Bahubali - 3 - Part-2 in Hindi Mythological Stories by सोमराज books and stories PDF | बाहुबली - 3 - भाग-2

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बाहुबली - 3 - भाग-2

"और महारानी से मिलना तो दूर उनसे उनको देखने पर भी दंड मिलता है जब वह गांव की गलियों से गुजरती है तो सबकी नजरें झुकी हुई होती हैं "-उस आदमी ने अपनी बातें जारी रखी
महेंद्र बाहुबली ने माता की तरफ देखा उनका चेहरा उतरा हुआ था
"क्या हुआ मां "-बाहुबली ने पूछा
देवसेना का ध्यान बाहुबली की तरफ हुआ -"कुछ नहीं पुत्र"- कुछ छुपाते हुए देव सेना ने जवाब दिया
बाहुबली सिंहासन से नीचे उतर कर अपनी मां के घुटनों के पास बैठ गया -"मां ,आपका पुत्र हूं आपके चेहरे के भाव को समझ सकता हूं बताइए क्या बात है"- बाहुबली ने पूछा
कटप्पा ने दरबार में प्रवेश किया कटप्पा ने दरबार की सभा की घटना को समझने की कोशिश की
" तुम्हारी मां हूं इसलिए चिंतित हूँ जब मां को यह पता चले कि उसका पुत्र किसी समस्या को सुलझाने के लिए समस्या की ओर जा रहा है तो सिर्फ एकमात्र चिंता ही मां के इर्द गिर्द घूमती रहती है"- देव सेना ने बिना हिचक के ऐसा बोला
"मां "-बाहुबली अपने स्थान पर खड़ा हो गया-"मैं इस उलझन को पूरा कर जल्दी ही वापस आऊंगा"" दादा"- बाहुबली ने अपनी मां की आंखों में देखते हुए कटप्पा को पुकारा-"केसर साम्राज्य जाने की तैयारी करो"- बाहुबली झुका और अपनी माता के चरणों को स्पर्श कर वहीं बैठ गया देवसेना ने बाहुबली के सर पर हाथ रखा
०००
एक सैनिक तहखाने में कदमों की आहट के साथ आगे बढ़ रहा वह बिजल देव की सलाखों के पास जाकर रुक गया
" क्या खबर लाये हो रुद्रा"- विज्जलदेव ने पूछा
विजय दीवार से लगकर बैठा था बालों ने चेहरे पर घेरा बना रखा था
"बाहुबली और कटप्पा केशर साम्राज्य की ओर जा रहे हैं प्रभु "-रूद्र ने जवाब
बिजल देव ने धीरे से अपने बालों को पीछे हटाया और धीरे धीरे हंसना शुरू किया बिजल देव जोर-जोर से हंसने लगा-"अब शुरू होगा शिव तांडव "-बिजल देव ने धीरे से कहा
०००
महल के सामने बगीचे में घोड़ों को तैयार किया जा रहा था वहां
कटप्पा आए-" घोड़े तैयार हैं साथी"- कटप्पा ने उनसे पूछा
" जी मालिक"- उसने जवाब दिया
" बहुत खूब तुम जाओ और महाराज को सूचना दो कि घोड़े तैयार हैं
" जी मालिक"- वह आज्ञा लेकर चला गया
"मैं भी साथ चल सकती हूं दादाजी "
यह आवाज पीछे से आई कटप्पा ने तुरंत आवाज की तरफ घूम कर देखा यह अवंतिका थी
" आप ,"
"क्यों क्या हुआ दादा जी "
"नहीं..पर आप "
आप फिक्र ना करें दादा जी यदि मैं आपके साथ चल रही हूं तो मुझे स्कून मिलेगा क्योंकि ..."
"आप नहीं जा सकती अवंतिका "
यह आवाज राजमाता की थी देवसेना ने तुरंत घूम कर देखा
"राजमाता आप "
"हाँ अवंतिका वहां पर खतरे का काम है और हम तुम्हें खतरे में नहीं भेज सकते"
"राजमाता आपके मन के अंदर हमारे प्रति किस सवाल ने जगह बनाई है हम अच्छी तरह समझते हैं लेकिन हर खतरे को अपनी ढाल पर ढालना आता है इस अवंतिका को विश्वास कीजिए "
तुम्हारी यह ज़िद मुझे जिंदगी भर तक का ऋणी बना सकती है अवंतिका, तुम्हें यहीं रहकर .."
"क्षमा चाहता हूं माँ "- यह पीछे से बाहु की आवाज थी-" अवंतिका एक वीर योद्धा है माँ मैं अवंतिका को अच्छी तरह जानता हूं माँ यह हमारी बहुत मदद कर सकती हैं"-अपना सर झुका कर -"आप जो कहेंगे हमें मंजूर होगा "-बाहुबली ने कहा
बाहुबली की बातों में कुछ इशारे थे जो देवसेना समझ चुकी थी राजमाता ने अवंतिका की तरफ देखा जो लगातार बाहुबली को निहार रही थी बाहुबली नजरें झुकाए राजमाता के सामने खड़ा था कटप्पा भी यह दृश्य देख समझ चुका था
" अवंतिका का खयाल रखना "-इतना कहकर राजमाता वहां से चल पड़ी
महेंद्र ने खुशी से अवंतिका की तरफ देखा
०००
"मां के सामने बड़ी गुजारिश कर रही थी मेरे साथ आने की लगता है महल में मेरे बिना मन नहीं लगता तुम्हारा"-बाहुबली ने कहा
इस वक्त तीनों (कटप्पा अवंतिका बाहुबली )अपनी सवारी पर जंगल के रास्ते आगे बढ़ रहे थे
"बहुत जल्दी बातों का गलत मतलब अपने दिमाग में तैयार कर लेते हो तुम "- अवंतिका ने जवाब दिया
"मैंने कोई मतलब तैयार नहीं किया बल्कि सच्चाई है कैसे टुकुर टुकुर देख रही थी हमको जब हम मां के समक्ष खड़े थे"
" हम्म..मैं वैसे आपको नहीं देख रही थी जैसे आप समझ रहे हो"
" तो.."
"तो क्या..मैं तो बस इसलिए साथ आने की जिद कर रही थी क्योंकि.."
"क्योंकि.."
"क्योंकि.."- अवंतिका अपने शब्दों के साथ ही अटक गई
" हां बोलो क्योंकि आगे .."
"क्योंकि एक से भले दो और दो से भले तीन"- अवंतिका ने धड़क से कहा
"हा..हा..हा.."-कटप्पा हंसने लगा
" क्या हुआ दादा जी, आप अचानक से.."-बाहुबली ने पूछा
" कुछ नहीं तुम दोनों की नोकझोंक से मुझे तुम्हारे पिताजी के साथ का वह सफर याद आ गया जब हम कुंतल राज्य ठहरे थे "
"दादा जी आपकी उम्र कितनी हुई होगी"- बाहुबली ने पूछा
" अब रहने दो मैं बताऊंगा तो तुम्हें यकीन नहीं होगा"
" आप बताइए दादाजी मैं जानना चाहता हूं "
"मैं 90 साल का हो चुका हूं "
यह सुनकर अवंतिका तो सतम्भ ही रह गई
"आप खाना क्या खाते हैं दादाजी"- अवंतिका ने पूछा


शेष भाग -3
लेखक सोमवीर माजरा