She lost in Hindi Women Focused by Kishanlal Sharma books and stories PDF | वह हार गई

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वह हार गई

"हनीमून मनाने गए है।"
विभा की बात सुनकर अनु के अतीत के पन्ने फड़फड़ाकर खुल गए।
अनु अपनी कजिन की शादी में माँ के साथ जबलपुर गई थी।वहां उसकी आंखें मानव से लड़ गई।मानव,अनु की चचेरी बहन रेखा की सहेली दीपा का। भाई था।वह पूना में सॉफ्टवेयर इंजीनयर था।वह छुट्टी लेकर घर आया हुआ था।अनु के प्यार की खबर उसकी माँ तक जा पहुंची।मानव उनकी जाति का होने के साथ सर्विस में भी था।इसलिए उसकी मां को बेटी के प्यार पर ऐतराज नही था।अनु की माँ ने मानव की माँ से बात की और दोनो रिश्ते के लिए तैयार हो गए।
मानव ने अनु को जबलपुर घुमाया था।भेड़ाघाट,गौरीघाट,धुंआधार व अन्य जगह घुमाने के लिए मानव ,अनु को ले गया था।
अनु वापस दिल्ली लौट आयी थी।लेकिन वह मानव की यादें अपने साथ लायी थी।मानव भी पूना चला गया था।फोन पर मानव कि अनु से रोज बाते होने लगी।
अनु बीटेक कर रही थी।पढ़ाई पूरी करते ही उसका पूना की एक कम्पनी में सलेक्शन हो गया।वेसे तो सरला बेटी को नौकरी के लिए अकेली इतनी दूर हरगिज नही भेजती।लेकिन वहां अनु का मंगेतर मानव पहले से ही था।इसिलए सरला ने बेटी को भेज दिया।अनु,मानव के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी।
एक छत के नीचे रहते हुए मर्द औरत के बीच शारीरिक दूरी कब तक रह सकती है?एक रात मानव ने अनु का हाथ पकड़ा तो वह बोली,"यह क्या कर रहे हो?"
"प्यार।"
"नही।ये सब अभी नही।हमारा सिर्फ रिश्ता हुआ है।शादी नही।" मानव की बात का आशय समझ मे आने पर अनु बोली थी।
"तुम पढ़ी लिखी हो और दकियानूसी बाते कर रही हो।जब शादी के बाद शारीरिक संबंध बना सकते है,तो पहले क्यों नही?"अनु की बात सुनकर मानव बोला,"सगाई हो चुकी है।शादी भी जल्दी हो जाएगी"
मानव के समझाने पर अनु ने सोचा था।मानव उसका मंगेतर है।जब मानव को ही उसका पति बनना है तो क्या फर्क पड़ता है।शारीरिक सम्पर्क पहले बने या शादी के बाद।और मानव के समझाने पर अनु ने समर्पण कर दिया था।
उस रात के बाद वे बिना शादी के ही पति पत्नी की तरह रहने लगे।उसके मन में शादी का विचार आता भी नही अगर उनके बीच मे श्रेया न आ जाती।
श्रेया, मानव की कंपनी में नाइ आयी थी।वह मुम्बई की रहनेवाली थी।एक दिन वह उसके साथ आया और अनु को उसका परिचय देते हुए बोला,"जब तक कोई व्यस्था नही हो जाती।श्रेया हमारे साथ रहेगी।"
श्रेया, अनु से ज्यादा सूंदर और स्मार्ट थी।पहली मुलाकात में ही मानव उसे दिल दे बैठा।वे दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे।ऑफिस के बाद भी उनका साथ रहने लगा।दिन प्रतिदिन मानव की श्रेया में बढ़ती आसक्ति देखकर अनु ने उसे समझाया।जब समझाने पर भी वह नही माना तब अनु समझ गई जल्दी कुछ नही किया तो उसका मंगेतर हाथ से निकल जायेगा।
अनु छुट्टी लेकर दिल्ली आ गई।उसने अपनी मां से कुछ नही छिपाया।सब कुछ साफ साफ बता दिया।अनु की माँ ने फोन पर मानव की माँ से सब बातें की।काफी सोच विचार के बाद अनु और मानव की दी महीने बाद शादी की तारीख तय कर दी गई।अनु ने कई बार मानव को फोन मिलाया।लेकिन स्विच ऑफ आ रहा था।
अनु दिल्ली से लौटते समय बहुत खुश थी।वह घर पहुंची तो दरवाजे पर ताला लगा था।ताला वो नही था,जिसकी एक चाबी अनु के पास रहती थी।इसीलिए उसे विभा के पास आना पडा।विभा की बात सुनकर वह बोली,"हनीमून तो शादी के बाद जाते है।"
"हां।शादी के बाद ही गए है।कल ही उन्होंने कोर्ट मैरिज की और रात को गोवा चले गए।"
विभा की बात सुनकर अनु के पैरों तले से जमीन निकल गई।वह मानव को अपना बनाने के लिए शादी की तारीख निकलवाने गई थी।श्रेया ने बिना तारीख निकलवाये उसे अपना बना लिया था।