Tantrik Rudrnath Aghori - 7 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 7

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 7

हिमालय की ओर - 1



आज 18 नवम्बर है I इस समय रात के 11 बज रहे हैं I कभी सोचा नहीं था कि मेरे जीवन के घटित घटनाओं को डायरी में लिखकर बाद में उसे पढ़ते वक्त किसी रोमांचक कहानी के जैसा लगेगा I
12वीं पास करने के बाद मन में डायरी लिखने का विचार आया था I अपने काम का विवरण लिखना मुझे पसंद नहीं था बस यही सोचा था कि अगर जीवन में कुछ आश्चर्यजनक हुआ तो उसी को डायरी में उतार दूंगा I इसी तरह कुछ छोटे-छोटे घटनाओं ने मेरी डायरी में जगह पाया है I मेरे 12 नंबर डायरी तक कोई एक जैसी घटना नहीं थी लेकिन 13 नंबर डायरी में ऐसा नहीं हुआ I और इसके बाद जिसके प्रसंग ने मेरे डायरी में सबसे ज्यादा जगह पाया उसका नाम है तांत्रिक
रूद्रनाथ अघोरी I

मेरा नाम है जयदत्त मिश्रा , मुझे नहीं पता कि मेरे बाद यह डायरी किसके हाथ में आएगा I लेकिन जो भी इसे पाएगा उसके लिए यह धन भंडार से कम नहीं है I लेकिन इस धन भंडार में सोना , चांदी रुपया - पैसा व मोती नहीं है I इसमें है सब कुछ सच घटनाओं का विवरण , जो किसी सोने - चांदी से कम नहीं है I और इससे वह व्यक्ति जान पाएगा कि रुपया पैसा अंत तक नहीं रहेगा केवल आंखों देखी घटनाएं व यादें ही रह जाएँगी I
आज रविवार है ,रात का खाना खाने के बाद डायरी लिखने बैठा हूं I आज पूरे दिन जो कुछ भी हुआ उसी को डायरी में लिख रहा हूं I

आज ऑफिस की छुट्टी है I गढ़मुक्तेश्वर में तबादला हुए लगभग 8 महीने हो गए हैं I इन 8 महीनों में जिस व्यक्ति के साथ सबसे ज्यादा परिचित हुआ हूं , उनके घर की ओर जाने के बारे में ही सोच रहा था I छुट्टियों के दिन उनके साथ ही मेरा समय बीतता है I
हाथ की घड़ी बता रही है कि सुबह के 10:25 बजे हैं I ज्यादा देरी ना करते हुए उनके घर की ओर मैं रवाना हुआ I
उनके घर के पास जाते ही दिखाई दिया कुछ लोग भीड़ लगाकर खड़े थे और सभी एक तरफ ही देखते हुए अपनी उत्तेजना को प्रकाशित कर रहे थे I मैं आगे बढ़ा और पास पहुंचते ही देखा कि एक 13 - 14 साल का लड़का नीचे जमीन पर लेटा हुआ है I उसके दोनों आंख बंद थे और उसके पास ही तांत्रिक रूद्रनाथ अघोरी बैठे हुए थे I मुझे देखते ही तांत्रिक रुद्रनाथ ने इशारों से बैठने के लिए कहा I मैं नहीं बैठा और खड़े होकर ही उनके क्रियाकलापों को देखता रहा I तांत्रिक रुद्रनाथ बेहोश उस लड़के के माथे से नाभि
तक उंगली घुमाकर , साथ ही साथ न जाने कौन से मंत्र का उच्चारण कर रहे थे I और बीच-बीच में फूंक रहे थे I ऐसा ही चल रहा था कि अचानक न जाने कहां से बहुत सारे कौवे आकर घर के चारों ओर उड़ने लगे और उनके कांव-कांव की आवाज चारों ओर गूंजने लगी I सफेद आसमान काले बादल
से ढक गए , यह देख वहां उपस्थित सभी लोग थोड़ा व्यस्त हो गए I सच बताऊं तो मैं भी थोड़ा घबरा गया था लेकिन तांत्रिक रुद्रनाथ की ओर नजर जाते ही देखा कि केवल वही शांत होकर अपना काम कर रहे थे एवं उनके चेहरे पर एक हंसी की आभा है I कुछ भी ना समझते हुए एकटक तांत्रिक रुद्रनाथ की ओर मैं देख रहा था I एक समान भाव से चल रहे हैं कौवे के कांव-कांव और तांत्रिक का मंत्र पाठ I ऐसे लगभग 5 मिनट बाद तांत्रिक आंख बंद करके हाथ जोड़कर खड़े हुए लेकिन अब मंत्र पाठ बंद हो गया है I इसके बाद अपने दाहिने पैर उठाकर पैर के अंगूठे को लेटे हुए लड़के के माथे पर एक बार रखते ही , वह लड़का आंख खोलकर उठ बैठा I दूसरे लोगों की तरह मैं भी आश्चर्य होकर इस दृश्य को देख रहा था I इसके बाद ध्यान से देखा तो कौवों का झुण्ड व काले बादल धीरे-धीरे गायब होने लगे और दो-तीन मिनट बाद सब कुछ फिर से स्वाभाविक हो गया I

तांत्रिक रुद्रनाथ ने सभी को जाने के लिए कहने के बाद मुझसे बोले - " क्या हुआ , चलो अंदर जाकर बैठा जाए I सुबह सुबह जो हुआ "
मैं सिर हिलाते हुए बोला - " हां हां चलिए "

घर के अंदर बैठने के बाद मैंने सबसे पहले बोला - " यह सब क्या हुआ सुबह-सुबह और कौवों का झुंड , काले यह सब क्या था बताइए ? "
तांत्रिक बाबा पानी पीने के बाद बोले - " इसे कहते हैं कदालिभा काक्न्त्र कल्प I "
मैं कुछ समझ नहीं पाया थोड़ा तुतलाते हुए बोला - " क्या का लिभ कुल , क्या कहा आपने ? "
तांत्रिक रुद्रनाथ थोड़ा सा हंसते हुए बोले - " लिभा तंत्र नहीं , इसे कहते हैं कदालिभा काक्न्त्र कल्प I रहने दो , यह सब तुम नहीं समझ पाओगे I "
लेकिन मैं भी छोड़ने वाला नहीं I
" बाबा जी बताइए ना क्या बात है ? और उस लड़के को क्या हुआ था ? "
तांत्रिक बाबा थोड़ी देर चुप रहे फिर बोले - " अच्छा ठीक है बताता हूँ I उस लड़के ने शायद 2 दिन के अंदर भूल से किसी मरे हुए कौवे को पैरों से कुचल दिया था या शायद उस जाति के किसी कौवे को उसने छूआ था I "
" उस जाति का मतलब , किस जाति का "
तांत्रिक बोले - " इतना जल्दी क्यों करते हो धैर्य से सुनो I बता तो रहा हूं I "
मैं चुप हो गया और वह बोलते रहे I
" ऐसे किसी मृत कौवे के संपर्क में वह आया था जिसे तंत्र क्रिया में शामिल किया गया होगा I लेकिन मुझे जहां तक लगता है वह तंत्र क्रिया सफल नहीं हुआ I तांत्रिक व साधक के किसी भूल की वजह से तंत्र क्रिया खराब हो गया I ऐसे क्रिया को किसी कौवे के ऊपर प्रयोग करने पर , अगर क्रिया व्यर्थ हो जाता है तो उस कौवे की मृत्यु हो जाती है I तंत्र क्रिया के सफल ना होने के कारण कौवे की मृत्यु के बाद उस मृत कौवे के संपर्क में अगर कोई प्राणी आ जाता है तो उसे
बहुत ही खतरा होता है I क्योंकि मृत कौवे की आत्मा प्रतिशोध के लिए छटपटाता रहता है I यह अगर कौवे का न होकर अगर किसी दूसरे बड़े जानवर का होता तो उस लड़के को कुछ ही घंटों में मार डालता I लेकिन यह सब तंत्र क्रियाएं ज्यादातर कौवे के ऊपर ही किया जाता है I इसको माध्यम
बनाकर अभिचार क्रिया किया जाता है I इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कौवा सभी के घर में जा सकता है I सभी के घर के आंगन में प्रतिदिन जाने के लिए इसे कोई नहीं रोकता और ये एकदम काले रंग के होते हैं I जो अमंगलकारी तंत्र के रंग में से एक है I अगर कोई तांत्रिक व् साधक किसी मनुष्य का बुरा चाहता है तो एक कौवे का जुगाड़ करके उसके ऊपर 3 दिन तक अनिष्टकारी क्रियाएं करता है और चौथे दिन उसे गंगाजल से स्नान करवाकर , यज्ञ की राख , मछली का तेल व लाल चंदन तीनों का मिश्रण करके कौवे के चोंच पर लगा दिया जाता है I इसके बाद जिसका भी बुरा करना चाहता है उसका पूरा विवरण मंत्र के रूप में बोलकर उसे उड़ा दिया जाता है I बस चाहे कितनी भी दूर का मनुष्य
क्यो न हो उसका अनिष्ट जरूर होगा I लेकिन इस क्रिया में अगर कोई भी त्रुटि होती है तो उस कौवे के आंखों से खून निकल , उड़ते हुए ही वह मर जाएगा I एवं जिस साधक ने उसे भेजा था वह गंभीर बुखार से पीड़ित होगा I अगर सेवा व चिकित्सा मिला तो स्वस्थ होंगे वरना 13वें दिन साधक की मृत्यु अनिवार्य है I "
इतना बताकर तांत्रिक रुद्रनाथ चुप हुए I
मैं बोला - " लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आ रहा है कि जब आप उस लड़के को स्वस्थ कर रहे थे उस समय आसपास से कौवे और काले बादल आ जाने से सभी विचलित हो गए थे लेकिन मैंने आपकी ओर देखा तो आप पहले की तरह ही शांत थे और आपके चेहरे पर एक मुस्कान थी I ऐसा क्यों ? "
तांत्रिक रुद्रनाथ बोले - " उन सभी ने जब उस लड़के को मेरे पास बेहोशी की हालत में लेकर आए थे उसे देख कर मुझे कदालिभा काक्न्त्र कल्प के जैसा ही लगा था I इसके बाद जब कौवों का झुंड और काले बादल आ गए तो मैं निश्चिंत हो गया कि मैं जो सोच रहा था यह वही है I "
" लेकिन जब लड़का बीमार हो गया था तो उसे डॉक्टर के पास ना ले जाकर आपके पास क्यों लाए थे ? "
" मेरे पास उसे पहले नहीं लेकर आए थे , डॉक्टर के पास ही पहले लेकर गए थे I एक स्वस्थ लड़का 14 घंटे से ज्यादा बेहोश पड़ा हुआ है I यह कैसे संभव है व असल में क्या हुआ है इस बारे में डॉक्टर कुछ नहीं कर पाया I कल रात तक कोशिश करने के बाद डॉक्टर ने मना कर दिया I इसके बाद
आज सुबह सुबह उसके घर के लोग मेरे पास लेकर आए I उस लड़के के सामने जाते ही नाक में एक गंध आया उसी समय में समझ गया किया यह कदालिभा काक्न्त्र कल्प के अलावा दूसरा कुछ नहीं हो सकता I "
मैं बोला - " कैसा गंध पाया आपने मैंने तो कोई गंध नहीं सूंघा I "
तांत्रिक रुद्रनाथ हंसते हुए बोले - " पगले उस गंध को सूंघने जैसा नाक नहीं है तुम्हारे पास , साधारण मनुष्य इसे नहीं जान सकता I "
" इसे अपने सीखा कहां से ? क्या यह शक्ति भी आपने पंचमुंडी साधना करके पाई है I "
तांत्रिक कुछ देर शांत रहने के बाद बोले - " इस शक्ति को कैसे पाया था उसे बताने के लिए आज से 14 साल पीछे जाना होगा I "
मुझे पता चल गया कि एक और रोमांचक घटना की कहानी पता चलने वाली है । ......
तांत्रिक रुद्रनाथ ने शुरू किया -
" उस समय अभी पंचमुंडी साधना को संपूर्ण ही किया था I इसके बाद मुझे अट्टहास शक्तिपीठ मंदिर से अपने घर लौटना पड़ा I लेकिन आश्चर्य , घर जाकर जो देखा उससे मैं बहुत ही चकित हो गया I मन ही मन सोचा कि यह घटना किसी दैवीय शक्ति के अलावा हो ही नहीं सकता I तुरंत ही मुझे एक बात याद आ गई I उस दिन से लगभग 5 दिन पहले रात को सोते समय मैंने एक सपना देखा I सपने में देखा कि मेरा भाई अनिल एक उज्जवल पिंड को निर्देश करके आगे बढ़ता चला जा रहा है I और कह रहा है कि बाबा मुझे बुला रहे हैं मुझे जाना होगा , बाबा मुझे बुला रहे हैं मुझे जाना होगा I इसी बीच मैंने देखा पिंड एक मनुष्य का रूप ले रहा है ,कुछ देर बाद ही उसने देवादिदेव महादेव का रूप लिया I लेकिन वह आदियोगी महादेव रूप था I तब तक मेरा भाई बहुत ज्यादा आगे चला गया है उस उज्ज्वल देह कि ओर I तभी अचानक मेरे आसपास के दृश्य बदलने लगे I अब तक आसपास अँधेरा था I इस बार अँधेरे को भेद कर दिखाई देने लगा तारों से भरा एक झिलमिला आसमान और मेरे चारों तरफ से घिरा हुआ है विशाल बर्फ से ढके पर्वत I और एक अर्धचंद्र भी दिखाई दे रहा है I जो शोभा बढ़ा रही है आदियोगी महादेव के माथे पर लेकिन अब अनिल कहीं भी नहीं दिखाई दे रहा I चारों ओर से सुनाई दे रहा है एक गंभीर ध्वनि , ध्यान से सुनने पर वह ध्वनि ' ॐ 'के जैसा सुनाई देता है I इसके बाद एक समय सब कुछ गायब हो गया I मैं केवल देखता रहा I इसके बाद नींद से जागने के बाद मुझे कुछ भी नहीं याद था I और आज घर आकर देख रहा हूं मेरा भाई अनिल बहुत ही बीमार है I उसका शरीर मानो बिस्तर में समा गया है I कैसे यह सब हुआ घरवालों से जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि लगभग 5 दिन पहले अचानक वह बेहोश हो गया था और होश में आया था 17 घंटे के बाद एक बार , यही अंतिम बार फिर , और से वह बेहोश हो गया I आज 4 दिन से वह ऐसे ही बेहोश पड़ा है I बीच-बीच में कुछ मिनटों के लिए उसका सीना बहुत जोरों से कांप उठता है I इस घटना में डॉक्टर
ने कहा है कि इसका इलाज उनके ज्ञान के बाहर है I कल शाम को वह घर आकर क्षमा याचना करके गए I उस दिन रात को भाई के बिस्तर के पास मैं बैठा था I उसके चेहरे को देखकर समझा ही नहीं जा सकता कि उसे कोई बीमारी हुआ है I इसी बीच मैंने देखा भाई के होंठ हिल रहे हैं I बहुत ही धीरे से सुनाई दिया - " बाबा बुला रहे हैं , मुझे जाना होगा I "
यह सुनकर मैं तो आश्चर्यचकित हो गया I हुबहू एक ही बात लेकिन यही मेरे भाई के अंतिम शब्द थे I उसके अगले दिन सुबह ही भाई की मृत्यु हो गई I मौत हुए 15 दिन बीत गए हैं I भाई के मृत्यु के बाद मुझे अपने अंदर एक परिवर्तन महसूस हो रहा है I किसी भी काम में मन नहीं लगता एवं
और एक विचित्र घटना हुई कि प्रतिदिन मैं एक ही सपना देखता I लगातार 9 दिन वह स्वप्न मेरे सीने में बंधा रहा I चारों तरफ बर्फ से ढके ऊंचे - ऊंचे पर्वत और उसके बीच में समतल भूमि पर बर्फ से ढंका एक पक्का घर उसके ठीक पीछे लम्बा सा शिखर I घर के सामने घर की ओर देखते हुए बैठा है एक पत्थर का सांड और उसके सामने एक पत्थर का त्रिशूल गड़ा हुआ है I और जहां पर मैं खड़ा हूं उसके कुछ दूरी पर ही पत्थरों के बीच में एक नदी बह रही है I इस दृश्य को देखकर मुझे ऐसा लगता कि मैं इसे पहचानता हूं लेकिन आंखो द्वारा कभी नहीं देखा I फिर नींद खुलते ही सब कुछ धुंधला सा हो जाता I मैंने निश्चय किया कि आज ही बड़े चाचा के पास जाना पड़ेगा I
उनके घर पहुंचते ही देखा प्रतिदिन की तरह आज भी वो जमीन पर बैठकर ध्यान से लिख रहें थे I उनके पास बैठते ही मुझे एक बार देखा और एक छोटी सी हंसी चेहरे पर लाकर फिर से लिखना शुरु कर दिया I
मैं बोला - " चाचा जी , मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं I "
उन्होंने मेरी ओर देखा फिर मैंने अपने स्वप्न का विवरण पूरी तरह उनको बताया I एवं जानना चाहा कि ये मेरे साथ क्यों हो रहा है और यह जगह कहां पर है ? बार बार जिसको सपने में देख रहा हूं I बड़े चाचा ने सब कुछ सुन ,पास ही रखे एक कागज को उठाकर लिखना शुरू कर दिया I उस कागज
को मेरे हाथ में देते ही मैंने उसे पढ़ा I उसमें लिखा था, " तुम्हारे विवरण को सुनकर मुझे ऐसा लगता है कि ईश्वर तुम्हें कोई संकेत देना चाहते हैं I मुझे जितना ज्ञान है उससे यही लगता है कि यह कोई सामान्य स्वप्न नहीं है I यह एक प्रकार का स्वप्नादेश है I ईश्वर तुम्हें इस जगह पर जाने के लिए आह्वान कर रहें हैं I और इस जगह के विवरण को सुनकर
लगता है कि यह जगह उत्तर भारत के हिमालय के पास ही किसी जगह पर है I और जिस घर के बारे में तुमने बताया वह सम्भवतः एक मंदिर है I जिसे मनुष्य श्री केदारनाथ धाम
के नाम से जानते हैं और उसके पास से बहती है मंदाकिनी नदी , जिसकी उत्पत्ति केदारनाथ के ठीक पीछे चोराबाड़ी ताल से हुई है I "
केवल इतना ही लिखा हुआ था I
मैंने उनसे पूछा - " लेकिन ऐसी जगह पर पहुंचने का उपाय क्या है ? "

बड़े चाचा मेरी ओर देखकर हँसे और फिर से कागज में लिखकर दिया I
" यह संकेत अगर भगवान का बुलावा है तो तुम किसी न किसी तरह वहां पहुंच ही जाओगे I पर प्राथमिक रास्तों को मैं तुम्हें बता देता हूं I यहां से पहले तुम्हें हरिद्वार तक यात्रा करना होगा फिर वहां से शुरू होगा तुम्हारा पैदल यात्रा I
बहुत ही दुर्लभ रास्ते पर लगभग 70 से 80 मील चढ़ाई व ढलान पार करके गौरीकुंड को पीछे छोड़ केदारनाथ के रास्ते आगे बढ़ना होगा I यह यात्रा सहज नहीं है लेकिन अगर भगवान ने तुम्हें वहां बुलाया है तो वह खुद ही वहां तक पहुँचाने की व्यवस्था कर देंगे I "
इसके बाद मैं कुछ और जानकारी लेकर घर चला आया I "


इतना बताकर तांत्रिक रुद्रनाथ शांत हुए I
मैं बोला - " इसके बाद क्या हुआ ? और आपके बड़े चाचा ने मुंह से एक भी बात नहीं कहा I जो बोलना था उसे लिख कर दिया ऐसा क्यों ? "
तांत्रिक रुद्रनाथ हंसते हुए बोले - " मेरे बड़े चाचा के बारे में अगर तुम जानते तो ऐसा प्रश्न नहीं करते I असल में 20 वर्ष की उम्र में एक प्राकृतिक दुर्घटना के कारण उन्होंने अपनी बोलने की क्षमता को खो दिया I यह घटना भी बहुत ही अद्भुत है I मैंने अपनी दादी जी से सुना था कि पहले हमारे घर में एक नियम चलता था I घर में अगर कोई बच्चा हो तो उसके नाम अनुसार एक कटहल का पेड़ घर पर लगाया जाता था I ठीक उसी तरह बड़े चाचा के समय भी एक पेड़ लगाया गया था I समय के साथ - साथ वह पेड़ बढ़ता गया I
चाचा जी के बीसवें जन्मतिथि पर एक आश्चर्य घटना घटी I जन्म तिथि के दिन दादी जी उनको कटहल की सब्जी खिलाना चाहती थी और उन्हीं के नाम वाले पेड़ से कटहल तुड़वाया गया था I उसी दिन दोपहर को बारिश होने के कारण दादी जी ने चाचा से पेड़ के नीचे रखे कटहलों को लाने के लिए कहा क्योंकि बारिश ज्यादा होने पर वहां जाने में दिक्कत होगी I इसके बाद वो दादी जी के कहे अनुसार कटहल लाने गए और जैसे ही पेड़ के नीचे कटहल उठाने
के लिए झुके तुरंत ही पेड़ पर एक भयानक बिजली गिरी I अचानक बिजली गिरने की आवाज से और उसे देखकर चाचा जी तुरंत बेहोश हो गए I इसके बाद जब वो होश में आए तब पता चला कि वह बोल नहीं पा रहे I बोलने की क्षमता को उन्होंने पूरी तरह खो दिया था I उस घटना के बाद
से चाचा जी के अंदर बहुत सारे परिवर्तन देखे गए I उस व्यक्ति के अंदर मानो ज्ञान का भंडार खुल गया हो I एवं आश्चर्यजनक ढंग से एक और बात पर ध्यान दिया गया कि बिजली गिरे कटहल के पेड़ में भी एक नई जान आ गई है I उस कटहल के पेड़ पर ज्यादा पत्ती नहीं है लेकिन कटहल का इतना ज्यादा फलन देखकर सभी आश्चर्यचकित हो जाते I मूलतः जिस पेड़ पर बिजली गिरती है उस पेड़ पर फिर से फल नहीं होते हैं लेकिन इस बार पूरी तरह उल्टा था I बिजली गिरने के कारण ऊपर से वह पेड़ बहुत जल गया था लेकिन पेड़ पर फल मानो बढ़ता ही गया I इस घटना के बाद से चाचा जी कुछ गंभीर प्रकृति के हो गए I सभी समय वो किताबों में खोए रहते I न जाने कितने प्रकार की किताबें वो हमेशा पढ़ते रहते I इससे उनके ज्ञान का भंडार दिन प्रतिदिन बढ़ता गया I विज्ञान , भूगोल , इतिहास , दर्शन , गणित इसके अलावा अंग्रेजी साहित्य में भी उनका ज्ञान असाधारण हो गया था , उस घटना के बाद से I मैंने सुना था कि 25 साल की उम्र में चाचा जी ने सूर्य विज्ञान एवं योग शास्त्र में सूर्य के ऊपर कुछ जानकारी एक पत्रिका में लिखकर बात को विज्ञान महल में पहुंचा दिया था I लेकिन कुछ ईर्ष्यालु वैज्ञानिक उनके पत्रिका को इधर-उधर करके खत्म कर दिया I इसके बाद से चाचा जी ने तय किया कि कुछ भी लिखेंगे तो उसे अपने संग्रह में सुरक्षित रखेंगे और बाहर की दुनिया में उसे कभी प्रकाशित नहीं करेंगे I उस आदमी के पास न जाने कितने अनजाने विषयों का ज्ञान था उसे केवल वही जानते थे I लेकिन उनके लिखें बहुत सारे लेखों को मैंने पढ़ा था उसके बारे में किसी दूसरे दिन तुम्हें बताऊंगा I "
इतना बोलकर तांत्रिक शांत हुए I
मैंने पूछा - " क्या आपके भी नाम से कोई पेड़ लगाया गया था ? "
" नहीं , चाचा जी के साथ बिजली गिरने की घटना होने के बाद पेड़ लगाने की रीति बंद कर दिया गया I "
" अच्छा फिर क्या हुआ केदारनाथ के बारे में ? "
तांत्रिक रुद्रनाथ अब तक पद्मासन में बैठे हुए थे अब पैरों को फैलाते हुए बोले - " उसके बाद भी मैंने लगातार तीन दिन वही एक ही स्वप्न देखा I मन के अंदर एक अशांत भाव भर गया था I घर में और मन नहीं लगता I हर वक्त कानों के पास धीरे-धीरे ओम ओम की ध्वनि सुनाई देती I आसपास मनुष्यों का कोलाहल अच्छा नहीं लगता I मैं जान गया था कि मेरे अंदर से सांसारिक माया धीरे-धीरे खत्म हो रही है I केवल रोने का मन करता और मन हमेशा गंभीर बना रहता I मुझे
भी ऐसा लगने लगा कि बाबा मुझे बुला रहें हैं और मैं वहां पर जाए बिना नहीं रह पाउँगा I स्वप्न के उन दृश्यों ने मुझे चंचल कर दिया था I खुद को और घर में रोक नहीं सका I तीन दिन
के अंदर किसी तरह सब कुछ समेट गोमो स्टेशन से ट्रेन में बैठ गया I गंतव्य है हरिद्वार.........

अगला भाग क्रमशः ...



@rahul