज्ञानगंज मठ नाम से जाना जाता है I उस जगह के बुलावे को आजतक किसी ने भी नहीं टाल पाया और तुम भी नहीं टाल पाओगे I ईश्वर यही चाहता है I तुम दीनानाथ की सेवा करना , उसे अपने पापों का फल मिल गया I आज रात की बात को मैं उसके दिमाग से हटा दूंगा I तुम उसे स्वस्थ अवश्य
करना I अब मैं चलता हूँ मेरा पीछा मत करना I "
इतना कहकर अनिल गुफा से बाहर निकल गया I अब धीरे - धीरे सफेद रोशनी दूर जाने लगी I लेकिन कितना अद्भुत है अब गुफा के फर्श पर एक बूँद भी खून नहीं है और धूनी जैसे पहले जल रहा था ठीक वैसा ही है I सबकुछ मानो पहले जैसा हो गया I लेकिन वह बूढ़ा आदमी अभी तक होश में नहीं आया था I अचानक इतने सारे आश्चर्य कर देने वाले घटनाओं को देखने के बाद दिमाग सुन्न हो गय था लेकिन अब धीरे - धीरे सब कुछ ठीक हुआ I मैं गुफा के फर्श पर नासमझों की तरह बैठ गया और गुफा के दीवारों की ओर नजर डाला I दीवार में छपी सभी देवी चित्र मुझे देखकर मानो हंस रहे हैं I मैं बार -बार सोचता रहा कि अनिल इतना बड़ा साधक था I जिस शक्ति को मैंने घर छोड़ साधुओं के साथ इधर उधर घुमते हुए भी नहीं पा सका उसे अनिल घर पर बैठकर ही पा गया I सच बताऊं तो उसके प्रति मुझे लेश मात्र भी ईर्ष्या नहीं हुई बल्कि अगर वो कुछ देर और यहां रहता तो मैं उसके चरणों को छूकर आशीर्वाद ले लेता I जिसे मैं नहीं कर सका उसको मेरे छोटे भाई ने कर दिखाया I उसने कहा कि आज से 12 साल पहले सूक्ष्म शरीर द्वारा इस गुफा में रहकर साधना किया था I इसका मतलब उसके पहले से ही उसे तंत्र योग में सिद्धि लाभ हुई थी I इसके अलावा उसने कहा कि उसके साथ मैं फिर मिलूंगा किसी पवित्र ज्ञानगंज मठ में , लेकिन यह मठ कहा है I हिमालय के किस जगह पर वह मठ है ? इसके बाद याद आया क्योंकि
वो एक मठ है तो लोगों से पूछने पर वहां पहुंचने का पता मिल ही जाएगा I अनिल को फिर से देखने के लिए मन व्याकुल हो उठा लेकिन उससे भी बड़ी इच्छा जो मेरे मन में बैठा था वह था देवादिदेव केदारनाथ का दर्शन I मेरे ध्यान - ज्ञान में केवल केदारनाथ प्रतिष्ठित था I एक बार ऐसा भी लगा कि अभी गुफा को छोड़ केदारनाथ के रास्ते निकल पड़ता हूँ लेकिन फिर याद आया कि भाई ने कहा था कि उस बूढ़े आदमी के स्वस्थ न होने तक मैं उसकी सेवा करूं I इसके बाद लगभग 32 दिन बीत गए I खुद को मानो गुफावासी जैसा ही सोचने लगा था I "
" इतने दिन आप गुफा में क्यों रहे ? और उस बूढ़े आदमी का क्या हुआ ? " मैंने अचानक प्रश्नों कि झड़ी लगा दी I
तांत्रिक रूद्रनाथ बोले - " उसी बूढ़े आदमी के वजह से ही तो मुझे गुफा में इतने दिन रहना पड़ा था I उस आदमी के ठीक होने में इतने दिन कैसे निकल गए मैं समझ नहीं पाया ,केवल रात होने पर ऐसा लगता कि और एक दिन बीत गया I यही सोचता कब मुझे श्री केदारनाथ का दर्शन मिलेगा I प्रतिदिन सुबह गुफा से बाहर एक चट्टान पर बैठकर चारों तरफ के प्राकृतिक दृश्यों को निहारता था I और कभी कभी ध्यान करने भी बैठता था I वहां पर ऐसा स्वर्गीय सुख है जिसे बोलकर समझाया नहीं जा सकता I जिधर भी देखो केवल सफेद पहाड़ों का क्रम , कभी कोहरे और बादल के बीच से
पहाड़ दिखता और कभी पहाड़ कोहरे व बादलों से पूरी तरह ढके दिखाई देते I इस वातावरण में खराब मन से कोई भी ज्यादा समय नहीं रह सकता I प्रकृति उसे वश में अवश्य कर लेगा I लेकिन एक बात मन से नहीं गया I अनिल ने कहा था कि बूढ़े आदमी ने अपने पापों की सजा पाया है I इस बूढ़े आदमी ने ऐसा क्या पाप किया था जिसकी सजा उन्हें ऐसे मिली ? और एक बात है उस दिन वह बूढ़ा आदमी नींद से जागने के बाद मैं कोई तांत्रिक हूँ या नहीं यह क्यों जानना चाहा था ? इस बात को मैंने याद रखा क्योंकि इसका उत्तर मुझे जानना ही होगा I लेकिन कैसे ?
एक दिन रात को गुफा के बैठकर मैं यही सोच रहा था I आसमान में सुंदर सा चाँद निकला था I चाँद की ओर देखते हुए यही सोच रहा था कि कैसे उस बूढ़े आदमी के अपराध की बात को जाना जाए ? बूढ़े आदमी से इस बारे में पूछने का मन नहीं हुआ I एक तो वो बीमार हैं और ठीक से बात भी नहीं कर पा रहे I उस दिन अदृश्य हाथों के वार से पैर टूटा नहीं लेकिन चोट गंभीर लगी थी I हड्डी कमजोर है स्वस्थ में कितना दिन लगेगा क्या पता I उस समय आसमान में चाँद के सामने से एक टुकड़ा बादल तैर रहा था I अचानक मेरे दिमाग में उपाय सूझ गया I चन्द्रदर्शन करना कैसा रहेगा I
हाँ सही , केवल चन्द्रदर्शन के द्वारा ही उस बूढ़े आदमी के अपराध की बात सही से जानना संभव है I "
यह शब्द मेरे लिए नया था इसीलिए तांत्रिक से पूछा - " चन्द्रदर्शन का मतलब , क्या केवल चाँद को देखने से ही सभी बात जाना जा सकता है ? "
तांत्रिक रुद्रनाथ हँसते हुए बोले - " अरे नहीं नहीं , इस चन्द्रदर्शन का मतलब साधारण तरीके से चाँद देखना नहीं है I सीधा लेटकर दोनों हाथों के चारों अंगुली से दोनों आँखों को दबाकर और फिर दोनों अंगूठे से दोनों कान को जोर से दबाकर , एक मन से दोनों आँखों के बीच ध्यान लगाना होगा I कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद धीरे - धीरे दृष्टि साफ होता
रहेगा I तब दिखाई देता है आँखों के सामने बादल मुक्त काला आसमान और दोनों भौहों के बीच के बराबर सामने एक पूर्ण चाँद एवं उसके ठीक नीचे एक पेड़ के पास एक परी दिखाई देता है I इस परी से तुम जो भी पूछोगे वह उसका उत्तर तुम्हें बताएगी I जो व्यक्ति चन्द्रदर्शन करना जानता है उसे सभी बातों का उत्तर पता होता है I लेकिन सभी के लिए चन्द्रदर्शन करना संभव नहीं है I दृढ़ योग बल से इसे अभ्यास करना पड़ता है I लेकिन एक चंद्र महीने में केवल एक प्रश्न का उत्तर ही वह परी बताएगी I इससे अधिक नहीं I "
मैं बोल पड़ा - " तो क्या आपने चन्द्रदर्शन किया ? और अपने क्या जाना ? "
" हाँ , चन्द्रदर्शन किया था और उसका उत्तर भी मुझे मिला था I आँख बंद करके के बहुत देर बाद चाँद व परी दिखाई दिया I उनसे बूढ़े आदमी के अपराध की बात पूछते ही , परी बोली - " आज से लगभग 30 साल पहले यह बूढ़ा आदमी एक दुकान से कुछ पैसे चोरी करते हुए पकड़ा गया था I इसके बाद उस दुकान के मालिक ने कुछ लोगों के साथ
मिलकर उसे मारा - पीटा था I इस अपमान को ना सह पाने के कारण , एक दिन दुकान मालिक के एक छोटे 10 साल के लड़के को उसने बहला फुसलाकर उसे पहाड़ के जंगल में ले गया I एवं एक पहाड़ी पौधे के फल को उसे खिलाया I यह पहाड़ी फल दिखने में बहुत ही सुंदर था लेकिन वह मनुष्यों के खाने के लिए नहीं था I उस फल को खाकर लड़का बेहोश हो गया I इसके बाद इस बूढ़े ने लड़के को उसके घर के पास लाकर लेटा दिया I बूढ़े को यह करते हुए किसी ने नहीं देखा यही सोचकर वह आश्वस्त हो गया I इसके बाद जब छोटा लड़का होश में आया तो वह पूरी तरह से पागल हो गया था और सबकुछ भूल चूका था उस फल को खाने के कारण I लेकिन बूढ़ा नहीं जानता था कि कोई देखे या न देखे ईश्वर उसके तुच्छ कार्य को ऊपर से देख रहें हैं I इस घटना के कुछ दिन बाद अचानक एक तांत्रिक साधु उसके घर आए I सिर पर बड़ा सा जटा , वेष में किसी मृत जानवर का चमड़ा , पूरे शरीर में भस्म लगा हुआ और गले में एक गुच्छा रुद्राक्ष की माला देखकर ऐसा लगता मानो कुंडली मारकर कोई सांप बैठा है और इसके अलावा हाथ में बड़ा सा त्रिशूल I कहाँ से वो आए थे कोई भी नहीं जानता I किसी ने
उन्हें इस इलाके में पहले कभी नहीं देखा था I इसके बाद उन्होंने अपने ज्वाला रुपी आँखों से इस बूढ़े को देखकर बोले थे कि उसने जो किया है उसकी सजा उसे अवश्य मिलेगा I तब बूढ़े आदमी ने अपनी गलती को मानकर उस तांत्रिक साधु से क्षमा माँगा I तब तांत्रिक ने उसे बताया कि इसकी सजा उसे मिलेगा लेकिन उसका प्राण बच जाएगा अगर वह अमावश्या की रात एक सिद्धि प्राप्त तांत्रिक के साथ गुफा में रहेगा तभी लेकिन उस रात उसके पाप का अंत होने के साथ - साथ उसे सजा भी मिलेगी I और उसके पाप के प्रायश्चित का समय निकट है यह जाना जाएगा एक ठंडे हवा का झोंका और आग की चिंगारी के रूप में "
इतना बताकर आँखों के सामने से पूर्ण चंद्र और परी गायब हो गए I मैंने आँखों को खोला तो देखा सामने बूढ़ा आदमी आराम से सो रहा था I "
मैंने तांत्रिक से पुछा - " इसके बाद आपने इस बारे उनसे नहीं पूछा I "
" मैं और क्या बोलूं I उन्होंने अपनी सजा पा लिया था I और जिसे सजा मिल चुका है उससे और पूछता भी तो क्या पूछता I "
इतना बोलकर रुद्रनाथ तांत्रिक शांत हुए I
मैंने पूछा - " इसके बाद क्या हुआ ? "
तांत्रिक ने फिर बताना शुरू किया .......
अगला भाग क्रमशः।।।