Wo Ankahi Baate - 9 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - भाग - 9

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वो अनकही बातें - भाग - 9

शालू ने सोचा कि समीर ने उसे धोखा दिया। और अब आगे।



शालू रोने लगी और फिर बोली सोमू तुमने काश सच कहा होता तो शायद मैं समझ जाती पर अब तुम्हें मौका नहीं दूंगी।। इससे पहले कि आज तू आए मैं तेरा शहर छोड़ जाऊंगी।

और फिर शालू ने आफिस में मेल कर दिया एक लखनऊ की टिकट बुक कराने को कहा एक अपने एजेंट से।।


शालू ने मन बना लिया था कि अब मुम्बई ही छोड़ देंगी।

समीर का दस मिस कोल आ चुका था और शालू फोन नहीं ले रही थी और फिर उसने फोन बंद कर दिया।



समीर भी सोच में पड़ गया कि क्या हुआ अचानक शालू को, मुझसे कोई गलती हो गई क्या? मुझे बता कर जाना चाहिए था शायद।



शालू जब सामान समेट रही थी तो उसे वो डायरी नहीं मिला तो वह सोच में पड़ गई पर उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि डायरी समीर ने लिया था।


शालू ने सब पैकिंग कर लिया और कान्ता को ही बोली कि वो लखनऊ जा रही है। शालू के अपार्टमेंट में उसने अपना घर खरीदा था पर अब वो छोड़ कर जाना चाहती थी।

शालू की रात की फ्लाइट थी। उसने फोन बंद ही रखा था। समीर ने शालू को मेसेज पर ही लिख दिया कि उसे अचानक से यूएस आना पड़ा क्योंकि मिनल अब इस दुनिया में नहीं है।
शालू मैं तुम्हें नहीं बता पाया कि मैं मिनल से मिलने जा रहा था। तुम्हें बुरा लगा होगा पर ये जिंदगी और मौत का सवाल था।

पर क्या शालू को ये सब बातें पता चल पाया कि समीर यूएस क्यों गया और जब पता चलेगा तो बहुत देर हो चुकी होगी। क्योंकि शालू ने तो सोमू को ग़लत समझा और जब सच में समझ पाएगी तो बहुत दूर चली गई होगी।


दोनों का प्यार अधुरा रह गया और शालू ने तो कभी कहा ही नहीं कि वह क्या चाहती है वो अनकही बातें दबी ही रह गई ये सब शालू हवाई जहाज में बैठ कर सोच रही थी।


बस कुछ घंटों बाद सुबह तक लखनऊ पहुंच गई थी शालू। किसी तरह से खुद को सम्हाल कर वो पहुंची रानो बुआ के घर।


शालू की बस एक बुआ ही थी जो सब कुछ जानती थी और फिर शालू घर पहुंच कर ही बुआ से लिपट कर रोने लगी और रानो बुआ भी बस रोने लगी वो भी शादी नहीं की थी और शालू को अपनी जान से ज्यादा प्यार करती थी।



रानो बुआ बोली अब बस कर मेरी गुड़िया जल्दी से नहा लो फिर नाश्ता करते हैं आलू के परांठे तुझे पसंद है ना। शालू बोली हां और सोमू को भी पसंद है।

रानो बुआ गुस्से से बोली उस मुऐ का नाम मत ले।


उधर समीर भी समझ गया कि जरूर कुछ अनहोनी हो गया है।क्यों शालू तुमने एक बार भी नहीं बताया कि मिनल ने क्या कहा था एक बार कहा तो होता ।।।



फिर समीर भी मुम्बई लौट आए और घर आ कर ही विनय काका से पूछा कि शालू आई थी?



विनय काका बोले हां बेटा वो आई थी और तुरंत चली गई। समीर मन में सोचा ओह शालू कहा हो।


फिर समीर फैश हो कर तुरंत शालू के घर पहुंच कर देखा ताला लगा हुआ है फिर नीचे पहुंच कर गार्ड से पूछा तो उसने बताया कि कल मैम लगेज लेकर हमेशा के लिए चली गई।



समीर ये सुनकर एक दम सुन्न पड़ गया और बोला एक बार फिर तुम बिना बता कर ही चली गई।

समीर वापस अपने घर आ गया और मायुस होकर अपने रूम में चला गया।


उधर शालू ने जब फोन खोला तो देखा समीर के हजारों फोन थे। फिर उसने जब मेसेज चेक किया तो मिनल की मौत का पता चला। शालू ने कहा ओह माई गॉड ,ये सब क्या हो गया।।मिनल चली गई।।।


फिर शालू ने दूसरा सिम कार्ड ले लिया।



फिर युही दिन, महीने, साल गुजरने लगा पर समीर ने फोन करना नहीं छोड़ा और शालू ने फोन कभी उठाया नहीं।


फिर शालू लखनऊ में ही एक नौकरी ढूंढ लिया और फिर खुद को काम में व्यस्त करने लगी पर कहते हैं ना इश्क कभी छुपता नही,मरता नहीं, मिटता नहीं।।

थक हार कर जब रात को सोने जाती थी तो जैसे सैकड़ों तकलीफें आ जाती है करवट बदल कर रात गुजर जाती थी।


शालू को दुख इस बात था कि इतने सालो बाद मिलें ही क्यों और अगर मिले भी तो बिछड़ क्यों गए।


ऐसा क्या करूं जो सोमू याद न आए वो मेरे ज़हन में आ चुका है उसने क्यों नहीं बताया।।

शालू रोज ये सब सोचती रहती थी।


रानो बुआ लाख कोशिश किया करती की शालू खुश रहें पर नहीं।।



फिर इसी तरह शालू के दिन बीतने लगे।।






क्रमशः